हवेली
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हवेली । उ॰—तब वह स्त्री कोठी में सो निकसन लागी ।—दो सौ बावन॰, भा॰ २, पृ॰ ७८ ।
२. अँगरेजों के रहने का मकान । बँगला ।
३. वह मकान जिसमें रुपए का लेनदेन या कोई बड़ा कारबार हो । बड़ी दूकान जिसमें थोक की बिक्रि होती हो या ऋण दिया जाता हो अथवा बंक की तरह रुपया जमा किया जाता हो ।—(को) महाजन की कोठी । (ख) नील की कोठी । मुहा॰—कोठी करना या खोलना=(१) महाजनी का काम शुरू करना । लेनदेन का व्यवहार करना । (२) कोई बड़ा कारबार शुरू करना । बड़ी दूकान खोलना । कोठी चलना= महाजनी का कारबार होना । लेनदेन का व्यवहार होना । जैसे,—उनकी इस समय कई कोठियाँ चलती हैं । कोठी बैठना=दिवाला निकलना । कारबार में घाटा आना । यौ॰—कोठीवाला ।
४. अनाज रखने का कुठला । बखार । गज । जैसे—कोठी में चावल भरा पड़ा है ।
५. ईंट या पत्थर की वह जोड़ाई जो कुएँ की दीवार या पुल के खंभे में पानी के भीतर जमीन तक होती है । विशेष—यह जोड़ाई जमवट या गोल के ऊपर होती है । जमवट ज्यों ज्यों नीचे धँसता जाता है त्यों त्यों जोड़ाई होती जाती है । क्रि॰ प्र॰—बाँधना । मुहा॰—कोठी उतारना, बैठना या डालना=दे॰ 'कोठी गलाना' । कोठी गलाना=कुएँ या पुल के खंभे में जमवट या गोले के ऊपर की जोड़ाई को नीचे धँसाना । लाल कोठी= व्याभिचारिणी स्त्रियों का अड्डा । (पंजाब) ।
६. बंदूक में वह स्थान जहाँ बारूद ठहरती है ।
७. गर्भशय । बच्चादानी ।
८. म्यान की साम ।
९. कोल्हू के बीच का वह स्थान या घेरा जिसमें पेरने के लिये ऊख या गन्ने के टुकड़े डाले जाते हैं ।
हवेली संज्ञा स्त्री॰ [अ॰]
१. पक्का बड़ा मकान । प्रसाद । हर्म्य ।
२. पत्नी । स्त्री । जोरू ।