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हरण

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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हरण संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. जिसकी वस्तु हो उसकी इच्छा के विरुद्ध लेना । छीनना । लूटना या चुराना । र्जसे,—धनहरण, वस्त्रहरण ।

२. दूर करना । हटाना । न रहने देना । मिटाना । जैसे,—रोगहरण, संकटहरण, पापहरण ।

३. नष्ट करना । नाश । विनाश । संहार ।

४. ले जाना । वहन । जैसे,—संदेशहरण ।

५. (गणित में) भाग देना । तकसीम करना ।

६. दायजा जो विवाह में दिया जाता है ।

७. वह भिक्षा जो यज्ञोपवीत के समय ब्रह्मचारी को दी जाती है ।

८. वीर्य । शुक्र (को॰) ।

९. सोना । स्वर्ण (को॰) ।

१०. कपर्दिका । कौड़ी (को॰) ।

११. उबलता हुआ जल (को॰) ।

१२. बलपूर्वक किसी को भगा ले जाना । जैसे, संयोगिता- हरण, सुभद्राहरण ।

१३. घोड़े का दानापानी । घोड़े का चारा (को॰) ।

१४. कर । हस्त । हाथ (को॰) ।