हाँड़ी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

हाँड़ी संज्ञा पुं॰ [सं॰ भाण्ड, हिं॰ हंडा ('हंडिका' प्राकृत से लिया प्रतीत होता है)]

१. मिट्टी का मझोला बरतन जो बटलोई के आकार का हो । हँड़िया । मुहा॰—हाँड़ी उबलना = (१) हाँड़ी में पकाई जानेवाली चीज का गरम होकर ऊपर आना । (२) खुशी से फूलना । इतराना । हाँड़ी चढ़ना या चढ़ाना = कोई चीज पकाने के लिये हाँड़ी का आग पर रखा जाना । उ॰—जैसे हाँड़ी काठ की चढ़ै न दूजी बार—(शब्द॰) । हाँड़ी पकना = (१) हाँड़ी में पकाई जानेवाली चीज का पकना । (२) बकवाद होना । मुँह से बहुत बातें निकलना । (३) भीतर ही भीतर कोई युक्ति खड़ी होना । कोई षट्चक्र रचा जाना । कोई मामला तैयार किया जाना । जैसे,—भीतर ही भीतर खूब हाँड़ी पक रही है । किसी के नाम पर हाँड़ी फोड़ना = किसी के चले जाने पर प्रसन्न होना । बावली हाँड़ी = वह भोजन जिसमें बहुत सी चीजें एक में मिल गई हों ।

२. इसी आकार का शीशे का पात्र जो सजावट के लिये कमरे में टाँगा जाता है और जिसमें मोमबत्ती जालई जाती है ।