हरहर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हरहर ^१ संज्ञा स्त्री॰ [अनुध्व॰]
१. पानी एवं हवा के तीव्र वेग से बहने की ध्वनि । उ॰—नीचे प्लावन की प्रलय धार ध्वनि हरहर । —तुलसी॰, पु॰ ४ ।
२. जोरों से हँसने की घ्वनि । उ॰ — (क) प्रभु जी की प्रभुताई, इंद्र हू की जड़ताई, मुनि हँसै हेरि हेरि हरि हँसै हरहर । —नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ ३६२ । (ख) नंद कुँवर तब हरहर हँसै । हँसत जु रदन वदन में लसे । — नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ ३०१ । (ग) काम कुटिलता ही कहि गावैं हरहर हाँसा । —रै॰ बानी, पृ॰ १२ ।