हिजरी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हिजरी संज्ञा पुं॰ [अ॰] मुसलमानी सन् या संवत् जो मुहम्मद साहब के मक्के से मदीने जाने की तारीख (१५ जुलाई, सन् ६२२ ई॰ अर्थात् विक्रम संवत् ६७९, श्रावण शुक्ल २ का सायंकाल) से चला है । विशेष—खलीफा उमर ने विद्बानों की संमति से यह हिजरी सन् स्थिर किया था । हिजरी सन् का वर्ष शुद्ध 'चांद्र वर्ष' है । इसका प्रत्येक मास चंद्रदर्शन (शुक्ल द्वितीया) से आरंभ होता है और दूसरे चंद्रदर्शन तक माना जाता है । हर एक तारीख सायंकाल से आरंभ होकर दूसरे दिन सायंकाल तक मानी जाती है । इस सन् के बारह महीनों के नाम इस प्रकार हैं—(१) मुहर्रम, (२) सफर, (३) रबीउल् अव्वल, (४) रबीउस्सानी, (५) जमादिउल् अव्वल्, (६) जमादिउल् आखिर, (७) रजब, (८) शाबान, (९) रमजान, (१०) शव्वाल, (११) जल्काद और (१२) जिलहिज्ज । चांद्रमास २९ दिन, ३१ घड़ी, ५० पल और ७ विपल का होता है; इससे चांद्रवर्ष सौरवर्ष से १० दिन, ५३, घड़ी॰ ३० पल और ६ विपल के करीब कम होता है । इस हिसाब से सौ वर्ष में ३ चांद्रवर्ष २४ दिन और ९ घड़ियाँ बढ़ जाती हैं । अतः विक्रम संवत् या ईसवी सन् से हिजरी सन् का कोई निश्चित अंतर नहीं रहता, जिससे दिए हुए हिजरी सन् में कोई निश्चित संख्या जोड़कर ईसवी सन् या विक्रम निकाल लें । इसकी लिये गणित करना पड़ता है ।