हङ्कार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हंकार ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अहङ्कार]दे॰ 'अहंकार' । उ॰—(क) खग खोजन कहँ तू परा पीछे अगम अपार । बिन परिचय ते जानहू, झूठा है हंकार । —कबीर बी॰ (शिशु॰), पृ॰ २०९ । (ख) गुरु के चरनन में धरो, चित बुधि मन हंकार । —संतवानी॰, भा॰ १, पृ॰ १४२ ।
हंकार ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ हुङ्कार] वीरों का दर्पनाद । ललकार । दपट । उ॰—हंकार हक्क काल कूह मचि जयं सबद मच्चिय घनह । — पृ॰ रा॰, पृ॰ ३८१ ।