स्वाध्याय संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. वेदों की निरंतर और नियमपूर्वक आवृत्ति या अभ्यास करना । वेदाध्ययन । २. धर्मग्रंथों का नियमपूर्वक अनुशीलन करना । ३. किसी विषय का अनुशीलन । अध्ययन । ४. वेद । ५. अनध्याय के बाद का वह दिन जब स्वाध्याय प्रारंभ होता है ।