हरना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हरना ^१ क्रि॰ स॰ [सं॰ हरण]
१. जिसकी वस्तु हो, उसकी इच्छा के विरुद्ध ले लेना । छीनना, लूटना या चुराना ।
२. दूर करना । हटाना । न रहने देना ।
३. मिटाना । नाश करना । जैसे,— दुःख या पीड़ा हरना, संकट हरना । उ॰—मेरी भव बाधा हरौ राधा नागरि सोइ ।—बिहारी (शब्द॰) ।
४. ले जाना । उठाकर के जाना । वहन करना ।
५. अपनी ओर आकर्षित करना । खींचना । मुहा॰—मन हरना=मन खींचना । किसी के मन को अपनी ओर आकर्षित करना । मोहत करना । लुभाना । उ॰—हरि दिखराय मोहनी मूरति मन हरि लियो हमारो ।—सूर । (शब्द॰) । प्राण हरना=(१) मार डालना । (२) बहुत संताप या दुःख देना । उ॰—मिलत एक दारुन दुख देही । बिछुरत एक प्रान हरि लेही ।—तुलसी (शब्द॰) ।
हरना ^२ क्रि॰ अ॰ [हिं॰ हारना]
१. जुए आदि में हारना ।
२. पराजित होना । परास्त होना ।
३. थकना । शिथिल होना । हिम्मत हारना ।
हरना पु ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ हरिण] दे॰ 'हिरन' ।