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तू

विक्षनरी से

सर्वनाम

मुख्यतः तुम के स्थान पर बोला जाने वाला शब्द।

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

तू ^१ सर्व॰ [सं॰ त्वम्] एक सर्वनाम जो उस पुरुष के लिये आता है जिसे संबोधन करके कुछ कहा जाता है । मध्यमपुरुष एक वचन सर्वनाम । जैसे,—तू यहाँ से चला जा । विशेष—यह शब्द अशिष्ट समझा जाता है, अतः इसका व्यवहार बड़ों और बराबरवालों के लिये नहीं होता, छोटों या नीचों के लिये होता है । परमात्मा के लिये भी 'तू' का प्रयोग होता है । मुहा॰—तू तडा़क, तू तुकार, तू तू मैं मैं करना = कहा सुनी करना । अशिष्ट शब्दों में विवाद करना । गाली गलौज करना । कुवाक्य कहना । यौ॰—तू तुकरा = अशिष्ट विवाद । कहा सुनी । कुवाक्य । उ॰—प्रत्यक्ष धिक्कार और तू तुकार की मूसलाधार वृष्टि होती ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ २९८ ।

तू ^२ संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰] कुत्तों को बुलाने का शब्द । जैसे—'आव तू..तू....' । उ॰—दुर दुर करै तौ बाहिरे, तू तू करै तो जाय ।—कबीर सा॰ सं॰, पृ॰ २१ ।