भूल
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संज्ञा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
भूल संज्ञा स्त्री॰ [हि॰ भूलना]
१. भूलने का भाव ।
२. गलती । चूक । जैसे,— इस मामले में आपने बड़ी भूल की । उ॰— कियो सयानी सखिन सौं नहिं सयान यह भूल । दूरै दुराई फूल लौं क्यों पिय आगम फूल —जायसी (शब्द॰) । यौ॰—भूल चूक । मुहा॰—भूल के कोइ काम करना = कोइ ऐसा काम करना जो पहले न करते रहे हों । भ्रम में पड़कर कोई काम कर बैठना । जैसे,—आज हम भूल के तुह्मरे साथ चल पड़े । भूल के कोई काम न करना = कदापि कोई काम न करना । हरगिज कोई काम न करना । जैसे,— हम तो कभी भूल के भी उनके घर नहीं जाते । भूलकर = भूल से गलती से भूलकर नाम न लेना = कभी याद न करना । भूले भटके= कभी कभी ।
२. कसूर । दोष । अपराध ।
४. अशुद्धि । गलती । जैसे,— हिसाब में (२) की भूलं है । क्रि॰ प्र॰—निकलना ।—पड़ना ।