छाता
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]छाता संज्ञा पुं॰ [सं॰ छत्र, प्रा॰ छत्त]
१. लोहे, बाँस आदि की तीलियों पर कपड़ा चढ़ाकर बनाया हुआ आच्छादन जिसे मनुष्य धूप, मेंह आदि से बचने के लिये काम में लाते हैं । बड़ी छतरी । उ॰—फूला कँवल रहा होइ राता । सहस सहस पखुरिन कर छाता । जायसी ग्रं॰, पृ॰ १२ । मुहा॰—छाता देना या लगाना = (१) छाते का व्यवहार करना । (२) छाता ऊपर तानना ।
२. छत्ता । खुमी ।
३. चौड़ी छाती । विशाल वक्षस्थल ।
४. वक्षस्थल की चौडाई की नाप ।