स्याही

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

स्याही ^१ संज्ञा स्त्री॰ [फा॰]

१. एक प्रसिद्ध रंगीन तरल पदार्थ जो प्रायः काला होता है और जो लिखने, छापने आदि के काम में आता है । लिकने या छापने की रोशनाई । मसि । उ॰—हरि जाय चेत चित सूखि स्याही झरि जाइ, करि जाय कागद कलम टाँक जरि जाय । —काव्यकलाधर (शब्द॰) ।

२. कालापन । कालिमा । उ॰—स्याही बारन तै गई मन तैं भई न दूर । समुझ चतुर चित बात यह रहत बिसूर बिसूर । — रसनिधि (शब्द॰) । मुहा॰—स्याही जाना=बालों का कालापन जाना । जवानी का बीतना । उ॰—स्याही गई सफेदी आई दिल सफेद अजहूँ न हुआ । —कबीर (शब्द॰) ।

३. बदनामी का टीका । कलंक । कालिख । कालिमा । जैसे,—उसने अपने बाप दादों के नाम पर स्याही पोत दी । क्रि॰ प्र॰—पोतना ।—फेरना ।—लगना ।—लगाना ।—लेपना ।

४. कड़ु वे तेल के दीए में पारा हुआ एक प्रकार का काजल जिससे गोदना गोदते हैं ।

५. अंधकार । अँधेरा ।

६. दाग । दोष । ऐब ।

स्याही ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ शल्यकी, हिं॰ स्याही] साही । शल्यकी । सह । विशेषदे॰ 'साही' ।