दूजी
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]दूजी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] घोड़ों का आभूषण विशेष । उ॰—साखत पेसबंद अरु पूजी । हीरन जटित हैकलै दूजो ।—हम्मीर॰, पृ॰ ३ ।
दूजी ^२ वि॰ स्त्री॰ [हिं॰] दे॰ 'दूजा' । उ॰—(क) बोली मनुर बचन तिय दूजी ।—मानस, २ ।२२१ । (ख) अब जिय चाह करौ जनि दूजी ।—भ्रमहु न जग इच्छा तुव पूजी ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ६०७ ।