हकनाक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

हकनाक † वि॰ [अं॰ हक + फा़॰ ना (प्रत्य॰) + अ॰ हक] हक नाहक । व्यर्थ । फिजूल । बिलकुल बेकार । उ॰—तब तो वह ब्राह्मन महादेव जो पै मरन लाग्यो । तब महादेव जी प्रगट होइ वा ब्रह्मन सों कहे, जो तू हकनाक क्यों मरत है ? वाके भाग्य में पुत्र नाहिं ।—दो सौ बावन॰, भा॰ २, पृ॰ ४५ ।