स्याद्वाद

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

स्याद्वाद संज्ञा पुं॰ [सं॰] जैन दर्शन जिसमें एक वस्तु में नित्यत्व अनित्यत्व, संदृर्शत्व, विरुपत्व, सत्व, असत्व आदि अनेक विरुद्ध धर्मी का सापेक्ष स्वीकार किया जाता है और कहा जाता है कि स्यात् यह भी है स्यात् वह भी है आदि । अनेकांतवाद ।