हित्त पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ हित]दे॰ 'हित' । उ॰—देह निकट तेरे पड़ी, जीव अमर है नित्त । दुइ में मूवा कौन सा, का सूँ तेरा हित्त ।— संतवाणी॰, पृ॰ १५७ ।