हील
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हील ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] वीर्य । शुक्र ।
हील ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] भारत के पश्चिमी किनारे पर और सिंहल में पाया जानेवाला एक सदाबहार पेड़ । विशेष—इस पेड़ से एक प्रकार का लसीला गोँद निकलता है । यह गोँद बाहर भेजा जाता है । इस पेड़ को 'अरदल' और 'गोरक' भी कहते हैं ।
हील † ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ गीला] पनाले आदि का गंदा कीचड़ । गलीज ।
हील † ^४ संज्ञा पुं॰ खौफ । भय । डर । उ॰—धूत बजारी धरम री हिए न माने हील । मन चलाय खाँपड़ा मही काढै नफो कुचील ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ६७ ।
हील ^५ संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰] छोटी इलायची । एला [को॰] ।
हील ^६ संज्ञा पुं॰ [अं॰]
१. पैर के पंजे का पिछला भाग । एँड़ी । पार्ष्णि ।
२. पशुओं का खुर [को॰] ।