तस्कर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तस्कर संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. चोर ।
२. श्रवण । कान ।
३. मैनफल । मदन वृक्ष ।
४. बृहत्संहिता के अनुसार एक प्रकार के केतु जो लंबे और सफेद होते हैं । ये ५१ हैं और बुध के पुत्र माने जाते हैं ।
५. चोर नामक गंधद्रव्य ।
६. कान (को॰) ।
तस्कर ।
४. मिथ्यावादी ।
५. कर्कश वचन बोलनेवाला ।
६. परस्त्रीगामी । विशेष—शास्त्रों में डाका, चोरी, झूठ बोलना, कठीर वचन कहना और परस्त्रीगमन ये पाँचो कर्म करनेवाले साहसिक कहे गए हैं और अत्यंत पापी बतलाए गए हैं । धर्मशास्त्रों में इन्हें य़थोचित दंड देने का विधान है । स्गृतियों में लिखा है कि 'साहसिक व्यक्ति' की साक्षी नहीं माननी चाहिए क्योंकि ये स्वयं ही पाप करनेवाले होते हैं ।
६. वह जो हठ करता हो । हठी । हठीला ।
७. निर्भीक । निर्भय । निडर ।
८. अविचारशील । अविवेकी (को॰) ।
९. क्रूर । अत्याचारी (को॰) ।