स्याह
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]स्याह ^१ वि॰ [फा॰] काला । कृष्णा वर्ण का ।
स्याह ^२ संज्ञा पुं॰ घोड़े की एक जाति । उ॰—सिरगा समंदा स्याह सेलिया सूर सुरंगा । मुसकी पँचकल्यानि कुमेता केहरि रंगा ।—सूदन (शब्द॰) ।
स्याह करवा गुलकट संज्ञा पुं॰ [?] लकड़ी का बना हुआ एक प्रकार का ठप्पा जिससे कपड़ों पर बेल बूटे छापे जाते हैं ।
स्याह काँटा संज्ञा पुं॰ [फा॰ स्याह+हिं॰ काँटा] किंगरई नाम का कँटीला पौधा । आल । विशेष दे॰ 'किंगरई' ।
स्याह जबान संज्ञा पुं॰ [फा॰ स्याह+जबान] वह हाथी या घोड़ा जिसकी जबान स्याह हो । विशेष—स्याह जबानवाले हाथी घोड़े ऐबी समझे जाते हैं ।
स्याह जीरा संज्ञा पुं॰ [फा॰ स्याह+हिं॰ जीरा] काला जीरा । विशेष दे॰ 'काला जीरा' ।
स्याह तालू संज्ञा पुं॰ [फा॰ स्याह+हिं॰ तालू] वह हाथी या घोड़ा जिसका तालू बिलकुल स्याह हो । विशेष दे॰ 'स्याह जवना' ।
स्याह भूरा वि॰ [फा॰ स्याह+हिं॰ भूरा] काला । (रंग) ।