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दिशा

विक्षनरी से

संज्ञा

चार दिशा, पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण को दिशा कहते हैं।

उदाहरण

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

दिशा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. नियत स्थान के अतिरिक्त शेष विस्तार । ओर । तरफ । जैसे,—जिस दिशा में घोड़ा भागा था उसी दिशा में वह भी चला ।

२. क्षितिजवृत्त के किए हुए चार कल्पित विभागों में से किसी एक विभाग की ओर का विस्तार । विशेष—दिशा का ठीक ठीक ज्ञान प्राप्त करने के लिये क्षितिज वृत्त चार भागों में बाँटा गया है, जिनको पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण कहते हैं । प्रत्येक दिशाओं के बीच में एक कोण भी होता है । पूर्व और दक्षिण के बीच के कोण को अग्निकोण, दक्षिण और पश्चिम के बीच के कोण को नैऋत्य, पश्चिम और उत्तर के बीच के कोण को /? / बायव्य कोण और उत्तर पूर्व के बीच के कोण को ईशान कोण कहते हैं । जिस और सूर्य उदय होता है उस ओर मुँह करके यदि खड़े हों तो सामने की ओर पूर्व, पीछे पश्चिम, दाहिनी ओर दक्षिण और बाईं ओर उत्तर होता है । इसके अतिरिक्त दो दिशाएँ और भी मानी जाती हैं—एक सिर के ठीक ऊपर की ओर और दूसरी पैर के ठीक नीचे की ओर जिन्हें क्रमश: ऊर्ध्व और अध: कहते हैं । वैशेषिक का मत है कि वास्तव में दिशा एक ही है, काम चलाने के लिये इसके भेद कर लिये गए हैं । संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग और विभाग इसके गुण हैं । पर्या॰—कुसुम । काष्ठा । आशा । हरित् । निवेशिनी । गो । दिश् । दिक् ।

३. दस की संख्या ।

४. रूद्र की एक स्त्री का नाम ।

५. दे॰ 'दिसा' ।