मलक ^१ संज्ञा पुं॰ [अ॰] देवता । फरिश्ता [को॰] ।
मलक ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ मलकाना] १. आँखों के खोलने बंद करने की क्रिया । दृष्टि को स्थिर न रखना । २. हिलना डोलना । उ॰— लागत पलक मलक नहिं लावै ।—कबीर सा॰, पृ॰ १५८६ ।