हिवड़ा † संज्ञा पुं॰ [सं॰ हृत्, प्रा॰ हिअ, अप॰ हिअड़] हृदय । हिया । उ॰—कबकी ठाढ़ी मैं मग जोऊँ निस दिन बिरह सतावे । कहा कहूँ कछु कहत न आवे, हिवड़ो अति अकुलावे । पिय कव दरस दिखावे ।—संतबानी॰, पृ॰ ७३ ।