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प्रसार

विक्षनरी से

संज्ञा

फैलाव, विस्तार, बिखराव

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

प्रसार संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. विस्तार । फैलाव । पसार ।

२. संचार ।

३. गगन ।

४. निर्गम । निकास ।

५. इधर उधर जाना । फिरना ।

६. कौटिल्य अर्थशास्त्रानुसार युद्ध के समय वह सहायता जो जंगल आदि पड़ने से प्राप्त हो जाय ।

७. खोलना । जैसे, मुख प्रसार (को॰) ।

८. फेंकना । उत्क्षेपण । जैसे, धूलि प्रसार (को॰) ।

९. क्रय विक्रय की दूकान । व्यापारी की दूकान । बनिए की दूकान (को॰) ।