हु

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

हु ^१ अव्य॰ [सं॰ उप, प्रा॰ उव] एक अतिरेकबोधक शब्द । अपि । भी । दे॰ 'हूँ' ^१ ।

हु ^२ अव्य॰ [सं॰ हुम्]

१. एक शब्द जो किसी बास को सुननेवाला यह सूचित करने के लिये बोलता है कि हम सुन रहे हैं ।

२. स्वीकृतिसूचक या स्मृतिसूचक शब्द । हाँ ।

३. संदेह । शंका (को॰) ।

४. आक्रोश । क्रोध (को॰) ।

५. विरक्ति । विरति (को॰) ।

६. भर्त्सना । व्यंग्य (को॰) ।

७. मंत्र, तंत्र आदि के अंत में प्रयुक्त शब्द । जैसे—कवचाय हुम् आदि में भी इस शब्द के प्रयोग मिलते हैं ।

हु पु † अव्य [वैदिक सं उप ( = और आगे,) प्रा॰ उअ, हिं॰ ऊ] अतिरेक सूचक शब्द । कथित के अतिरिक्त और भी । जैसे,— रामहु = राम भी । हमहु = हम भी । उ॰—हमहु कहब अब ठकुरसुहाती ।—तुलसी (शब्द॰) ।