वानर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]वानर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वन में रहने वाला नर/समुदाय ।
२. दोहे का एक भेद, जिसके प्रत्येक चरण में १० गुरु और २८ लघु होते हैं । यथा—जड़ चेतन गुणदोषमय, विश्व कीन्ह करतार । संत हंस गुण गहहिं पै परिहरि वारि विकार ।
३. एक प्रकार का गंधद्रव्य । राल । यक्षधूप (को॰) ।
वानर ^२ संज्ञा पुं॰ [देश॰] राठोड़ क्षत्रियों की एक शाखा । उ॰— बन्नर नील जिसौ बल वानर ।—रा॰ रू॰, पृ॰ १४६ ।
नोट: बंदर के लिए मर्कट शब्द का प्रयोग होता है।