जज
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जज ^१ संज्ञा पुं॰ [अं॰]
१. न्यायाधीश । विचारपति । न्याय करनेवाला ।
२. दीवानी और फौजदारी के मुकदमों का फैसला करनेवाला बड़ा हाकिम । विशेष—भारतबर्ष में प्रायः एक या अधिक जिलों के लिये एक बज होता हैं, जो डिस्ट्रिक्ट जज (जिला जज) कहलाता है । जिले के अंदर अंतिम अपील जज के यहाँ हो होती है । यौ॰—दौरा या सेशंस (सेशन) जज = वह जज जो कई जिलों में घूम घूमकर कुछ विशेष बड़े मुकदमों का फैसला कुछ विशिष्ट अवसरों पर करें । सबजज = दे॰ 'सदराला' । सिविल जज = दीवानी की छोटी अदालत का हाकिम ।
जज ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰] योद्धा ।