हुण्डी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]हुंडी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. वह पत्र या कागज जिसपर एक महाजन दूसरे महाजन को जिससे लेन देन का व्यवहार होता है, कुछ रुपया देने के लिये लिखकर किसी को रुपए के बदले में देता है । निधिपत्र । लोटपत्र । चेक । क्रि॰ प्र॰—बेचना ।—लिखना ।—लेना । यौ॰—हुंडी पुरजा । हुंडी बही । मुहा॰—(किसी पर) हुंडी करना = किसी के नाम हुंडी लिखना । हुंडी का व्यवहार = हुंडी के द्वारा लेनदेन का व्यवहार । हुंडी खड़ी रखना = किसी विशेष कारण से हुंडी का तुरत भुगतान न करना । हुंडी पटना = हुंडी के रुपए का चुकता होना । हुंडी भेजना = हुंडी के द्वारा कोई रकम अदा करना । हुंडी का न पटना = हुंडी के रुपए का चुकता न होना । हुंडी सकारना = हुंडी के रुपए का देना स्वीकार करना । हुंडी सिकारना †= दे॰ 'हुंडी सकारना' । उ॰—उसने यह कहकर हुंडी सिकारने से इन्कार किया ।—श्रीनिवास ग्रं॰, पृ॰ ३६४ । दर्शनी हुंडी = वह हुंडी जिसके रूपए को दिखाते ही चुकता कर देने का नियम हो । मियादी हुंडी = वह हुंडी जिसके रुपए को मिति के बाद देने का नियम हो ।
२. उधार रुपया देने की एक रीति जिसके अनुसार लेनेवाले को साल भर में २०) का २५) या १५) का २०) देना पड़ता है ।
हुंडी बही संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ हुंडी + वही]
१. वह किताब या बही जिसमें सब तरह की हुंडियों की नकल रहती है ।
२. वह बही जिसमें से हुंडी काटकर दी जाती है ।
हुंडी बेंत संज्ञा पुं॰ [देश॰ हुंडी + हिं॰ बेंत] एक प्रकार का बेंत जिसे मयूरी बेंत भी कहते हैं ।