हाव
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
हाव संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. पास बुलाने की क्रिया या भाव । पुकार । बुलाहट ।
२. संयोग या श्रृंगार के समय में नायिका की प्रेमभाव- जनित स्वाभाविक चेष्टाएँ जो पुरुष को आकर्षित करती हैं । विशेष—साहित्य में ग्यारह हाव गिनाए गए हैं—लीला, विलास, विच्छित्ति, विभ्रम, किलकिंचित, मोट्टायित, विव्वोक, विहृत, कुट्टमित, ललित और हेला । भाव विधान में 'हाव' अनुभाव के ही अंतर्गत है । यौ॰—हावभाव ।