हुन

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

हुन संज्ञा पुं॰ [सं॰ हूण, हून (=सोने का एक सिक्का)]

१. मोहर । अशरफी । स्वर्णमुद्रा ।

२. सोना । सुवर्ण । मुहा॰—हुन बरसना=धन की बहुत अधिकता होना । उ॰—हुन बरसता था, अमन था, चैन था । था फला फूला निराला राज भी । वह समाँ हम हिंदुओं के ओज का । आँख में है घूम जाता आज भी ।—चुभते॰, पृ॰ २० । हुन बरसाना=बहुत अधिक धन लुटाना । उ॰—बेगम साहब की नजर इनायत हो जाएगी तो हुन बरसा देंगी ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ३५ ।