हम्मीर
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
हम्मीर संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. संपूर्ण जाति का एक संकर राग जो शंकराभरण और मारू के मेल से बना है । विशेष—इसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं और इसके गाने का समय संध्या को एक से पाँच दंड तक है । यह राग धर्म संबंधी उत्सवों या हास्य रस के लिये अधिक उपयुक्त समझा जाता है ।
२. रणथंभोर गढ़ का एक अत्यंत वीर चौहान राजा जो सन् १३०० ई॰ में अलाउद् दीन खिलजी से बड़ी वीरता के साथ लड़कर मारा गया था ।