शरण
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शरण ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. रक्षा । आड़ । आश्रय । पनाह । जैसे,— अव तो मैं आपकी ही शरण में आया हूँ । उ॰—(क) वपु कृष्ण कृष्ण करुना करण जग व्यापक हम तव शरण ।—गिरधर (शब्द॰) । (ख) जिनकी शरण विश्व बुध जिनको निरभिलाष बतलाते हैं ।—द्विवेदी (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—में आना ।—जाना ।—पाना ।—लेना ।
२. आश्रय का स्थान । बचाव की जगह ।
३. घर । मकान ।
४. जो शरण में आवे, उसके वैरी को मारना ।
५. अधीन । मतिहत ।
६. शाहाबाद के उत्तर सारन नाम का जिला ।
शरण ^२ वि॰ [सं॰] दे॰ 'शरण्य' [को॰] ।