स्वस्तिवाचन

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

स्वस्तिवाचन संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. कर्मकांड के अनुसार मंगल कार्यों के आरंभ में किया जानेवाला एक प्रकार का धार्मिक कृत्य जिसमें गणेशपूजन के अनंतर । कलश स्थापित किया जाता है और कुछ मंगलसूचक मंत्रों का पाठ (प्रप्याह वाचन आदि) किया जाता है । उ॰—एकदिना हरि लई करोटी सुनि हरषी नँदरानी । विप्र बुलाय स्वस्तिवाचन करि रोहिणी नैन सिरानी । —सूर (शब्द॰) ।

२. द्रव्य आदि जो स्वस्तिवाचक को दिया जाय (को॰) ।