हरता
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हरता पु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ हर्त्ता] दे॰ 'हर्ता' । उ॰—तुं धाता करतार तु भरता हरता देव । तु दत्ता गोरस तुही प्रसन होउ प्रभु मेव । —पृ॰ रा॰, ६ । २१ । (ख) हैं हरता करतार प्रभु कारन करन अखेद । —हम्मीर॰, पृ॰ ६४ ।
हरता ^२ पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] हरत्व । शिवत्व ।
हरता धरता संज्ञा पुं॰ [सं॰ हर्त्ता+धर्त्ता (वैदिक)]
१. रक्षा और नाश दोनों करनेवाला । वह जिसके हाथ में बनाना बिगाड़ना या रखना मारना दोनो हों । सब अधिकार रखनेवाला स्वामी ।
२. सब बात का अधिकार रखनेवाला । सब कुछ करने की शक्ति या अधिकार रखनेवाला । पूर्ण अधिकारी । जैसे,— आजकल वही उनकी सारी जायदाद के हरता धरता हो रहे हैं ।