स्वरभक्ति

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

स्वरभक्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] र् और ल् के उच्चारण में अंत- र्निविष्ट स्वर की ध्वनि । विशेष—जब र् और ल् अक्षरों के पश्चात् कोई ऊष्मवर्ण (क्ष् ष् स् ह्) या कोई व्यंजन हो तब स्वरभक्ति होती है । जैसे 'वर्ष' का 'वरिष' उच्चारण में ।