गोह

विक्षनरी से

हिन्दी

संज्ञा

स्त्री॰

  1. एक प्रकार का छिपकली, Varanus

अनुवाद

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

गोह ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गोधा] छिपकली की जाति का एक जंगली जंतु जो आकर में नेवले से कुछ बड़ा होता है । विशेष—इसकी फुफकार में बहुत विष होता है । इसके काटने पर पहले मांस गलने लगता है और तब सारे शरीर में विष फैलने के कारण मनुष्य मर जाता है । इसका चमड़ा बहुत मोटा और मजबूत होता है जिससे प्रचीन काल में लड़ाई के समय उँगलियों की रक्षा करने के लिये दस्ताने बनते थे । कभी कभी इसके चमड़े से खँजरी भी मढ़ी जाती है । इसका मांस बहुत पुष्ट होता है और प्रचीन काल में खाया जाता था । अब भी जंगली जातियाँ गोह का मांस खाती हैं । यह दीवार में चपक जाती है और उसे बहुत कठिनता से छोड़ती है । ऐसा प्रसिद्ध है कि पहले चोर इसकी कमर में रस्सी बाँधकर इसे मकान के ऊपर फैंक देते थे और जब यह वहाँ पहुँचकर चिपक जाती थी, तो वे उस रस्सी की सहायता से ऊपर चढ़ जाते थे । गोह दो प्रकार की होती है, एक चंदन गोह जो छोटी होती है और दूसरी पटरा जो बड़ी और चिपटी होती है ।

गोह ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. गेह । घर ।

२. माँद । छिपने का स्थान [को॰] ।

गोह ^३ संज्ञा पुं॰ उदयपुर राजवंश के एक पूर्वपुरुष का नाम जो बाप्पा रावल से पहले हुआ था ।