हँसौहाँ
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हँसौहाँ पु वि॰ [हिं॰ हँसना] [वि॰ स्त्री॰ हँसौहीं]
१. ईषद् हासयुक्त । कुछ हँसी लिए । हासोन्मुख । उ॰—(क) भयो हँसौहौं वदन ग्वारि को सुनत श्याम के बैन ।—सूर (शब्द॰) ।
२. हँसने का स्वभाव रखनेवाला । जल्दी हँस देनेवाला । उ॰— (क) सहज हँसौहैं जानि कै सौहैं करति न नैन ।—बिहारी (शब्द॰) । (ख) नेकु हँसौहीं बानि तजि, लख्यो परत मुख नीठि ।—बिहारी (शब्द॰) । (ग) औरनु को हँसौहौं मुख तेरी तौ रुखाई आली, सोरह कला कौ पूरौ चंद बलि जाऊँ ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ ३७१ ।
३. परिहासयुक्त । दिल्लगी का । मजाक से भरा । उ॰—नेकु न मोहिं सुहायँ अरी सुन बोल तिहारे हँसौहैं अबै ।—शंभु (शब्द॰) ।