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  • के प्रनवत जल जानि परम पावन फल लोभा । —भारतेंदुं ग्रं॰ भा॰ १, पृ॰ ४५४ । ३. पवन या हवा पीकर रहनेंवाला । पावन ^२ संज्ञा पुं॰ १. पावकाग्नि । अग्नि । २. प्रायश्चित्त...
    ३ KB (१५७ शब्द) - ०७:२२, २५ मई २०१६
  • चलो उड़ों, अब देर मत करो । (ख) घोड़ा सवार को लेकर उ । । उ॰—कोइ बोहित जग पवन उड़ाहीं । कोई चमकि बीच पर जाहीं ।—जायसी (शव्द॰) । ८. झटके के साथ अलग होना...
    ९ KB (७१८ शब्द) - २२:३८, २१ मई २०१७