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नीचे की ओर दिखाता तीर

संज्ञा

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  1. निचला स्थान या भाग

प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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नीचे क्रि॰ वि॰ [हिं॰ नीचा] नीचे की ओर । अधोभाग में । ऊपर का उलटा । उ॰—पानख को लिखै पानि नखै तिमि सीस नवाय के नीचेहि जावै ।—मतिराम (शब्द॰) । विशेष—'ऊपर', 'यहाँ', 'वहाँ' आदि शब्दों के समान इस क्रि॰ वि॰ शब्द के साथ पंचमी और षष्ठी की 'से', 'तक', 'का' विभक्तियाँ लगाती हैं । जैसे, नीचे से, नीचे का । मुहा॰—नीचे ऊपर = (१) एक के ऊपर दूसरा इस क्रम से । एक पर एक । तले ऊपर । जैसे,—इन सब पुस्तकों को नीचे ऊपर रख दो । (२) ऊपर का नीचे, नीचे का ऊपर । उलट पलट । उथल पथल । अस्त व्यस्त । अव्यवस्थित । जैसे,— इतने दिनों में पुस्तकें लगाकर रखी थीं तुमने उन्हें नीचे ऊपर कर दिया । नीचे गिरना = (१) प्रतिष्ठा खोना । मान मर्यादा गँवाना । (२) पतित होना । (३) कुश्ती में पटका जाना । पछाड़ खाना । नीचे गिराना = (१) पतित करना । मान मर्यादा दूर करना । (२) कुश्ती में पटकना । पछाड़ना । नीचे डालना = (१) फेंकता । गिराना । (२) किसी बात में घटकर करना । पराजित करना । जीतना । नीचे लाना = गिराना । कुश्ती में पछाड़ना । ऊपर से नीचे तक = (१) सब भागों में । सर्वत्र । (२) सर्वांग में । सिर से पैर तक । जैसे,—उसने मेरी ओर ऊपर से नीचे तक देखा ।

२. घटकर । कम । न्यून । जैसे,—दरजे में वह सबसे नीचे है ।

३. अधीनता में । मातहती में । जैसे,—उनके नीचे दस मुहर्रिर काम करते हैं ।