स्वस्ति
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]स्वस्ति ^१ अव्य॰ [सं॰]
१. कल्याण हो । मंगल हो । (आशीर्वाद) ।
२. दान-स्वीकृति-परक वाक्य । विशेष—प्रायः दान लेने पर ब्राह्मण लोग 'स्वस्ति' कहते हैं, जिसका अभिप्राय होता है—दाता का कल्याण हो ।
स्वस्ति ^२ संज्ञा स्त्री॰
१. कल्याण । मंगल ।
२. पुराणनुसार ब्रह्मा की तीन स्त्रियों में से एक स्त्री का नाम । उ॰—ब्रह्मा कहँ जानत संसारा । जिन सिरज्यो जग कर विस्तारा । तिनके भवन तीनि रहैं इस्त्री । संध्या स्वस्ति और सावित्री ।—विश्राम (शब्द॰) ।
३. सुख ।