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नाना

विक्षनरी से

संज्ञा

पु.

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

नाना ^१ वि॰ [सं॰]

१. अनेक प्रकार के । बहुत तरह के । विविध ।

२. अनेक । बहुत ।

नाना ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] [स्त्री॰ नानी] माता का पिता । माँ का बाप । मातामह । उ॰—सो लंका तव नाना केरी । बसे आप मम पितहि खदेरी ।—विश्राम(शब्द॰) ।

नाना † ^३ क्रि॰ स॰ [सं॰ नमन]

१. झुकाना । नम्र करना । उ॰—(क) बुद्धि जो गई आव बोराई । गरब गए तरहीं सिर नाई ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) इंद्र डरै नित नावहि माथा ।—सुर (शब्द॰) ।

२. नीचा करना ।

३. डालना । फेंकना ।

४. घुसाना । प्रविष्ट करना । संयो॰क्रि॰—देना ।—लेना ।

नाना ^४ संज्ञा पुं॰ [अ॰] पुदीना । यौ॰—अर्कनान = सिरके के साथ भबके में उतारा हुआ पुदीने का अर्क ।

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