माली
नामवाचक संज्ञा
उच्चारण
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यह भी देखें
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
माली ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मालिन्, प्रा॰ मालिय] [स्त्री॰ मालिनि, मालिन, मालन, मालिनी]
१. बाग को सींचन और पौधों की ठीक स्थान पर लगानेवाला पुरुष । वह जो पौधों को लगाने और उनकी रक्षा करने की विद्या जानता और इसी का व्यवसाय करता हो । उ॰—पुलक बाटिका बाग बन सुख सुबिहंग बिहारु । माली सुमन सनेह जल सींचत लोचन चारु ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. एक छोटी जाति का नाम । इस जाति के लोग बागों में फूल फल के वृक्ष लगाते, उनकी कलमें काटते, फूलों को चुनते और उनकी मालाएँ वनाते और फूल तथा माला बेचते हैं । इस जाति के लोग शूद्र वर्ण के अंतर्गत माने जाते हैं । इसके हाथ का छूआ जल ब्राह्मण क्षत्रियादि पीते हैं ।
माली ^२ वि॰ [सं॰ मालिन्] [स्त्री॰ मालिनी]
१. जो माला धारण किए हो । माला पहने हुए ।
२. युक्त । परिवृत । मालित (को॰) ।
माली संज्ञा पुं॰
१. वाल्मीकीय रामायम के अनुसार सुकेश राक्षस का पुत्र जो माल्यवान् और सुमाली का भाई था ।
२. राजी- वगण नामक छंद का दूसरा नाम ।
माली ^२ वि॰ [फा़॰, अ॰ माल] माल से सबंध रखनेवाला । आर्थिक । धर्मसंबंधी । जैसे,—आजकल उसकी माली हालत खराब है ।