लकड़ी
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]लकड़ी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ लगुड]
१. पेड़ का कोई स्थूल अंग (डाल, तना आदि) जो कटकर उससे अलग हो गया हो । काष्ठ । काठ । विशेष—इसका व्यवहार प्रायः मेज, कुरसी, किवाड़े आदि सामान बनाने में होता है ।
२. ईधन । जलावन । मुहा॰—लकड़ा देना = मुरदे को जलाना ।
३. गलका ।
४. छड़ी । लाठी । मुहा॰—लकड़ा सा = बहुत दुबला पतला । लकड़ी चलना = लाठो से मार पीट होना । लकड़ी होना = (१) सूखकर काँटा होना । बहुत दुबला पतला होना । (२) सुखकर बहुत कड़ा हो जाना । जैसे,—रोटी सूखकर लकड़ी हो गई ।
चित्रदीर्घा
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नारियल का कटा हुआ लकड़ी
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जलाने हेतु लकड़ी