हलक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हलक संज्ञा पुं॰ [अ॰ हलक] गले की नली । कंठ । उ॰—ऐसा यार हरीफ रहत मन हलक में ।—पलटू॰, पृ॰ ३०० ।
२. गला । गरदन ।
३. मुंडन । मूँड़ना । क्षौर कर्म (को॰) । मुहा॰—हलक के नीचे उतरना = (१) मुँह में डाली हुई वस्तु का पेट में ले जानेबाले स्त्रीत में जाना । पेट में जाना । (२) किसी बात का मन में बैठना । असर होना । हलक तक भरना = आवश्यकता से अधिक खाना । ठूँस ठूँसकर भोजन करना । हलक पर छुरी फेरना = दे॰ 'गला रेतना' और 'गले पर छुरी फेरना' । हलक में डालना । हलक से उतरना = (१) गले के नीचे उतारना । पेट में पहुँचना । (
२. ) मन में बैठना ।