आई
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]आई ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ आयु]
१. आयु । जिवन । उ॰— सतयुग लाख वर्ष की आई, त्रेता दश सहस्त्र कह गाई ।— सूर (शब्द॰) ।
२. मृत्यु । मौत (अ॰) भरा कटोरा । दूध का, ठढ़ा करके, कपी । तेरी आई मैं मरूँ, किसी तरह तू जी—(शब्द॰) ।
आई ^२ क्रि॰ अ॰ 'आना' का भूतकाल स्त्री॰: यो॰— आई गई = आकर गुजरी हुई बात ।
आई ^३ † संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अर्यिका, प्रा॰ अज्जिआ]
१. पितामही । दादी ।
२. माँ ।
आई ^४ प्रत्य॰ [हिं॰] एक प्रत्यय जो भाववाचक संज्ञा बनाने के लिये विशेषण शब्दों के अंत में जोड़ा जाता है, जैसे, 'कठिन' से 'कठिनाई', बड़ा' से 'बड़ाई', 'छोटा' से 'छुटाई', 'मीठा' से 'मिठई' आदि ।
२१. एक प्रत्यय जो धातुओं में लगकर भाववाचक संज्ञाएँ बनाता है । जैसे, 'पढ़' 'पढाई', लिख से, लिखाई', 'लड़' से 'लड़ाई' ' भिड़' से 'भिड़ाई' आदि ।