हाक पु संज्ञा पुं॰ [हिं॰ हाँक] पुकार । गर्जन । उ॰—दादू धरती करते एक डग, दरिया करते फाल । हाकी पर्वत फाड़ते, सो भी खाए काल ।—दादू॰, पृ॰ ४०१ ।