केवल
विशेषण
केवल
क्रिया-विशेषण
केवल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
केवल ^१ वि॰ [सं॰]
१. एकमात्र । अकेला ।
२. शुद्ध । पवित्र ।
३. अमिश्रित । उत्कृष्ट । उत्तम श्रेष्ठ ।
४. पूर्ण । समस्त । पूरा (को॰) ।
५. नग्न । आनावृत (भूमि) (को॰) ।
केवल ^२ क्रि॰ वि सिर्फ । उ॰ केवल हूँमा की हुँकारी की झांई पर्वत के कंदरों में बोलती है । — श्यामा॰ , पृ॰ ७९ ।
केवल ^३ संज्ञा पुं॰ [वि॰ केवली]
१. वह ज्ञान जो भ्राँतिशून्य और विशुद्ध हो । विशेष — सांख्य के अनुसार इस प्रकार का ज्ञन तत्वाभ्यास से प्राप्त होता है । यह ज्ञान मोक्ष का साधक होता है । इससे ज्ञानी को यह साक्षात हो जाता है किन में कर्ता हूँ, न मेरा किसी से कुछ संबंध है और न मैं स्वयँ पृथक कुछ हुँ । इस प्रकार के ज्ञान से वह पुरुष को साक्षी मात्र के रूप में देखतां है ।
२. जैन शास्त्रानुसार सम्यक् ज्ञान ।
३. वास्तु विद्या में स्तंभ के आधार अर्थात् कुंभी के ऊपर का ढाँचा ।