स्वस्त्ययन

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

स्वस्त्ययन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. एक प्रकार का धार्मिक कृत्य जो किसी विशिष्ट कार्य की अशुभ बातों का नाश करके शुभ की स्थापना के विचार से किया जाता है । उ॰—पढ़न लगे स्वस्त्ययन ब्रह्म- ऋषि गाइ उठीं सब नारी । लैनरनाथ अंक रघुनाथहि रंगनाथ संभारी ।—रघुराज (शब्द॰) ।

२. शुभ, कल्याश, समृद्धि आदि की प्राप्ति का साधन (को॰) ।

३. दान स्वीकार करने के अनंतर ब्राह्मण द्वारा स्वस्तिकथन (को॰) ।

४. मांगलिक कृत्य में आगे आगे ले जाया जानेवाला जलपूर्ण कलश (को॰) ।

स्वस्त्ययन ^२ वि॰ कल्याणकारक । मंगलप्रद । शुभद [को॰] ।