विक्षनरी:दर्शन परिभाषा कोश

विक्षनरी से
  • Abbreviated Syllogism -- संक्षिप्त न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसकी एक या दो प्रतिज्ञप्तियाँ सुगम होने के कारण व्यक्त न की गई हों।
उदाहरण : मनुष्य मरणशील है और ‘क’ एक मनुष्य है। (यहाँ निष्कर्ष ‘क’ मरणशील है’ व्यक्त नहीं किया गया है)।
  • Abbreviative Definition -- संक्षेपात्मक परिभाषा
गणितीय तर्कशास्त्र में वह परिभाषा जो यह बताती है कि अमुक प्रतीक अमुक सूत्र का संक्षिप्त रूप है और उसके स्थान पर प्रयुक्त होगा।
  • Abduction -- अपगमन
1. अरस्तू के तर्कशास्त्र में वह न्यायवाक्य, जिसमें साध्य-आधार वाक्य सत्य होता है, किन्तु पक्ष आधार वाक्य केवल प्रसंभाव्य होता है, फलतः निष्कर्ष भी प्रसंभाव्य ही होता है।
2. पर्स (Peirce) के अनुसार तर्क का एक प्रकार जिसमें तथ्यों के समूह-विशेष से उनकी व्याख्या करने वाली प्राक्कलपना प्राप्त की जाती है।
  • Abiogenesis -- अजीवात् जीवोत्पत्ति
वह मान्यता कि जड़ पदार्थ से जीवों का प्रादुर्भाव होता है।
  • Abnegation -- आत्मनिषेध
किसी उच्चतर लक्ष्य की प्राप्ति के लिये अपनी इच्छाओं या लौकिक स्वार्थ का त्याग।
  • Abridged Syllogism -- संक्षिप्त न्यायवाक्य
देखिये, “abbreviated syllogism”।
  • Absolute -- निरपेक्ष
मुख्यतः अध्यात्मवादी विचारधारा में, सर्वोच्च सत्ता जो सर्वग्राही, स्वयंभू, निरपेक्ष, निरूपाधिक नित्य, स्वतंत्र और पूर्ण है। (इस अर्थ को प्रकट करने के लिये यह शब्द प्रायः बड़े A से लिखा जाता है)।
  • Absolute Concept -- निरेक्ष संप्रत्यय
कार्नेप (Carnap) के अनुसार, ऐसा संप्रत्यय जो किसी भाषा-विशेष की अपेक्षा नहीं रखता, जैसे तार्किक आपादन, जो प्रतिज्ञाप्तियों के सम्बन्ध को व्यक्त करता है न कि वाक्यों के सम्ब्न्ध को।
  • Absolute Ego -- निरपेक्ष अहं
फिख्टे (Fichte) के अनुसार, अनुभव में व्याप्त ज्ञाता एवं ज्ञेय या विषय-विषयी के भेद का उदय होने से पूर्व आत्मा की अवस्था।
  • Absolute Ethics -- निरपेक्ष नीतिशास्त्र
वह नीतिशास्त्र जो आदर्शों, नियमों एवं मूल्यों को निरपेक्ष, वस्तुनिष्ठ एवं शाश्वत मानता है।
  • Absolute Existence -- निरपेक्ष अस्तित्व
वह तत्व जो किसी पर निर्भर नहीं होता, न अपने अस्तित्व के लिए किसी की अपेक्षा करता है।
  • Absolute Frequency -- निरपेक्ष आवृत्ति
कार्नेप के अनुसार, किसी निर्दिष्ट क्षेत्र के अंदर एक वस्तु, घटना या गुण के उदाहरणों की वास्तविक संख्या।
  • Absolute Good -- निरपेक्ष शुभ
नैतिक जीवन का वह लक्ष्य जो अपने में शुभातिशुभ हो, जिससे अधिक श्रेष्ठ किसी वस्तु की कल्पना न की जा सकती हो।
  • Absolute Idealism -- निरपेक्ष प्रत्ययवाद
पाश्चात्य दर्शन में हेगेल-ब्रैडले आदि प्रत्ययवादी विचारकों का वह तत्वमीमांसीय सिद्धांत जिसमें परम तत्व को चिद्रूप या आध्यात्मिक माना जाता है और उसे किसी भी सापेक्षता तथा अनेकता से परे एक आधारभूत एकता के रूप में देखा जाता है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मवाद इस विचार-धारा का समकक्ष है।
  • Absolute Indefinite -- अनिश्चित-निरपेक्ष
प्रो. कृष्णचन्द्र भट्टाचार्य के अनुसार परम तत्त्व अनिश्चित-निरपेक्ष है जो विषय एवं विषयी की कोटियों से परे है।
  • Absolute Personal Equation -- निरपेक्ष वैयक्तिक त्रुटि
निजी विशेषताओं के कारण व्यक्ति के प्रेक्षण, निर्णय या मूल्यांकन में एक नियत मात्रा में दिखाई देने वाली त्रुटि।
  • Absolute Pluralism -- निरपेक्ष बहुतत्त्ववाद
अनुभववादियों और वस्तुवादियों (यथार्थवादियों) का सिद्धांत कि संसार में अनेक वस्तुओं का अस्तित्व है और इस अनेकता का प्रत्येक तत्त्व विशिष्ट और स्वतंत्र है।
  • Absolute Proof -- पूर्ण प्रमाण
ऐसा प्रमाण जो पूर्णतः निर्णायक अर्थात संदेह का पूरी तरह से निराकरण कर देने वाला हो।
  • Absolute Realism -- निरपेक्ष यथार्थवाद
वह मत कि ज्ञान का विषय चाहे यथार्थ हो या अयथार्थ, सदैव ज्ञाता से स्वतंत्र अर्थात वास्तविक होता है।
  • Absolute Reality -- परमसत, परमतत्त्व
वह चरम सत्ता जो एक और एक ही है किंतु विविधताओं में स्वयं को अभिव्यक्त करती है या उनका आधार है।
  • Absolute Space -- निरपेक्ष दिक्
दिक् का वह स्वरूप, जो स्थान घेरने वाली और स्थिति रखने वाली वस्तुओं से स्वतंत्र हो।
  • Absolute Spirit -- परमचित्
हेगेल के दर्शन में परम सत्ता के लिए प्रयुक्त पद।
  • Absolute Term -- निरपेक्ष पद
तर्कशास्त्र में वह पद जो स्वतः बोधगम्य हो तथा जिसके अर्थ के स्पष्टीकरण के लिए किसी अन्य पद की अपेक्षा न हो। जैसे-गाय, मनुष्य आदि।
  • Absolute Value -- निरपेक्ष मूल्य
वह मूल्य जो देश-काल आदि से परे और शाश्वत हो।
  • Absolution -- पापविमोचन
ईसाई मत के अनुसार एक धार्मिक कृत्य जिसमें पादरी पश्चाताप करने वाले पापी को उसके पाप और साथ ही प्रायश्चितस्वरूप दिये जाने वाले दंड से भी मुक्त घोषित कर देता है।
  • Absolutism -- निरपेक्षवाद
(i) वह सिद्धांत जो ब्रह्म को परम तत्त्व तथा ज्ञान का अंतिम विषय मानता है।
(ii) ज्ञानमीमांसा में, वह सिद्धांत कि सापेक्ष ज्ञान के अतिरिक्त निरपेक्ष ज्ञान भी संभव है।
(iii) मूल्यमीमांसा में, वह मत जो नैतिक व नैतिकेतर मानकों को शाश्वत, अतिमानवीय तथा निरपेक्ष मानता है।
  • Absolutistic Personalism -- परम व्यक्तिवाद
वह मत जो परम तत्त्व को एक पूर्ण व्यक्तित्व के रूप में मानता है।
  • Abstract -- अमूर्त
वह अवधारणा जो देश-काल से परे हो।
  • Absolute Duty -- निर्विशेष कर्तव्य
वह कर्म जो विशेष देश, काल और परिस्थिति का विचार किये बिना ही सामान्य रूप से कर्तव्य समझा जाता है।
  • Absolute Idea -- अमूर्त प्रत्यय
वे विचार अथवा अवधारणायें जिनकी मात्र मानसिक सत्ता होती है, वास्तविक सत्ता नहीं।
  • Absolute Idealism -- अमूर्त प्रत्ययवाद
वह तत्वमीमांसीय सिद्धांत जो मूल सत्ता को अमूर्त प्रत्यय स्वरूप मानता है।
  • Abstractio Imaginationis -- कल्पनात्मक अपाकर्षण
स्कॉलेस्टिक दर्शन में सामान्य का कल्पना द्वारा होने वाला बोध भौतिक द्रव्य या पुद्गल से परे हो किन्तु उसकी उपाधियों या संवेद्य गुणों से मुक्त न हो।
  • Abstractio Intellectus -- अमूर्तक बुद्धि
स्कॉलेस्टिक दर्शन में, बुद्धि के द्वारा होने वाला सामान्य का वह बोध जो पुद्गल, उसकी उपस्थिति तथा उसकी अनुषंगी अवस्थाओं से भी मुक्त होता है।
  • Abstraction -- अमूर्तीकरण
1. किसी संपूर्ण वस्तु के एक पक्ष या गुण को विचार के स्तर पर उससे पृथक कर लेना जो कि सामान्य के संप्रत्यय के निर्माण की क्रिया का एक आवश्यक चरण होता है।
2. इस क्रिया का परिणाम
3. स्कॉलेस्टिक दर्शन में सामान्य के बोध के लिए आवश्यक मानसिक क्रिया।
  • Abstractionism -- अमूर्तवाद
मूर्त को अमूर्त मानने वाला सिद्धांत।
  • Abstractio Rationis -- बुद्धिमूलक अपाकर्षण
देखिए “abstractio intellectus”
  • Abstractive Fiction -- अमूर्तक कल्पितार्थ
वह कल्पितार्थ जिसमें वास्तविकता के किसी अंश की विशेष रूप से उपेक्षा कर दी गई हो।
  • Abstract Term -- अमूर्त पद
जो पद अमूर्त का बोध कराता है, जैसे ‘मनुष्यता’।
  • Abstractum -- अमूर्तीकृत तत्त्व
किसी मूर्त वस्तु के वे अमूर्त पक्ष, जो वैचारिक सुविधा के लिए बुद्धि द्वारा उससे पृथक कर लिए जाते हैं जैसे ‘सत्यता’, ‘मनुष्यता’, ‘लालिमा’ आदि।
  • Abstract Universal -- अमूर्त सामान्य
हेगेल के दर्शन में प्रयुक्त शब्द जिसके अनुसार परम सत् अमूर्त सामान्य है, मूर्त्त सामान्य नहीं है।
  • Argumentum Ab Hominem -- लांछन-युक्ति
एक प्रकार का तर्क दोष जिसमें किसी व्यक्ति के मत को मिथ्या सिद्ध करने के लिए उचित तर्क प्रस्तुत करने के स्थान पर उस व्यक्ति के चरित्र इत्यादि पर आक्षेप किया जाता है।
  • Acatalepsy -- अनिश्चयवाद
संशयवाद का एक प्राचीन यूनानी रूप जिसके अनुसार ज्ञान केवल प्रसंभाव्य होता है, निश्चयात्मक कभी नहीं।
  • Acategorematic Word -- पदायोग्य शब्द
वह शब्द जो न स्वतः और न अन्य शब्दों के साथ मिलकर किसी प्रतिज्ञप्ति का उद्देश्य या विधेय बन सके, जैसे ‘अहा’।
  • Accident (= Accidens) -- आगन्तुक गुण, आकस्मिक गुण
अरस्तू के तर्कशास्त्र में वह गुण, जो किसी पद के गुणार्थ (connotation) का न तो अंग हो और न तार्किक परिणाम ही हो।
  • Accidental Definition -- आकस्मिक परिभाषा, आगन्तुकगुण परिभाषा
वह परिभाषा जो किसी पद के गुणार्थ को न बताकर मात्र उसके आकस्मिक गुणों को बताए, जैसे ‘मनुष्य हँसनेवाला प्राणी’ है।
  • Accidentalism -- आकस्मिकतावाद
एक सिद्धांत जिसके अनुसार घटनाएँ सहसा ही बिना किसी कारण के घट जाती हैं या घट सकती हैं।
  • Accidental Morality -- आकस्मिक नैतिकता, आगंतुक नैतिकता
कुडवर्थ के नैतिक सिद्धांत के अनुसार ईश्वर के आदेश से न तो कोई कर्म शुभ होता है और न तो अशुभ वरन् ये तटस्थ होता है। प्रसंगानुसार कर्म शुभ या अशुभ होते हैं।
  • Accidental Proposition -- आकस्मिक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति, जिसका विधेय, उद्देश्य का कोई आकस्मिक गुण होता है जैसे ‘कुत्ता एक पालतू जानवर है’, में विधेय ‘पालतू जानवर’ उद्देश्य ‘कुत्ता’ का आकस्मिक गुण है।
  • Accompanying Circumstances -- अनुषंगी परिस्थितियाँ
वे परिस्थितियाँ जो किसी घटना के साथ गौण रूप में विद्यमान हों।
  • Acervus Argument -- पुंज-युक्ति
एक विरोधाभासी तर्क जिसके अनुसार पत्थरों को उतनी संख्या में जो ढेरी बनाने में समर्थ न हो, यदि एक पत्थर और जोड़ दिया जाए तो ढेरी नहीं बनेगी, पर फिर भी यदि यह प्रक्रिया चलती रहे तो ढेरी बन जाती है।
  • Achilles Argument -- अकिलीज़-युक्ति
यूनानी विचारक जीनों की यह युक्ति कि यदि हम गति को संभव मान लें तो हम इस विसंगति के शिकार हो जाएँगे कि अकिलीज़, जो ग्रीस का सबसे तेज धावक है, अपने से कहीं मन्द कछुए को दौड़ में नहीं पकड़ पाएगा क्योंकि कछुआ जितनी दूरी तय कर चुका होगा उसके अनन्त विभाजन होंगे और अनन्त विभाजनों को अकिलीज़ कभी भी पार नहीं कर सकेगा। इसका अर्थ यह होगा कि गति असंभव है।
  • Acosmism -- अविश्ववाद, अप्रपंचवाद
वह सिद्धांत जो भौतिक जगत् के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता।
  • Act -- कृत, क्रिया
देखिए “action”।
  • Action -- कर्म
प्रबुद्ध व्यक्ति द्वारा जानबूझकर सम्पादित कार्य (ऐच्छिक)
  • Active Courage -- सक्रिय साहस
यूनानी नीतिशास्त्र में, वह साहस जो व्यक्ति को रास्ते की कठिनाइयों और कष्टों से या उनकी आशंका से अपने मार्ग से विचलित होने से रोकता है।
  • Activistic Idealism -- क्रियात्मक प्रत्ययवाद
वह मत जो यह मानता है कि एक प्रत्यय दूसरे प्रत्यय को जन्म देता है।
  • Activity Theory -- सक्रियता सिद्धांत
बर्कले इत्यादि दार्शनिकों का संकल्प शक्ति के आधार पर कारणता की व्याख्या करने वाला वह सिद्धांत कि कारण सक्रिय होकर ही कार्य को उत्पन्न कर सकता है।
  • Actual Entity -- वास्तविक तत्त्व, अंत्य तत्त्व
व्हाइटहेड के अनुसार जगत् की अनेक आधारभूत सत्ताओं में से प्रत्येक जो जड़ स्वरूप न होकर लाइब्नित्ज़ के चिद् बिन्दुओं की तरह चित्स्वरूप तो है। किन्तु उनकी भाँति गवाक्षहीन न होकर परस्पर क्रिया-प्रतिक्रिया के द्वारा संबंधित है एवं परिवर्तनशील है।
  • Actual Idealism -- क्रियाप्रत्ययवाद
1. वह दार्शनिक सिद्धांत कि संपूर्ण सत्ता सक्रिय तथा चिन्मय है, न कि जड़ और निष्क्रिय।
2. जेंटीले का मत जिसके अनुसार चिन्तन की क्रिया “शुद्ध क्रिया” है जो मानवीय अनुभव के जगत को उत्पन्न करती है।
  • Actual Occasion -- वास्तविक घटना, वास्तविक प्रसंग
देखिए “actual entity”।
  • Actus Purus -- विशुद्ध क्रियाशीलता
ईश्वर के स्वरूप के वर्णन के प्रसंग में अरस्तू द्वारा ‘उपादान शून्य आकार’ (matter without form) के अर्थ में प्रयुक्त पद। इस पद का व्यवहार इस संदर्भ में हुआ है कि अरस्तू ईश्वर को विशुद्ध गति स्वरूप मानते हैं और इसीलिये उसे मूल गतिप्रदाता (prime mover) कहते हैं।
  • Act Utilitarianism -- कर्म-उपयोगितावाद
एक प्रकार का उपयोगितावाद जिसके अनुसार प्रत्येक कर्म के औचित्य या अनौचित्य का निर्णय उससे उत्पन्न परिणामों के आधार पर किया जाता है।
  • Adaptationism -- अनुकूलनवाद
एक सिद्धांत जिसके अनुसार विचार पर्यावरण के साथ अनुकूलन का एक रूप है।
  • Adeism -- अदेववाद
मैक्समूलर द्वारा देवताओं के अस्तित्व का निषेध करने वाला मत।
  • Adhoc Argument -- तदर्थ युक्ति
किसी तथ्य के घटित हो जाने के पश्चात उसकी व्याख्या के लिए दी जाने वाली युक्ति।
  • Adinity -- पदित्व
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में विधेय या सम्बन्ध को सूचित करने वाली वह विशेषता कि उसमें कितने पद शामिल हैं : monadic, dyadic, triadic (एकपदी, द्विपदी, त्रिपदी) इत्यादि शब्दों के समान अंश …. adi को लेकर निर्मित भाववाचक संज्ञा।
  • Adoptian Christology -- दत्तकवादी ईसाईमीमांसा
ईसा के व्यक्तित्व और कृतित्व की इस सिद्धांत पर आधारित व्याख्या कि वह जन्मतः मनुष्य का पुत्र था, पर आध्यात्मिक प्रकर्ष के कारण ईश्वर के द्वारा पुत्र-रूप में ग्रहण कर लिया गया था।
  • Adoptionism (=Also Adoptanism) -- दत्तकवाद
आठवीं शताब्दी में स्पेन के ईसाइयों में प्रचलित वह विश्वास कि ईसा प्रारंभ से ईश्वर का अंश नहीं था, बल्कि दत्तक मात्र के रूप में ईश्वर का पुत्र था।
  • (The) Advent -- (ईसा) अवतार
ख्रीष्ट (ईसा मसीह) का (अ) अवतार के रूप में तथा (ब) कयामत के दिन संसार में आगमन।
  • Adventism -- अवतारवाद
ईसाई धर्म का मत कि ईसामसीह का संसार में पुनः आगमन तथा संसार का अंत समीप है। देखिए ‘advent’
  • Advocatus Dei -- देवाधिवक्ता
उस समारोह में जिसमें पोप किसी को पुण्यात्मा अथवा संत घोषित करता है, चर्च का वह अधिकारी जो अन्य विरोधी अधिकारी के द्वारा आपत्ति उठाये जाने पर उसकी आपत्तियों का खंडन करता है, वह देवाधिवक्ता कहलाता है।
  • Advocatus Diaboli -- असुराधिवक्ता
चर्च का वह अधिकारी जो पुण्यात्मा अथवा संत घोषित किये जाने वाले समारोह में उससे संबंधित व्यक्ति के चरित्र अथवा उसके पात्रत्व में दोष बताता है, असुराधिवक्ता कहलाता है।
  • Aeon (Eon) -- युग
1. काल का अतिदीर्घ विस्तार, अवधि, शाश्वतता
2. विश्व व्यवस्था के नियंत्रण एवं संचालन हेतु परमत्मतत्त्व द्वारा विस्तृत होने वाली शक्ति ईयन कहलाती है।
  • Aequilibrium Indifferentiae -- समबल-साम्य
दो ऐसे कर्मों के मध्य पूर्ण संतुलन की स्थिति जो समान बलवाले अभिप्रेरकों से अभिप्रेरित होकर किए जा रहे हों।
  • Aesthetic Enjoyment -- सौंदर्योपभोग
किसी सुंदर कलाकृति का आनंद लिया जाना।
  • Aesthetic Ethics -- सौंदर्यपरक नीतिशास्त्र, सौंदर्यमूलक नीतिशास्त्र
वह नीतिशास्त्र जो सौंदर्य के मापदंडों का निर्धारण करता है। देखिए “aesthetic morality”।
  • Aesthetic Idealism -- सौंदर्यमीमांसीय प्रत्ययवाद
ललित कला में प्रत्ययात्मक तत्त्व को प्रधानता देने वाला सिद्धांत, जैसे वह सिद्धांत कि ललित कला का लक्ष्य शाश्वत (लोकोत्तर) प्रत्ययों की पूर्णता को प्रतिबिंबित करना है।
  • Aesthetic Intuitionism -- सौंदर्यपरक अंतःप्रज्ञावाद
हचेसन का नीतिशास्त्रीय सिद्धांत जो मानता है कि नैतिक गुणों का तात्कालिक बोध कराने वाली एक नैसर्गिक शक्ति-विशेष होती है जिसे नैतिक इन्द्रिय कह सकते हैं।
  • Aestheticism -- 1. सौंदर्यवाद-
(क) वह सिद्धांत कि सौंदर्य के तत्त्व ही आधारभूत तत्त्व हैं और सत्य तथा शिव जैसे अन्य तत्त्व उनसे ही व्युत्पन्न अथवा उद्भूत होते हैं।
(ख) कलात्मक और सौंदर्यात्मक स्वायत्तता का सिद्धांत अर्थात् यह कि कलाकार पर राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक अथवा नैतिक किसी भी आधार पर बंधन नहीं लगाना चाहिए।
2. सौंदर्यपरता –
अन्य मानवीय आवश्यकताओं की उपेक्षा करते हुए भी सौंदर्यानुभूतियों अथवा सुंदर कलाओं के विकासादि की खोज में ही अत्यधिक रमे रहने की प्रवृत्ति।
  • Aesthetic Judgement -- सौंदर्यपरक निर्णय
निर्धारित मापदंड के अनुसार किसी वस्तु को सुंदर अथवा असुंदर बताने वाला निर्णय।
  • Aesthetic Morality -- सौंदर्यपरक नैतिकता
नैतिक निर्णय की वह प्रवृत्ति जिसमें कर्मों के सौन्दर्य को प्रधानता दी जाती है।
  • Aesthetics -- सौंदर्यमीमांसा, सौंदर्यशास्त्र
दर्शन की वह शाखा जो सौंदर्य, उसके मानकों तथा निर्णयों का विवेचन करती है।
  • Aesthetic Values -- सौंदर्य मूल्य
वे मूल्य जिनके आधार पर वस्तुओं, कलाकृतियों, भावनायें आदि को सुन्दर या असुन्दर माना जाता है।
  • Aetiology (=Etiology) -- कारणविज्ञान
वस्तुओं और घटनाओं के कारणों को खोजने वाला विज्ञान।
  • Affective Objective Naturalism -- भावात्मक वस्तुनिष्ठ प्रकृतिवाद
वह प्रभावी सिद्धांत जिसके अनुसार, नैतिक कथन इसलिये वस्तुनिष्ठ हैं क्योंकि वे प्राकृतिक जगत् के वैज्ञानिक एवं आनुभविक अन्वेषणों के द्वारा प्रमाणित किये जाते हैं।
  • Affective Theory Of Values -- भावपरक मूल्य-सिद्धांत
वह सिद्धांत जो नैतिक मूल्य के निर्णय को व्यक्तियों की भावात्मक प्रतिक्रियाओं पर आधारित मानता है।
  • Affirmative Proposition -- विधानात्मक प्रतिज्ञप्ति, स्वीकारात्मक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो किसी बात का विधान करे। ऐसे भी कहा जा सकता है कि जिसमें विधेय पद उद्देश्य पद के किसी तथ्य का विधान अथवा उसको स्वीकार करता है। जैसे- “मनुष्य मरणशील है”।
  • A Fortiori -- प्रबलतर युक्ति
जो पहले से निश्चित एवं युक्तिसंगत हो उसे अन्य युक्तियों अथवा तर्कों के द्वारा और भी अधिक निश्चयात्मक बनाना।
  • After-Life -- मरणोत्तर-जीवन
आत्मा को अविनाशी मानने वाले अधिकतर धर्मों की मान्यता के अनुसार शरीर के नाश के पश्चात् बना रहने वाला अस्तित्व।
  • Agape -- प्रेमभाव (ईसाई प्रीतिभोज)
1. ऐसा प्रेमभाव जो किसी के प्रति उसके प्रिय गुणों के कारण नहीं बल्कि उसके प्राणी मात्र होने के कारण होता है।
2. प्रारम्भिक ईसाईधर्म के अनुसार वह प्रीतिभोज जो ईसाई भ्रातृत्व-भाव को विकसित करने के लिए किया जाता है एवं जो पवित्र अनुष्ठान से सम्बन्धित है।
  • Agapism -- प्रेमभाववाद
देखिये “agape”।
  • Agathism -- श्रेयोवाद
वह मत कि प्रत्येक वस्तु परम शुभ की ओर उन्मुख है।
  • Agathobiotik -- श्रेयोजीवन
ऐसा जीवन जो श्रेयमय हो।
  • Agathology -- श्रेयोविज्ञान
परम शुभ का अध्ययन करने वाला विज्ञान।
  • Agathon -- श्रेयस्, परमशुभ
यूनानी दर्शन में शुभ का समानार्थी संज्ञा शब्द (इसका विशेषण रूप agathos है)।
  • Agathopoetics -- श्रेयोमीमांसा
वह शास्त्र जो ‘शुभ’ के संप्रत्यय का निरूपण करता है।
  • Agent -- कर्त्ता
नीतिशास्त्र में, वह विचारशील व्यक्ति जो स्वेच्छा से, किसी उद्देश्य से प्रेरित होकर किसी कर्म को करता है।
  • Aggregate Meaning -- समूहार्थ
तर्कशास्त्र में समूह द्वारा स्वीकृत सामान्य अर्थ।
  • Agnoiology -- अज्ञातमीमांसा
दर्शन की वह शाखा जो यह निर्धारित करने का प्रयत्न करती है कि ऐसी कौन सी बातें हैं जिनका हमें ज्ञान हो ही नहीं सकता। (स्कॉटिश दार्शनिक जे. एफ. फेरियर द्वारा सर्वप्रथम 1854 में प्रयुक्त शब्द)।
  • Agnosticism -- अज्ञेयवाद
वह मत जो परम तत्त्व के ज्ञान को असंभव मानता है।
  • Agnostic Naturalism -- अज्ञेयवादी प्रकृतिवाद
वह सिद्धांत जो प्रकृति को परम तत्त्व और अज्ञेय मानता है।
  • Agnosy -- अज्ञान, अविद्या
तत्त्व के ज्ञान का अभाव।
  • Agrapha -- अलिखित सूक्तियाँ
ईसा की वे सूक्तियाँ जो ‘शुभसंदेशों (Gospel) में नहीं मिलती किन्तु नई एंजल के अन्य भागों में तथा ईसाईयों के पुराने ग्रंथों में जिनका उल्लेख है।
  • Agreement In Absence -- अप्रस्तुतान्वय, अभावान्वय
उदाहरणों के एक समुच्चय में दो तत्वों का समान रूप से अनुपस्थित रहना, जो कि उनके कारण-कार्य के रूप से संबंधित होने की प्रसंभाव्यता प्रकट करता है।
  • Agreement In Presence -- प्रस्तुतान्वय, भावान्वय
उदाहरणों के एक समुच्चय में दो तत्वों का समान रूप से उपस्थित रहना, जो कि उन दो तत्वों में कार्य-कारण संबंध होने की प्रसंभाव्यता प्रकट करता है।
  • Akrasia -- संकल्प-दौर्बल्य
वह स्थिति जिसमें व्यक्ति यह तो जानता है कि उसको क्या करना चाहिये किन्तु अपने को वह कर्म करनें में असमर्थ पाता है।
  • Algebra Of Logic -- तर्क-बीजगणित
एक पद्धति जिसमें तार्किक संबंधों को व्यक्त करने के लिए बीजगणितीय सूत्रों को प्रयोग किया जाता है।
  • Algedonic -- सुख-दुःखपरक
सुख या दुःख की अनुभूति से संबंधित।
  • Algedonics -- सुख-दुःख विज्ञान
सुख एवं दुःख की अनुभूतियों का वैज्ञानिक अध्ययन।
  • Algorithm (Also Algorism) -- प्रतीक गणित
कलन की एक प्रणाली जिसमें निर्धारित नियमों के अनुसार किसी समस्या को प्रतीकों की सहायता से हल किया जाता है।
  • Algorithmic Logic -- कलनात्मक तर्कशास्त्र, गणितीय तर्कशास्त्र
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र का एक अंश। देखिये algorithm
  • Alienation -- परकीयन, इतरीकरण
सामान्यतः अलगाव एक क्रिया है या उस क्रिया की निष्पत्ति है जिसेके द्वारा व्यक्ति अन्य सभी वस्तुओं से अलग हो जाता है। यह शब्द मार्क्स एवं अस्तित्त्ववादी दर्शन में प्रयुक्त हुआ है। मार्क्स के दर्शन में समाज से अलगाव होता है जबकि अस्तित्त्ववादी दर्शन में स्वयं से और यदि ईश्वर है तो ईश्वर से भी अलगाव हो जाता है। इस प्रकार के अलगाव को अस्तित्त्ववाद में अप्रामाणिक सत्ता माना गया है।
  • Aliorelative -- इतरसंबंधक
ऐसा संबंधक जो किसी पद को सदैव किसी अन्य पद से जोड़े।
  • Alogical -- तर्कातीत, निष्तर्कीय
तर्क के क्षेत्र से बाहर या उससे परे।
  • Alpha Body -- आद्य पिंड, अल्फापिंड
एक अज्ञात स्थिर पिंड जिसके साथ सभी स्थिति परिवर्तन संबद्ध है। इसे निरपेक्ष दिक् का एक अचल बिन्दु भी कहा जाता है।
  • Alteration -- गुणांतरण
अरस्तू के अनुसार, गुण में होने वाला परिवर्तन। जिसका परिमाण और स्थान के परिवर्तन से भेद किया गया है।
  • Alternation -- विकल्पन
तर्कशास्त्र में
(1) वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें दो या अधिक ऐसे विकल्प दिये हुए हों जो परस्पर व्यावर्तक हों तथा
(2) ऐसे विकल्पों के संबंध का सूचक प्रतीक है, ‘V’ (या-तो, था)। इसे ‘उत’ भी कहते हैं।
  • Alternative Indefinite -- विकल्पी अनिश्चयवाचक
देखिये introductory indefinite
  • Alternative Proposition -- वैकल्पिक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें दो या दो से अधिक विकल्प दिये गये हों, जैसे ‘वह या तो बीमार है या बाहर गया हुआ है’। इनमें दोनों विकल्प भी सत्य हो सकते हैं। जबकि एक अनिवार्यतः सत्य होता है।
  • Alternative Terms -- वैकल्पिक पद
वे पद जो एक साथ किसी उद्देश्य के विधेय नहीं बन सकते, जैसे ‘क, ख या ग है’ में ख और ग।
  • Altruism -- परार्थवाद, परहितवाद, परार्थपरता, परहितपरता
परार्थवाद वह नैतिक सिद्धांत है जिसके अनुसार परोपकार आदर्श है।
  • Altruistic Energism -- परार्थोन्मुख शक्तिवाद
व्यक्ति की शक्तियों का उपयोग समूह के हित-साधन के लिए ही श्रेयस्कर मानने वाला एक नीतिशास्त्रीय सिद्धांत।
  • Altruistic Hedonism -- परसुखवाद
वह नैतिक मापदंड जिसके अनुसार, दूसरों का सुख नैतिक निर्णय का आधार है, परसुखवाद कहलाता है। यह मत बेंथम और मिल का है।
  • Ambiguous Description -- अनेकार्थक वर्णन, संदिग्धार्थक वर्णन
वह वर्णन जिसमें अनेकार्थक शब्दों का प्रयोग हो।
  • Amoral -- निर्नैतिक
वह जिसे नैतिक दृष्टि से न अच्छा कहा जा सके और न बुरा, अर्थात् जिस पर नैतिक विशेषण लागू न हों।
  • Amoralism -- निर्नैतिकतावाद, नीति-निरपेक्षवाद
यह सिद्धांत कि शुभ-अशुभ के साधारण मानक संभव नहीं है।
  • Amorality -- निर्नैतिकता, नीतिबाह्यता
नैतिक-अनैतिक के भेद से परे। देखिये “amoral”।
  • Ampliation -- अर्थ-विस्तार
मध्ययुगीन तर्कशास्त्र में, किसी संकीर्ण अर्थ में प्रयुक्त जातिवाचक शब्द का व्यापक अर्थ में प्रयोग।
  • Ampliative Proposition -- विस्तारी प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें विधेय उद्देश्य के संप्रत्यय में कुछ विस्तार अर्थात् वृद्धि करता है।
  • Anagogic Interpretation -- गूढ़ार्थ-निरूपण
धर्मग्रंथों के वाक्यों के सारगर्भित अर्थों का निरूपण करने वाली व्याख्या।
  • Analogate -- सादृश्य-अनुयोगी
वह जिसका किसी अन्य वस्तु से सादृश्य बताया जाये- ” ‘क’, ‘ख’ के सदृश है” में उद्देश्य-पद ‘क’ सादृश्य-अनुयोगी है।
  • Analogical Hypothesis -- सादृश्यमूलक प्राक्कल्पना
सादृश्य पर आधारित प्राक्ल्पना। उदाहरण- पृथ्वी के समान कुछ लक्षणों को मंगलग्रह में देखकर यह कल्पना करना कि वहाँ भी जीवन होगा।
  • Analogical Inference -- सादृश्यानुमान, साम्यानुमान
साम्य या सादृश्य पर आधारित अनुमान। जैसे, गाय को देखकर नीलगाय का अनुमान। देखिये analogy
  • Analogies Of Experience -- अनुभव की समरूपतायें
कांट के अनुसार मानवीय अनुभव की एकता को संभव बनाने वाले प्रागनुभविक सिद्धांत। संबंध की कोटि से निगमित ये तीन सिद्धांत है- द्रव्य, कारणता एवं पारस्परिकता।
  • Analogus Term -- सदृशार्थक पद
समान अर्थ रखने वाला पद।
  • Analogue Machine -- अनुरूप यंत्र
किसी यंत्र की कार्य-प्रणाली को समुचित रूप से समझने के लिए बनाई गई उसकी प्रतिकृति, जो भले ही उसके हूबहू समान न हो पर यंत्र की आंतरिक व्यवस्था का सही प्रतिनिधित्व करती हो।
  • Analogy -- साम्यानुमान,सादृश्यानुमान
1. तर्कशास्त्र में, दो वस्तुओं के बीच कुछ बातों में सादृश्य होने के आधार पर एक वस्तु में कोई एक विशेष बात देखकर दूसरी में भी उस बात के होने का अनुमान करना।
2. सादृश्यनुमान- सामान्य अर्थ में, दो वस्तुओं की समानता के आधार पर कोई अनुमान करना।
  • Analysandum -- विश्लेष्य
वह संप्रत्यय जिसका विश्लेषण करना है।
  • Analysans -- विश्लेषक
वह अभिव्यक्ति जिसके द्वारा विश्लेष्य संप्रत्यय का विश्लेषण किया जाय।
  • Analyst -- विश्लेषणवादी – वह व्यक्ति जो किसी भी ज्ञान के क्षेत्र से संबंधित संप्रत्ययों के विश्लेषण को ही दर्शन का एकमात्र कार्य मानता है।
विश्लेषक – विश्लेषण करने वाला व्यक्ति।
  • Analytic Argument -- विश्लेषणात्मक युक्ति
वह युक्ति जिसका निष्कर्ष पहले ही उसके आधार-वाक्यों में निहित रहता है।
  • Analytic Definition -- विश्लेषमात्मक परिभाषा
वह परिभाषा जो परिभाष्य पद के गुणार्थ का विश्लेषण करती है। इसमें परिभाष्य पद निहित होता है।
  • Analytic Hedonism -- विश्लेषणात्मक सुखवाद
सुखवाद का वह रूप जो सुख को शुभ के संप्रत्यय का अंग मानता है।
  • Analytic Incompatibility -- विश्लेषणात्मक असंगति
शुद्ध तार्किक असंगति जिसका आधार विश्लेषणात्मक होता है, अर्थात् जिसे जानने के लिए तथ्यों के प्रेक्षण की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि संबंधित संप्रत्ययों का विश्लेषण मात्र पर्याप्त होता है।
  • Analytic Judgement -- विश्लेषणात्मक निर्णय
वह निर्णय जिसका विधेय उद्देश्य के गुणार्थ में पहले से ही निहित रहता है।
  • Analytic Method -- विश्लेषणात्मक विधि
सम्प्रत्ययों के विश्लेषण द्वारा किसी विषय का ज्ञान प्राप्त करने की विधि।
  • Analytic Philosophy -- विश्लेषणात्मक दर्शन
दर्शन की समकालीन धारा जो सम्प्रत्ययों के विश्लेषण को दर्शन का अभिष्ठ मानती है।
  • Analytic Proposition -- विश्लेषणात्मक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसका विधेय उद्देश्य के गुणार्थ में पहले से ही सन्निविष्ट रहता है।
  • Analytic-Synoptic Method -- खंडाखंड-पद्धति
वह दार्शनिक पद्धति जो पहले वस्तु का खंडों में विश्लेषण करती है और तत्पश्चात् उन्हें एक इकाई में संबद्ध करती है।
  • Analytic Train Of Reasoning -- विश्लेषणात्मक तर्कमाला
परस्पर जुड़े हुए न्यायवाक्यों की वह श्रृंखला जो उत्तरन्यायवाक्य से पूर्वन्यायवाक्य की ओर चलता है। देखिए episyllogism, prosyllogism तथा syllogistic chain.
  • Anamnesis -- अनुस्मरण, अनुस्मृति
प्लेटों के दर्शन में, पूर्वजन्म में प्रत्यक्षीकृत ‘प्रत्ययों’ का इस जन्म में सदृश वस्तुओं के दर्शन से स्मरण होना।
  • Anathema -- अभिशाप
ईसाई धर्म में, किसी व्यक्ति का धर्म और समुदाय से बहिष्कार करते समय धर्माचार्य के द्वारा उसके लिए प्रयुक्त शब्द : वह व्यक्ति जिसे अभिशाप दिया गया हो अथवा अभिशाप देना।
  • Anergy -- अनूर्जा
संवेदन की व्याख्या के लिए अमरीकी दार्शनिक मान्टेग्यू द्वारा प्राक्कल्पित ऊर्जा का एक निषेधात्मक रूप।
  • Anima -- प्राणतत्त्व, जीवतत्त्व
व्यक्तित्त्व का अंतरतम अंश अर्थात् आत्मा।
  • Animal Faith -- पशुसहज आस्था
किसी बात में (जैसे- बाह्य जगत् के अस्तित्व में) सहज रूप से विश्वास।
  • Animal Inference -- पशुसहज अनुमान
ऐसा अनुमान जिसे हम अपनी स्वाभाविक बुद्धि से सहज रूप में कर सकते हैं।
  • Animal Machine Hypothesis -- पशु-यंत्र-प्राक्कल्पना
देकार्त का वह मत कि पशु यंत्र मात्र है और अनुभूति तथा विचार की शक्ति से रहित है।
  • Anima Mundi -- विश्वात्मा
विश्व को आंतरिक रूप से व्यवस्थित रखने वाली, गति प्रेरक एवं जीवनदायिनी आध्यात्मिक शक्ति। देखिए “world soul”।
  • Animation -- अनुप्राणन
शरीर का मन या आत्मा के संपर्क से जीवंत और क्रियाशील बनना।
  • Animatism -- प्राणवाद, सप्राणवाद
वह वाद जो प्रकृति को प्राणयुक्त मान कर उसकी पूजा करने के सिद्धांत को प्रस्तुत कराता है।
  • Animism -- जीववाद
वह विश्वास कि सृष्टि की प्रत्येक वस्तु जीवयुक्त है।
  • Animistic Materialism -- सजीव भौतिकवाद, सजीव पुद्गलवाद
अमरीकी यथार्थवादी दार्शनिक मान्टेग्यू का वह सिद्धांत कि आत्मा मानसिक गुणों से युक्त होते हुए भी भौतिक है।
  • Annihilationism -- उच्छेदवाद
वह सिद्धांत जो जगत को अवास्तविक मानता है।
  • Anoetic -- निस्संज्ञान
मन की भावात्मक अवस्था तथा प्राक्संज्ञानात्मक अथवा असंज्ञानात्मक अवस्थाओं के लिए प्रयुक्त विशेषण।
  • Anomoios -- असदृशद्रव्य
वह जो भिन्न द्रव्य से बना हुआ हो। एरियसवाद में इस धारणा को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त शब्द कि ईसा ईश्वर से भिन्न था।
  • Anschaung -- प्रत्यक्ष शक्ति
कांट के दर्शन में उस शक्ति के लिए प्रयुक्त जर्मन शब्द जो बुद्धि को दिक् और काल के माध्यम से सामग्री उपलब्ध कराती है।
  • Anselmian Argument -- ऐन्सेल्मी युक्ति
ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए ऐन्सेल्म के द्वारा दी गई युक्ति। इसे सत्तामूलक युक्ति भी कहते है
  • Antecedent -- पूर्ववर्त्ती, हेतुवाक्य
सोपाधिक प्रतिज्ञप्तियों में “यदि” से शुरू होने वाला अंश।
  • Antecedents -- पूर्ववृत्त, पूर्वगामी
देखिये “antecedent”।
  • Ante-Rem Theory (Of Universals) -- पूर्ववृत्त-सामान्यवाद
प्लेटो का यह सिद्धांत कि सामान्य की सत्ता वस्तुओं से स्वतंत्र है और उसका अस्तित्व वस्तुओं से पहले से ही रहता है।
  • Anthropocentrism -- मानवकेंद्रवाद
वह मत कि मनुष्य ही सृष्टि का केन्द्र है अथवा सभी बातें मनुष्य-सापेक्ष है, जैसे प्राचीन यूनानी सोफिस्तों का मनुष्य को ही प्रमाण मानने वाला मत।
  • Anthropological Dualism -- देहात्म-द्वैतवाद्
मनुष्य देह और आत्मा नामक दो पृथक् सत्ताओं का योग है अथवा ऐसा मानने वाला सिद्धांत।
  • Anthropomorphism -- मानवत्वारोपणवाद
वह सिद्धांत जो मानवेतर सत्ताओं (प्रकृति और ईश्वर) पर मानवीय आकार, गुण और व्यवहार का आरोपण करता है।
  • Anthroposophy -- मानवविद्या
ऑस्ट्रिया के दार्शनिक रूडोल्फ स्टाइनर (1861-1925) का रहस्यवादी सिद्धांत जो एनी बीसेंट के ‘ब्रह्मविद्या ‘(थिओसोफी) के सिद्धांत से आंशिक असहमति के कारण विकसित हुआ।
  • Anti-Authority -- प्रतिआप्त, सत्ता-विरोधी
वह व्यक्ति जो सदैव असत्य कथन करता है और जिसके बारे में यह विश्वास किया जा सकता है कि भविष्य में वह जो भी कथन करेगा वह असत्य ही होगा।
  • Anti-Bifurcationism -- द्विविभाजन-विरोधिता
वस्तुओं को विरोधी वर्गों में विभाजित करने की प्रवृत्ति का विरोध।
  • Antilogism -- प्रतिहेतु-न्यायवाक्य
तीन प्रतिज्ञप्तियों का एक ऐसा समुच्चय जिसमें किन्हीं दो को आधार मानकर निकलने वाला निष्कर्ष जो तीसरी का व्याघाती होता है।
  • Antilogy -- वदतोव्याधात, स्वतोव्याधात
स्वतोव्याघाती, स्वयं को ही काटने वाला कथन।
  • Anti-Metaphysics -- प्रतितत्त्वमीमांसा, तत्त्तमीमांसा-प्रतिषेध
परंपरागत तत्त्त्वमीमांसा का विरोध करने वाले आधुनिक तार्किक प्रत्यक्षवादियों की वह मान्यता कि तत्त्वमीमांसीय कथन सत्यापनीय न होने के कारण निरर्थक हैं।
  • Antinomianism -- विधिमुक्तिवाद
विशेषतः ईसाई धर्म में, वह सिद्धांत कि आस्था या ईश्वर की कृपा से व्यक्ति हर प्रकार के कानून या नियम से मुक्त हो जाता है।
  • Antinomy -- विप्रतिषेध
समान बलवाले प्रमाणों पर आधारित दो सिद्धांतों या निष्कर्षों का परस्पर विरोध।
  • Antistrophon Argument -- स्वपक्षघाती युक्ति
विरोधी द्वारा दी गई ऐसी युक्ति जिसका उसी के विरूद्ध प्रयोग किया जा सके।
  • Anti-Symmetric Relation -- प्रतिसममित संबंध
देखिए “asymmetrical relation”।
  • Anti-Symmetry -- प्रतिसममिति
देखिए “asymmetry”।
  • Anti-System -- प्रतितंत्र, तंत्र-विरोध
किसी दार्शनिक तंत्र के विरोघ में बना हुआ कोई अन्य तंत्र।
  • Antithesis -- प्रतिपक्ष
हेगेल के दर्शन में, द्वंद्वात्मक न्याय का वह चरण जो पक्ष का निषेध करता है और अगले संपक्ष चरण में स्वयं भी पीछे छूट जाता है। देखिए thesis और synthesis। कांट के दर्शन में, तर्कबुद्धि के विप्रतिषेधों (antinomies) में से निषेधक प्रतिज्ञप्ति।
  • Antithetics -- विप्रतिषेध मीमांसा
कांट के अनुसार तर्कबुद्धि के विप्रतिषेधों के पारस्परिक विरोध और उस विरोध के कारणों का अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Antithetic -- विप्रतिषेधात्मक
इस शब्द का प्रयोग किसी भी ऐसी प्रतिज्ञप्ति या युक्ति के लिए होता है जो किसी दूसरी प्रतिज्ञप्ति या युक्ति का विरोध करता है।
  • Apagoge -- 1. अपगमन : देखिए “abduction”।
2. असंभवापति : देखिए “reductio ad absurdum”।
  • Apeiron -- अपरिच्छिन, अपरिमित
अनैक्जिमंडर (Anaximander) के दर्शन में, मूल प्रकृति जो अनियत और अपरिमित है तथा जिससे सभी वस्तुएँ उत्पन्न होती हैं।
  • Apercu -- सद्योदर्शन
किसी वस्तु का तात्कालिक रूप में होने वाला अंतःप्रज्ञात्मक बोध।
  • Aphthartodocetism -- अविकार्यवाद
छठी शताब्दी के ईसाई सम्प्रदाय के अनुसार, वह मत कि दैवी प्रकृति से एक हो जाने के पश्चात् ईसा का शरीर विकाररहित हो गया था।
  • Apocalypticism -- भविष्योद्घोषवाद
पुराकालीन यहूदी धर्म में और प्रारंभिक ईसाई काल में पनपी एक चिंतन-धारा जिसका उद्देश्य धर्म में आस्था रखने वालों को हर अन्याय और दुर्भाग्य के विरूद्ध अविचलित बनाए रखना था और उनमें यह आस्था बनाये रखना था कि शीघ्र ही स्थिति बदलेगी और पापात्माओं का विनाश होगा।
  • Apocrypha -- कूटग्रंथ, गुह्यलेख
वे ग्रंथ या लेख जिनके लेखक संदिग्ध अथवा अज्ञात हों। इस शब्द का शुरू में उन ग्रंथों के लिए प्रयोग होता था जिनमें गुह्य ज्ञान अथवा जनता के लिए हानिकर समझा जाने वाला ज्ञान निहित होता था और इस आधार पर जो जनता से छिपाकर रखे जाते थे।
  • Apodeictic Knowledge -- निश्चय ज्ञान
किसी भी वस्तु या विषय का अनिवार्य रूप से निश्चित ज्ञान।
  • Apodeictic Proposition -- निश्चय प्रतिज्ञप्ति
निश्चित रूप से होने वाली बात का कथन करने वाली प्रतिज्ञप्ति।
  • Apodosis -- फलवाक्य
किसी सोपाधिक प्रतिज्ञप्ति का उत्तर-भाग जो पूर्व-भाग पर आश्रित होता है, जैसे ‘यदि क, तो ख’ में तो ‘ख’।
  • Apokatastasis (=Apocatastasis) -- सर्वोद्धार, सर्वमुक्ति
ईसाई धर्म में, विशेषतः यह विश्वास कि अंत में ईश्वर सभी पापियों को अपनी शरण में ले लेता है और वे स्वर्गीय आनन्द के भागी बनते हैं।
  • Apologetics -- मंडनविद्या
विशेषतः ईसाई धर्मशास्त्र का वह भाग जिसका कार्य विधर्मियों की आलोचना का समुचित उत्तर देना तथा अपने सिद्धांतों को तर्कों से युक्तियुक्त सिद्ध करना होता है।
  • Apology -- मंडन, समर्थन
किसी के समर्थन में दिया गया भाषण या लिखा गया लेख।
  • Apophansis -- उद्देश्य-विधेयात्मक प्रतिज्ञप्ति
प्रतिज्ञप्ति का अरस्तूकालीन नाम जो कि उसके स्वरूप को उद्देश्य-विधेयात्मक मानने पर आधारित है।
  • Apostasy -- धर्म-त्याग, सिद्धांत-त्याग, पक्ष-त्याग
धार्मिक विश्वास या स्वीकृत सिद्धांत आदि का परित्याग करना।
  • A Posteriori -- अनुभवसापेक्ष, अनुभवाश्रित
अनुभव से प्राप्त ज्ञान के लिए प्रयुक्त विशेषण।
  • A Posteriori Reasoning -- अनुभवाश्रित तर्क
वह तर्क जो अनुभूत तथ्यों पर आधारित होता है और जिसका निष्कर्ष आदार वाक्य से अनिवार्यतः नहीं निकलता है।
  • Apostle -- 1. देवदूत – विशेषतः ईसाई धारणा के अनुसार, ईश्वर का संदेश मनुष्यों तक पहुँचाने वाला दूत।
2. धर्मदूत – धर्म का विदेश में जाकर प्रचार करनेवाला।
  • Apotheosis -- देवत्त्वारोपण
मनुष्य को देवता बना देने की वह प्रवृत्ति जो ऐतिहासिक पुरूषों की मूर्तियाँ बनवा कर पूजने, राजाओं के दैवी अधिकार मानने इत्यादि में प्रकट होती है।
  • Appearance -- आभास
1. वस्तु का इंद्रियों से ज्ञात रूप।
2. कांट के दर्शन में दिक्काल में अस्तित्व रखने वाली ऐंद्रिय वस्तु।
3. ब्रैडले इत्यादि के दर्शन में, सत्य या तत्त्व का एक व्यावहारिक रूप।
  • Apperception -- 1. अंतः प्रत्यक्ष – लाइब्नित्ज के दर्शन में मन (चिद्बिन्दु) को होने वाला स्वयं अपनी ही अवस्थाओं का अपरोक्ष बोध।
2. अहंप्रत्यय – कांट के दर्शन में, ज्ञाता को होने वाली आत्म-चेतना जो उसकी एकता को प्रकट करती है।
  • Applicative -- आनुप्रायोगिक
जॉनसन के तर्कशास्त्र में, वह शब्द जो प्रतिज्ञप्ति में किसी सामान्य पद के अनुप्रयोग को निर्धारित करने के लिए प्रयुक्त होता है, जैसे ‘यह’, ‘वह’ आदि।
  • Applicative Principle -- आनुप्रायोगिक सिद्धांत
तर्कशास्त्र में पहली आकृति के आधारभूत सिद्धांत को जॉनसन के द्वारा दिया गया नाम जिसके अनुसार तथ्य जो किसी पूरे वर्ग पर लागू होता है वह उसके प्रत्येक सदस्य पर भी लागू होता है।
  • Applied Ethics -- व्यावहारिक नीतिशास्त्र, अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र
वह शास्त्र जो नीतिशास्त्र के सिद्धांतों को कानून, चिकित्सा, व्यवसाय आदि के क्षेत्र-विशेष में लागू करता है।
  • Apposition -- समानाधिकरण
दो ऐसे शब्दों का पारस्परिक संबंध जो शेष वाक्य के साथ व्याकरण की दृष्टि से समान संबंझ रखते हैं, जैसे “मेरा भाई राम बुद्धिमान है” में “मेरा भाई”, और “राम” का।
  • Appreciative Judgement -- अनुशंसी निर्णय
तथ्यसूचक निर्णय के विपरीत, वह निर्णय जो मूल्य बताता है, जैसे “राम अच्छा या सुन्दर है”।
  • Apprehension -- अवबोध
किसी वस्तु की चेतना में उपस्थिति मात्र का बोध।
  • Approbative Theory -- अनुमोदन-सिद्धांत
वह नैतिक सिद्धांत जो शुभ-अशुभ को अनुमोदन और अननुमोदन पर आधारित मानता है।
  • Appropriating -- आत्मसात्करण, स्वीकरण
किसी भी सत्य को जो आप्त वाक्यों में निहीत है, को आत्मसात करना। विशेषतः प्रोटेस्टेंट संप्रदाय के संदर्भ में आस्तिकता की आस्था द्वारा दैवी अनुग्रह का भागी बनना तथा पठन और मनन के द्वारा ईश्वरीय वचन को हृदयंगम करना।
  • Approximate Generalization -- अत्यासन्न सामान्यीकरण
अधिक से अधिक दृष्टांतों के प्रेक्षण पर आधारित सामान्यीकरण।
  • A Priori -- प्रागनुभविक, अनुभवनिरपेक्ष
उन सिद्धांतों या प्रतिज्ञप्तियों के लिए संज्ञा और विशेषण के रूप में प्रयुक्त लैटिन शब्द जिनकी वैधता अनुभव पर आश्रित नहीं होती या जिनके ज्ञान के लिए अनुभव की अपेक्षा नहीं होती। कांट के द्वारा अपने दर्शन में प्रयुक्त।
  • A Priori Concept -- प्रागनुभविक संप्रत्यय
वह संप्रत्यय जो अनुभव के पहले से ही व्यक्ति के मन में विद्यमान रहता है।
  • A Priori Fallacy -- प्रागनुभविक-तर्कदोष
वह तर्कदोष जो किसी युक्ति को किसी प्रमाण के बिना पूर्वाग्रह अथवा अंधविश्वास के कारण मान लेने से होता है।
  • A Priori Proposition -- प्रागनुभविक प्रतिज्ञप्ति, अनुभवनिरपेक्ष प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसके सत्यापन के लिए अनुभव की अपेक्षा नहीं होती, जैसे, “क है या नहीं है”।
  • A Priori Reasoning -- अनुभवनिरपेक्ष तर्क
निगमनात्मक तर्क जो अनुभव पर आधारित न होकर कुछ अभिगृहीतों से आकारिक नियमों के अनुसार निष्कर्ष निकालता है।
  • Apriorism -- प्रागनुभविकवाद
अनुभव निरपेक्ष सिद्धांतों में विश्वास। विशेषतः वह मत कि ज्ञान का आधार वे सिद्धांत हैं जो स्वयं सिद्ध हैं और किसी प्रकार के अनुभव की अपेक्षा नहीं रखते।
  • A Priori Synthetic Hedonism -- प्रागनुभविक संश्लेषात्मक सुखवाद
सुखवाद का वह रूप जिसमें सुख को शुभ का पर्याय तो नहीं माना गया है पर दोनों के संबंध को अनिवार्य और इसीलिए अनुभवनिरपेक्ष माना गया है।
  • A Proposition -- आ-प्रतिज्ञप्ति
सर्वव्यापी विधायक प्रतिज्ञप्ति जैसे “सभी मनुष्य मरणशील हैं”।
  • Archaeus (=Archeus) -- जीवतत्त्व
पैरोसेल्सस (Paracelsus, 1493-1541) के अनुसार, वह शक्ति जो जीवधारियों के अन्दर रह कर उनकी वृद्धि करती है और उनके जीवन को बनाए रखती है।
  • Arche (=Archei) -- आदितत्त्व
सृष्टि के आरंभ में अस्तित्व रखनेवाला तत्व; आदि कारण।
  • Archebiosis -- अजीवात् जीवोप्तत्ति
जड़ पदार्थों से जीवन की उत्पत्ति।
  • Archelogy -- आदितत्त्वविद्या
प्रथम तत्वों का विज्ञान। अरस्तू के द्वारा प्रयुक्त।
  • Archetypal Intelligence -- संवेदनाश्रयी प्रज्ञा
कांट के दर्शन में, दो प्रकार की प्रज्ञाओं में से वह जिसके संवेदनों पर वस्तुएँ आश्रित रहती हैं। (दूसरी ectypal intelligence कहा गया है।)
  • Archetypes -- आद्यप्ररूप
प्लेटो के अनुसार, अतींद्रिय जगत् के वे मूल ‘प्रत्यय’ जिनकी दृश्य जगत् की वस्तुएँ मात्र प्रतिलिपियाँ हैं।
  • Aretaics -- सद्गुण मीमांसा
सद्गुण का विवेचन करने वाला शास्त्र, अर्थात् नीतिशास्त्र।
  • Arete -- उत्कृष्टता, उत्कर्ष
यूनानी नीतिशास्त्र में यह शब्द ‘सद्गुण’ अथवा आत्मपूर्णता के लिये प्रयुक्त हुआ है।
  • Argument -- युक्ति
आधार वाक्यों से निगमन करने की प्रक्रिया
उदाहरण : सभी मनुष्य मरणशील हैं।
राम एक मनुष्य है।
अतः राम मरणशील है।
  • Argument ‘A Contingentia Mundi’ -- विश्व-आपातिता-युक्ति
ईश्वर के अस्तित्व के लिये वह तर्क कि चूंकि विश्व में प्रत्येक वस्तु आपाती है, इसलिए अंततः कोई ऐसी सत्ता है, जो अनिवार्य हो, अतः ईश्वर है।
  • Argument By Cases -- प्रत्येकशः युक्ति
मुख्यतः गणित में प्रयुक्त एक प्रकार का तर्क जिसमें प्रत्येक उदाहरण में अलग-अलग एक ही निष्कर्ष निकाला जाता है और अन्त में उसका सामान्यीकरण कर दिया जाता है।
  • Argument Form -- युक्ति आकार
प्रतीकों का एक क्रम, जिनके स्थान पर कथनों को रखने से एक युक्ति प्राप्त हो जाती है,
जैसे : प V फ
~ प
∴ फ
प और फ के स्थान पर क्रमशः ‘राम यहाँ है’ और ‘राम वहाँ है’ रख देने से यह युक्ति बनती है :-
या तो राम यहाँ है या वहाँ है,
राम यहाँ नहीं हैः
∴ राम वहाँ है।
  • Argument From Design -- अभिक्लप युक्ति, आयोजन युक्ति
ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए दी गई एक युक्ति जिसके अनुसार इस विश्व की सृष्टि एवं व्यवस्था एक ऐसी शक्ति का द्योतक है जो कि बुद्धिमान तथा पूर्ण है, और यही शक्ति है ईश्वर।
  • Argument Ad Beculum -- मुष्टि-युक्ति
वह युक्ति जिसमें तर्क से काम लेने के स्थान पर प्रतिवादी को डरा-धमका कर या बलपूर्वक अपनी बात मानने को बाध्य किया जाता है। वास्तव में यह एक तर्क दोष है।
  • Argument Ad Captan Dumvulgus -- लोकानुरंजक युक्ति
वह युक्ति जिसमें तर्क के स्थान पर जनसमुदाय को किसी न किसी प्रकार से प्रसन्न करके पक्ष-समर्थन प्राप्त किया जाता है। यह एक प्रकार का तर्क दोष है।
  • Argument Ad Crumenum -- स्वार्थोत्तेजक युक्ति
वह युक्ति जो श्रोताओं के स्वार्थ या आर्थिक हित से संबंधित बातों से समर्थन प्राप्त करने की चेष्टा करती है।
  • Argumentum Ad Hominem -- लांछन-युक्ति
वह युक्ति जो प्रमाणों एवं तथ्यों पर आश्रित न होकर दूसरे के व्यक्तिगत जीवन पर आक्षेप करें।
  • Argumentum Ad Ignorantiam -- अज्ञानमूलक युक्ति
वह युक्ति जिसमें दूसरों के अज्ञान से लाभ उठाया जाय, जैसे, प्रतिवादी से संबंधित बात को असिद्ध करने के लिए कहा जाय और उसकी असमर्थता को बात का प्रमाण मान लिया जाय।
  • Argumentum Ad Invidiam -- क्षुद्रभावोत्तेजक युक्ति
वह युक्ति जिसमें लोगों की निम्नकोटि की भावनाओं को उत्तेजित करके या उनके पूर्वाग्रहों का लाभ उठाकर अपनी बात को सिद्ध किया जाता है।
  • Argumentum Ad Judicium -- लोकमत-युक्ति
जनसमूह के सामान्य ज्ञान एवं निर्णयशक्ति पर आधारित युक्ति।
  • Argumentum Ad Misericordiam -- दयामूलक युक्ति
वह युक्ति जिसमें श्रोता के अंदर करूणा इत्यादि सवेगों को उत्तेजित करके अपने पक्ष को पुष्ट करने का प्रयास किया जाता है।
  • Argumentum Ad Personam -- स्वार्थोत्तेजक युक्ति, स्वार्थोद्दीपक युक्ति
वह युक्ति जिसमें अपने पक्ष को सबल बनाने के लिए लोगों की स्वार्थ-भावना को उकसाया जाता है।
  • Argumentum Ad Populum -- लोकोत्तेजक युक्ति
वह युक्ति जो तथ्य अथवा तर्क पर आधारित न होकर सामान्य जन की भावनाओं को उत्तेजित कर या उनकी कमजोरियों का लाभ उठाकर बल प्राप्त करे।
  • Argumentum Ad Rem -- अनुविषय-युक्ति
विचाराधीन प्रसंग से दूसरी ओर ले जाने वाले विचारों से उत्पन्न दोषों को दूर करते हुए उसी प्रसंग को एकत्रित करने वाली युक्ति।
  • Argumentum Ad Verecundiam -- श्रद्धामूलक युक्ति
वह युक्ति जो अपनी बात को सिद्ध करने के लिए या अपने पक्ष को सबल बनाने के लिए महापुरूषों, प्राचीन प्रथाओं, संस्थाओं या आप्तपुरूषों के प्रति सामान्य जन की आदर की भावना का उपयोग करे।
  • Argumentum A Fortiori -- प्रबलतर युक्ति
साम्यानुमान पर आधारित युक्ति जिसमें यह दिखाया जाता है कि प्रस्तावित प्रतिज्ञप्ति प्रतिवादी द्वारा पहले स्वीकृत प्रतिज्ञप्ति से अधिक युक्तिसंगत है।
  • Argumentum Ex Concesso -- अभ्युपगमाश्रित युक्ति
वह युक्ति जो किसी ऐसी, प्रतिज्ञप्ति पर आधारित हो, जो प्रतिवादी द्वारा पहले ही स्वीकृत की जा चुकी हो।
  • Aristotelianism -- अरस्तूवाद
प्राचीन यूनानी विचारक अरस्तू, (384-322 ई.पू.) का दर्शन, जिसमें ‘उपादन’ और ‘आकार’ विश्व के मूल तत्व माने गए हैं और उसके ‘आद्य चालक’ के रूप में ईश्वर को अनिवार्य बताया गया है।
  • Aristotles Dictum -- अरस्तू-अभ्युक्ति
तर्कशास्त्र में प्रथम आकृति में निहित अरस्तू के नाम से प्रचलित वह सिद्धांत कि जो बात किसी संपूर्ण वर्ग के बारे में कही जा सकती है वह उसके एक अंश के बारे में भी कही जा सकती है। देखिए “dictum de omniet nullo”।
  • Aristotle’S Experiment -- अरस्तू-प्रयोग
अरस्तू का भ्रम से संबंधित एक प्रयोग जिसमें एक ही हाथ की दो उंगलियों को आर-पार करके उनके बीच में रखी हुई कोई वस्तु दो प्रतीत होती है।
  • Ars Combinatoria -- संयुति-कला
लाइब्नित्ज के अनुसार, कुछ सरल संकल्पनाओं के योग से नियमानुसार जटिल संकल्पनाओं के निर्माण की कला।
  • Artifices -- रहस्यात्मक संक्रियाएँ
रहस्यात्मक प्रकृति की ऐसी संक्रियाएँ जो सामान्य प्रक्रिया के विरूद्ध-सी प्रतीत होती हैं और द्रष्टा को अभिचार का आभास कराती हैं।
  • Artificial Classification -- कृत्रिम वर्गीकरण
वह वर्गीकरण जो वस्तुओं की मौलिक समानताओं पर आधारित न होकर उनकी कृत्रिम समानताओं पर आधारित होता है और किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है।
  • Art Impulse -- कला-अन्तःप्रेरणा
सौंदर्यशास्त्र में, उन आवेगों के लिए प्रयुक्त पद, जो कला-कृति के सर्जन का कारण बनती हैं, जैसे अनुकरण की इच्छा, क्रीड़ा, अतिरिक्त मानसिक ऊर्जा का उपयोग इत्यादि।
  • Ascension -- स्वर्गारोहण
ईसाई धर्मशास्त्र में ईसा के पुनरूज्जीवित शरीर का पृथ्वी से उठकर स्वर्ग में प्रवेश।
  • Asceticism -- संन्यासवाद, वैराग्यवाद
वह मत कि शारीरिक सुख और उससे संबंधित इच्छाएँ आध्यात्मिक प्रगति में बाधक हैं, और इसलिए उनका दमन करना चाहिए अथवा, साधक की वह अवस्था जिसमें वह सुखभोग की इच्छा को छोड़कर तप का जीवन व्यतीत करता है।
  • Aseitas -- स्वयंसत्
वह सत्ता जिसका अस्तित्व स्वयं पर आश्रित और स्वयं के लिए हो; ईश्वर के लिए प्रयुक्त एक लैटिन शब्द।
  • Assertion -- अभिकथन
कोई प्रतिज्ञप्ति सत्य है अथवा असत्य इसके संबंध में निश्चित समर्थन देना।
  • Assertive Tie -- अभिकथनात्मक बंध
डब्लू. ई. जॉनसन के अनुसार, विशेषण और विशेष्य का वह संबंध जो एक अभिकथित प्रतिज्ञप्ति के रूप में प्रकट होता है।
  • Assertorial Imperative -- स्वीकारात्मक आदेश
कांट के नीतिशास्त्र में सापेक्ष नियोग का एक प्रकार जिसमें व्यावहारिक तर्कबुद्धि उन साध्यों या उदेश्यों से संबंधित आदेश प्रदान करती है जिनको प्राप्त करने की आकांक्षा प्रत्येक प्राणी स्वभावतः रखता है, जैसे सुख।
  • Assertoric Knowledge -- प्रकृत-ज्ञान
जो अवश्यम्भावी है या प्रसंभाव्य है उसके ज्ञान के विपरीत सामान्य तथ्य मात्र का ज्ञान।
  • Assertoric Proposition -- प्रकृत-प्रतिज्ञप्ति, अस्ति-प्रतिज्ञप्ति
निश्चयमात्र (अथवा विधि) के अनुसार प्रतिज्ञप्ति का एक प्रकार जो वस्तुस्थिति मात्र की सूचक होती है तथा जिसकी सत्यता-असत्यता का निर्धारण किया जा सकता है।
  • Assertum -- अभिकथ्य, अभिवाच्य
अभिकथन या अभिवचन का विषय, अर्थात् वह जिसका अभिवचन करना है या किया गया है।
  • Associationism -- साहचर्यवाद
मन की संरचना और उसके संगठन के बारे में वह सिद्धांत कि प्रत्येक मानसिक अवस्था सरल, विविक्त घटकों से बनी होती है और संपूर्ण मानसिक जीवन की इन्हीं घटकों के संयोजन और पुनर्योजन के द्वारा व्याख्या की जा सकती है।
  • Association Values -- साहचर्य-मूल्य
अर्बन (Urban) के नैतिक सिद्धांत के अनुसार, व्यक्तित्व और व्यवहार की वे विशेषताएँ जो अन्यों से साहचर्य बढाने में सहायक होती हैं तथा इस प्रकार परोक्षतः व्यक्ति के आत्मोपलब्धि के आदर्श की साधक होती है।
  • Associative Law -- सहचारिता-नियम
कुछ विशेष तार्किक और गणितीय संक्रियाओं में चरों को भिन्न तरीके से समूहित करने से परिणाम में कोई अंतर न आना बताने वाला नियम जैसे (अ x ब) x स = अ x (ब x स)।
  • Assumption -- अभिगृहीत, अभिग्रह
ऐसी प्रतिज्ञप्ति जिसे अनुमान के आधार के रूप में मान लिया जाता है, अथवा किसी प्रतिज्ञप्ति को सत्य या सत्यप्राय मान लेना।
  • Astral Body -- सूक्ष्म देह, सूक्ष्म शरीर
सूक्ष्म शरीर जो मृत्यु होने पर आत्मा के साथ जाता है।
  • Asymmetrical Relation -- असममित संबंध
वह संबंध जो अ का ब से हो पर ब का अ से न हो, जैसे पिता का संबंध।
  • Asymmetry -- असममिति
देखिए “asymmetrical relation”।
  • Ataraxia -- प्रशांतता
चिंता, आशा, आकांक्षा से मुक्त, अबाध शान्ति की अवस्था।
  • Ateleological -- निरूद्देश्य, अप्रयोजन
विश्व के मूल में कोई प्रयोजन न माननेवाले मत।
  • Atheism -- निरीश्वरवाद, अनीश्वरवाद
ईश्वर की सत्ता को स्वीकर न करने वाला सिद्धांत।
  • Atheistic Existentialism -- निरीश्वर अस्तित्वाद
अस्तित्ववाद का वह रूप जो ईश्वर की सत्ता को नही मानता।
  • Atomic Proposition -- परमाणु-प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो एक सरलतम तथ्य को व्यक्त करती है, अर्थात् किसी एक वस्तु में कोई गुण या उसका किसी अन्य वस्तु से कोई संबंध व्यक्त करती है।
  • Atomism -- परमाणुवाद
सामान्यतः वह मत कि समस्त विश्व (भौतिक एवं मानसिक) अंततः सूक्ष्म एवं अविभाज्य कणों से बना हुआ है, जिनको ‘परमाणु’ कहते हैं।
  • Atonement -- प्रायश्चित
व्यक्ति के द्वारा स्वीकृत पाप की चेतना से प्रेरित होकर उसके निवारणार्थ किया गया कोई धर्म-विहित कृत्य।
  • Attitude Theory -- अभिवृत्ति-सिद्धांत
सी.एल.स्टीवेन्सन का वह नैतिक सिद्धांत कि “वह शुभ (या अशुभ) है” वक्ता की अनुमोदन (या अननुनोदन) की अभिवृत्ति मात्र को प्रकट करता है, न कि किसी वस्तुगत गुण को।
  • Attribute -- गुण, विशेषता
1. सामान्य रूप से, किसी वस्तु की विशेषता जो आवश्यक या अनावश्यक भी हो सकती है।
2. विशेषतः स्पिनोजा, देकार्त इत्यादि विचारकों, के दर्शन में मानसिक और भौतिक द्रव्य की अपरिहार्य विशेषताओ में से एक।
  • Attributive Materialism -- गुणपरक भौतिकवाद
भौतिकवाद का एक प्रकार जो चैतन्य को पुद्गल (भौतिक द्रव्य) का ही एक गुण मानता है, न कि एक स्वतन्त्र सत्ता।
  • Attrition -- अनुताप
अपने किए हुए पापों के परिणाम-स्वरूप होने वाला शोक।
  • Augustinianism -- ऑगस्टाइनवाद
एक मध्ययुगीन विचारक संत ऑगस्टाइन (354-430 ई.) का दर्शन, जिसमें ईसाई धार्मिक विश्वासों को प्लेटोवाद और नव्य प्लेटोवाद के साथ मिला दिया गया है, आत्मा को प्रत्येक व्यक्ति में एक नई सृष्टि माना गया है, तथा अशुभ की समस्या के समाधान को आदम के पतन के सिद्धांत पर आधारित किया गया है।
  • Auricular Confession -- एकांत-पापस्वीकृति
व्यक्ति के द्वारा स्वयं किए हुए पापों की पादरी के समक्ष पश्चाताप-स्वरूप एकांत में स्वीकृति।
  • Austerity -- तप, सादगी
आध्यात्मिक सिद्धि के लिए स्वाभाविक इच्छाओं का दमन करते हुये असाधारण रूप से तीव्र शारीरिक कष्टों को सहन करने का अभ्यास।
  • Authoritarianism -- आप्तवाद
ज्ञानमीमांसा में, वह सिद्धांत जो किसी प्रतिज्ञप्ति की प्रामाणिकता को इस बात पर आधारित मानता है कि वह किसी ज्ञानवान् और विश्वसनीय पुरूष या पुरूषों द्वारा स्वीकृत है।
  • Authority -- 1. आप्त, आप्तपुरूष – ऐसा व्यक्ति जो सत्य का ज्ञाता और सत्य का वक्ता हो और इसलिए जिसके वचनों में विश्वास किया जा सके; ज्ञान के किसी क्षेत्र का अधिकारी विद्वान।
2. आप्तवचन, आप्तवाक्य, आप्तप्रमाण – ऐसे व्यक्ति का वचन।
  • Autism -- स्वलीनता
वास्तविकता से पलायन करने का एक रूप जिसमें व्यक्ति अपनी ही कल्पना के जगत् में लीन रहता है।
  • Automaton Theory -- यंत्रवाद, अंगियंत्रवाद
वह सिद्धांत कि जीव भौतिकी और यांत्रिकी के नियमों से परिचालित यंत्र मात्र है।
  • Autotelic -- स्वसाध्यक, स्वहेतुक
उस क्रिया के लिए प्रयुक्त विशेषण शब्द जो स्वयं उसी के लिए की जाए, न कि क्सी परिणाम की प्राप्ति के उद्देश्य से।
  • Averroism -- इब्नरूश्दवाद
अरस्तू के टीकाकार प्रसिद्ध मुस्लिम विचारक इब्नरूशद (1126-1198 ई.) और उसके अनुयायियों का दर्शन जिसमें मनुष्य की आत्मा को मस्तिष्क पर निर्भर और उसके नाश के साथ नष्ट होने वाली मानने के बावजूद मनुष्य के अंदर विद्यमान बुद्धित्त्व को अविनश्वर माना गया है।
  • Axiological Ethics -- मूल्यमीमांसीय नीतिशास्त्र
वह नीति जो कर्म के औचित्य को मुख्यतः उसके अभिप्रेरक या परिणाम के मूल्य पर आश्रित मानती है।
  • Axiological Idealism -- मूल्यमीमांसीय प्रत्ययवाद
प्लेटो और कांट से प्रेरित एक आधुनिक सिद्धांत जो तार्किक एवं तात्त्विक दृष्टि से मूल्य को सत्ता की अपेक्षा अधिक प्राथमिकता देता है।
  • Axiological Realism -- मूल्यमीमांसीय यथार्थवाद
वह सिद्धांत जो मूल्यों का मन से स्वतंत्र अस्तित्व स्वीकार करता है।
  • Axiology -- मूल्यमीमांसा
मूल्यों के स्वरूप और मापदंड इत्यादि का अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Axiom -- 1. स्वयंसिद्धि – वह प्रतिज्ञप्ति जो स्वतः प्रमाणित हो तथा अन्य प्रतिज्ञप्तियों के प्रमाण का आधार हो।
2. अभिगृहीत – विशेषतः आधुनिक तर्कशास्त्र में, वह आधारभूत प्रतिज्ञप्ति जिसको प्रमाणित किए बिना स्वीकार कर लिया जाता है।
  • Axiomatic Method -- स्वयंसिद्धि-प्रविधि, अभिगृहीत-प्रविधि
वह प्रविधि जिसमें कुछ स्वयंसिद्धियों या अभिगृहीतों को आधार मानकर एक निगमनात्मक तंत्र का निर्माण किया जाता है।
  • Axiomatics -- स्वयंसिद्धिमीमांसा, अभिगृहीतमीमांसा
स्वयंसिद्धियों, अभिगृहीतों अथवा उनके तंत्रों का अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Baalism -- बैऐल धर्म
मुख्यतः सीरिया और फिलिस्तीन का एक धर्म जिसमें बैऐल देवता की, जो विशेषतः कृषि की वृद्धि करने वाला माना जाता था, पूजा की जाती थी।
  • Backsliding -- धर्मप्रतिसरण, धर्मच्युत होना
किसी धर्म को ग्रहण कर लेने के बाद उससे च्युत पतित व्यवहार करना।
  • Baconian Method -- बेकन-विधि
फ्रान्सिस बेकन (1561-1626 ई.) की आगमनात्मक विधि, जिसका उद्देश्य विशेष तथ्यों के प्रेक्षण से सामान्य नियम ज्ञात करके मनुष्य को प्रकृति के ऊपर विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य प्रदान करना तथा उससे भरपूर लाभ उठाना था।
  • Bad Analogy -- कुसाम्यानुमान
वह दोषयुक्त साम्यानुमान जो वस्तुओं की मुख्य गुणों में समानता पर आधारित न होकर गौण समानताओं पर आधारित हो।
  • Baptism -- वपतिस्मा
किसी व्यक्ति को ईसाई धर्म में दीक्षित करने के लिए किया जाने वाला धार्मिक कृत्य, जिसमें जल, मधु, मदिरा आदि से स्नान कराया जाता है।
  • Barbara -- बार्बारा
तर्कशास्त्र में न्यायवाक्य की वह प्रथम आकृति जिसकी तीनों प्रतिज्ञप्तियाँ सर्वव्यापी विधायक (A) होती है।
उदाहरण : सभी मनुष्य मरणशील हैं – A
राम एक मनुष्य है; – A
∴ राम मरणशील है। – A
  • Baroco -- बारोको
तर्कशास्त्र में, न्यायवाक्य की वह द्वितीय आकृति जिसमें साध्य-आधार वाक्य सर्वव्यापी विधायक (A), पक्ष आधार वाक्य अंशव्यापी निषेधक (O) और निष्कर्ष भी अंश-व्यापी निषेधक (O) होता है।
जैसे ;- सभी बंगाली भारतीय हैं; – A
कुछ मनुष्य भारतीय नहीं है; – O
∴ कुछ मनुष्य बंगाली नहीं है। – O
  • Barren Hypothesis -- निष्फल प्राक्कल्पना
वह दोषयुक्त प्राक्कल्पना जिससे कोई तार्किक परिणाम न निकाले जा सकते हों और इसलिये जिसका सत्यापन संभव न हो।
  • Basic Logic -- मूल तर्कशास्त्र
वह तर्कशास्त्र जिसका जन्मदाता अरस्तू (एरिस्टॉटल) है। इसे निगमन तर्कशास्त्र भी कहा जाता है।
  • Basic Pair -- मूल युग्म
वाक्यों का वह जोड़ा जिसमें एक परमाणु वाक्य (atomic sentence) होता है और दूसरा उस वाक्य का निषेधक।
  • Basic Pedicate -- आधारभूत विधेय
किसी वस्तु के प्रेक्षणगम्य गुणधर्म का बोध कराने वाला विधेय।
  • Basic Proposition -- मूल प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो प्रेक्षण या प्रत्यक्ष से ज्ञात किसी बात का कथन करती हो।
  • Basic Sentence -- आधारभूत वाक्य
प्रेक्षण के परिणाम को व्यक्त करने वाला वाक्य जो कि सत्यापन का आधार बनता है।
  • Bathmism -- वर्धन-बल, वर्धन-शक्ति
लामार्क के अनुयायी कोप (E.D. Cope) के अनुसार, एक विशेष शक्ति जो जीव-देह की वृद्धि में प्रकट होती है।
  • Beatification -- पुण्यात्मवाचन
रोमन कैथोलिक धर्म में, किसी मृत व्यक्ति के लिए उसके अच्छे कर्मों के परिणामस्वरूप स्वर्ग प्राप्ति होने की घोषण करना।
  • Beatific Vision -- दिव्य दर्शन, परमानंदानुभव
ईसाई एवं यहूदी धर्म में सत्कर्म करने वाले व्यक्ति को स्वर्ग में होने वाला ईश्वर का दर्शन अथवा ईश्वर की महिमा का चिंतन करने वाले संत को इस पृथ्वी पर ही होने वाला परमानंद का अनुभव।
  • Beatitude -- परमानंद, निःश्रेयस्
वह अवस्था जिसमें परम आनंद की अनुभूति होती है और जो सर्वोच्च नैतिक लक्ष्य की प्राप्ति से आती है।
  • Beauty -- सौन्दर्य, चारूता, रमणीयता
किसी व्यक्ति, वस्तु या कलाकृति की वह विशेषता जो उसे आकर्षक बनाती है और देखने वाले के मन में सुखद प्रभाव उत्पन्न करती है।
  • Becoming -- संभवन्
किसी शक्य या बीजभूत स्थिति का वास्तविक रूप में आना; परिवर्तन।
  • Begriffe -- संप्रत्यय, अवधारणा
किसी वर्ग विशेष में पाया जाने वाला सामान्य गुण यथाः मनुष्यत्व, गोत्व आदि।
  • Being -- भाव, सत्
जो कुछ भी मन में, कल्पना में, बुद्धि में, या जगत् में, कहीं भी है, अस्तित्व रखता है या वास्तविक है उस सबका व्यापकतम वर्ग। प्राचीन यूनानी दर्शन में, पारमेनिडीज़ द्वारा परिवर्तन के विपरीत अर्थ में सर्वथा परिवर्तनहीन सत्ता के लिये, जो एक और शाश्वत है, प्रयुक्त शब्द।
  • Behaviouristics -- व्यवहार विज्ञान
व्यष्टि तथा समाज के व्यवहार का अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Belonging-To -- तदीयत्व
किसी गुण धर्म का उस व्यष्टि से संबंध जिसमें वह पाया जाता है।
  • Benthamism -- बेन्थमवाद
बेन्थम (Jeremy Bentham, 1748-1832) का नीतिशास्त्रीय सिद्धांत, जो अधिकतम व्यक्तियों के अधिकतम सुख को नैतिक आदर्श मानता है।
  • Berkeleianism -- बर्कलेवाद
जॉर्ज बर्कले (1685-1753) का प्रत्ययवाद जिसमें तथाकथित “बाह्य” वस्तुओं को ज्ञाता के मन के प्रत्यय मात्र माना गया है।
  • Besoin -- ईहा
लामार्क के विकासवादी सिद्धांत में, आवश्यकता या इच्छा या जैव वृत्ति जिसे जीव की शरीर-रचना में होने वाले परिवर्तन का साक्षात् कारण माना माना गया है।
  • Betting -- पण, बाजी
दो आदमियों के बीच में यह शर्त लगना कि किसी एक की भविष्यवाणी के सत्य या असत्य होने पर कौन किसको कितना मूल्य देगा।
  • Betting Quotient -- पण-लब्धि
अ1
अ1 + अ2
के द्वारा प्रतीक-रूप में व्यक्त भिन्न जिसमें ‘अ1’ ‘क1’ के द्वारा ‘क2’ को ‘क1’ की भविष्यवाणी के गलत होने की दशा में दी जाने वाली राशि है और ‘अ2’ उस भविष्यवाणी के सत्य होने की दशा में ‘क2’ के द्वारा ‘क1’ को दी जाने वाली राशि।
  • Biblical Criticism -- बाइबिल-समीक्षा
बाइबिल के विभिन्न खंडों की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता की मान्य प्रणालियों के द्वारा जाँच।
  • Biblical Theology -- बाइबिलीय-ईश्वरमीमांसा
बाइबिल के ऊपर आधारित ईश्वरमीमांसा के अर्थ में प्रयुक्त पद जो कि अब बाइबिल के संबंध में एक गलत धारण पर आश्रित होने के कारण छोड़ दिया गया है। बाइबिल के शब्दों का संकुचित एकांतिक उपयोग।
  • Biblicism -- बाइबिलपरायणता
बाइबिल के शब्दों के प्रति अत्यधिक श्रद्धा का भाव।
  • Biconditional -- द्वि-उपाधिक
तर्कशास्त्र में, “यदि और केवल यदि” (“यद्यैव”) इस प्रकार की दो शर्तों का सूचक प्रतिज्ञप्ति-संबंधक (≡ ҝ)। ‘प’ यदि और केवल यदि ‘फ’ का अर्थ है : “यदि प तो फ और यदि फ तो प।”
  • Bigotry -- धर्माधता, मताग्रह
अपने धर्म या मत पर अविवेकपूर्ण विश्वास व दृढ़ता तथा उसके विरोधी धर्म या मत के प्रति असहिष्णुता का भाव।
  • Bi-Implication -- द्वि-आपादन
एक चिह्न (↔) के लिये प्रयुक्त शब्द। इसका प्रयोग तब होता है जब हेतु फल को और फल हेतु को आपादित करता है। यदि क ↔ ख तो क → ख तथा ख → क।
  • Binary Connective -- द्विसंबंधक
दो प्रतिज्ञप्तियों को परस्पर जोड़ने वाला प्रतीक।
  • Binary Method -- द्विनाम-विधि
दो नाम रखने की प्रणाली जो जीवविज्ञान, रसायन, नृविज्ञान इत्यादि कपितय विज्ञानों में अपनाई जाती है, जैसे “होमो सैपियन्स” (= मनुष्य) जिसमें ‘होमो’ जातिसूचक शब्द है और “सैपियन्स” उप जातिसूचक।
  • Binary Notation -- द्वि-आश्रित संकेतन
तर्कशास्त्र में जिन गणितीय प्रतीकों का प्रयोग दो पदों के आपसी संबंध को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है, उसे द्वि-आश्रित संकेतन कहते है।
  • Binary Operation -- द्वि-आधारी संक्रिया, द्वि-चर संक्रिया
दो पदों के आपसी संबंधों को द्वि-चर संक्रिया कहा जाता है।
उदाहरण : राम आता है या श्याम जाता है = pvp
यदि राम आता है तो श्याम जायेगा = p⊃q
राम आता है और श्याम आता है = p.q
आदि संबंध को द्वि-आधारी संक्रिया कहते हैं।
  • Bio-Anthropology -- जैविक मानवमीमांसा
दार्शनिक मानवविज्ञान की वह शाखा जो मनुष्य की सर्जनात्मक उपलब्धियों और उसकी अभिवृत्तियों का उसकी शारीरिक क्रियाओं से सहसंबंध स्थापित करने के लिए जीवविज्ञान के सिद्धांतों का दार्शनिक दृष्टि से परीक्षण करती है।
  • Bio-Ism -- जीवतत्ववाद
बर्गसाँ का सिद्धांत जो प्रकृति को जीवन-तत्व से ओतप्रोत मानता है और उसी को आधारभूत मानता है – मन, बुद्धि इत्यादि तत्व इसी की ऊर्ध्ववर्ती गति के परिणाम हैं और पुदगल इत्यादि इसकी अधोवर्ती गति के परिणाम।
  • Biological-Philosophical Anthropology -- जीवनशास्त्रीय-दर्शनशास्त्रीय-मानवमीमांसा
वह दार्शनिक सिद्धांत जो जैविकी पर आधारित हो। देखिए “bio-anthropology”।
  • Biophysical -- जैवभौतिक
भौतिकी सिद्धांतों पर आधारित जैविक क्रियाएँ।
  • Biotism -- जीवनतत्ववाद
देखिये bioism.
  • Bi-Verbal Definition -- प्रति-शाब्दिक परिभाषा
दो शब्दों से संबंधित या दो शब्दों के प्रयोग से संबंधित अभिव्यक्ति द्वर्यथक शब्द।
  • Black-And-White Thinking -- अतिवादी चिंतन, अतिकोटिक चिंतन
बिल्कुल विपरीत विकल्पों के रूप में सोचने का दोष; जैसे यह सोचना कि यदि एक वस्तु काली नहीं है तो वह सफेद है; जबकि वह काली के अलावा किसी भी रंग की हो सकती है।
  • Blasphemy -- ईश्वर,निन्दा, धर्मनिन्दा,
ईश्वर या धर्म या किसी भी पवित्र वस्तु के प्रति अनादर प्रकट करने वाला व्यवहार।
  • Blessedness -- धन्यता, कृतार्थता
वह स्थिति जिसमें व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त करके स्वयं को धन्य समझता है।
  • Bliss -- आनंद
लोकोत्तर या असाधारण सुख की स्थिति।
  • “Block Universe” -- शिलाकल्प विश्व
(आलोचकों की दृष्टि में) तर्कबुद्धिवाद और प्रत्ययवाद के द्वारा परिकल्पित विश्व, जिसकी व्यवस्था पहले से निर्धारित है और जिसमें कोई हेर-फेर नहीं हो सकता, जिसमें नवीनता, स्वतंत्रता और अनेकता के लिये बिल्कुल भी कोई गुंजाइश नहीं है। यह शब्द विलियम जेम्स ने अपने सिद्धांत ‘अर्थक्रियावाद’ में प्रयुक्त किया है।
  • Bocardo -- बोकार्डो
न्याय वाक्य की वह तृतीय आकृति जिसका साध्य-आधार वाक्य अंशव्यापी निषेधक (O) पक्ष-आधार वाक्य सर्वव्यापी विधायक (A) और निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधक (O) होता है।
जैसे :- कुछ चौपाये गाय नहीं हैं; (O)
सभी चौपाये पशु है; (O)
∴ कुछ पशु गाय नहीं हैं। (O)
  • Bodily Transfer -- कायांतरण
आत्मा का अपने शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश करना। योग दर्शन में इसे परकाया-प्रवेश कहते हैं।
  • Bodily Values -- दैहिक मूल्य
स्वास्थ्य, शक्ति, स्फूर्ति इत्यादि शारीरिक गुण जो जीवन के लिये अनिवार्य होते हैं।
  • Bondage -- बंधन
देह और सांसारिक बंधनों में बँधे रहने की अवस्था।
  • Boniform Faculty -- श्रेयोनुभव-शक्ति
वह शक्ति जो व्यक्ति को श्रेय या शुभ का अपरोक्ष ज्ञान देती है और उसकी ओर अग्रसर करती है।
  • Bonum Consummatum -- संपूर्ण श्रेय
पूर्ण शुभ अर्थात् वह शुभ जो आंशिक न हो।
  • Bostromianism -- बूस्ट्रमवाद
स्वीडिश दार्शनिक क्रिस्टोकर जैकब बूस्ट्रम (1797-1866) का शेलिंग और हेगेल से प्रभावित दर्शन।
  • Bound -- परिबंध
तर्कशास्त्रीय शब्द जो चरों के संदर्भ में प्रयुक्त होता है जैसे, परिबंध चर और स्वतंत्र चर।
  • Bourgeois Morals -- बुर्जुआ-आचार नीति
पूँजीप्रधान समाज की नैतिकता।
  • Bramantip -- ब्रामान्टीप
तर्कशास्त्र में, न्यायवाक्य की वह चतुर्थ आकृति जिसका साध्य-आधार वाक्य सर्वव्यापी विधायक (A), पक्ष-आधार वाक्य सर्वव्यापी विधायक (A) तथा निष्कर्ष अंशव्यापी विधायक (I) होता है।
उदाहरण : सभी कवि मनुष्य है – A
सभी मनुष्य द्विपद है। – A
∴ कुछ द्विपद कवि है। – I
  • “Brickbat” Notion -- यथावस्तु, वस्तु-धारणा
अमरीकी नव्य यथार्थवादी होल्ट के द्वारा इस धारणा के लिये प्रयुक्त शब्द कि वस्तु के कुछ ऐसे स्थिर, अपरिवर्तनीय विधेय होते हैं जो सभी परिस्थितियों में सत्य होते हैं।
  • Brutality -- प्रतिरोधिता
वस्तुओं की वह विशेषता जिसके कारण उनमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
  • Business Ethics -- व्यवसाय-नीति
व्यवसायों में प्रयुक्त नीति।
  • Bundle Theory -- संघात सिद्धांत
वह मत जो आत्मा को मानसिक अवस्थाओं का एक संघात मात्र मानता है।
  • Cabalism -- काबालावाद
यहूदियों के एक मध्ययुगीन रहस्यवादी संप्रदाय का सिद्धांत, जिसके केन्द्र-बिन्दु “काबाला” नाम से प्रसिद्ध कुछ गुह्योपदेश थे।
  • Caesaropapism -- 1. राज्याधिधर्मता – 16वीं शताब्दी में इंग्लेंड तथा जर्मनी में राज्य के शासक की धार्मिक मामलों में श्रेष्ठता के लिए प्रयुक्त शब्द।
2. राज्याधिधर्मतंत्र – वह शासन-तंत्र जिसमें चर्च राज्य के शासक के अधीन रहकर काम करता है।
  • Calculation Of Odds -- संयोगानुपात-गणना
आगमन तर्कशास्त्र में विषम संयोगों की गणना।
  • Calculation Of Probability -- प्रसंभाव्यता-गणना
आगमन तर्कशास्त्र में प्रसंभाव्यता की गणना।
  • Calculus Of Logic -- तर्ककलन
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र को दिया गया एक नाम।
  • Calvinism -- कैल्विनवाद
फ्रेंच प्रोटेस्टैंट जॉन कैल्विन (1509-1564) का धार्मिक मत, जो ईश्वर को भौतिक जगत् में होने वाली समस्त घटनाओं का केन्द्र मानता है।
  • Camenes -- कामेनेस
तर्कशास्त्र में न्याय-वाक्य की वह चतुर्थ आकृति जिसका साध्य आधार-वाक्य सर्वव्यापी विधायक (A), पक्ष आधार-वाक्य सर्वव्यापी निषेधक (E), इनसे प्राप्त निष्कर्ष भी सर्वव्यापी निषेधक (E) होता है।
उदाहरण : सभी राजा मनुष्य हैं ; – A
कोई भी मनुष्य घोड़ा नहीं है ; – E
∴ कोई भी घोड़ा राजा नहीं है। – E
  • Camestres -- कामेस्ट्रेस
तर्कशास्त्र में न्याय वाक्य की तरह द्वितीय आकृति जिसका साध्य आधार-वाक्य सर्वव्यापी विधायक (A), पक्ष आधार-वाक्य सर्वव्यापी निषेधक और निष्कर्ष भी सर्वव्यापी निषेधक (E) होता है।
उदाहरण : सभी मनुष्य मर्त्य हैं; – E
कोई भी परी मर्त्य नहीं है; – E
∴ कोई भी परी मनुष्य नहीं है। – E
  • Cardinal Sins -- मुख्य पाप
वे दुष्कर्म जो व्यक्ति के नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास में मुख्य रूप से बाधक हैं तथा व्यक्ति को पतन की ओर ले जाते हैं।
  • Cardinal Virtues -- मुख्य सद्गुण
सभी सद्गुणों के आधारभूत सद्गुण। विशेषतः यूनानियों के अनुसार, ये चार सद्गुण : न्याय, मिताचार, साहस और प्रज्ञान।
  • Carnal Sin -- दैहिक पाप
इन्द्रिय उपभोग।
  • Carpenter Theory -- काष्ठशिल्पी-सिद्धांत, कारू सिद्धांत्
वह सिद्धांत कि ब्रह्मांड का निर्माण किसी शिल्पी (विश्वकर्मा) ने उसी प्रकार किया है जिस प्रकार एक बढ़ई एक कुर्सी को बनाता है।
  • Cartesianism -- देकार्तवाद
फ्रैंच दार्शनिक देकार्त (1596-1650) तथा उनके अनुयायियों का तर्कबुद्धिवादी दर्शन जिसमें संशयात्मक प्रणाली को अपनाया गया है, “मैं सोचता हूँ” इस अंतः प्रज्ञा के आधार पर आत्मा का अस्तित्व सिद्ध किया गया है, कुछ प्रत्ययों को सहज माना गया है, तथा आत्मा और भौतिक द्रव्य के द्वैत को स्वीकार किया गया है।
  • Case Of Conscience -- किंकर्तव्यविमूढ़ता
वह कठिन स्थिति जिसमें व्यक्ति यह निर्णय नहीं कर पाता कि धर्म क्या है और अधर्म क्या, कर्तव्य क्या है और अकर्तव्य क्या।
  • Cashability (Of Concepts) -- उदाहार्यता
अर्थक्रियावादी सिद्धांत में प्रयुक्त शब्द। इसके अनुसार वह संप्रत्यय जो संप्रेषण के पश्चात् अपने लिए या दूसरे के लिए उपयोगी है।
  • Cash Value -- उदाहरण मूल्य (तर्क शास्त्र)
विलियम जैम्स ने अपने अर्थक्रियावादी सिद्धांत को समझाते हुए इस पद का प्रयोग किया है। उनके अनुसार किसी भी विचार का अर्थ और उसकी सत्यता इस बात पर निर्भर करती है कि उसका हमारे जीवन में व्यावहारिक मूल्य क्या है।
  • Casual Coincidence -- आकस्मिक अनुरूपता
घटनाओं का बिना किसी कारणात्मक संबंध के एक साथ घटना तथा बढ़ना।
  • Casualism -- आकस्मिकतावाद, यादृच्छवाद
वह सिद्धांत जो वस्तुओं की उत्पत्ति को आकस्मिक मानता है।
  • Casuist -- धर्मसंकटमीमांसक
समस्याजनक परिस्थितियों में नीति और धर्म के सिद्धांतों को लागू करके कर्तव्य निर्धारित करने में निपुण व्यक्ति।
  • Casuistry -- धर्मसंकटमीमांसा
नीतिशास्त्र की वह शाखा जो विशेष स्थितियों में आचरण से संबंधित समस्याओं का नीति और धर्म के सिद्धांतों के द्वारा समाधान करती है, अथवा कर्तव्यों के विरोध को उन सिद्धांतों की सहायता से दूर करने की प्रणाली।
  • Catechesis -- दीक्षा पूर्वोपदेश
ईसाई धर्म के अनुसार बपतिस्मा से पूर्व दिए जाने वाले धार्मिक उपदेश।
  • Catechetiacal Method -- प्रश्नोत्तर-विधि
सुकरात (साक्रेटीज) द्वारा प्रतिपादित दार्शनिक विधि जिससे जिज्ञासु को प्रश्नोत्तर के माध्यम से तत्व के निष्कर्ष तक पहुँचाया जाता है।
  • Catechetic -- परिप्रश्नोपदेश
मौखिक रूप से, विशेषतः बच्चों को, प्रश्नोत्तर द्वारा दिया जाने वाला धार्मिक उपदेश।
  • Catechumen -- दीक्षार्थी
ईसाई धर्म में बपतिस्मा से पूर्व धर्म सिद्धांतों की शिक्षा देने वाला।
  • Categorematic Word -- पदयोग्य शब्द
वह शब्द जो बिना किसी अन्य शब्द की सहायता के, स्वतन्त्र रूप में, एक पद के रूप में प्रयुक्त हो सकता है अर्थात् (पारंपरिक तर्कशास्त्र के अनुसार) किसी प्रतिज्ञप्ति का उद्देश्य या विधेय बन सकता है।
  • Categorical Imperative -- निरपेक्ष आदेश, निरपेक्ष नियोग
कांट के नीतिशास्त्र में, नैतिक बुद्धि का वह सर्वोच्च आदेश कि उस सिद्धांत के अनुसार कर्म करो जिसे सार्वभौम बनाया जा सकता हो। यह निरपेक्ष इसलिए है कि यह किसी भी उपाधि पर निर्भर नहीं है।
  • Categorical Judgement -- निरूपाधिक निर्णय
वह निर्णय जिसमें कोई उपाधि या शर्त शामिल न हो।
  • Categorical Knowledge -- निरूपाधिक ज्ञान
वह ज्ञान जो किसी दूसरे ज्ञान की अपेक्षा के बिना होता है।
  • Categorical Proposition -- निरूपाधिक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो बिना किसी उपाधि के किसी तथ्य का विधान अथवा निषेध करें, जैसे : ‘सभी मनुष्य मर्त्य हैं’ या ‘कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं है।’
  • Categorical Syllogism -- निरूपाधिक न्यायवाक्य
निरपेक्ष न्यायवाक्य वह न्यायवाक्य होता है जिसकी तीनों प्रतिज्ञप्तियाँ निरूपाधिक हों।
  • Category -- पदार्थ
1. अरस्तू के दर्शन में, विधेय के दस प्रकारों में से एक; सत्ता के सबसे आधारभूत रूपों में से एक। ये दस हैं – द्रव्य, परिमाण, गुण, संबंध, स्थान, काल, स्थिति, अवस्था, क्रिया तथा क्रियाफलभागिता।
2. कांट के दर्शन में, प्रतिपत्ति (undestanding) के बारह प्रागनुभविक आकारों (a proori forms) में से एक, जो ये हैं – ‘एकता, अनेकता, साकल्प (‘परिमाण’ के अन्तर्गत); सत्ता, निषेध, परिच्छिन्नत्व (‘गुण’ के अंतर्गत); द्रव्य-गुण, कारण कार्य, पारस्परिकता (‘संबंध’ के अंतर्गत); संभवता-असंभवता, अस्तित्व-अनस्तित्व, अनिवार्यता-आपातिकता ‘(निश्चयमात्र’ के अंतर्गत)
  • Category Mistake -- कोटि-दोष, कोटि-त्रुटि
गिलबर्ट राईल के अनुसार एक श्रेणी या कोटि के शब्द को किसी दूसरी कोटि में समझ बैठने की गलती।
  • Catharsis -- विरेचन
इस शब्द का प्रयोग यूनानी दर्शन में अरस्तू ने प्राथमिक चिकित्सा, धार्मिक शुद्धिकरण आदि के संदर्भ में किया है। इसका अर्थ शारीरिक तथा मानसिक शुद्धिकरण की क्रिया है।
  • Causa Ficta -- कल्पित कारण
वह कारण जिसकी कल्पना कर ली गई हो।
  • Causal Body -- कारण-शरीर
वेदान्त दर्शन में, स्थूल शरीर का मूल, अविद्या से निर्मित शरीर, जो मोक्ष पर्यन्त जीव के साथ बना रहता है।
  • Causal Coincidence -- आकस्मिक संपात, कारण संपात
कोई कारणमूलक संबंध होने से दो घटनाओं का साथ घटना।
  • Causal Condition -- कारण-उपाधि
वह उपाधि जो किसी कार्य को उत्पन्न करने के लिए आवश्यक होती है। यह उपाधि कारण का एक घटक होती है।
  • Causal Determinism -- कारण नियतत्ववाद
वह मत कि प्रत्येक घटना अपने कारण से निर्धारित होती है।
  • Causal Implication -- कारणात्मक आपादन
वह हेतुफलात्मक प्रतिज्ञप्ति जिसमें हेतु वाक्य कारण का सूचक होता है और फलवाक्य कार्य का सूचक होता है, जैसे, “यदि गर्मी तेज़ पड़ती है, तो वर्षा भी अच्छी होती है”।
  • Causality -- कारणता, कार्यकारण-भाव
कार्य-कारण का संबंध, अर्थात् दो घटनाओं का इस प्रकार का अनिवार्य संबंध कि एक के होने पर दूसरी हो और उसके न होने पर वह न हो।
  • Causal Theory Of Perception -- प्रत्यक्ष का कारण-सिद्धांत
वह सिद्धांत कि प्रत्यक्ष ज्ञान बाह्य वस्तु का कार्य होता है।
  • Causal Theory Of Rightness -- औचित्य का कारण सिद्धान्त
“समकालिन अन्तःप्रज्ञावादी डब्ल्यू. डी. रास (1877-1940) के अनुसार वह नैतिक सिद्धान्त जो ‘औचित्य’ को अविश्लेष्य तथा मूल नैतिक प्रत्यय मानता है। फलतः कर्मों का ‘औचित्य’ अनुभवजन्य परिणामों से सर्वथा स्वतन्त्र अपना स्वतः साध्यमूल्य रखता है जिसका हमें अपनी अन्तः प्रज्ञा के द्वारा साक्षात् ज्ञान होता है।”
  • Causa Sui -- स्वयंभू
वह जो स्वयं अपना कारण हो, ईश्वर के लिए प्रयुक्त एक शब्द।
  • Causation -- कार्यकारण-भाव
दो घटनाओं के मध्य कारण-कार्य संबंध।
  • Cause -- कारण
वह घटना जो किसी अन्य घटना (कार्य) की नियत पूर्ववर्ती हो और उसकी उत्पत्ति के लिए अनिवार्य हो।
  • Celarent -- सेलॉरेण्ट
न्याय-वाक्य की वह प्रथम आकृति जिसका साध्य-आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधक (E), पक्ष-आधारवाक्य सर्वव्यापी विधायक (A) तथा निष्कर्ष सर्वव्यापी निषेधक (E) होता है।
उदाहरण : कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है; – E
सभी कवि मनुष्य हैं; – A
∴ कोई भी कवि पूर्ण नहीं है। – E
  • Celibacy -- ब्रह्मचर्य
चार्वाक को छोड़कर नास्तिक, आस्तिक सभी भारतीय दर्शन में इन्द्रिय निग्रह के लिए ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक माना जाता है।
  • Central Event Theory -- केन्द्रीय घटना सिद्धांत
सूर्य-मंडल से विश्व की शेष सौर्य-मंडल की उत्पत्ति का अनुमान करना।
  • Centre Theory -- केन्द्र-सिद्धांत
ब्रॉड (Broad) के अनुसार, वह सिद्धांत जो मानसिक एकता को किसी एक केंद्र की क्रिया का परिणाम मानता है।
  • Cerebralism -- मस्तिष्क चैतन्यवाद
वह जड़वादी सिद्धांत कि चेतना मस्तिष्क का एक कार्य है, अर्थात् उससे उत्पन्न है।
  • Ceremonialism -- कर्मकांडवाद, कर्मकांडपरता
कर्मकांड के द्वारा आध्यात्मिक लक्ष्य की प्राप्ति में विश्वास, कर्मकांड में अत्यधिक निष्ठा।
  • Cesare -- सिजारे
न्याय-वाक्य की वह द्वितीय आकृति जिसका साध्य-आधारवाक्य निषेधक (E), पक्ष-आकारवाक्य सर्वव्यापी विधायक (A) और निष्कर्ष सर्वव्यापी निषेधक (E) होता है।
उदाहरण : कोई भी गाय पक्षी नहीं है; – E
सभी कौवे पक्षी हैं; – A
∴ कोई भी कौवा गाय नहीं है। – E
  • Chain Argument -- श्रृंखला-युक्ति
युक्तियों की एक श्रृंखला जिसमें पूर्ववर्ती युक्ति का निष्कर्ष अनुवर्ती युक्ति में एक आधारवाक्य बन जाता है।
  • Chain Implication -- श्रृंखला-आपादन
हेतुफलात्मक प्रतिज्ञप्तियों की ऐसी श्रृंखला जिसमें पहली का फल अगली में हेतु बन जाता है और इस प्रकार अंत में एक निष्कर्ष प्राप्त हो जाता है।
जैसे : यदि क तो ख ; A כ B
यदि ख तो ग; B כ C
यदि ग तो घ; C כ D
∴ यदि क तो घ ∴ A כ D
  • Chance -- संयोग, काकतालीय, यदृच्छा
वह अप्रत्याशित घटना जिसका पूर्ववर्ती घटनाओं से कारणात्मक संबंध ज्ञात न हो।
  • Chance Coincidence -- यदृच्छा-संपात
उन दो घटनाओं का जिनमें कारण-कार्य का संबंध न हो, अप्रत्याशित रूप से परस्पर एक साथ घटित हो जाना।
  • Chance Variation -- यदृच्छा-विभेद, सांयोगिक परिवर्तन
विकास-सिद्धांत के अनुसार, जीव-जातियों की विशेषताओं में संयोगवश होने वाला परिवर्तन जो कि समायोजन में उपयोगी सिद्ध होने पर स्थायी बन सकता है। यह डार्विन का मत है।
  • Character -- चरित्र
आदतों के संघात को चरित्र कहा जाता है।
  • Character Complex -- लक्षण-ग्रंथि
अमरीकी समीक्षात्मक यथार्थवादियों द्वारा इंद्रिय-प्रदत्त (sense data) के लिए प्रयुक्त शब्द।
  • Characteristica Universalis -- सार्वलोकिक भाषा
लाइब्नित्ज़ (Leibnitz) द्वारा ज्ञान को सूत्रबद्ध करने के लिए एक ‘सर्वव्यापी भाषा’ के निर्माण से संबंधित योजना को दिया गया नाम, जिसमें ऐसे प्रतीक या चिह्न होते हैं जो सरल तथा सरल तथा जटिल प्रत्ययों को व्यक्त करके समस्त ज्ञान को सबके लिए बोधगम्य बना देते हैं।
  • Characterology -- चरित्र विज्ञान
चरित्र के विवेचन से संबंधित।
  • Character Values -- चरित्र-मूल्य
संयम, परोपकारिता, ईमानदारी इत्यादि चारित्रिक गुण।
  • Charisma (Pl. Charismata) -- करिश्मा, अलौकिक शक्ति
दिव्य शक्ति, जैसे भविष्य को जानने या रोगमुक्त आदि करने की शक्ति।
  • Charity -- दान, दीनवत्सलता
सभी धर्मों में विशेषतः ईसाई और इस्लाम में दान का महत्व स्वीकार किया गया है। नीतिशास्त्र के अनुसार अधिकार और कर्तव्यों का उचित पालन। सेंट आगस्टाइन, कौजिन ने इस शब्द का प्रयोग किया है।
  • Charm -- मंत्र
रहस्यमयी शक्ति से युक्त और इच्छाओं की पूर्ती करने में समर्थ समझा जाने वाला कोई शब्द-समुच्चय।
  • Chastity -- शील, शुचिता
महिलाओं के संदर्भ में आचरण की शुद्धता।
  • Chiliasm -- सहस्राब्दवाद
ईसाइयों का एक सिद्धांत जिसके अनुसार ईसा संसार में अवतार लेकर ऐसे ईश्वरीय शासन की स्थापना करेंगे जो कि सहस्र वर्ष तक चलता रहेगा।
  • Choice -- 1. वरण – कई विकल्पों में से एक का चुनाव करने की क्रिया।
2. विकल्प – उन बातों, वस्तुओं या कार्य-पद्धतियों में से एक, जिनके मध्य चुनाव करना होता है। देखिए “alternative”।
  • Choice Of Mean -- साधन का चुनाव
किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नैतिक दायित्व पूर्ण साधन के चुनाव की मानसिक अवस्था को साधन का चुनाव कहते हैं।
  • Christology -- ईसाई विद्या
ईसाई धर्मशास्त्र की वह शाखा जो ईसा से संबंधित तथ्यों और सिद्धातों का अध्ययन करती है।
  • Christophany -- ईसा-प्रभास, ईसा-विभव
ईसा का पुनः शरीर धारण करके अपने अनुयायियों को दर्शन देने, जैसी दिव्य घटनाओं के लिए प्रयुक्त शब्द।
  • Circular Definition -- च्रक्रक परिभाषा
ऐसी दोषयुक्त परिभाषा जिसमें परिभाष्य पद स्वयं पूर्व स्थित रहता है, जैसे, ‘मनुष्य वह है जिसके अन्दर मनुष्यता हो’।
  • Circular Evidence -- चक्रक प्रमाण, चक्रक साक्ष्य
वह प्रमाण जिसमें निष्कर्ष, जिसे सिद्ध करना है, आधारवाक्यों में पहले से ही सिद्ध मान लिया जाता है।
  • Circumstantial Ad Hominem Argument -- आनुषंगिक लांछन-युक्ति
विवाद में अपनी बात को प्रमाणों के द्वारा पुष्ट करने के बजाय प्रतिपक्षी की एक विशेष परिस्थिति को आधार बनाकर उससे अपनी बात को मानने का आग्रह करना, जैसे, यदि प्रतिपक्षी गांधीवादी है तो उससे कहना कि उसकी बात का विरोध करना गंधीवाद के विरूद्ध होगा।
  • Circumstantial Evidence -- पारिस्थितिक प्रमाण
वे बातें जो विवादाधीन बात को सीधे प्रमाणित नहीं करती पर ऐसी बातों को अवश्य सिद्ध करती हैं जो अनुभव से प्रायः सदैव विवादाधीन बात की सहचारी पाई गई हैं और इसीलिए जिन्हें विवादाधीन बात का प्रमाण मानना उचित समझा जा सकता है।
  • Civil Philosophy -- नागरिक दर्शन
हॉब्ज़ (Hobbes) के अनुसार, दर्शन की वह शाखा जो उन सामाजिक निकायों (संस्था, संघ आदि) का अध्ययन करती है जिनका निर्माण मनुष्य परस्पर सहमत होकर करते हैं।
  • Clairaudience -- दिव्यश्रुति, अतींद्रिय श्रवण
सामान्यतः श्रवणातीत माने जाने वाले शब्दों को सुनना या सुनने की असाधारण क्षमता।
  • Clairvoyance -- दिव्यदृष्टि, अतींद्रिय दृष्टि
सामान्यतः जो वस्तुएँ आँखों को नहीं दिखाई देती उन्हें देखना या देखने की अलौकिक क्षमता।
  • Class -- वर्ग
समान लक्षणों या गुणों से युक्त वस्तुओं या व्यष्टियों का समूह।
  • Class Calculus -- वर्ग-कलन
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र की एक शाखा जिसमें प्रतिज्ञप्तियों का वर्गों के संबंधों के रूप में आकारिक नियमों के अनुसार विवेचन किया जाता है।
  • Class Concept -- वर्ग संप्रत्यय
1. तात्विक, धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक अर्थों में प्रयुक्त।
2. गुण विशेष के आधार पर किया गया वर्गीकरण।
  • Class-Defining Characteristics -- वर्ग-परिभाषक विशेषताएँ
वे सामान्य गुणधर्म जिनके द्वारा किसी वर्ग की परिभाषा दी जाती है।
  • Classical Morality -- प्रतिष्ठित नैतिकता
शास्त्रसम्मत आचार-नीति।
  • Classification -- वर्गीकरण
वस्तुओं को समान विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग वर्गों में रखना।
  • Classification By Definition -- पारिभाषाश्रित वर्गीकरण, लक्षणाश्रित वर्गीकरण
वस्तुओं का परिभाषा के आधार पर वर्गीकरण, अर्थात् एक वर्ग की परिभाषा निश्चित करके पहले यह बताना कि उसके सदस्यों के आवश्यक और मूल गुण क्या हैं और तत्पश्चात् उन गुणों वाली वस्तुओं को एक वर्ग में रखना तथा वे जिनमें नही हैं उन्हें एक अलग वर्ग में रखना।
  • Classification By Series -- क्रमिक वर्गीकरण
पारंपरिक तर्कशास्त्र में, किसी समान गुण से युक्त वस्तुओं को उस गुण की अधिक और कम मात्रा के अनुसार एक क्रम में रखना। इस क्रम में सर्वप्रथम वस्तुओं के उस वर्ग को रखा जाता है जिसके अंदर संबंधित गुण सबसे अधिक मात्रा में होता है और सबसे अंत में उसे जिसमें वह अल्पतम मात्रा में होता है। इस प्रकार क्रम अवरोही होता है।
  • Classification By Type -- प्रारूपी वर्गीकरण
ह्यूएल (Whewell) के अनुसार, किसी वर्ग की विशेषताओं को स्पष्टतः और पूर्णतः अभिव्यक्त करने वाले एक व्यष्टि को प्ररूप मानकर उसके साथ न्यूनाधिक सादृश्य के आधार पर व्यष्टियों को एक समूह में व्यवस्थित करना।
  • Classificatory Concept -- वर्गीकरणात्मक संप्रत्यय
वह संप्रत्यय जो वस्तुओं को दो या अधिक वर्गों में व्यवस्थित करने में सहायता करे।
  • Class Interest -- वर्ग हित
समाज दर्शन और राजनीतिक दर्शन में इस शब्द का प्रयोग किया गया है जैसे- मध्य-युगीन काल में धर्मगुरूओं का महत्व बढ़ना।
  • Class Inclusion -- वर्ग-अंतर्भाव, वर्ग-समावेश
एक वर्ग का दूसरे वर्ग में शामिल होना : ऐसा तब होता है जब किसी वर्ग का प्रत्येक सदस्य दूसरे वर्ग का भी सदस्य होता है; जैसे सभी गायें चौपाये पशु हैं।
  • Classless Society -- वर्गहीन समाज
मार्क्स द्वारा संकल्पित एक विशेष प्रकार का समाज। इस विचार के विपरीत वर्ग समाज (class society) की अवधारणा है।
  • Class-Membership Proposition -- वर्गसदस्यता-प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो किसी वस्तु का किसी वर्ग से संबंध बताये, जैसे “टैगोर बंगाली हैं।”
  • Cleanliness -- स्वच्छता, शुचिता
शारीरिक, मानसिक, वाणी की शुद्धता।
  • Clericalism -- पुरोहितवाद
धार्मिक क्षेत्र में धर्म गुरूओं का एकाधिकार।
  • Closed Class -- संवृत वर्ग
वह वर्ग जिसके सदस्यों की एक सूची द्वारा गणना की जा सके।
  • Closed Communion -- संवृत ईसाभोज
वह भोज जो ईसा मसीह ने अपने शिष्यों के साथ शूली पर चढ़ने के पूर्व लिया था।
  • Closed Morality -- संकुचित नैतिकता
परम्परागत रीति-रिवाज पर आधारित नैतिकता। यह पद वर्गसाँ के नीति दर्शन में प्रयुक्त हुआ है।
  • Closed Sentence -- संवृत्त वाक्य
वह वाक्य जिसमें स्वतंत्र चरों का प्रयोग न किया गया हो।
  • Closed Society -- संवृत समाज
ड्यूई (Dewey) के अनुसार, वह समाज जो किसी भी नवीन तत्त्व अथवा भिन्न तत्त्व को ग्रहण करने में संकोच करे तथा विकास का विरोधी हो।
  • Co-Alternate -- सह विकल्प
उन दो पदों या प्रतिज्ञप्तियों में से एक जो परस्पर विकल्प के रूप में संबंधित हों।
  • Code Of Honour -- शिष्टाचार-संहिता, आचरण-नियमावली
किसी वर्ग-विशेष या व्यावसायिक समूह में प्रचलित आचरण के परंपरागत नियम।
  • Co-Determinate Predicates -- सहनियत विधेय, सहनिर्धारित विधेय
एक ही निर्धारणीय (determinable) गुण (जैसे, रंग) के अन्तर्गत आने वाले परिच्छिन रूपों (जैसे, नीला, पीला इत्यादि) के बोधक विधेय-शब्द।
  • Co-Disjunct -- सह-वियुक्तक
ऐसे दो पदों या प्रतिज्ञप्तियों में से एक जो साथ-साथ नहीं रह सकते।
  • Co-Effect -- सहकार्य
एक ही कारण का वह कार्य जो दूसरे के साथ घटित होता है, जैसे आग से उत्पन्न गर्मी के प्रसंग में धुआँ।
  • Co-Efficient Of Correlation -- सहसंबंध-गुणांक
वह संख्या जो दो वस्तुओं के सहसंबंध की मात्रा बताती है।
  • Co-Exclusive -- सहव्यावर्तक, अन्योन्यव्यावर्तक
ऐसी दो प्रतिज्ञप्तियाँ जो परस्पर व्यावर्तक हों।
  • Co-Exhaustive -- सहसर्वसमावेशी
ऐसे दो वर्गों, प और फ, के लिए प्रयुक्त जो मिलकर समस्त विचाराधीन क्षेत्र का निराकरण कर देते हैं : “प्रत्येक वस्तु या तो प है या फ” की सत्यता का यही आधार बनता है।
  • Co-Existence -- सह-अस्तित्व
दो वस्तुओं का एक साथ अस्तित्ववान होना।
  • Co-Extensive -- सह-विस्तृत
देश एवं काल में समान विस्तार रखने वाली (वस्तुएँ)।
  • Co-Externals -- सहबाह्यक
ऐसे दो वर्ग कि पहले वर्ग का एक भी सदस्य दूसरे वर्ग का सदस्य न हो और दूसरे वर्ग का एक भी सदस्य पहले वर्ग का सदस्य न हो।
  • Cogitatio -- चिंतन
स्पिनोज़ा (Spinoza) के अनुसार, ईश्वर के दो गुणों में से एक जो बुद्धि के द्वारा ग्राहय है।
  • Cogitative Substance -- चिंतक द्रव्य
देकार्त (Descartes) के अनुसार, वह द्रव्य जिसमें चिंतन की शक्ति हो।
  • Cogito Ergo Sum -- चिन्तये अतोऽस्मि
देकार्त (Descartes) की एक सुप्रसिद्ध उक्ति (“मैं सोचता हूँ, अतः मैं हूँ”) जिसका उद्देश्य चिंतन मात्र से आत्मा का अस्तित्व सिद्ध करना था।
  • Cognate Species (=Coordinate) -- सजातीय उपजाति
तर्कशास्त्र में एक ही जाति (genus) के अंतर्गत आनेवाली उपजातियों में से एक।
  • Cognition -- संज्ञान
सर्वाधिक व्यापक अर्थ में जानने की क्रिया।
  • Cognitive Meaning -- संज्ञानार्थ, संज्ञानात्मक अर्थ
वाक्य के दो प्रकार के अर्थों में से एक। यह अर्थ तब होता है जब वाक्य कोई ऐसी बात बताता है जो सत्य या असत्य हो। (दूसरा अर्थ emotive meaning है।)
  • Cognitive Question -- संज्ञानार्थक प्रश्न
तथ्यों के बारे में जिज्ञासा प्रकट करने वाला प्रश्न।
  • Cognitive Sentence -- संज्ञानात्मक वाक्य
ऐसा वाक्य जो संज्ञानात्मक अर्थ रखता हो।
  • Cognoscendum -- संज्ञेय
संज्ञान का विषय।
  • Coherence -- संसक्तता
प्रतिज्ञप्तियों का इस प्रकार संबंधित होना कि प्रत्येक अन्यों की सत्यता की संपुष्टि करने वाली हो।
  • Coherence Theory -- संसक्तता-सिद्धांत
एक ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत जो सत्यता को मुख्यतः प्रतिज्ञप्तियों के एक विशाल संगतिपूर्ण तंत्र का गुण मानता है और ऐसे तंत्र की किसी एक प्रतिज्ञप्ति की सत्यता को एक व्युत्पन्न गुण मानता है।
  • Co-Implicant -- सहापादक
यदि प फ को आपादित करता है और फ प को आपादित करता है तो इनमें से एक दूसरे का “सहापादक” है।
  • Co-Implication -- सहापादन
दो ऐसी प्रतिज्ञप्तियों का संबंध जो एक दूसरी को आपादित करती हैं।
  • Co-Inadequate -- सह-अपर्याप्त
यदि क और ख दो ऐसे वर्ग हैं जो पूरे विषय-क्षेत्र का निराकरण नहीं करते, तो क और ख दोनों उस विषय-क्षेत्र की दृष्टि से ‘सह-अपर्याप्त’ होते हैं।
  • Coincidence -- सहघटन
दो ऐसी घटनाओं का एक साथ घटना जिनका एक-दूसरे से कोई निश्चित कारण-कार्य-संबंध ज्ञात न हो।
  • Coincidentia Oppositorum -- विरूद्ध-संपात
विरोधी बातों का एकत्र अस्तित्व : निकोलस के दर्शन में ईश्वर की विशेषता बताने के लिए प्रयुक्त पद।
  • Collective Good -- सामूहिक शुभ, सामूहिक हित
वह शुभ जो एक व्यक्ति का न होकर, पूरे समूह का हो।
  • Collective Judgement -- संकलनात्मक निर्णय
वह निर्णय जो दृष्टांतों की अधिकतम गणना पर आधारित होता है, जैसे : “गणतंत्र दिवस पर सभी सरकारी भवनों पर झण्डे फहराये जाते हैं।” तथा “भारत के पहाड़ी लोग ऊँचे कद के नहीं होते हैं।”
  • Collectively Exhaustive Classes -- सर्वसमावेशी वर्ग
वे वर्ग जिनके अंतर्गत सम्मिलित रूप से संबंधित क्षेत्र की समस्त वस्तुएँ आ जाती हैं और कुछ भी शेष नहीं रहता।
  • Collective Property -- समष्टि-गुणधर्म
वह गुणधर्म जो एक समूह के अलग-अलग व्यक्तियों का न होकर पूरे समूह का होता है। उदाहरणार्थ : समूह के द्वारा दिया गया निर्णय।
  • Collective Term -- समूह-पद, समष्टि-पद
वह पद जो समान गुण-धर्म वाली वस्तुओं के लिए प्रयोग में लाया जाता है। तर्कशास्त्र के अनुसार समूह पद दो प्रकार का होता है – व्यक्तिवाचक समूह पद और जातिवाचक समूह पद, जैसे- पुस्तकालय, भारतीय लोग।
  • Collective Use -- सामूहिक उपयोग, समष्टि उपयोग
तर्कशास्त्र के किसी प्रतिज्ञप्ति का ऐसा उपयोग जिसमें उद्देश्य पद विधेय पद के द्वारा प्रत्येक वस्तु पर अलग-अलग न लागू होकर उसके पूरे समूह पर लागू होता है। उदाहरणार्थ : “त्रिभुज के तीनों कोणों का योग दो समकोण के बराबर होता है।” इस प्रतिज्ञप्ति में विधेय “दो समकोण के बराबर” उद्देश्य “त्रिभुज के तीनों कोण” पर सामूहिक रूप से लागू होता है।
  • Collectivism -- समष्टिवाद, सामूहिकतावाद, समूहवाद
यह व्यष्टि के विपरीत समूह (समाज या राज्य) को अधिक महत्व देनेवाला सिद्धांत है।
  • Colligation Of Facts -- तथ्यानुबंधन
अलग-अलग देखे हुये तथ्यों का एक सूत्र के अंतर्गत एकीकरण। यह एक आगमन जैसी प्रक्रिया लगती है, पर आगमन है नहीं।
उदाहरण : एक वैज्ञानिक के द्वारा विभिन्न समयों में प्रेक्षित एक ग्रह की स्थितियों का दीर्घवृत्त के संप्रत्यय के अंतर्गत एकीकरण।
  • Collocation -- संस्थिति
बेन के द्वारा प्रयुक्त शब्द। इसका प्रयोग उन्होने कारण में सहायक तत्कालीन निष्क्रिय स्थितियों से सहायक सक्रिय स्थितियों का विभेद करने के लिए किया है। उदाहरणार्थ “विस्फोट को पैदा करने के लिए चिंगारी की तुलना में बारूद का ढेर।”
  • Commandment -- धर्मादेश
विशेष रूप से, ईसा के द्वारा दिए गए दस धार्मिक आदेशों में से एक।
  • Commensurability Of Values -- मूल्यों की संमेयता, मूल्यों की तुलनीयता
मूल्यों की यह विशेषता कि उनकी एक दूसरे से तुलना की जा सकती है और इस आधार पर उनमें उच्च और निम्न का भेद किया जा सकता है।
  • Commensurate Terms -- सम्मेय पद, समानुपातिक पद
तर्कशास्त्र में, दो ऐसे पद जिनमें से प्रत्येक उन सभी वस्तुओं पर लागू होता है जिन पर दूसरा लागू होता है, “जैसे समबाहु त्रिभुज” और “समानकोणिक त्रिभुज”।
  • Commentary Proposition -- टीका-प्रतिज्ञप्ति
जॉनसन के अनुसार यह वह प्रतिज्ञप्ति है जो किसी विशेष अथवा सामान्य व्यक्ति या वस्तु के विषय में एक सामान्य टिप्पणी करती है।
  • Common Consent Argument -- सामान्य प्रतिपत्तिक युक्ति
ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए दी गई युक्ति। इसके अनुसार जन-साधारण ईश्वर की सत्ता में विश्वास करते हैं अतः ईश्वर की सत्ता है।
  • Common Good -- सामान्य हित, सामान्य शुभ
सभी लोगों का हित।
  • Common Sense -- सामान्य बुद्धि, सहज बुद्धि
वह बोध जिसकी प्रत्याशा किसी विषय का विशेष ज्ञान प्राप्त किए बिना प्रत्येक सामान्य व्यक्ति से की जाती हैः व्यक्ति को ऐसा बोध कराने वाली शक्ति।
  • Common-Sense Morality -- सामान्य बुद्धि नीति
उचित-अनुचित की सामान्य-बुद्धि पर आश्रित धारणाएँ।
  • Common-Sense Philosophy -- सामान्य बुद्धि दर्शन
जिसे सर्व-सामान्य के द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। जी. ई. मूर ने अपने दर्शन में इस मत की विशेष व्याख्या की है।
  • Common-Sense Realism -- सामान्य बुद्धि-यथार्थवाद
वह सिद्धांत जिसके अनुसार जन-साधारण का यह विश्वास है कि ज्ञेय वस्तुओं का ज्ञाता से स्वतंत्र अस्तित्व है। थामस रीड ने लॉक के सिद्धांत के विरोध में इसका समर्थन किया है।
  • Common Sensibles -- सामान्य संवेद्य
इन्द्रिय प्रदत्तज्ञान।
  • Common Supposition -- सामान्य अन्वितार्थ
मध्ययुगीन तर्कशास्त्रियों द्वारा स्वीकृत आकारिक अनुमान का एक प्रकार, जो स्वीकारात्मक सामान्य पदों पर आधारित होता है।
  • Common Syllogism -- सामान्य न्यायवाक्य
ऐसी न्याय रचना जो जन सामान्य के तर्क पर आधारित होती है। उदाहरण : “जहाँ-जहाँ धुआँ है वहाँ-वहाँ आग है।”
  • Communicatio Idiomatum -- गुण संचारण
1. शाब्दिक अर्थ में, किसी गुण या गुणों का एक से दूसरे में पहुँच जाना।
2. एक ईसाई सिद्धांत के अनुसार, ईश्वर के द्वारा ईसा को अपना गुण प्रदान करना।
  • Communication -- संज्ञापन, संप्रेषण
प्रतीकों या निश्चित संकेतों के द्वारा विचारों, कल्पनाओं तथा संवेदनों का व्यक्तियों के आपस में आदान-प्रदान।
  • Communion -- सायुज्य, समागम
विभिन्न धर्मों में ईश्वर और जीवात्माओं का समागम।
  • Comparative Concept -- तुलनात्मक संप्रत्यय
वे संप्रत्यय जिनके बीच तुलना की जाती है। जैसे : “उससे अधिक”, “उससे कम” आदि।
  • Comparative Method -- तुलनात्मक प्रणाली
वह प्रणाली जो तुलना करती है।
  • Comparative Religion -- तुलनात्मक धर्ममीमांसा
विश्व में जितने धर्म हुए हैं उनके उद्भव, विकास और पारस्परिक संबंधों इत्यादि का तुलनात्मक अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Compassion -- अनुकंपा, करूणा
नैतिक दृष्टि से उत्कृष्ट एक संवेग जिसमें दूसरे के दुःख-दर्द को समझना, उसके-जैसा अनुभव करना और उसकी सहायता के लिए प्रेरित होना सम्मिलित है।
  • Complementary Class -- पूरक वर्ग
ऐसी वस्तुओं का समुदाय जो पूर्ण समुच्चय की वस्तुओं में होकर उप-वर्ग की वस्तुओं में समाविष्ट न हो। उदाहरणार्थ : ‘मानव वर्ग’ का पूरक ‘अमानव वर्ग’ है एवं अमानव वर्ग का पूरक मानव वर्ग है।
  • Complete Good -- पूर्ण शुभ, पूर्ण श्रेय
व्यावहारिक और आध्यात्मिक स्तर पर समन्वित शुभ। कांट, हेगेल, ब्रैडले के द्वारा प्रयुक्त।
  • Complete Induction -- सिद्ध आगमन, पर्याप्त आगमन
वह आगमन जो विशेष उदाहरणों से, कारण कार्य एवं प्रकृति समरूपता के नियमों के द्वारा, किसी सामान्य निष्कर्ष की स्थापना करता है, पूर्ण आगमन कहलाता है। इसे वैज्ञानिक आगमन भी कहते है।
  • Complete Inversion -- पूर्ण विपरिवर्तन
वह विपरिवर्तन जिसमें निष्कर्ष के उद्देश्य और विधेय, आधार-वाक्य के क्रमशः उद्देश्य और विधेय के व्याघातक होते हैं।
  • Complete Mysticism -- पूर्ण रहस्ववाद
सामान्य अर्थ में आत्मा का परमात्मा से मिलन मानने वाला सिद्धांत है। बर्गसाँ के अनुसार पूर्ण रहस्यवाद वह स्थिति है, जिसमें साधक ईश्वर से तादात्म्य स्थापित करके सम्पूर्ण मानवता के प्रेम के प्रति उन्मुख होता है।
  • Complete Predication -- पूर्ण विधेयन
तर्कशास्त्र में ऐसी प्रतिज्ञप्ति जिसमें विधेय पद उद्देश्य पद को पूर्णतः अभिव्यक्त कर देता है। उदाहरण : “मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है।”
  • Complete Set -- पूर्ण समुच्चय
वर्णन की गयी सभी वस्तुओं का पूर्ण समुच्चय, यह गणित और तर्कशास्त्र में प्रयुक्त होता है। उदाहरण : सभी विषम संख्याओं का समुच्चय
x = [x E सभी विषम संख्याओं ] या x = [ x E 1, 3, 5, 7……]
  • Completive Form -- पूरक आकार
वह पूरक आकार जो कलाकार के मन में है, पर वह मूर्त रूप नहीं लिया है। यह पद सौंदर्य शास्त्र में प्रयुक्त होता है।
  • Complex Dilemma -- सम्मिश्र उभयतःपाश
वह उभयतःपाश जिसका प्रथम आधार वाक्य संयोजनात्मक हेतुफलात्मक प्रतिज्ञप्ति है, दूसरा आधार वाक्य वियोजक प्रतिज्ञप्ति है एवं निष्कर्ष भी एक वियोजक प्रतिज्ञप्ति है। इसके दो रूप हैं – विधायक और निषेधात्मक।
विधायक – यदि तुम आगे जाओगे तो शेर तुम्हें खा जायेगा ओर यदि तुम पीछे जाओगे तो खाई में गिर जाओगे।
या तुम आगे जाओगे या तुम पीछे जाओगे।
निष्कर्ष – या तो तुम्हें शेर खा जायेगा या तुम खाई में गिर जाओगे।
निषेधात्मक – यदि तुम आगे जाओगे तो शेर तुम्हें खा जायेगा और यदि तुम पीछे जाओगे तो खाई में गिर जाओगे।
न तो शेर तुम्हें खायेगा, न तुम खाई में गिरोगे।
निष्कर्ष – न तो तुम आगे जाओगे, न तुम पीछे जाओगे।
  • Complex Double Epicheirema -- सम्मिश्र उभयपक्षीय संक्षिप्त प्रतिगामी तर्कमाला
न्यायवाक्यों की वह श्रृंखला जो उत्तर न्यायवाक्य से पूर्व न्यायवाक्य की ओर चलती है, जिसमें पूर्व न्यायवाक्यों का एक आधार-वाक्य लुप्त होता है, जिसमें उत्तर न्यायवाक्य में दोनों आधार-वाक्यों को संक्षिप्त न्याय-वाक्यों के द्वारा सिद्ध किया जाता है, तथा फिर इन संक्षिप्त न्यायवाक्यों के आधारवाक्यों को भी अन्य संक्षिप्त न्यायवाक्यों के द्वारा सिद्ध किया जाता है,
उदाहरण- सभी ऋषि आदरणीय हैं, क्योंकि सभी योगी आदरणीय हैं, और सभी ऋषि योगी हैं। सभी योगी आदरणीय हैं, क्योंकि सभी दार्शनिक आदरणीय हैं, और सभी दार्शनिक आदरणीय हैं, क्योंकि सभी विद्वान आदरणीय हैं, और पुनः सभी ऋषि योगी हैं, क्योंकि सभी तत्वद्रष्टा योगी हैं, और सभी तत्वद्रष्टा योगी हैं, क्योंकि सभी परमार्थी योगी हैं।
  • Complex Epicheirema -- सम्मिश्र संक्षिप्त प्रतिगामी तर्कमाला
न्यायवाक्यों की वह श्रृंखला जो न्यायवाक्य से पूर्व न्यायवाक्य की ओर अग्रसर होती है, जिसमें पूर्व न्यायवाक्य में केवल एक आधार-वाक्य व्यक्त होता है, तथा जिसमें उत्तर न्यायवाक्य के आधारवाक्यों को सिद्ध करने वाले संक्षिप्त न्यायवाक्यों के व्यक्त आधार-वाक्यों को पुनः संक्षिप्त न्यायवाक्यों के द्वारा सिद्ध किया जाता है।
  • Complex Single Epicheirema -- सम्मिश्र एकपक्षीय संक्षिप्त प्रतिगामी तर्कमाला
संक्षिप्त न्यायवाक्यों की वह श्रृंखला जो उत्तर न्यायवाक्य से पूर्व न्यायवाक्य की ओर अग्रसर होती है, जिसमें उत्तर न्यायवाक्य के केवल एक आधार-वाक्य को एक संक्षिप्त न्यायवाक्य के द्वारा सिद्ध किया जाता है और इस संक्षिप्त न्यायवाक्य के व्यक्त आधार-वाक्य को भी पुनः उसी प्रकार सिद्ध का जाता है।
उदाहरण : सभी ऋषि आदरणीय हैं, क्योंकि सभी योगी आदरणीय हैं और सभी ऋषि योगी हैं।
सभी योगी आदरणीय हैं, क्योंकि सभी दार्शनिक आदरणीय हैं।
सभी दार्शनिक आदरणीय हैं, क्योंकि सभी विद्वान आदरणीय हैं।
  • Composite Idea -- सामासिक प्रत्यय, सम्मिश्र प्रत्यय
दो या दो से अधिक प्रत्ययों के मेल से बना प्रत्यय संमिश्र प्रत्यय है। जैसे, नृसिंह, जिसमें ‘नृ’ और ‘सिंह’ दो प्रत्ययों का संमिश्र है।
  • Composite Sense -- सामासिक अर्थ
मध्ययुगीन तर्कशास्त्र में, निश्चयमात्रिक वाक्य में सम्मिलित निश्चयमात्रसूचक शब्द (शायद, संभवतः, अनिवार्यतः, इत्यादि) का यह अर्थ कि वह पूरे प्रकृत वाक्य (अथवा अस्ति-वाक्य) का विशेषण है।
देखिये “divided sense”।
  • Composite Syllogism -- सामासिक न्यायवाक्य
वह न्याय रचना जिसमें दो से अधिक आधार-वाक्य होते हैं।
उदाहरण : सभी जन्म लेने वाले मरणशील हैं;
सभी मनुष्य जन्म लेते हैं;
राम एक मनुष्य है;
∴ राम मरणशील है।
  • Composite Term -- सामासिक पद
ऐसा पद जिसमें एक से अधिक शब्द सम्मिलित हों, जैसे, “कलकत्ता-विश्वविद्यालय”।
  • Composite Of Causes -- कारण-संहति
कारणों का ऐसा योग जो एक मिश्रित कार्य उत्पन्न करे। मिल ने इस पद का प्रयोग कारणों के उस विशेष योग के लिये किया है जो कार्यों के एक सजातीय मिश्रण को उत्पन्न करता है न कि एक भिन्नरूपी मिश्रण को।
  • Compossible -- सहसंभवशील
दो वस्तुओं के मध्य का संबंध जिसमें दोनों के साथ-साथ रहने की संभावना हो। जैसे : बादल-वर्षा।
  • Compound Class Expression -- मिश्रित वर्ग अभिव्यक्ति
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र के अंतर्गत ऐसी अभिव्यक्ति जो दो या दो से अधिक वर्गों का वर्णन करे। जैसे : सभी गणितीय अंकों का समुच्चय जिसमें पूर्ण, अपूर्ण, सम, विषम इत्यादि अंकों का समुच्चय आता है।
  • Compound Proposition -- मिश्र प्रतिज्ञप्ति
दो या अधिक सरल प्रतिज्ञप्तियों से बनी हुई प्रतिज्ञप्ति, जैसे, ‘या तो राम परिश्रमी है या राम आलसी है।’
  • Compound Syllogism -- संयुक्त न्यायवाक्य
वह न्याय रचना जिसमें प्रथम आधार वाक्य सोपाधिक अथवा वैकल्पिक प्रतिज्ञप्ति हो तथा दूसरा आधार वाक्य सरल प्रतिज्ञप्ति हो और निष्कर्ष भी सरल हो, जैसे :
यदि जनता परिश्रमी है तो देश समृद्ध होता है।
भारतीय जनता परिश्रमी है।
अतः हमारा देश समृद्ध है।
  • Comprehension -- व्यापकार्थ
तर्कशास्त्र में उन विशेषताओं का समुच्चय जो किसी पद के द्वारा व्यक्त व्यष्टियों में व्यापक रूप से विद्यमान रहती हैं और उसे अर्थ प्रदान करती हैं।
  • Compresence -- सहवृत्ति, सहोपस्थिति
दो या अधिक वस्तुओं का एक साथ अस्तित्व। विशेषतः चेतना के कई तत्वों की एक साथ उपस्थिति के अर्थ में सैमुअल अलेक्जेंडर द्वारा प्रयुक्त शब्द।
  • Concatenation -- कारणानुबंध
जे. एस. मिल के अनुसार, वैज्ञानिक व्याख्या का एक प्रकार, जिसमें कारण और उसके दूरवर्ती कार्यों के बीच की कड़ियों की खोज करके उनके संबंध को बोधगम्य बनाया जाता है।
उदाहरण : बिजली की चमक और उसके अनन्तर पैदा होने वाली कडकड़ाहट की व्याख्या इनके बीच की कड़ी ताप को बताकर करना : विद्युत से ताप उत्पन्न होता है जो बादलों के बीच की हवा को तुरन्त फैला देता है और फलतः कड़कड़ाहट पैदा होती है।
  • Concept -- संकल्पना, संप्रत्यय
सामान्यतः किसी वर्ग के व्यष्टियों में पाए जाने वाले समान और आवश्यक गुणधर्मों का समुच्चय; सामान्य प्रत्यय।
  • Conception -- संकल्पनित, संप्रत्ययित
सामान्य प्रत्यय के निर्माण की प्रक्रिया; परन्तु कभी-कभी परिणाम के लिये भी प्रयुक्त।
  • Conceptualism -- संप्रत्ययवाद
नामवाद और वस्तुवाद के विपरीत यह सिद्धांत जिसके अनुसार सामान्योx की मानसिक सत्ता है।
  • Conceptualization -- संप्रत्ययीकरण
संप्रत्ययों के निर्माण की क्रिया।
  • Conceptual Realism -- संप्रत्ययात्मक यथार्थवाद
वह मत जो यह मानता है कि संप्रत्ययों की सत्ता मन से स्वतंत्र है।
  • Conceptus Suit -- आत्म-संप्रत्यय
आत्मा का संप्रत्यय जिसे जेंटिल (Gentile) ने वस्तुओं के सारे संप्रत्ययों का आधार होने के कारण यथार्थ संप्रत्यय कहा है।
  • Conciliarism -- चर्च परिषद्वाद
ईसाई धर्म में एक सिद्धांत जो धार्मिक मामलों में पोप के बजाय एक प्रतिनिध्यात्मक चर्च-परिषद् को सर्वोच्च सत्ता मानता है।
  • Conclusion -- निष्कर्ष
वह प्रतिज्ञप्ति जो अनुमान की प्रक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होती है।
  • Conclusion Indicator -- निष्कर्ष-सूचक (शब्द)
निष्कर्ष का बोधक शब्द, जैसे “अतः”।
  • Concomitance -- 1. सहचार, सहगामिता : दो घटनाओं का युगपद घटित होना।
2. व्याप्ति : दो वस्तुओं का एकांतिक अनुपाधिक, अव्याभिचारी संबंध। जैसे- धूम्र और अग्नि का संबंध।
  • Concomitant Variation -- सहपरिवर्तन
दो घटनाओं के बीच युगपद अनुलोम अथवा युगपद प्रतिलोम परिवर्तन होना। उदाहरण के लिए- तापक्रम एवं थर्मामीटर में पारे की ऊँचाई के बीच अनुलोम परिवर्तन अथवा दबाव एवं आयतन के बीच प्रतिलोम परिवर्तन।
  • Concrete -- मूर्त
सामान्य और अमूर्त के विपरीत अर्थ का द्योतक विशेषण शब्द। उदाहरण के लिए – समकोण त्रिभुज अथवा कोई भी विशिष्ट रंग जैसे ‘हरा’।
  • Concrete Term -- मूर्त पद
तर्कशास्त्र में, वस्तु का बोधक पद, जैसे “मनुष्य”।
  • Concrete Universal -- मूर्त सामान्य
पाश्चात्य दर्शन में एक अवधारण, जिसके अनुसार संसार की सभी वस्तुएँ सामान्य एवं विशेष दोनों का समुत्तय हैं। इसी प्रकार परम तत्त्व वह ‘महा सामान्य’ है जो संसार के सभी विशेषों को सामंजस्य रूप में अपने भीतर समाहित करता है। (हेगेल, ब्रैडले आदि)
  • Concretism -- मूर्तवाद
पौलैंड के दार्शनिक कोटारबिन्सकी (Kotarbinski) का मत कि केवल मूर्त वस्तुएँ ही अस्तित्त्ववान हैं तथा अमूर्त वस्तुएँ द्रव्य रूप में अस्तित्त्ववान न होकर केवल गुण रूप में ही विद्यमान हो सकती हैं। प्लेटों के विपरीत एरिस्टॉटल का यही मत था।
  • Concretum -- मूर्त
कोई वस्तु जो मूर्त हो, विशेष हो तथा अनुभवगम्य हो। abstractum का विपरीतार्थक संज्ञाशब्द।
  • Concurrence -- देवसम्मति, सहघटन
1. दो घटनाओं का एक साथ घटित होना।
2. आँगस्टाइन के दर्शन में ईश्वर की कृपा के बिना पाप-कर्म से मुक्ति संभव नहीं है। यहाँ ईश्वर की कृपा एवं पाप-कर्म से मुक्ति इन दोनों पदों को सहघटन के रूप में प्रयोग किया गया है।
3. ईश्वर (मुख्य कारण) और मनुष्य (गौण कारण) का एक साथ मिलकर कार्य करना।
  • Condition -- उपाधि
तर्कशास्त्र में कोई भी तत्व जिसका कार्य के उत्पादन में सहयोग होता है, कारण (अर्थात् कार्य का अनिवार्य, अव्यवहित पूर्ववर्ती) का एक आवश्यक घटक।
  • Conditional Immortality -- सोपाधिक अमरता
ईसाई धर्म की एक अवधारणा जिसके अनुसार ईसामसीह के अनुयायियों को ही ईश्वर पुरस्कार के रूप में अमरत्व प्रदान करता है। अतः ईसाई धर्म में शाश्वत अमरता अमान्य है।
  • Conditional Morality -- सोपाधिक नैतिकता
वे नैतिक नियम जिनका पालन किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के हेतु किया जाता है।
  • Conditional Proposition -- सोपाधिक प्रतिज्ञप्ति
तर्कशास्त्र में, वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें किसी बात का विधान अथवा निषेध सशर्त होता है।
  • Conditional Syllogism -- सोपाधिक न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसमें एक अथवा एक से अधिक आधारवाक्य हेतुफलाश्रित होते हैं।
  • Conditions Sine Quibusnon -- अपरिहार्य उपाधियाँ
वे उपाधियाँ जिनकी अनुपस्थिति में किसी कारण द्वारा संबंधित कार्य उत्पन्न करना असंभव होता है।
  • Conduct -- आचार, आचरण
1. वह ऐच्छिक-कर्म या व्यवहार जो किसी उद्देश्य प्राप्ति के लिए किया जाता है।
2. ऐच्छिक कर्म ही नैतिक निर्णय का विषय होता है।
  • Confession -- पाप स्वीकृति
विशेष रूप से ईसाई धर्म में, किसी धर्माचार्य के सामने यह मान लेना कि मैंने अमुक पाप किया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस तरह पाप के फल से मुक्ति मिल जाती है।
  • Congruism -- आनुकूल्यवाद
वह मत कि ईश्वरीय कृपा इसलिए प्रभावकारी होती है कि कर्म-विपाक ईश्वर अनुकूल समय को चुनता है।
  • Congruity -- 1. अन्तरस्थ असमानुपात (धर्मशास्त्र), अध्यर्हता : पुण्यानुरूप फल का प्राप्त न होना।
2. सर्वांग समता (तर्कशास्त्र) : दो या अनेक प्रतिज्ञप्तियों / अभिव्यक्तियों के मध्य प्रत्येक तत्त्व की सम्पूर्ण समता।
  • Conjunct -- संयोजक, संयुक्तक
दो प्रकथनों को जोड़ने वाला पद जैसे : ‘और’, ‘तथा’।
  • Conjunction -- संयोजन
वह योगिक प्रकथन जो दो या दो से अधिक प्रतिज्ञप्तियों को जोड़कर बनता है। इन प्रतिज्ञप्तियों को दो या दो से अधिक प्रतिज्ञप्तियों में घटित किया जा सकता है। जैसे : राम पढ़ेगा और लिखेगा। इसका प्रतीक (.) है।
  • Conjunctive Proposition -- संयोजक प्रतिज्ञप्ति
वह योगिक प्रतिज्ञप्ति जिसमें दो या दो से अधिक सरल प्रतिज्ञप्तियाँ ‘और’ शब्द से जुड़ी होती हैं।
  • Conjunctive Syllogism -- संयोजी न्यायवाक्य
हैमिल्टन (Hamilton) के द्वारा सोपाधिक न्यायवाक्य (conditional syllogism) के लिए प्रयुक्त पद।
  • Connexity -- व्यवस्थिति, क्रमबद्धता
दो या दो से अधिक पदों के बीच वह विशेष संबंध जिसमें सभी पद क्रम से एक दूसरे के पश्चात् आते हैं जैसे : क > ख > ग अथवा 4 < 3 < 2
  • Connotation -- गुणार्थ
किसी पद का वह अर्थ जो उसके द्वारा निर्दिष्ट वस्तुओं के सामान्य एवं आवश्यक गुणों का सूचक होता है।
  • Connotative Definition -- गुणार्थक परिभाषा
वह परिभाषा जो पद के गुणार्थ को स्पष्ट करती है।
  • Connotative Term -- गुणार्थक पद
वह पद जो वस्तुओं की सामान्य और आवश्यक विशेषताओं का बोध कराता है और साथ ही उन वस्तुओं का निर्देश भी करता है जिनमें वे गुण होते हैं।
  • Connotative View -- गुणार्थक मत
विधेयन संबंधी वह मत जिसके अनुसार उद्देश्य और विधेय दोनों गुणार्थ में ग्रहण किये जाते हैं।
  • Conscience -- अंतर्विवेक, सदसद्विवेक
शुभ-अशुभ, कर्तव्य-अकर्तव्य का भेद कराने वाली सहज आंतरिक शक्ति।
  • Conscientalism -- चिदर्थवाद
एक सिद्धांत जिसके अनुसार वे वस्तुएँ जिनका हमें बोध होता है, अनिवार्यतः मानसिक या चिद्रूप होती हैं। इस मत को योगाचार (विज्ञानवाद) और बर्कले मानते हैं।
  • Conscientiousness -- अंतर्विवेकशीलता
सावधानी के साथ और निष्ठापूर्वक अंतर्विवेक के आदेशों का पालन करने वाले व्यक्ति के चरित्र की विशेषता।
  • Conscious Illusion Theory -- चेतन भ्रम-सिद्धांत, स्वकृत-भ्रम-सिद्धांत
वह सौन्दर्यशास्त्रीय सिद्धांत जिसमें कला-रसानुभूति में स्वेच्छा से काल्पनिक विश्वास कर लिया जाता है। ये व्यक्ति को थोड़े समय के लिए संसार की कठोर वास्तविकताओं से हटाकर कल्पना-लोक में विचरण हेतु बाध्य करते हैं तथा उसके जीवन में नवीन स्फूर्ति उत्पन्न करते हैं।
  • Conscious Intention -- सचेतन अभिप्राय
मैकेन्ज़ी के अनुसार कर्म के पीछे व्यक्ति का वह अभिप्राय जिसका उसे बोध रहता है।
  • Consciousness In General -- सामान्य चेतना
सामान्य चेतना का वह स्वरूप जो शुद्ध रूप से तर्कनिष्ठ, वस्तुनिष्ठ और सर्वव्यापी तथा अनिवार्यतः वैध होता है। इसका कांट ने अपने दर्शन में उल्लेख किया है।
  • “Consciousness Only” School -- “विज्ञप्तिमात्रता” संप्रदाय
बौद्ध दर्शन का एक प्रत्ययवादी संप्रदाय जिसका अधिक प्रचलित नाम “योगाचार” या “विज्ञानवाद” है। मूल शब्द “विज्ञप्तिमात्रता” है जिसका यह अंग्रेजी अनुवाद है। चीन की धरती में इसका नाम “वेइ-शिह” हो गया था, जिसका कि प्रस्तुत शब्द अंग्रेजी अनुवाद है।
  • Consectarium -- निगमन
सिसरो (cicero) की शब्दावली में निगमनात्मक अनुमान का निष्कर्ष।
  • Consensus Gentium -- लोक संप्रतिपत्ति
सत्य के विषय में सत्-असत्, उचित-अनुचित एवं शुभ-अशुभ के निर्णय के संबंध में सर्वमान्य अवधारणा। जेसे रिचर्ड हूकर ने अपनी पुस्तक में नैतिक सिद्धातों को स्वयंसिद्ध, सार्वभौम एवं सर्वमान्य स्वीकार किया है। उदाहरणार्थ : संकल्प-स्वातंत्रय, ईश्वर का अस्तित्त्व एवं आत्मा की अमरता आदि के दृष्टान्त।
  • Consequence Logic -- निगमन-तर्कशास्त्र
वह तर्कशास्त्र जिसमें मात्र संगति के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
  • Consequence Theory -- फलपरक सिद्धांत
नीतिशास्त्र के सिद्धांतों में से एक, जिसके अनुसार किसी कर्म की नैतिकता अथवा अनैतिकता उससे उत्पन्न परिणाणों पर आधारित है। सुखवाद इसका एक रूप है।
  • Consequent -- फलवाक्य अनुवर्ती
हेतुफलात्मक प्रतिज्ञप्ति “यदि क तो ख” का “तो” वाला भाग जो “यदि” वाले भाग का परिणाम होता है। देखिए antecedent
  • Consequentia -- सत्यफलवत् (प्रतिज्ञप्ति)
मध्ययुगीन तर्कशास्त्रियों द्वारा सत्य हेतु फलात्म प्रतिज्ञप्ति को दिया गया नाम।
  • Conservation Of Value -- मूल्य-संरक्षण
नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्य उसी प्रकार अक्षुण्ण होते हैं, जिस प्रकार विज्ञान का ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत (हॉफडिंग)।
  • Conservation Theory -- स्थिर परिमाण-सिद्धांत, संरक्षण सिद्धांत
विज्ञान में एक सिद्धांत जिसके अनुसार ऊर्जा का कुल परिमाण विश्व में समान या स्थिर बना रहता है।
  • Conservatism -- रूढ़ीवाद, रूढ़ीवादिता
परम्परागत आचार-विचार को ही सत्य मानने वाला तथा उससे भिन्न आचार-विचार को अग्राह्य मानने वाला मत, अथवा ऐसी मनोवृत्ति।
  • Conservative -- रूढ़िवादी
उपर्युक्त मत या मनोवृत्ति वाला व्यक्ति।
  • Consilia Evangelica (Evangelical Counsels) -- शुभसंदेशीय परामर्श
नैतिक पूर्णता की प्राप्ति के वे साधन जो इंजील में (उसके ‘गोस्पेल’ या ‘शुभसंदेश’ नामक भाग में) बताए गए हैं। वे हैं : अकिंचनता, ब्रह्मचर्य और आज्ञाकारिता।
  • Consilience Of Inductions -- आगमन-संप्लुति
ह्वेवेल (Whewell) के अनुसार, किसी उपयुक्त प्राक्कल्पना की यह विशेषता कि विचाराधीन तथ्यों की व्याख्या करने के अतिरिक्त वह अप्रत्याशित रूप से अन्य तथ्यों की भी व्याख्या कर देती है।
  • Consistency -- संगति
उन विचारों या प्रतिज्ञप्तियों की विशेषता जो व्याघात या तार्किक विरोध से रहित होती है।
  • Consolamentum -- पापमोचन-संस्कार
एक ईसाई संप्रदाय-विशेष (कैथरिस्ट) में प्रचलित एक धार्मिक संस्कार जिसमें मृत्यु से पूर्व पापों के प्रायश्चित के रूप में व्यक्ति को आध्यात्मिक बपतिस्मा के द्वारा मुक्ति दी जाती है।
  • Constant -- अचर, स्थिरांक
प्रतीकात्मक, तर्कशास्त्र में, कोई भी ऐसा प्रतीक जो किसी निश्चित व्यष्टि, गुणधर्म या संबंध का द्योतक।
  • Constatation -- प्रत्यक्षबोधक वाक्य
वह वाक्य जो प्रत्यक्ष पर आधारित हो।
  • Constitutive Conditions -- अंगगत निर्धारक, उपादानात्मक निर्धारक
विशेषतः जॉनसन के तर्कशास्त्र में, अनुमान के सत्य होने की वे शर्तें जिनका संबंध प्रतिज्ञप्तियों और उनके संबंधों से होता है और जो अनुमानकर्ता पर निर्भर नहीं होती। देखिये “epistemic conditions”
  • Constitutive Dilemma -- रचनात्मक उभयतः पाश
वह उभयतःपाश जिसमें पक्ष आधारवाक्य में साध्य आधारवाक्य में, समाविष्ट हेतुओं का विकल्पतः विधान किया जाता है और निष्कर्ष में उसके फलों का विकल्पतः विधान किया जाता है।
उदाहरण : यदि मनुष्य अपनी इच्छानुसार कार्य करता है तो उसकी आलोचना होती है और यदि वह दूसरों की इच्छानुसार कार्य करता है तो भी उसकी आलोचन होती है।
मनुष्य या तो अपनी इच्छानुसार कार्य करता है या दूसरों की इच्छानुसार। अतः प्रत्येक दशा में उसकी आलोचना होती है।
  • Consubstantiation -- समद्रव्यवाद (ईसाईमत)
शाब्दिक अर्थ में, एक द्रव्य बन जाना। ईसाई धर्म में वह मान्यता कि यूरवरिस्ट या प्रभु के रात्रिभोज में रोटी तथा शराब के साथ ईसा का वास्तविक भौतिक शरीर तथा रक्त मिला हुआ था।
  • Contemplation -- ध्यान
1. रहस्यवादी अर्थ में, ज्ञाता का ज्ञेय वस्तु से आंशिक या पूर्ण तादात्म्य जिसमें उसकी व्यष्टित्व की चेतना लुप्त हो जाती है।
2. सैमुएल अलेक्जेंडर (Samuel Alexander) के द्वारा आत्म-चेतना (enjoyment) के विपरीत वस्तु के ज्ञान के लिये प्रयुक्त शब्द।
  • Contensive -- पूर्वानुभवाश्रित (प्रत्यय)
पहले के अनुभव द्वारा ज्ञात या उस पर आधारित।
  • Content -- विषय, अंतर्वस्तु, विषयवस्तु
ब्रैडले के दर्शन के अनुसार प्रत्येक वस्तु में दो घटक तत्त्व निहित होते हैं। प्रथम अस्तित्त्व (existence) एवं द्वितीय अन्तर्वस्तु (content)। ये दोनों अवियोज्य होते हैं। साधारण भाषा में अस्तित्व का तात्पर्य द्रव्य और अन्तर्वस्तु का तात्पर्य गुणों से होता है। अतः अन्तर्वस्तु से उनका अभिप्राय उस गुण से है जो किसी वस्तु में निहित होता है।
  • Contentious Syllogism -- वैतंडिक न्यायवाक्य
वह दोषपूर्ण न्यायवाक्य जो एक पक्ष के द्वारा बाद में विजय प्राप्ति की इच्छा मात्र से प्रयुक्त होता है।
  • Contextual Definite -- संदर्भ-निश्चयवाचक
जॉनसन के तर्कशास्त्र में, वह उपपद (‘the, this’ इत्यादि) जिसके आगे आने वाले शब्द का किसी विशेष संदर्भ में एक निश्चित वस्तु के लिये प्रयोग हुआ हो।
  • Contextualism -- दृष्टिसृष्टिवाद, संदर्भवाद
1. ज्ञानमीमांसा में, एक मत जिसके अनुसार ज्ञान के विषय या वस्तु का ज्ञान के विषय या वस्तु का ज्ञान क्रिया के द्वारा निर्माण होता है; उसका बाह्य जगत् में कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता।
2. वह मत कि किसी भी कलाकृति के सम्यक मूल्यांकन के लिए उसे संपूर्ण संदर्भ में, अर्थात् जिस पृष्ठभूमि में उसकी रचना हुई है उसे पूरी तरह ध्यान में रखते हुए, देखा जाना चाहिए।
  • Continence -- संयम
मनुष्य की अपनी दैहिक इच्छाओं को विवेक के द्वारा नियंत्रित करने की क्षमता।
  • Contingent Proposition -- आपातिक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो अनिवार्य न होकर संभाव्य होती है।
जैसे : प . क, प V क, एवं प כ क।
  • Continuant -- अनुवर्ती
विभिन्न परिवर्तनों के बीच निरंतर समान रूप में विद्यमान वस्तु (डब्ल्यू. ई. जॉनसन)।
  • Contraction Of A Genus -- जाति-संकोच, जाति-परिच्छेद
स्कॉलेस्टिक दर्शन में, एक जाति (genus) का किसी उपजाति (species) के लिए प्रयोग, जैसे : “मनुष्य” दयावान प्राणी है में “प्राणी का मनुष्य” के लिए।
  • Contraction Of A Species -- उपजाति-संकोच, उपजाति-परिच्छेद
स्कॉलेस्टिक दर्शन में, एक उपजाति (species) का किसी व्यष्टि (individual) के लिए प्रयोग, जैसे : – “राम एक अच्छा मनुष्य है” में, “मनुष्य” का “राम” के लिए।
  • Contradiction -- व्याघात
दो पदों या प्रतिज्ञप्तियों का ऐसा विरोध कि दोनों एक साथ सत्य और एक साथ असत्य नहीं हो सकतीं।
  • Contradiction In Terms -- वदतोव्याघात
स्वतोव्याघाती कथन, जैसे “मेरी माता वंध्या है”।
  • Contradictory Negation -- व्याघातक निषेध
किसी बात को व्याघातक बात कहकर ( न कि विपरीत बात कहकर) उस बात का निषेध करना। इसे “विशुद्ध निषेध” भी कहते है।
  • Contraposition -- प्रतिपरिवर्तन
अव्यवहित अनुमान का वह रूप जिसमें निष्कर्ष का उद्देश्य दी हुई प्रतिज्ञप्ति के विधेय का व्याघाती होता है, और निष्कर्ष का विधेय दी हुई प्रतिज्ञप्ति के उद्देश्य का व्याघाती होता है।
उदाहरण : सभी मनुष्य दार्शनिक हैं,
∴ सभी अमनुष्य अदार्शनिक हैं।
  • Contrapositive -- प्रतिपरिवर्तित (वाक्य)
प्रतिपरिवर्तन से प्राप्त निष्कर्ष। देखिए “constraposition”।
  • Contrariety -- वैपरीत्य
ऐसे पदों या प्रतिज्ञप्तियों का विरोध जो एक साथ सत्य नहीं हो सकती, पर एक साथ असत्य हो सकती हैं।
  • Contrary -- विपरीत
दो ऐसी प्रतिज्ञप्तियों के लिये प्रयुक्त विशेषण जो एक साथ सत्य नहीं हो सकती, पर एक साथ असत्य हो सकती हैं। इसका प्रयोग दो ऐसे पदों के लिए भी होता है जो परस्पर व्यावर्तक हों, पर मिलकर अपने विषय-क्षेत्र को निःशेष करने वाले न हों, जैसे, “काला” और “गोरा”।
  • Contrary Negation -- विपरीतक निषेध
किसी बात को विपरीत बात कहकर ( न कि व्याघाती) उसका निषेध करना।
  • Contrary-To-Duty Imperatives -- प्रतिकर्तव्य नियोग
चिशोम (Chisholm) के आबंधी तर्कशास्त्र (deontielogic) में, वे कर्तव्य जिनको पूरा करने के लिये हम इसलिये बाध्य होते हैं कि हमने कोई अन्य कर्तव्य पूरा नहीं किया होता, जैसे : क्षमा माँगना।
  • Contrary-To-Fact Conditional -- प्रतितथ्य सोपाधिक
एक ऐसी सोपाधिक प्रतिज्ञप्ति जिसका हेतु अंश स्पष्टतः तथ्यविरूद्ध होता है, जैसे : “यदि इच्छाएँ घोड़े होतीं (असल में हैं नहीं) तो भिखारी सवारी करते”।
  • Contraversion -- प्रतिवर्तन
डिमॉर्गन द्वारा “obversion” के लिए प्रयुक्त शब्द।
  • Contributive Value -- अंशदायी मूल्य
किसी वस्तु का वह मूल्य जो वह किसी अन्य वस्तु का अंग बनकर उसको प्रदान करती है।
  • Conventional Connotation -- रूढ़ गुणार्थ
किसी पद के गुणार्थ को व्यक्त करने वाली सामान्य एवं अनिवार्य विशेषताएँ जिनके प्रति सर्वसहमति है, उन्हें रूढ़ गुणार्थ कहते है। उदाहरण के लिए “मनुष्य एक बौद्धिक प्राणी है” ‘मनुष्य’ पद के रूढ़ गुणार्थ को व्यक्त करती है।
  • Conventional Definition -- रूढ़ परिभाषा
वह परिभाषा जो किसी पद के रूढ़ गुणार्थ को व्यक्त करती हो।
  • Conventionalism -- रूढ़ीवाद, अभिसमयवाद
विज्ञान और गणित संबंधी वह मत जिसके अनुसार कोई वैज्ञानिक प्राकल्पना अथवा तर्कशास्त्र की अनिवार्य प्रतिज्ञप्तियाँ केवल वैकल्पिक भाषिक रूढ़ियाँ हैं, जिनके स्थान पर अन्य अभ्युपगमों की भी स्थापना की जा सकती है। ‘हेनरी प्वाईकेयर’ (H. Poincare) इस मत के प्रबल समर्थक हैं।
  • Converse -- परिवर्तित (वाक्य)
“परिवर्तन” नामक एक प्रकार के अव्यवहित अनुमान का निष्कर्ष। देखिये “conversion”
  • Converse Domain -- प्रतिक्षेत्र
यदि स एक संबंध है, और अ तथा ब व्यष्टियों के ऐसे दो समुच्चय हैं कि पहले का एक व्यष्टि दूसरे के एक व्यष्टि से कोई संबंध रखता है (अ स ब), तो समुच्चय ब संबंध स का “प्रतिक्षेत्र” कहलाता है।
  • Converse Fallacy Of Accident -- उपाधि-विपर्यय-दोष, उपाधि व्यत्यय-दोष
किन्हीं विशिष्ट अथवा आकस्मिक परिस्थितियों में आंशिक सत्य को सामान्य अथवा सार्वभौम सत्य मान लेने की भूल।
उदाहरण यदि किसी विद्यालय का एक विद्यार्थी ईमानदार है तो यह निष्कर्ष निकालना कि इस विद्यालय के सभी विद्यर्थी ईमानदार हैं।
  • Converse Of A Relation -- प्रतिलोम-संबंध
यदि अ का ब से संबंध स है, तो ब का अ से जो संबंध होगा वह प्रतिलोम संबंध होगा।
  • Conversion -- परिवर्तन, धर्मपरिवर्तन, मतपरिवर्तन
1. सामान्य अर्थ में, व्यक्ति की धार्मिक या राजनीतिक आस्था में, अथवा उसके विचारों में सहसा मौलिक परिवर्तन हो जाना और फलतः उसका विरोधी धर्म या संप्रदाय में शामिल हो जाना।
2. तर्कशास्त्र में, एक प्रकार का अव्यवहित अनुमान जिसमें किसी दी हुई प्रतिज्ञप्ति से एक ऐसी प्रतिज्ञप्ति प्राप्त की जाती है जिसका उद्देश्य मूल प्रतिज्ञप्ति का विधेय होता है और विधेय मूल प्रतिज्ञप्ति का उद्देश्य।
  • Conversion By Limitation (=Conversion Per Accidens) -- परिमित परिवर्तन
तर्कशास्त्र में परिवर्तन के द्वारा प्राप्त अव्यवहित अनुमान का वह प्रकार जिसमें निष्कर्ष का परिमाण आधारवाक्य के परिमाण से कम होता है अर्थात् आधारवाक्य सर्वव्यापी होता है परन्तु निष्कर्ष अंशव्यापी होता है।
उदाहरण : सभी नीग्रो मनुष्य हैं (‘आ)
∴ कुछ मनुष्य नीग्रो हैं (‘ई’)।
  • Conversion By Negation -- निषेधया परिवर्तन
तर्कशास्त्री जोज़ेफ (Joseph) के अनुसार किसी प्रतिज्ञप्ति का प्रतिवर्तन करने के पश्चात् परिवर्तन करने की क्रिया।
उदाहरण : सभी गाय पशु हैं;
∴ कोई गाय अ-पशु नहीं है; (प्रतिवर्तन)
∴ कोई अ-पशु गाय नहीं है। (परिवर्तन)
  • Converted -- परिवर्त्य (वाक्य)
तर्कशास्त्र में, वह वाक्य जिसका परिवर्तन करना हो। देखिए “conversion”।
  • Co-Opponent -- सहविपक्षी
तर्कशास्त्री जॉनसन के अनुसार, ऐसे दो पद प और फ जिनके बारे में यह कहा जा सकता हो कि “कोई भी प फ नहीं है” तथा “प्रत्येक वस्तु या तो प है या फ”।
  • Copula -- संयोजक
पारंपरिक तर्कशास्त्र में, प्रतिज्ञप्ति में उद्देश्य तथा विधेय को संयुक्त करने वाला शब्द जो ‘होना’ क्रिया का एक रूप होता है, जैसे:- “है” और “नहीं है”।
  • Copulative Proposition -- संयोजित प्रतिज्ञप्ति
तर्कशास्त्र में, वह मिश्र प्रतिज्ञप्ति जिसमें एक से अधिक विध्यात्मक प्रतिज्ञप्तियाँ होती है, जैसे :- “राम अच्छा आदमी है और मोहन बुरा है।”
  • Copulative Syllogism -- संयोजित न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका निष्कर्ष एक योजित प्रतिज्ञप्ति (जैसे:- “अ ब है v स द है” हों।
  • Copy Theory -- अनुकृति-सिद्धांत
लॉक इत्यादि इंद्रियानुभववादियों का वह मत कि प्रत्यय मन के अंदर बाह्य वस्तुओं का प्रतिबिंब होता हैं।
  • Co-Remainder -- सहशेष
तर्कशास्त्री जॉनसन के अनुसार, किसी निर्दिष्ट वर्ग (प) को निकाल देने के पश्चात् विश्व में जो कुछ बचता है वह सब (अ-प)
  • Corollary -- उपनिगमन, उपप्रमेय
किसी निगमन का आधारवाक्यों से सिद्ध होने वाला एक अतिरिक्त निगमन; अथवा किसी प्रमेय से स्वाभाविक रूप से निगमित होने वाली कोई ऐसी प्रतिज्ञप्ति जो इसती स्पष्ट हो कि उसे अलग से सिद्ध करने की आवश्यकता न हो।
  • Corrective Justice -- सुधारक न्याय
किसी समुदाय के व्यक्तियों द्वारा पारस्परिक व्यवहार में हुई भूलों या दोषों के निवारण में प्रकट होने वाला न्याय।
  • Cosmocentric View -- विश्वकेन्द्रित मत
मनुष्य को सृष्टि का केंद्र माननेवाले मत के विपरीत वह मत कि मनुष्य तो विश्व के विकास में आनुषंगिक रूप से पैदा होने वाली एक तुच्छ वस्तु है।
  • Cosmogony -- सृष्टिमीमांसा
ब्रह्मांड की उत्पत्ति एवं विकास से संबंधित अध्ययन, जो वैज्ञानिक हो सकता है, दार्शनिक हो सकता हैं और निरा कल्पनात्मक भी हो सकता हैं, जैसा कि पुराणों और लोककथाओं में बहुधा पाया जाता है।
  • Cosmological Argument -- विश्व-कारण-युक्ति
विश्व के अस्तित्व के आधार पर ईश्वर के अस्तित्व को प्रमाणित करने के लिये दी जाने वाली युक्ति : विश्व में प्रत्येक वस्तु का कोई कारण है; कारणों की इस श्रृंखला के पीछे अवश्य ही एक ऐसा आदिकारण है जिसका कोई अन्य कारण नहीं है; यही आदिकारण ईश्वर है।
  • Cosmology -- ब्रह्मांडिकी, ब्रह्मांडमीमांसा
दर्शन की वह शाखा जो ब्रह्माण्ड की प्रकृति एवं रचना का अध्ययन करती है।
  • Cosmos -- विश्व, विश्वव्यवस्था
एक व्यवस्थित तंत्र के रूप में कल्पित विश्व।
  • Counter-Analogy -- प्रतिसाम्यानुमान
साम्य पर आधारित वह युक्ति जो साम्य पर ही आधारित एक अन्य युक्ति का विरोध करने के लिये प्रस्तुत की जाय।
  • Counter-Applicative -- प्रत्यानुप्रायोगिक
किसी विशिष्ट दृष्टान्त के आधार पर सामान्य के विषय में निष्कर्ष निर्गत करना।
  • Counter-Argument -- प्रतियुक्ति
वह युक्ति जो किसी अन्य युक्ति के विरोध में प्रस्तुत की जाय।
उदाहरण : पार्मेनाइडीज का सिद्धांत ‘परम सत् शास्वत है’ की प्रतियुक्ति हेरेक्लाइटस की यह युक्ति कि ‘परम सत सतत् परिवर्तनशील हैं’।
  • Counter-Dilemma -- प्रति-उभयतःपाश
किसी उभयतःपाश का खंडन करने के लिये प्रस्तुत वह उभयतःपाश जिसका निष्कर्ष मूल उभयतःपाश के निष्कर्ष का व्याघाती होता है और जो सामान्यतः मूल उभयतःपाश के साध्यवाक्य के फलांशों को परस्पर बदलकर तथा उनके गुण को भी बदलकर प्राप्त किया जाता हैं।
उदाहरण : “यदि तुम सच्ची बात कहते हो, तो देवता तुमसे प्रसन्न होंगे; यदि तुम गलत बात कहते हो तो मनुष्य तुमसे प्रसन्न होंगे।
तुम या तो सच्ची बात कहोगे या गलत बात। अतः तुमसे सभी प्रसन्न रहेंगे।
जिस उभयतःपाश के खंडन के लिये इसका प्रयोग किया गया है वह निम्नलिखित है :
यदि तुम सच्ची बात कहोगे तो मनुष्य तुमसे घृणा करेंगे; यदि तुम गलत बात कहोगे तो देवता घृणा करेंगे। तुम या तो सच्ची बात कहोगे या गलत बात। अतः तुमसे सभी घृणा करेंगे।
  • Counterfactual Conditional Proposition -- प्रति सोपाधिक प्रतिज्ञप्ति, वाक्य प्रतिज्ञप्ति
वह सोपाधिक प्रतिज्ञप्ति जिसके हेतु-अंश में तथ्यों के विपरीत कोई कल्पना की गई हो।
  • Counter-Implication -- प्रत्यापादन
तर्कशास्त्री जॉनसन के अनुसार, दो प्रतिज्ञप्तियों, प और फ, का ऐसा संबंध जिसमें प आपाद्य होती है और फ आपादक, जबकि साधारणतः अर्थात् आपादन-संबंध में, प आपादक होती है और फ आपाद्य।
  • Counter-Implicative -- प्रत्यापादी
तर्कशास्त्री जॉनसन के अनुसार, एक प्रकार की हेतुफलात्मक प्रतिज्ञप्ति जिसका प्रतीकात्मक रूप साक्षात् आपादी प्रतिज्ञप्ति “यदि प तो फ” से भिन्न “यदि फ तो प” होता है, जिसमें फ आपादक है और प आपाद्य।
  • Courage -- साहस
आपत्ति, भय, प्रलोभन, दुःख इत्यादि की अवस्थाओं में अडिग बने रहने की प्रवृत्ति : प्लेटो के चार मुख्य सद्गुणों में से एक।
  • Covariation -- सह-परिवर्तन
दो वस्तुओं या स्थितियों से एक साथ परिवर्तन होना।
उदाहरण : सूर्य के उदय होते ही कमल का फूल खिल जाता है।
  • Covering Law Theory -- समावेशी नियम-सिद्धांत, व्यापी नियम-सिद्धांत
विचाराधीन घटनाओं की व्याख्या से संबंधित विज्ञान का सिद्धांत, जिसमें इन घटनाओं की व्याख्या प्रकृति के किसी नियम के अन्तर्गत की जाती है।
  • Creatio Ex Nihilo -- शून्य से सृजित सृष्टि, शून्यतः सृष्टि
इस सृष्टि की रचना शून्य से की गई है; विशेषतः ईसाई धर्म में ऐसा माना गया है।
  • Creation -- सृष्टि
1. जगत की रचना प्रक्रिया 2. ईश्वर द्वारा रचित विश्व।
  • Creationism -- सृष्टिवाद
1. वह सिद्धांत कि विश्व की सृष्टि विश्वातीत ईश्वर के द्वारा शून्य से हुई। 2. वह सिद्धांत कि ईश्वर गर्भाधान के समय प्रत्येक शिशु में एक आत्मा को उत्पन्न करता है।
  • Creative Evolution -- सृजनात्मक विकास
मुख्यतः हेनरी बर्गसाँ द्वारा प्रतिपादित वह मत कि विकास के नए-नए स्तरों पर ऐसे नवीन तत्वों का उदय होता है जिनकी पिछले स्तरों के तत्वों के आधार पर व्याख्या नहीं की जा सकती।
  • Creative Intelligence -- सृजनात्मक बुद्धि
वह बुद्धि जो विकास क्रम में नवीन उपायों की सृष्टि करती है।
  • Creative Morality -- सृजनात्मक नैतिकता
वह नैतिकता जो परम्परागत मानकों का अनुसरण मात्र न करके नवीन नैतिक मानकों की सृष्टि करती है।
  • Creative Theory Of Perception -- प्रत्यक्ष का सृजनात्मक सिद्धांत
वह सिद्धांत जिसके अनुसार प्रत्यक्ष में इन्द्रिय-प्रदत्तों का केवल प्रत्यक्ष ही नहीं होता अपितु उनके विषयों का सृजन भी होता है, अर्थात् प्रत्यक्ष से स्वतंत्र किसी वस्तु की कल्पना नहीं की जा सकती। बर्कले का “सत्ता-दृश्यता है” का सिद्धांत एवं योगाचार बौद्ध-दर्शन का विज्ञानवाद इसके उत्तम उदाहरण हैं।
  • Criminal Justice -- आपराधिक-दंड-न्याय
अपराध क्षेत्र में दंड संबंधी न्याय।
  • Criteriology -- ज्ञान-निकष-मीमांसा
ज्ञान की प्रामाणिकता के उचित मानदंडों या कसौटियों के निर्धारण से संबंधित अध्ययन।
  • Criterion -- निकष, कसौटी
ज्ञान-मूल्य और सत् की प्रामाणिकता के निर्धारक सिद्धांत।
  • Critical Judgement -- समीक्षात्मक निर्णय
तथ्यपरक निर्णय से भिन्न ऐसे निर्णय जो पदार्थ का मूल्यात्मक विवेचन करते हैं।
  • Critical Monism -- समीक्षात्मक एकतत्त्ववाद
तत्त्व-मीमांसा, ज्ञान-मीमांसा या मूल्य-मीमांसा के क्षेत्र में वह सिद्धांत जिसके अनुसार परम तत्त्व अनेक न होकर एक अद्वैत तत्त्व है।
  • Critical Personalism -- समीक्षात्मक व्यक्तिवाद
विलियम स्टर्न का मत जिसके अनुसार परमसत् व्यक्तित्त्वपूर्ण जीवन्त सत्ता है।
  • Critical Philosophy -- 1. समीक्षा दर्शन : कांट के दर्शन को कहते हैं, जिसमें बुद्धिवाद और अनुभववाद में समन्वय स्थापित किया जाता है।
2. समीक्षात्मक : दर्शन का वह प्रकार जो संप्रत्ययों की तार्किक विवेचना को ही मुख्य कार्य मानता है जो परिकल्पनात्मक दर्शन (speculative philosophy) के विपरीत है।
  • Critical Realism -- समीक्षात्मक यथार्थवाद
ज्ञानमीमांसा का वह सिद्धांत जिसके अनुसार विषय वस्तु का अस्तित्व ज्ञाता के अस्तित्त्व से स्वतंत्र होता है किंतु ज्ञाता को उसका ज्ञान अपरोक्ष न होकर केवल परोक्ष ही होता हैं। लॉक का दर्शन अथवा ड्रेक (Drake), लव जॉय (Love Joy) इत्यादि अमेरिकी वस्तुवादियों ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया है।
  • Criticism -- समीक्षावाद
कांट की ज्ञानमीमांसा में प्रयुक्त-पद। बुद्धिवाद तथा अनुभववाद के दोषों से बचने के लिये ज्ञान के स्वरूप एवं उसकी सीमाओं का परीक्षण।
  • Critique -- मीमांसा (समीक्षा)
आलोचनात्मक परीक्षा या जाँच-पड़ताल; विशेषतः कांट के तीन प्रसिद्ध ग्रन्थों का बोधक-शब्द।
  • Cross Division -- संकर-विभाजन, संकर वर्गीकरण
वह दोष पूर्ण तार्किक विभाजन जिसमें एक साथ एक से अधिक विपरीत व भिन्न विभाजक सिद्धांतों को प्रयुक्त किया जाता है, जैसे उपस्थिति-अनुपस्थिति को आधार बनाकर विभाजन किया जाता है जिसके फलस्वरूप एक व्यक्ति एक ही काल में एक से अधिक उपवर्गों का सदस्य बन जाता है। उदाहरण के लिये छात्र, वैज्ञानिक, राजनीतिज्ञ इत्यादि वर्गों में मनुष्य का विभाजन करना।
  • Cross-Roads Hypothesis -- चतुष्पथ प्राक्कल्पना
मन एवं शरीर के संबंध के विषय में एक सिद्धांत जिसके अनुसार कोई भी वस्तु एक संदर्भ में मानसिक तथा दूसरे संदर्भ में भौतिक कही जा सकती है।
  • Crucial Experiment -- निर्णायक प्रयोग
वह प्रयोग जो किसी एक प्राक्कल्पना को अंतिम रूप से सिद्ध कर देता है और अन्य प्रतिद्वंद्वी प्राक्कल्पनाओं को असिद्ध करने के लिये पर्याप्त है।
  • Cybernetics -- संतात्रिकी, साइबरनेटिक्स
तंत्रिका-तंत्र का कंप्यूटर इत्यादि मनुष्य-निर्मित संज्ञापन तंत्रों से तुलनात्मक अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Cyclic Recurrence -- चक्रीय-प्रत्यावृत्ति
प्राचीन यूनानी दार्शनिक अनैक्सीमैन्डर (Anaximander) के अनुसार वस्तुओं के प्रकृत (आदिम) द्रव्य से उत्पन्न होने तथा पुनः लौटकर उसी में विलीन होने की शाश्वत आवर्ती प्रक्रिया।
  • Cynic -- सिनिक
1. ई.पू. 5वीं शताब्दी में एण्टीस्थिनीज दार्शनिक द्वारा स्थापित सम्प्रदाय का एक अनुयायी जिसने स्वतंत्रता तथा आत्म-संयम पर विशेष बल दिया।
2. मानव-द्वेषी – व्युत्पत्तिलब्ध अर्थ, इसके अनुसार मानव के सभी कर्म सदैव स्वार्थ प्रेरित होते हैं।
  • Cynicism -- 1. सिनिकवाद – पाँचवी शताब्दी ईसा-पूर्व के यूनानी दार्शनिक एन्टिस्थिनीज़ का सिनिक सिद्धांत।
2. दोष-दर्शिता – व्यक्ति के प्रत्येक कर्म के पीछे कोई स्वार्थ या दोष देखना और इस कारणवश किसी अच्छे अभिप्राय से किये गये कर्म को भी संदेह की दृष्टि से देखना।
3. मानवद्वेष – मानव के प्रति घृणा।
  • Cyrenaicism -- साइरेनेइकवाद
प्राचीन यूनानी दर्शन में एक विचारधारा जिसका जनक साइरीनी का ऐरिस्टिप्पस (aristippus) था। इसके अनुसार सुख की प्राप्ति ही जीवन का लक्ष्य है, शिक्षा, ज्ञान इत्यादि की आवश्यकता वहीं तक हैं जहाँ तक वे इच्छाओं की पूर्ति तथा सुख की प्राप्ति में सहायक होते हैं।
  • Damnation -- अनंत अभिशाप
ईसाई इत्यादि कुछ धर्मों के अनुसार, पाप के लिये अनंतकाल तक यातना भोगते रहने का दंड।
  • Darapati -- डाराप्टी
तृतीय आकृति का वह प्रामाणिक न्याय-वाक्य जिसका साध्य आधार-वाक्य सर्वव्यापी विधायक तथा निष्कर्ष अंशव्यापी विधायक होता हैं।
उदाहरण : सभी कवि कल्पनाशील हैं;
सभी कवि मनुष्य हैं;
∴ कुछ मनुष्य कल्पनाशील हैं।
  • Darii -- डेरिआई
प्रथम आकृति का वह प्रामाणिक न्याय वाक्य जिसका साध्य आधार-वाक्य सर्वव्यापी विधायक, पक्ष आधार-वाक्य अंशव्यापी विधायक और निष्कर्ष भी अंशव्यापी विधायक होता हैं।
उदाहरण : सभी मनुष्य विचारशील हैं;
कुछ प्राणी मनुष्य हैं;
∴ कुछ प्राणी विचारशील हैं।
  • Data (Sense. Datum) -- प्रदत्त
वह दी हुई सामग्री जिसके आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं या कोई शास्त्र अपनी छानबीन को आगे बढ़ाता हैं।
  • Datisi -- डाटीसी
तृतीय आकृति का वह प्रामाणिक न्याय वाक्य जिसका साध्य आधार-वाक्य सर्वव्यापी विधायक, पक्ष आधार-वाक्य अंशव्यापी विधायक और निष्कर्ष अंशव्यापी विधायक होता है।
उदाहरण : सभी दार्शनिक चिन्तक हैं;
कुछ दार्शनिक भारतीय हैं;
∴ कुछ भारतीय चिंतक हैं।
  • Deanthropomorphism -- मानवत्वापरोपण
जड़ वस्तुओं में मानवीय गुणों का आरोप करने की आदिम प्रवृत्ति का निराकरण।
  • Decalogue -- दशादेश, आदेशदशक
ईसाई धर्म के आधारभूत वे दस आदेश जिनके बारे में यह माना जाता है कि वे ईश्वर द्वारा मूसा को दिये गए थे।
  • Decisional Implication -- निश्चयपरक आपादन
वह हेतुफलात्मक कथन जो एक विशेष स्थिति में वक्ता के द्वारा एक विशेष व्यवहार के किये जाने का निश्चय बताता है, जैसे; “यदि पाकिस्तान जीतता है तो मैं आत्महत्या कर लूँगा।”
  • Declarative Sentence -- ज्ञापक वाक्य
किसी तथ्य-सूचक प्रतिज्ञप्ति को व्यक्त करने वाला वाक्य, जो यथार्थ अथवा अयथार्थ हो सकता है, ज्ञापक वाक्य कहलाता है।
  • Decurtate Syllogism -- लुप्तावयव-न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका एक आधार वाक्य अव्यक्त या लुप्त हो।
  • Deduction -- निगमन
1. अनुमान का वह प्रकार जिसमें हम सामान्य के आधार पर विशेष निष्कर्ष निकालते हैं।
2. एक या एक से अधिक आधार वाक्यों की सहायता से निकाला गया निष्कर्ष जिसकी व्याप्ति आधार वाक्यों के बराबर अथवा उससे कम होती है।
  • Deductive Classification -- निगमनात्मक वर्गीकरण
तार्किक विभाजन की प्रक्रिया का दूसरा नाम, जिसका आधार यह है कि वह अधिक व्यापक से कम व्यापक की ओर चलती है, जो कि निगमन की एक विशेषता है।
  • Deductive Definition -- निगमनात्मक परिभाषा
आगमनात्मक परिभाषा (inductive definition) से भिन्न वह परिभाषा जो किसी पद के पूर्ण गुणार्थ का स्पष्ट कथन करती हो।
  • Deductive System -- निगमन व्यवस्था
प्रतिज्ञप्तियों का ऐसा समूह, जिसमें वे तार्किक संबंधों के द्वारा, अर्थात् आधार वाक्य और निष्कर्ष के रूप में जुड़ी हुई हों, जैसे कोई भी ज्यामितीय तंत्र।
  • Deductive Syllogism -- दोषपूर्ण न्यायवाक्य
वह युक्ति जिसमें न्याय वाक्य के नियमों का उल्लंघन किया गया हो।
  • Definiendum -- परिभाष्य (पद)
वह पद जिसकी परिभाषा दी जानी है।
  • Definiens -- परिभाषक
वह वाक्यांश जिसके द्वारा किसी पद की परिभाषा दी जाती है।
  • Definite Description -- निश्चयात्मक वर्णन
एक ऐसा शब्द-समुच्चय जो एक निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध कराता हो। जैसे, “रामचरितमानस का रचयिता”। बर्ट्रेन्ड रसल ने सर्वप्रथम अपने दर्शन में इस शब्द का प्रयोग किया था।
  • Definition By Division -- विभाजक परिभाषा
वह परिभाषा जिसमें हम एक जाति के उसके उपजाति के माध्यम से परिभाषित करते हैं। उदाहरण के लिए, जानवर को हम ऊँट, घोड़े इत्यादि के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं।
  • Definition By Extension -- वस्त्वर्थक परिभाषा
वह परिभाषा जो परिभाष्य पद के द्वारा निर्दिष्ट वर्ग के सदस्यों की गणना पर आधारित हो।
  • Definition By Intension -- गुणार्थक परिभाषा
वह परिभाषा जो परिभाष्य पद के गुणार्थ में शामिल गुणधर्मों को बताती है।
  • Definition By Type -- प्ररूपी परिभाषा
परिभाष्य पद जिस वर्ग का बोध कराता है उसके प्ररूप को, अर्थात् उस व्यष्टि को जिसमें उस वर्ग के आवश्यक गुण प्रकृष्ट रूप में उपलब्ध हों, बताकर परिभाषा देना, जैसे :- मंगोल जाति के आवश्यक गुणों को बताने के बजाय सिर्फ चीनी आदमी की और संकेत कर देना।
  • Definition “In Use” -- प्रयोगनिष्ठ परिभाषा
परिभाष्य पद जिस वाक्य में होता है, उसको एक ऐसे समानार्थक वाक्य में बदल देना जिसमें परिभाष्य पद या उसका कोई पर्याय प्रयुक्त न हो।
  • Degree Of Probability -- प्रसंभाव्यता-मात्रा
शून्य (असंभाव्यता) और एक (निश्चयात्मकता) के बीच की कोई भी भिन्न जिसका ‘हर’ समस्त विकल्पों का सूचक होता है और अंश अनुकूल विकल्पों का।
  • Deification -- 1. देवत्वारोपण : किसी मनुष्य या वस्तु में देवत्व का आरोपण कर देना अर्थात् उसे देवता या ईश्वर मान लेना।
2. देवत्व-प्राप्ति : (कुछ धर्मों की मान्यता के अनुसार) ईश्वर में लीन हो जाना।
  • Deism -- देववाद, केवल निमित्तेश्वरवाद
तत्त्वमीमांसा में इसे केवल निमित्तेश्वरवाद कहा जाता हैं। इसके अनुसार ईश्वर सृष्टि का केवल निमित्त कारण है तथा वह विश्वव्यापी न होकर विश्वातीत है।
  • Deity -- देवता
इस शब्द का प्रयोग प्रायः देवता या ईश्वर के अर्थ में किया जाता है, परन्तु कभी-कभी उसकी विशेषता यानी दैवी गुण के लिये भी इसका प्रयोग होता है। अंग्रेज दार्शनिक सैमुअल अलेक्जैंडर ने विकास-क्रिया के अंतिम स्तर पर प्रकट होने वाले (उन्मज्जी) गुण के अर्थ में इसका प्रयोग किया है।
  • Deliberation -- विचार-विमर्श
किसी विकल्प का चुनाव करते समय उसके गुण-दोषों का सावधानी के साथ विचार करना : संकल्प की मनोवैज्ञानिक क्रिया में एक चरण।
  • Dematerialization -- अभौतिकीकरण
1. भौतिक आकार का अदृश्य हो जाना जैसे : प्रेतात्मादि भौतिक आकार ग्रहण करने के बाद पुनः अदृश्य हो जाते हैं। 2. भौतिक गुणों का आध्यात्मिक गुणों में रूपांतरित होना।
  • Demiurge -- विश्वकर्मा, सृष्टिकर्ता
विश्व के निर्माता के लिये प्रयुक्त शब्द। प्लेटो ने अपने दर्शन में इस तत्व को सृष्टि का निमित्त कारण माना है।
  • Democratic Ethics -- लोकतंत्रीय नीति
लोगों यानी जनता के अनुमोदन को कर्म के औचित्य का आधार बनाने वाली नीति।
  • Demonstrative Definition -- निदर्शनात्मक परिभाषा
एक शब्द की अन्य शब्दों के द्वारा परिभाषा देने की अपेक्षा उस वस्तु की ओर संकेत मात्र कर देना जिसके लिए उसका प्रयोग किया जाता है।
  • Demonstrative Phrase -- निदर्शनात्मक वाक्यांश (पदबन्ध)
इस तरह की अभिव्यक्ति जैसे :- “यह मेज’, ‘वह आदमी”, जिसका प्रयोग इष्ट वस्तु की ओर संकेत करने के लिये किया जाता है।
  • Demonstrative Syllogism -- निदर्शनात्मक न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका आधार वाक्य पूर्णतः निश्चयात्मक हो और निष्कर्ष भी पूर्णतः निश्चयात्मक हो।
  • Demoralization -- 1. नैतिक पतन : नैतिक स्तर से गिर जाना।
2. मनोबल-ह्रास : व्यक्ति के आत्म-विश्वास, साहस, धैर्य या दृढता का क्षीण हो जाना।
  • Denotation -- वस्त्वर्थ
वे समस्त वस्तुएँ जिनके लिये एक शब्द का प्रयोग किया जाता है, जैसे – राम, शयाम इत्यादि सभी व्यक्ति जो ‘मनुष्य’ कहलाते हैं।
  • Denotational Definition -- वस्त्वर्थक परिभाषा, द्रव्याभिधायक परिभाषा
रसल के अनुसार किसी व्यक्ति विशेष अथवा वस्तु विशेष को किसी विशेष गुण के आधार पर निर्देशित करने वाली परिभाषा, जैसे ”दुनिया का सबसे ऊँचा पहाड़” (हिमालय पर्वत)।
  • Denotative-Connotative View -- वस्तु गुणार्थक मत
निर्णय या प्रतिज्ञप्ति के उद्देश्य और विधेय के स्वरूप तथा संबंध के विषय में हैमिल्टन इत्यादि तर्कशास्त्रियों का वह मत कि उद्देश्य और विधेय दोनों ही अर्थों में अर्थात् वस्त्वर्थ में भी और गुणार्थ में भी ग्रहण किए जा सकते हैं। यह मत वस्त्त्वर्थक मत और गुणार्थक मत में समन्वय करने हेतु प्रस्तुत किया गया हैं। देखिये “denotative view” और “connotative view”।
  • Denotative Definition -- वस्त्वर्थक परिभाषा
वह परिभाषा जो परिभाष्य पद के वस्त्वर्थ पर आधारित हो।
  • Denotative View -- वस्त्वर्थक मत
निर्णय या प्रतिज्ञप्ति के उद्देश्य और विधेय के स्वरूप तथा संबंध के विषय में वह मत कि उद्देश्य और विधेय दोनों ही वस्त्वर्थ में ग्रहण किए जाते हैं तथा उद्देश्य के द्वारा व्यक्त वर्ग को विधेय के द्वारा व्यक्त वर्ग के अन्तर्गत, बहिर्गत या अशतः अंतर्गत अथवा अंशतः बहिर्गत बताया जाता है। तदनुसार ”सभी मनुष्य मरणशील हैं” में मनुष्यों के वर्ग को मरणशीलों के वर्ग के अंतर्गत बताया गया है।
  • Denoting Phrase -- वस्त्वर्थक वाक्यंश (पदबन्ध)
यह वाक्यांश जो किसी ऐसे गुणधर्म या गुणधर्मों के एक ऐसे समुच्चय का बोध कराता है, जो किसी व्यक्ति, या वस्तु में पाया जाता है।
  • Deontic Logic -- आबंधी तर्कशास्त्र
विचार का वह क्षेत्र जिसमें ऐसे सिद्धांतों को सूत्रबद्ध और तंत्रबद्ध किया जाता है, जिसमें कि कोई भी कर्म आबंधी और निषिद्ध दोनों एक साथ नहीं हो सकते।
  • Deontological Ethics -- परिणामनिरपेक्ष नीति, फलनिरपेक्ष नीति
वह नीति जो किसी कर्म के औचित्य को अनन्य रूप से उसके अच्छे परिणामों पर (या कर्ता के अच्छे अभिप्राय पर) आधारित नहीं मानती।
  • Deontology -- कर्तव्यशास्त्र
व्यक्ति के कर्तव्यों तथा नैतिक आबंधों का अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Depravity -- सहज दृष्टता
व्यक्ति की बुरे कर्म करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति (जिसे ईसाई धर्म में आदम के पतन का कारण माना गया है)।
  • Derivative Law -- व्युत्पन्न नियम
वह गौण नियम जो मूल नियम से निगमन के द्वारा प्राप्त हुआ हो, जैसे – ज्वार-भाटे का नियम, जो गुरूत्वाकर्षण के मूल नियम से निगमित है।
  • Descriptive Ethics -- वर्णनात्मक नीतिशास्त्र
नीतिशास्त्र (समाजशास्त्र कहना अधिक उचित होगा) की वह शाखा (आदर्श नीति से भिन्न) जो विभिन्न देशों, कालों और समुदायों में प्रचलित नैतिक आचारों, आदर्शों और नियमों का वर्णन करती है।
  • Descriptive Hypothesis -- वर्णनात्मक प्राक्कल्पना
वह प्राक्कल्पना जो किसी घटना के घटित होने की विधि का वर्णन करे, जैसे :- यह प्राक्कल्पना कि चोर छत से होकर आया होगा और पाइप के सहारे उतर कर भागा होगा।
  • Descriptive-Semantics -- वर्णनात्मक अर्थविज्ञान
सहज भाषाओं का वैज्ञानिक अध्ययन या विवेचन। प्रायः यह भाषा विज्ञान के समरूप हैं।
  • Desire -- इच्छा, एषणा
किसी आवश्यकता की पूर्ति करने वाली वस्तु को प्राप्त करने का चेतन आवेग। जैसे – पुत्र एवं वित्त इत्यादि प्राप्त करने की इच्छा।
  • Destiny -- नियति, भवितव्यता
वह घटना जिसका होना पहले से निश्चित हो; अथवा ईश्वर के द्वारा पहले से निर्धारित घटना-क्रम।
  • Destructive Dilemma -- निषेधक उभयतःपाश
वह उभयतःपाश जिसमें पक्ष-आधारवाक्य में एवं साध्य-आधारवाक्य में समाविष्ट फलों का विकल्पतः निषेध किया जाता है और निष्कर्ष में उसके हेतुओं का विकल्पतः निषेध किया जाता हैं।
उदाहरण : यदि मनुष्य बुद्धिमान है तो वह अपने तर्क की व्यर्थता को समझ लेगा और यदि वह ईमानदार है तो वह अपनी गलती मान लेगा। या तो वह अपने तर्क की व्यर्थता को नहीं समझता या समझते हुए भी अपनी गलती नहीं मानता।
∴ या तो वह बुद्धिमान नहीं है या वह ईमानदार नहीं है।
  • Determinable -- परिच्छेद्य (गुण)
डब्ल्यू. ई. जॉनसन के अनुसार, वस्तुओं में जिन साधारण बातों के आधार पर अंतर किए जाते हैं, जैसे : रंग, आकृति, परिमाण इत्यादि उनमें से एक।
  • Determinandum -- परिच्छेद्यक (वस्तु)
जॉनसन के अनुसार, प्रतिज्ञप्ति का वह अंश (उद्देश्य) जिसका विचार के द्वारा स्वरूप निर्धारण करना होता है।
  • Determinans -- परिच्छेदक
जॉनसन के अनुसार, प्रतिज्ञप्ति का वह अंश (विशेषण या विधेय) जो उसके स्वरूप को निर्धारित करता है और विचार के लिए प्रस्तुत होता है।
  • Determinate -- परिच्छिन्न, निर्धारित
जॉनसन के अनुसार किसी परिच्छेद्य (determinable), जैसे रंग के अन्तर्गत आने वाली परस्पर विपरीत विशेषताएँ जैसे – लाल, हरा इत्यादि।
  • Determination -- 1. परिच्छेद : किसी सत्ता, वस्तु या विचार के क्षेत्र का निर्धारण द्वारा सीमित होना।
2. निश्चय : संकल्प की मनोवैज्ञानिक क्रिया का (अथवा कर्म-प्रक्रिया के मानसिक पक्ष का) अंतिम चरण : जिस विकल्प को व्यक्ति ने अपना लिया है उस पर जब तक कार्यान्वयन का उपयुक्त समय न आ जाए तब तक अडिग बने रहना।
3. स्पिनोजा ने इस शब्द का प्रयोग गुण के अर्थ में किया है।
  • Determinism -- नियतत्ववाद
एक सिद्धांत जिसके अनुसार संसार की प्रत्येक घटना पूर्व निर्धारित नियमों द्वारा नियंत्रित है। विशेषतः वह सिद्धांत कि व्यक्ति का संकल्प स्वतन्त्र नहीं होता बल्कि मानसिक या भौतिक कारणों के द्वारा निर्धारित होता है।
  • Deterrent Theory Of Punishment -- निवारणार्थ दंड-सिद्धांत, दंड का प्रतिरोधात्मक सिद्धांत
वह सिद्धांत कि किसी व्यक्ति को दंड इसलिये दिया जाता है कि उसके भय से अन्य व्यक्ति उस तरह का काम न करें और स्वयं दंड पाने वाला भी दुबारा वह काम न करे।
  • Deus Ex Machina -- दैवी समाधान
किसी समस्या के समाधान के लिये किसी व्यक्ति, वस्तु या संप्रत्यय को कृत्रिम ढंग से ले आना; समस्या का एक ऐसा समाधान जो अलौकिक, अस्वाभाविक, कृत्रिम और चमत्कारिक हो। इस पद का प्रयोग मूलतः प्राचीन नाटकों के संदर्भ में होता था जिसमें किसी कठिन समस्या को सुलझाने के लिये किसी देवता को एकाएक रंगभूमि में प्रकट कर दिया जाता था।
  • Dialectic -- 1. द्वंद्व समीक्षा : आधुनिक दर्शन में, कांट के अनुसार, विप्रतिषेधों, तर्काभासों, और शुद्ध प्रज्ञा के प्रत्ययों का विवेचन तथा ‘क्रिट्रीक ऑफ प्योर रीज़न’ का वह भाग जिसमें ऐसा विवेचन किया गया है।
2. द्वंद्वन्याय : हेगेल के अनुसार, पक्ष, प्रतिपक्ष और संपक्ष के तीन चरणों में चलने वाली तर्क या विचार की क्रिया।
  • Dialectical Materialism -- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
कार्ल मार्क्स और ऐंगेल का दर्शन जो साम्यवाद का अधिकृत दर्शन है और पारंपरिक भौतिकवाद की तरह भौतिक द्रव्य को ज्ञानमीमांसीय और सत्ता-मीमांसीय दोनों दृष्टियों से आधारभूत और मन का पूर्ववर्ती मानता है, तथा हेगेल के द्वंद्वात्मक चिद्वाद की तरह भौतिक विश्व के विकास में विरोधी तत्वों के पहले संघर्ष और तदनन्तर समन्वय का अत्यधिक महत्व मानता है।
  • Dialectical Theology -- द्वंद्वात्मक ईश्वरमीमांसा
वह ईश्वरमीमांसीय सिद्धांत जिसके अनुसार द्वंद्व ही ईश्वरीय ज्ञान का मुख्य साधन है। इसके लिए किसी प्रकार की दार्शनिक विवेचन की आवश्यकता नहीं होती है।
  • Dialectic Syllogism -- द्वंद्व-न्यायवाक्य
अरस्तू के अनुसार, निश्चयात्मक के विपरीत प्रसंभाव्य एवं विश्वसनीय प्रतिज्ञप्तियों वाला न्यायवाक्य।
  • Diallelon -- चक्रक परिभाषा, परिभाषा-दुष्चक्र
परिभाषा का एक दोष जो तब होता है जब एक पद ‘प1’ की ‘प2’ के द्वारा ‘प2’ की ‘प3’ के द्वारा और इस प्रकार अंत में ‘पन ‘ का ‘प1’ के द्वारा परिभाषा दी जाती है।
  • Diallalus -- चक्रक-युक्ति, युक्ति-दुष्चक्र
युक्ति का एक दोष जो तब होता है जब एक युक्ति ‘य1’ को ‘य2’ से प्रमाणित किया जाता है, ‘य2’ को ‘य3’ से और अंत में ‘यन’ को ‘य1’ से प्रमाणित किया जाता है।
  • Dialogism -- विकल्पानुमान
एक ही आधारवाक्य से एक वियोजक निष्कर्ष का अनुमान, जैसे: “गुरूत्वाकर्षण संपर्क के बिना प्रभाव डाल सकता है, ” से यह अनुमान कि ”या तो कोई शक्ति संपर्क के बिना प्रभाव डाल सकती है या गुरूत्वाकर्षण कोई शक्ति नहीं है।”
  • Dianoetic Theory -- अंतःप्रज्ञातर्कवाद
एक सिद्धांत जो अंतःप्रज्ञा-शक्ति को इंद्रियाकल्प न मानकर तर्कबुद्धि से अभिन्न मानता है। तदनुसार हमारी तर्कबुद्धि शाश्वत नैतिक नियमों का साक्षात् ज्ञान कराती है और उनसे विशेष कर्मों के औचित्य का अनुमान करती है।
  • Dianoetic Virtues -- प्रज्ञात्मक सद्गुण
अरस्तू के नीतिशास्त्र में, बौद्धिक सद्गुण, अर्थात् वे सद्गुण जो बुद्धि, तर्क-शक्ति और विचार के प्रकर्ष से उत्पन्न होते हैं, तथा जिनका लक्ष्य बौद्धिक नियमों, सिद्धांतों और तत्वों का ज्ञान होता है।
  • Dianoia -- प्रज्ञा
अरस्तू के दर्शन में, विचार या चिंतन करना अथवा ऐसा करने की शक्ति, जो विवेचन में तथा संप्रत्ययों को संयुक्त या वियुक्त करने में प्रकट होती है।
  • Dictum De Diverso -- व्यावर्तक अभ्युक्ति
तर्कशास्त्र में, लैम्बर्ट के अनुसार, द्वितीय आकृति का वह आधारभूत नियम कि यदि कोई पद एक दूसरे पद के अन्तर्गत है और एक अन्य पद उसी दूसरे पद के बाहर है, तो पहला और तीसरा पद एक-दूसरे के बाहर होते हैं।
  • Dictum De Exemplo -- निदर्शन-अभ्युक्ति
तर्कशास्त्र में, लैम्बर्ट के अनुसार, तृतीय आकृति का वह आधारभूत नियम कि यदि दो पदों में कुछ अंश समान हों तो वे अंशतः एक दूसरे से मेल रखते हैं, किन्तु यदि एक पद का कुछ अंश दूसरे से भिन्न हो तो वे अंशतः भिन्न होते हैं।
  • Dictum De Omni Et Nullo -- यज्जातिविधेयम् तद्व्यक्ति विधेयम् (अभ्युक्ति)
तर्कशास्त्र में अरस्तू के अनुसार, न्यायवाक्य का (विशेषतः प्रथम आकृति का) वह आधारभूत नियम कि जो बात एक पूरे वर्ग के लिये सत्य है, वह बात उस वर्ग के प्रत्येक सदस्य के लिये सत्य होगी।
  • Dictum De Reciproco -- इतरेतर-अभ्युक्ति
तर्कशास्त्र में, लैम्बर्ट के अनुसार, चतुर्थ आकृति का वह आधारभूत नियम कि यदि किसी वस्तु के बारे में एक विधेय को पूर्णतः या अंशतः स्वीकार किया जाता है अथवा पूर्णतः अस्वीकार किया जाता है तो स्वयं उस वस्तु को किसी भी ऐसी वस्तु के विधेय के रूप में अंशतः स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है, जिसका उस विधेय के बारे में विधान किया जाता है, तथा यदि किसी वस्तु के बारे में एक विधेय को पूर्णतः स्वीकार किया जाता है तो स्वयं उस वस्तु का किसी भी ऐसी वस्तु के विधेय के रूप में पूर्णतः निषेध किया जा सकता है जिसका उस विधेय के बारे में निषेध किया जाता है।
  • Didas Calic Syllogism -- निदर्शनात्मक न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसकी प्रतिज्ञप्तियाँ पूर्णतः निश्चयात्मक हों।
  • Differentia -- अवच्छेदक
वह (या वे) सामान्य अनिवार्य गुण जो एक ही जाति की उपजातियों को परस्पर पृथक करता है (या करते हैं), जैसे :- प्राणियों के अन्दर मनुष्य को अन्य प्राणियों से पृथक करनेवाला तर्कबुद्धिशील होने का गुण।
  • Differentiating Attribute -- व्यावर्तक गुण
ब्रॉंड के अनुसार, द्रव्य-गुण अर्थात् द्रव्य होने के लिये आवश्यक गुण से भिन्न वह विशेष और सरल गुण जो एक द्रव्य को उस विशेष प्रकार का द्रव्य बनाता है, तथा जो किसी संमिश्र द्रव्य में होने की दशा में उसके भागों का भी गुण अवश्य होता है।
  • Dilemma -- उभयतोपाश
न्यायवाक्य का वह प्रकार जिसमें प्रथम आधारवाक्य में दो हेत्वाश्रित प्रतिज्ञप्तियों का संयोजन होता हैं तथा दूसरा आधारवाक्य दो विकल्पों की स्वीकृति या अस्वीकृति के रूप में होता है और निष्कर्ष भी उसी के अनुरूप दो विकल्पों की स्वीकृति या अस्वीकृति के रूप में होता हैं। जैसे – यदि तुम आगे जाओगे तो शेर खा जाएगा और यदि पीछे जाओगे तो खाई में गिरोगे। या तो तुम आगे जाओगे या तुम पीछे जाओगे। अतः, या तो तुम्हें शेर खा जायेगा या तुम खाई में गिर जाओगे।
  • Dimaris -- डि’ मारिस
चतुर्थ आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य अंशव्यापी विधायक, पक्ष-आधारवाक्य सर्वव्यापी विधायक और निष्कर्ष अंशव्यापी विधायक होता है।
उदाहरण : कुछ स म हैं;
सभी स म हैं;
कुछ प स हैं।
  • Direct Fallacy Of Accident -- उपाधि-साक्षात् दोष, उपलक्षण साक्षात् दोष
एक प्रकार का तर्कदोष जो तब होता है जब किसी सामान्य सत्य को विशेष या आकस्मिक परिस्थितियों में भी सत्य मान लिया जाता है।
उदाहरण : हत्या करने वाले को फांसी का दंड मिलता है;
सैनिक युद्ध में शत्रु की हत्या करता है;
अतः सैनिक को फांसी का दंड मिलना चाहिए।
  • Direct Intension -- प्रत्यक्ष अभिप्राय
मैकेंज़ी (Mackenzie) के अनुसार, वह परिणाम जो कर्ता के कर्म का साक्षात् लक्ष्य होता है।
उदाहरणार्थ : एक आतंकवादी विस्फोटकों से एक गाड़ी को इसलिए उड़ा देता है कि उसमें यात्रा करने वाला एक व्यक्ति-विशेष मारा जाए, हालांकि और भी बहुत से लोग मारे जाते हैं, और इस बात को वह जानता था। यहाँ उस व्यक्ति-विशेष की मृत्यु प्रत्यक्ष अभिप्राय है।
  • Direct Knowledge -- साक्षात् ज्ञान
अव्यवहित अथवा अपरोक्ष रूप से प्राप्त होने वाला ज्ञान।
  • Direct Reduction -- साक्षात् आकृत्यंतरण
तर्कशास्त्र में, ‘अपूर्ण’ आकृतियों (द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ) के वैध विन्यासों को परिवर्तन और प्रतिवर्तन की प्रक्रियाओं की सहायता से पूर्ण आकृति (प्रथम) के किसी वैध विन्यास में बदलने की प्रक्रिया (संकुचित अर्थ में); अथवा किसी भी आकृति के किसी वैध विन्यास को उक्त प्रक्रियाओं की मदद से किसी भी अन्य आकृति के एक वैध विन्यास में बदलने की प्रक्रिया।
  • Direct Theory Of Knowledge -- साक्षात् ज्ञान-सिद्धांत
वह ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत जिसमें ज्ञाता को प्रतिमाओं, प्रत्ययों अथवा विज्ञानों की मध्यस्थता के बिना ज्ञेय का ज्ञान प्राप्त होता है। पाश्चात्य दर्शन में नव्य-वस्तुवाद एवं भारतीय दर्शन में बौद्ध-सम्प्रदाय के वैभाषिक मत द्वारा मान्य प्रत्यक्षवाद इसके उत्तम उदाहरण हैं।
  • Disamis -- डीसामीस
तृतीय आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य अंशव्यापी विधायक, पक्ष-आधारवाक्य सर्वव्यापी विधायक तथा निष्कर्ष अंशव्यापी विधायक होता हैं।
उदाहरण : कुछ बंगाली कवि हैं;
सभी बंगाली भारतीय हैं;
∴ कुछ भारतीय कवि हैं।
  • Disjunct -- वियुक्तक
वियोजक प्रतिज्ञप्ति (या तो अ या ब) में शामिल विकल्पों में से कोई एक।
  • Disjunction -- वियोजन
वह निर्णय या प्रतिज्ञप्ति जिसमें एक से अधिक विकल्प हों। इसके दो प्रकार हैं : 1. प्रबल या व्यावर्तक (strong or exclusive) तथा 2. दुर्बल या समावेशी (weak or inclusive)।
  • Disjunctive Proposition -- वियोजक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें ”या” के द्वारा व्यक्त विकल्प हों।
  • Disjunctive Syllogism -- वियोजक न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका पहला आधारवाक्य एक वियोजक वाक्य और दूसरा आधारवाक्य तथा निष्कर्ष दोनों निरूपाधिक वाक्य होते हैं।
जैसे :- यह या तो अ है या ब;
यह अ नहीं हैं;
∴ यह ब है।
  • Disparate -- विसदृश
ज्ञानमीमांसा में, भिन्न ज्ञानेन्द्रियों से संबंधित संवेदनों के गुणात्मक वैषम्य का सूचक विशेषण (जैसे : लाल रंग और शीतत्व के वैषम्य का)। तर्कशास्त्र में, ऐसे पदों के अंतर का सूचक विशेषण जो परस्पर भिन्न है पर व्याधाती नहीं, अथवा (लाइब्नित्ज़ के अनुसार) ऐसे पदों के अंतर का जो जाति और उपजाति के रूप से संबंधित न हो।
  • Dissuasive -- निवर्तक
किसी कर्म को करने से रोकने वाला, हतोत्साहित करने वाला या विरत करने वाला कारक, जैसे दुःख या पीड़ा।
  • Distribution -- व्याप्ति
तर्कशास्त्र में, पद के पूरे या आंशिक विस्तार में प्रयुक्त होने की विशेषता : यदि किसी पद का प्रयोग उसके पूरे विस्तार या वस्त्वर्थ में होता हैं तो वह उस वाक्य में distributed (व्याप्त) कहलाता है और यदि आंशिक विस्तार में होता है तो undistributed (अव्याप्त) कहलाता है।
उदाहरणार्थ : ”सभी बंगाली भारतीय हैं” में ”बंगाली” व्याप्त है और ”कुछ बंगाली दार्शनिक हैं” में वह अव्याप्त है।
  • Distributive Justice -- वितरण न्याय, वितरक न्याय
समुदाय के सदस्यों में सम्मान, धन-संपति अधिकारों और विशेषाधिकारों के वितरण के रूप में अभिव्यक्त न्याय।
  • Distributive Property -- व्यष्टि-गुणधर्म
वह गुणधर्म जो किसी वर्ग के प्रत्येक व्यष्टि में पाया जाता है, न कि सभी व्यष्टियों में सामूहिक रूप से। ‘इस कक्षा के छात्रों का वजन 110 पौण्ड से कम है’ में ‘110 पौण्ड से कम वजन’ प्रत्येक छात्र का गुणधर्म है, जबकि ‘इस कक्षा के छात्रों का वजन 4000 पौण्ड है, में ‘4000 पौण्ड वजन’ छात्रों का सामूहिक गुण धर्म है।
  • Distributive Term -- व्यष्टि-पद
सामूहिक या समष्टि-पद के विपरीत वह पद जो किसी समूह के प्रत्येक व्यष्टि के लिये प्रयुक्त हो।
  • Distributive Use -- व्यष्टिक उपयोग
तर्कशास्त्र में, प्रतिज्ञप्ति के उद्देश्य-पद का ऐसा प्रयोग जिससे विधेय उसके द्वारा व्यक्त प्रत्येक वस्तु पर पृथक-पृथक् लागू होता है, ”जैसे त्रिभुज के सभी कोण, दो समकोण से कम होते हैं ” में, जिसमें ”सभी कोण” का अर्थ ”प्रत्येक कोण” है।
  • Divided Sense -- विभक्त अर्थ
मध्ययुगीन तर्कशास्त्र में संभाव्य कथनों (जैसे : ”अ ब हो सकता है”) की एक व्याख्या, जिसके अनुसार संभाव्य शब्द (”सकता है”, ”संभवतः”, ”अवश्य” इत्यादि) कथन के एक अंश, अर्थात् संयोजक (”है” क्रिया का कोई रूप) का विशेषक होता है। दूसरी व्याख्या के लिये देखिये ”composite sense”
  • Division By Dichotomy -- द्विभाजन
किसी वर्ग को दो परस्पर व्याघाती उपवर्गों में विभाजित करना, जैसे : भारतीयों को बंगाली और गैर-बंगाली में।
  • Division Non Faciat Saltum -- अक्रमाभावी विभाजन
इस नियम का अनुसरण करने वाला विभाजन कि किसी वर्ग को उसके उपवर्गों ”में” विभाजित करने के प्रक्रम में कोई चरण छूटने न पाये।
  • Divisive Term -- व्यष्टि-पद, विभाजक पद
देखिये “distributive term”।
  • Dogmatic Intuitionism -- मताग्रही अंतःप्रज्ञावाद
नीतिशास्त्र आदि में अंतः प्रज्ञावाद का एक प्रकार जिसके अनुसार उचित या अनुचित, शुभ या अशुभ का ज्ञान अंतःप्रज्ञा से होता है जिसमें तर्क की अपेक्षा नहीं होती है।
  • Dogmatism -- रूढ़िवाद, मताग्रह
बुद्धिवादियों का यह दृढ़ विश्वास है कि तर्क अथवा बुद्धि के द्वारा सृष्टि के विषय में निश्चयात्मक ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। कांट के अनुसार प्रत्येक बुद्धिवाद का रूढ़िवाद में पर्यवसान होता है।
  • Doksamosk -- डोक्सामोस्क
तर्कशास्त्र में, साक्षात् आकृत्यंन्तरण के लिये तृतीय आकृति के वैध विन्यास ”बोचार्डो” के लिये प्रयुक्त वैकल्पिक नाम देखिये ”bocardo”.
  • Double Epicheirema -- उभयपक्षीय संक्षिप्त प्रतिगामी तर्कमाला
वह संक्षिप्त प्रतिगामी तर्कमाला जिसमें उत्तर-न्यायवाक्य के दोनों आधारवाक्यों को लुप्तावयव न्यायवाक्यों के द्वारा सिद्ध किया जाता है।
उदाहरण : सभी क ख हैं, क्योंकि सभी म ख हैं और सभी क म हैं;
सभी म ख हैं, क्योंकि सभी ल ख हैं; और सभी क म हैं, क्योंकि सभी क य हैं।
  • Dualism -- द्वैतवाद
तत्वमीमांसा में, वह सिद्धांत जो दो स्वतंत्र तत्वों अथवा सत्ताओं को अंतिम मानता है। जैसे : पुद्गल और आत्मा को।
  • Duty -- कर्तव्य
वह कर्म जो हमें इच्छा-अनिच्छा से करना ही चाहिए, अर्थात् जिसे करने के लिये हम नैतिक रूप से बाध्य हैं।
  • Dyadic Relation -- द्विपदी संबंध
दो पदों का संबंध। जैसे : ”राम श्याम से बड़ा है” में संबंध ”बड़ा होना”।
  • Dysteleology -- उद्देश्यहीनता, असत्प्रयोजनवता, प्रयोजनहीनता
वह सिद्धांत जो यह मानता है कि इस विश्व में किसी वस्तु का कोई प्रयोजन नहीं है। यह मत प्रयोजनवाद का विरोधी सिद्धांत है।
  • Eclecticism -- संकलनवाद, संकलन-वृत्ति
वह सिद्धांत जो मौलिक न होकर विभिन्न दार्शनिक और धार्मिक संप्रदायों या तंत्रों के तत्त्वों को लेकर बनाया गया हो; अथवा ऐसे तत्वों को ग्रहण करके आत्मसात् करने की वृत्ति।
  • Economic Determinism -- आर्थिक नियतत्ववाद
वह सिद्धांत कि आर्थिक कारकों का सामाजिक, राजनीतिक और बौद्धिक विकास पर निर्णायक प्रभाव पड़ता है। कार्ल-मार्क्स इस सिद्धांत के प्रणेता हैं।
  • Ecpyrosis -- अग्नि प्रलय
स्टोइक दर्शन में, एक निश्चित अवधि के पश्चात् संपूर्ण सृष्टि का अग्नि में भस्मसात् हो जाना।
  • Ecstasy -- 1. भावातिरेक : तीव्र भावात्मक उत्तेजना की वह अवस्था जिसमें व्यक्ति तर्क से ऊपर उठ जाता है और आत्म-संयम खो बैठता है।
2. हर्षातिरेक, हर्षोन्माद : हर्ष या आनन्द की तीव्रता की वह अवस्था जिसमें आत्मा अपने आराध्य से तादात्म्य कर लेती है और व्यक्ति उसमें इतना लीन हो जाता है कि उसकी साधारण लौकिक चेतना लुप्त हो जाती है।
  • Ectypal Intelligence (=Intellectus Ectypus) -- संवेदनाश्रित प्रज्ञा
कांट के दर्शन में, बुद्धि की वह शक्ति जो संवेदनों से प्राप्त सामग्री से प्रत्ययों का निर्माण करती है।
  • Ecumenicity -- सार्वलौकिकता, सार्वदेशिकता
संपूर्ण विश्व में फैले होने का गुण। विशेषतः उन विचारों या वस्तुओं की विशेषता जो सभी ईसाईयीय संप्रदायों में अथवा अखिल विश्व की ईसानुयायी जनता में एकता लाने के प्रयोजन की पूर्ति करती है।
  • Ecumenics -- ईसाई-समाजशास्त्र
विश्व के ईसाई मतानुयायियों के समाज की विशेषताओं, समस्याओं इत्यादि का अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Educative Theory Of Punishment -- शिक्षार्थ-दंड-सिद्धांत
सुधारात्मक दण्ड सिद्धांत का एक प्रकार जिसके अनुसार दंड का उद्देश्य शिक्षा द्वारा अपराधी का सुधार करना होता है।
  • Education -- सद्योअनुमान, अनन्तरानुमान, अव्यवहित अनुमान
ई. ई. कान्स्टैंस जोन्स (E.E. Constance Jones)) द्वारा अव्यवहित अनुमान के लिये प्रयुक्त शब्द।
उदाहरण : सभी मनुष्य प्राणी हैं;
∴ कुछ प्राणी मनुष्य हैं।
  • Efficient Cause -- निमित्त्त-कारण
वह चेतन कारण जिसके द्वारा कार्य सम्पन्न होता है। जैसे घड़े के उत्पादन में कुम्हार निमित्त्त कारण है।
  • Effluvium -- निःस्यंद
भौतिक वस्तुओं से निकलने वाला एक सूक्ष्म पदार्थ जिसकी कल्पना प्राचीन यूनानी दार्शनिकों ने प्रत्यक्ष के संदर्भ में की थी और जिसे उन्होंने ज्ञानेन्द्रियों को प्रभावित करने वाला माना था।
  • Egocentric Particulars -- अहंकेंद्रिक विशेष
देखिए “egocentric words”।
  • Egocentric Predicament -- अहंकेंद्रिक विषमावस्था, अहंकेंद्रिक विप्रतिपत्ति
वह विषमावस्था जिसमें ज्ञाता प्रत्ययों की सीमा का अतिक्रमण नहीं कर सकता। इस स्थिति का लाभ उठाते हुए कुछ प्रत्ययवादी जैसे बर्कले आदि प्रत्ययों को ही सत्य मानते हैं तथा बाह्य वस्तुओं के स्वतंत्र अस्तित्व का निषेध करते हैं। इस सिद्धांत की स्थापना आर.पी. पेरी ने की थी।
  • Egocentric Words -- अहंकेंद्रिक शब्द
रसल (Russell) आदि के अनुसार, वे शब्द जो वक्तासापेक्ष होते हैं। जैसे : ‘मैं’, ‘अब’, ‘यहाँ’ इत्यादि।
  • Egoism -- 1. स्वार्थवाद, स्वहितवाद : निशास्त्र में, व्यक्ति के निहित स्वार्थ को ही साध्य मानने वाला सिद्धांत।
2. अहंवाद : दर्शन में केवल अहम् को ही सत्य मानने वाला बर्कले इत्यादि विचारकों का सिद्धांत अथवा फिक्टे का यह सिद्धांत कि पराहम् निरपेक्ष अहं (“एब्सोल्यूट इगो”) ही परम सत्य है।
3. अहंता, अहंभाव : अपने को ही श्रेष्ठ समझने की वृत्ति।
  • Egocentric Energism -- स्वार्थौन्मुख शक्तिवाद
वह मत कि व्यक्ति को शक्तियों का उपयोग पूर्णतः स्वार्थ की प्राप्ति के लिये करना चाहिए।
  • Egoistic Hedonism -- स्वसुखवाद, स्वार्थमूल्क सुखवाद
वह मत कि स्वयं अपने सुख की प्राप्ति ही व्यक्ति का नैतिक लभ्य होना चाहिये।
  • Egoistic Naturalism -- स्वार्थपरक प्रकृतिवाद
रॉजर्स द्वारा हॉब्स के नैतिक सिद्धांत के लिये प्रयुक्त पद। हॉब्स स्वहित को ही व्यक्ति के कर्मों का मूल अभिप्रेरक मानता है (स्वार्थवाद), और शुभ को व्यक्ति की इच्छाओं की पूर्ति का साधन मात्र समझता है (प्रकृतिवाद)।
  • Egological Reduction -- आहमिक अपचयन, अहंमूलक अपचयन
संवृतिशास्त्र में प्रयुक्त पद। इसके अनुसार ‘स्व’ की सत्त्ता में विश्वास अथवा अविश्वास न करके अतीन्द्रियभाव रखना ही अहंमूल्क अपचयन है।
  • Egotism -- अहंकार, अहम्मन्यता
स्वयं को बड़ा और अन्यों को तुच्छ समझने की प्रवृत्ति।
  • Eidetic Theory (Of Knowledge) -- प्रतिमालंबन-सिद्धांत
हुसर्ल (Husserl) का वह सिद्धांत कि ज्ञान का आधार मनोजगत् के बिंबों के अलावा बाह्य जगत् में कहीं नहीं है और ज्ञान की मन में उत्पत्ति, भौतिक जगत में किसी आलंबन के बिना ही होती है।
  • Eidolology -- संविद् मीमांसा
जर्मन दार्शनिक हेबोर्ट के अनुसार, तत्वमीमांसा का वह भाग जो ज्ञान की सीमाओं तथा उसकी संभावनाओं का विवेचन करता है।
  • Eidolon (Pl. Eidola) -- 1. आइडोलॉन : प्राचीन यूनानी दार्शनिकों (डिमॉक्रिटस और एपिक्यूरस) द्वारा वस्तुओं से निःसृत होने वाले उन सूक्ष्म अणुओं के लिए प्रयुक्त शब्द, जिनकी कल्पना उन्होंने वस्तुओं के संवेदन और प्रत्यक्ष की व्याख्या के लिये की थी।
2. प्रतिच्छाया : काल्पनिक आकृति, जैसी कि स्वप्न में दिखाई देती है।
  • Eidos -- प्रज्ञप्ति, आइदोस, आकार
प्लेटो के दर्शन में, अतीन्द्रिय लोक में रहने वाली, प्रज्ञा मात्र के द्वारा गम्य, सामान्यतः ‘प्रत्ययों’ के नाम से प्रसिद्ध सत्ताओं में से एक, अथवा ऐंद्रिय जगत् में अस्तित्व रखने वाली वस्तुओं के रूप में दृष्टांतीकृत सामान्यों (“universals”) या सत्वों (“essences”) में से एक।
  • Eisegesis -- स्वैरभाष्य
किसी ग्रन्थ की व्याख्या में स्वकीय विचारों का ही समावेश कर देना।
  • Eject -- वहिःक्षेप
डब्ल्यू. के. क्लिफर्ड के द्वारा प्रयुक्त पद। जिसका अर्थ ज्ञाता की चेतना से अन्य आत्माओं का प्रक्षेपण।
  • Elan Vital -- जीवन-शक्ति
बर्गसाँ के दर्शन में, परम तत्व का नाम, जिसे प्राणरूप और संपूर्ण सृष्टि तथा विकास के मूल में रहने वाली प्रेरक शक्ति माना गया है।
  • Eleaticism -- एलियाईवाद
सुकरात-पूर्व एक दार्शनिक संप्रदाय, जिसकी स्थापना एलिया-निवासी पारमेनिड़ीज (Parmenides) ने की थी, और जिसके अनुसार मूल तत्व एक तथा नितांत अपरिवर्तनशील है।
  • Elenchus -- प्रतिहेत्वानुमान, सत्प्रतिक्षानुमान
अरस्तू के तर्कशास्त्र में, वह न्यायवाक्य जो प्रस्तुत प्रतिज्ञप्ति की व्याघाती प्रतिज्ञप्ति को सिद्ध करता है, अर्थात् मूल प्रतिज्ञप्ति का खंडन करता है।
  • Elimination -- निरसन, विलोपन
विशेषतः तर्कशास्त्र में, अनावश्यक, महत्वहीन और असंबद्ध तत्वों को हटाने की क्रिया, जो कार्य-कारण-संबंध निर्धारित करने में सहायक होती हैं।
  • Ellipsis -- पदलोप
ऐसे शब्दों को छोड़ देना जिनका अर्थ तो वैसे स्पष्ट होता है किन्तु जिनका वाक्य में प्रयोग करना व्याकरण की दृष्टि से आवश्यक होता है।
  • Elliptical Statement -- न्यूनीकृत कथन, अध्याहार्य कथन
किसी प्रतिज्ञप्ति की एक आंशिक अभिव्यक्ति, जो उसके सत्यता-मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं करती।
  • Emanation -- निःसरण
प्लॉटिनस के दर्शन में मूल कारण ईश्वर से सृष्टि का स्वभावतः उत्पन्न होना।
  • Emanationism -- निःसरणवाद
नव्य प्लेटोवादी प्लूटाइनिस दर्शन में विश्व की उत्पत्ति संबंधी सिद्धांत जिसके अनुसार यह सम्पूर्ण विश्व ईश्वर से निःसृत होता है।
उदाहरणार्थ : जैसे सूर्य से रश्मियाँ निःसृत होती हैं उसी प्रकार ईश्वर से विश्व निःसृत होता है।
  • Emancipation -- मुक्ति, मोक्ष
बंधन (विशेषतः कर्मफल, संसार या आवागमन) से छुटकारा।
  • Emergence -- उद्गमन, उन्मज्जन
विकास के प्रक्रम में ऐसे नवीन गुणों या तत्वों का आविर्भाव जिनकी उनके कारणों के गुणों से पूरी व्याख्या नहीं हो सकती। सैमुएल एलैक्जेन्डर इसके प्रतिपादक हैं।
  • Emergent Evolution -- उन्मज्जी विकास
विशेषतः लॉयड मॉर्गन (Llyod Morgan) के अनुसार, विकास का वह प्रक्रम जिसमें प्रत्येक स्तरों पर अप्रत्याशित रूप से नए गुणों का उदय होता है, जिनकी विकास की पिछली अवस्था के आधार पर कोई व्याख्या नहीं दी जा सकती।
  • Emergentism -- उन्मज्जनवाद
उन्मज्जी विकास को मानने वाला मत।
  • Emergent Mentalism -- उन्मज्जी मनोवाद, मनउन्मज्जनवाद
उन्मज्जी विकास की धारण के अनुसार मन और मानसिक गुणों के उदय की व्याख्या करनेवाला सिद्धांत। तनुसार जब अमानसिक तत्त्व स्वयं को एक बिल्कुल ही नूतन रूप में व्यवस्थित कर लेता है तब उससे नवीन मानसिक निष्पत्ति होती है।
  • Emergent Neutralism -- उन्मज्जी तटस्थवाद, उन्मज्जी अनुभयवाद
अलेक्जेन्डर के तत्वमीमांसीय दृष्टिकोण की व्याख्या करने हेतु सी. डी. ब्रॉड के द्वारा प्रयुक्त पद। इसके अनुसार इस विश्व का मूल तत्त्व न जड़ है और न चेतन, वरन् इन दोनों से भिन्न वह अनुभय रूप है, जिसमें भिन्न स्तरों पर क्रमशः जड़ और चेतन को उत्पन्न करने का उन्मज्जी गुण है।
  • Emergent Quality -- उन्मज्जी गुण
एक ऐसा नवीन गुण जो किसी अनेक घटकों वाले साकल्य में समग्र रूप में पाया जाता है, पर उसके किसी एक घटक का गुण नहीं होता। जैसे : पानी के गुण जो उसके घटकों, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन, के गुणों से बिल्कुल भिन्न होते हैं।
  • Emergent Vitalism -- उन्मज्जी प्राणतत्त्ववाद, प्राणतत्तवोन्मज्जनवाद
सी. डी. ब्रॉड के अनुसार, जे.एस. हाल्डेन इत्यादि विचारकों का मत, जो प्राणतत्त्व को एक स्वतन्त्र द्रव्य तो नहीं मानता, पर उसे शरीर को बनाने वाले भौतिक तत्तवों का गुणधर्म भी नहीं मानता, बल्कि उनके संयोग से एक उच्चस्तरीय उन्मज्जी विशेषता मानता है।
  • Emotive Language -- संवेगात्मक भाषा, भावात्मक भाषा
वक्ता के संवगों को व्यक्त करने वाली अथवा श्रोता के अंदर संवेगों को जाग्रत करने के उद्देश्य से प्रयुक्त भाषा, यह वस्तुस्थिति की जानकारी देने वाली यानी संज्ञानात्मक भाषा (cognitive language) से भिन्न होती है।
  • Emotive Meaning -- संवेगार्थ, भावव्यंजक अर्थ, भावात्मक अर्थ
किसी कथन की संवेगों को उद्दीप्त करके व्यक्ति के संकल्प को प्रभावित करने की शक्ति, जो कि उद्गारों, आदेशों तथा कुछ विचारकों के अनुसार, नीतिशास्त्रीय और सौंदर्यशास्त्रीय निर्णयों में होती है।
  • Emotive Theory (Emotivism) -- संवेगपरक सिद्धांत
(विशेष रूप से तार्किक प्रत्यक्षवादियों का) वह सिद्धांत कि मूल्य-संबंधी, विशेषतः नैतिक निर्णय केवल संवेगात्मक अर्थ रखते हैं, किसी वस्तु के अस्तित्व के वे सूचक नहीं होते।
  • Empirical -- इंद्रियानुभविक, आनुभविक
बाह्य एवं आंतरिक ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्राप्त ज्ञान।
  • Empirical Apperception -- इंद्रियानुभविक अहंप्रत्यय
कांट ने समाकल्पन शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया है :
1. आनुभविक समाकल्पन (empirical apperception) तथा 2. अतींद्रिय समाकल्पन (transcendent apperception)। आनुभविक समाकल्पन जिसमें आत्मा को परिवर्तनशील अनुभवों के साथ अपनी बदलती हुई अवस्थाओं का भी ज्ञान होता है। समाकल्पन के द्वितीय अर्थ में आत्मा को अपने कूटस्थ एवं नित्य स्वरूप का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • Empirical Deduction -- इंद्रियानुभविक निगमन
कांट के अनुसार जब हम संप्रत्ययों की अनुभवों के आधार पर तथ्यपरक व्याख्या करने की चेष्टा करते हैं तो उसे इंद्रियानुभविक निगमन की संज्ञा दी जाती है। इसके विपरीत जब हम संप्रत्ययों को प्रागनुभविक मानते हैं तो उसे अतींद्रिय निगमन की संज्ञा देते हैं।
  • Empirical Ego -- आनुभविक अहम्
आत्मा का अंतर्निरीक्षण (introspection) में प्रकट चेतन क्रियाओं की एक श्रृंखला वाला स्वरूप।
  • Empirical Generalization -- इंद्रियानुभविक सामान्यीकरण
वह सामान्य प्रतिज्ञप्ति (जैसे :, “सभी कौए काले होते हैं”) जो प्रेक्षण इत्यादि से अर्थात् इंद्रियानुभव से प्राप्त होती हैं।
  • Empirical Hedonism -- इंद्रियानुभविक सुखवाद
बेन्थस और मिल का सुखपरक सिद्धांत जो कि प्रमाण के रूप में इंद्रियानुभव पर आधारित है, न कि स्पेन्सर के सिद्धांत की तरह विकास या किसी अन्य उच्चतर सिद्धांत से निगमन द्वारा प्राप्त।
  • Empirical Laws -- इंद्रियानुभविक नियम
वे नियम जो पूर्णतया अनुभवाश्रित होते हैं अथवा जिनकी स्थापना साधारण गणनामूलक आगमन द्वारा की जाती है।
उदाहरण : सभी मनुष्य मरणशील हैं। इंद्रियानुभविक नियम विशिष्ट दृष्टांतों के निरीक्षण पर आधारित प्रतिज्ञप्तियों के सामान्यीकरण पर भी आधारित हो सकते हैं।
  • Empirical Logic -- इंद्रियानुभविक तर्कशास्त्र
अंग्रेज तर्कशास्त्री वेन (Venn) के द्वारा आगमनिक तर्कशास्त्र के लिए प्रयुक्त पद। तर्कशास्त्र की यह शाखा इंद्रियानुभवों या इंद्रियानुभविक ज्ञान से संबंध रखती है।
  • Empirical Self -- इंद्रियानुभविक आत्मा, जीवात्मा
अन्तर्दर्शन, अन्तर्निरीक्षण (Introspection) से प्राप्त आत्मा का स्वरूप।
  • Empirical Theology -- इंद्रियानुभविक ईश्वरमीमांसा
वह ईश्वरमीमांसा जिसके अनुसार हम ईश्वर की सत्ता को अपने इंद्रियानुभव के आधार पर सिद्ध करते हैं।
  • Empirical Utilitarianism -- इंद्रियानुभविक उपयोगितावाद
बेन्थम और मिल का मत, जो ‘अधिकतम संख्या का अधिकतम सुख’ के नैतिक आदर्श को अनुभव से व्युत्पन्न करता है।
  • Empiricism -- इंद्रियानुभववाद, अनुभववाद
ज्ञानमीमांसा में मुख्यतः वह मत कि (संकीर्ण अर्थ में) इंद्रियों से प्राप्त होने वाला अनुभव अथवा (विस्तृत अर्थ में) किसी भी रूप में होने वाला अनुभव ही ज्ञान का और हमारे संप्रत्ययों का एकमात्र अंतिम आधार है।
  • Empirico-Criticism -- इंद्रियानुभविक संपरिक्षावाद
जर्मन दार्शनिक एवनेरियस (Avenarius) का वह सिद्धांत कि दर्शन का कार्य विश्व के विषय में एक ‘प्राकृतिक धारणा’ का विकास करना है, जिसका आधार शुद्ध इंद्रियानुभव हो और जो व्यक्ति के द्वारा अपनी ओर से समाविष्ट तत्त्वमीमांसीय अंशों से बिल्कुल मुक्त हो।
  • Empty Predicate -- रिक्त विधेय
वह विधेय जिसका कोई वस्त्वर्थ न हो, जैसे ‘नृसिंह’।
  • End -- उद्देश्य, साध्य, लक्ष्य
वह जिसको प्राप्त करने के लिए व्यक्ति प्रयत्न करता है।
  • Energeia -- परिनिष्पन्नता, सिद्धता
अरस्तू के दर्शन में, वस्तु की वह अवस्था जिसमें उसकी सारी अव्यक्त शक्तियाँ पूर्णतः व्यक्त हो जाती हैं, उसकी सभी संभावनाएँ वास्तविक हो जाती हैं।
  • Energism (Energetism) -- ऊर्जावाद, शक्तिवाद
ऊर्जा को अंतिम तथा पुद्गल या भौतिक द्रव्य का भी मूल मानने वाला एक तत्त्वमीमांसीय सिद्धांत। नीतिशास्त्र में, वह सिद्धांत कि सुख नहीं, बल्कि मानवीय शक्तियों का पूर्ण उपयोग करना ही परम शुभ है।
  • Enforcement Of Morality -- नीति-प्रवर्तन
किसी उच्चतर शक्ति के द्वारा व्यक्ति और समाज से नैतिकता का पालन करवाना।
  • Ens Parmenideum -- पार्मेनिडीज़ी सन्मात्र
परिवर्तन से बिल्कुल शून्य सत्त्ता : प्राचीन यूनानी दार्शनिक पार्मेनिडीज़ की इस मान्यता के अनुसार कि परिवर्तन भ्रम मात्र है, तत्त्विक नहीं।
  • Ens Rationis -- बौद्धिक सन्मात्र
वह सत्त्ता जिसका केवल मानसिक अस्तित्व हो, बाह्य जगत् में नहीं।
  • Entailment -- अनुलाग
दो प्रतिज्ञप्तियों के मध्य ऐसा संबंध कि एक का दूसरी से निगमन किया जा सके।
  • Entelechy -- ऐंटेलिकी, अंतस्तत्व
विशेषतः जर्मन दार्शनिक ड्रीश (Driesch) के अनुसार, वह अतिभौतिक शक्ति जो जीवित देह में व्याप्त रहते हुए उसके अंदर की भौतिक और रासायनिक क्रियाओं को एक प्रयोजन के अनुसार चलाती है तथा उसे एक पूर्ण अवयवी के रूप में विकसित करती है।
  • Entheism -- अंतरीश्वरवाद
जर्मन दार्शनिक कारूस (Carus) का मत जिसके अनुसार प्रकृति में व्याप्त दिव्य सर्जनात्मक शक्ति (ईश्वर) संगठन, संरचन तथा आंगिक एकता के रूप में स्वयं को व्यक्त करती है।
  • Enthymeme -- लुप्तावयव न्यायवाक्य
तर्कशास्त्र में, वह न्यायवाक्य जिसकी एक प्रतिज्ञप्ति (आधारवाक्य या निष्कर्ष) व्यक्त न की गई हो। जैसे ; ‘राम मरणशील है, क्योंकि वह मनुष्य है।’ इसमें आधारवाक्य ‘सभी मनुष्य मरणशील हैं’ लुप्त है।
  • Enthymeme Of The First Order -- लुप्तसाध्य न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य व्यक्त न किया गया हो। जैसे : ‘रवीन्द्र भारतीय है, क्योंकि वह बंगाली है’।
  • Enthymem Of The Fourth Order -- एकवाक्य न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसमें केवल एक ही प्रतिज्ञप्ति व्यक्त की गई हो और शेष दो अव्यक्त हों। जैसे : ‘राम आदमी ही तो है’ (शेष दो, संदर्भ के अनुसार ‘सभी आदमी गलती करते हैं’ तथा ‘राम ने गलती की है’, हो सकती है)।
  • Enthymem Of The Second Order -- लुप्तपक्ष न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसमें पक्ष-आधारवाक्य अव्यक्त हो। जैसे : ‘सभी मनुष्य मरणशील है, इसलिए वह भी मरणशील है’।
  • Enthymem Of The Third Order -- लुप्तनिष्कर्ष न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका निष्कर्ष अव्यक्त हो। जैसे : ‘सभी दार्शनिक चिंतनशील होते हैं और रसल दार्शनिक है’।
  • Entity -- वस्तु पदार्थ
कोई भी वस्तु जिसके बारे में विचार किया जा सके, चाहे वह मानसिक हो या भौतिक।
  • Enumerative Induction -- गणनाश्रित आगमन
वह सामान्यीकरण या आगमनिक अनुमान (‘सभी अ ब हैं’) जो दृष्टांतों की संख्या पर आधारित होता है, न कि संबंधित पदों के मध्य कार्य-कारण-संबंध की स्थापना के ऊपर।
  • Enumerative Judgement -- गणनाश्रित निर्णय
ऐसा निर्णय जो दृष्टांतों के प्रेक्षण मात्र पर आश्रित हो, न कि कारणात्मक संबंध के अनुसंधान पर। जैसे : ‘सभी कौवे काले होते हैं।’
  • Epicheirema -- संक्षिप्त प्रतिगामी तर्कमाला
वह युक्ति जिसका एक आधारवाक्य या दोनों ही आधारवाक्य, संक्षिप्त पूर्व-न्यायवाक्यों (Prosyllogism) के निष्कर्ष होते हैं।
  • Epicurianism -- एपिक्यूरसवाद
प्राचीन यूनानी दार्शनिक एपिक्यूरस एवं उसके अनुयायियों द्वारा प्रतिपादित सुसंस्कृत सुखवाद।
  • Epiphany -- 1. अवतरण दिवस : छः जनवरी का दिन जो कि ईसा के अवतरण के दिन के रूप में मनाया जाता है।
2. ईशावतरण : विशेष रूप ईसा के रूप में ईश्वर का प्रकट होना।
  • Epiphenomenalism -- उपोत्पादवाद
शरीर और मन के संबंध के स्वरूप के बारे में प्रस्तावित एक सिद्धांत जिसके अनुसार मानसिक एवं चेतन प्रक्रियाएँ भौतिक, विशेषतः तंत्रिकीय प्रक्रियाओं की गौण उपज हैं।
  • Epistemic Independence -- ज्ञान-निरपेक्षता
वस्तुवादियों के अनुसार वस्तुओं का अस्तित्त्व ज्ञान पर निर्भर नहीं करता।
  • Epistemological Dualism -- ज्ञानमीमांसीय द्वैतवाद
ज्ञानमीमांसा का वह सिद्धांत जो ज्ञाता और ज्ञेय दोनों का एक दूसरे से स्वतंत्र अस्तित्व स्वीकार करता है।
  • Epistemological Idealism -- ज्ञानमीमांसीय प्रत्ययवाद
ज्ञानमीमासीय प्रत्ययवाद वह सिद्धांत है जिसके अनुसार ज्ञान का विषय ज्ञाता के मनस पर पूर्णरूपेण निर्भर करता है।
  • Epistemological Monism -- ज्ञानमीमांसीय एकतत्त्ववाद
ज्ञानमीमांसा का वह सिद्धांत जिसमें विषय एवं वस्तु के बीच अद्वैत संबंध पाया जाता है। नव्य-वस्तुवाद इसका उत्तम उदाहरण है।
  • Epistemological Object -- ज्ञान-वस्तु, ज्ञान-विषय
वह वस्तु जो ज्ञान-क्रिया का कर्म अथवा विषय होती है। ज्ञान का विषय वास्तविक एवं अवास्तविक दोनों ही हो सकता है।
  • Epistemological Realism -- ज्ञानमीमांसीय यथार्थवाद
वह सिद्धांत कि प्रत्यक्ष इत्यादि में जिस वस्तु का ज्ञान होता है उसका अस्तित्व ज्ञाता के मन से स्वतन्त्र और बाह्य होता है।
  • Epistemology -- ज्ञानमीमांसा
दर्शन की वह शाखा जो ज्ञान की उत्पत्ति, संरचना, प्रणालियों, सीमा तथा सत्यता और उसकी कसौटियों का विवेचन करती है।
  • Episyllogism -- उत्तर-न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका आधारवाक्य (प्रायः एक) किसी अन्य न्यायवाक्य का निष्कर्ष होता है। (वह अन्य न्यायवाक्य इसकी तुलना में पूर्व-न्यायवाक्य (pro-syllogism) कहलाता है)।
  • Epochalism -- कालाणुवाद
ह्वाइटहेड के अनुसार, वह मत कि काल एक अविच्छिन्न सत्ता नहीं, बल्कि अणुवत् इकाइयों का समूह है।
  • Epoche -- कोष्ठकीकरण
मनोवैज्ञानिक, मूर्तिकल्पी एवं अतींद्रिय अपचयन के उपरान्त जो वस्तुनिष्ठ तत्त्व शेष रहता है, उस पर ध्यान केन्द्रित करना, क्योंकि हुसर्ल के अनुसार यही दर्शनशास्त्र का प्रमुख विषय है।
  • E’ – Proposition -- ए’- प्रतिज्ञप्ति
सर्वव्यापी निषेधक प्रतिज्ञप्ति (जैसे : ‘ कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है’) का प्रतीकात्मक नाम।
  • Equalitarianism -- समतावाद
वह मत कि सभी मनुष्य राजनीतिक या सामाजिक दृष्टि से समान हैं।
  • Equanimity -- समचित्तता
अनुकूल और प्रतिकूल हर प्रकार की परिस्थिति में मन के शांत बने रहने की अवस्था।
  • Equiparant Relation -- सममित संबंध
देखिए “symmetrical relation”।
  • Equiprobabilism -- समप्रसंभाव्यतावाद
वह सिद्धांत कि यदि एक नैतिक समस्या ऐसी है जिसका निश्चयात्मक समाधान असंभव हो, तो उसके हल के लिए समान रूप से युक्तियुक्त लगने वाली कार्य-प्रणालियों में से किसी का भी अनुसरण किया जा सकता है।
  • Equiveridic -- समसत्य
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में, दो प्रतिज्ञप्तिक सूत्र उस समय ‘समसत्य’ कहे जाते हैं जब चरों के स्थान पर प्रतिज्ञप्तियों को प्रतिस्थापित करने पर उन दोनों का सत्यता-मूल्य समान होता है।
  • Equivocal -- अनेकार्थक
एक से अधिक अर्थ रखने वाला (शब्द या पद) जैसे ‘हरि’।
  • Eristic -- जल्प, विवाद कला
वाद-विवाद में विपक्षी को पराजित करने के लिए दूषित युक्तियों का प्रयोग करने की कला।
  • Erlebnis -- स्वानुभूति
मन को होने वाला स्वयं अपनी ही क्रियाओं का अनुभव, जिसमें विषय-विषयी का तादात्म्य रहता है।
  • Erotema -- प्रश्न रूप आधारिका
अरस्तू के तर्कशास्त्र में, प्रश्नात्मक रूप में कथित आधारवाक्य।
  • Escaping Between The Horns Of Dilemma -- उभयतः पाश-विनिर्मुक्ति, पाशांतरानिर्गमन
उभयतः पाश के खंडन का एक तरीका जिसमें यह दिखाया जाता है कि पक्ष-आधारवाक्य में बताए हुए विकल्प परस्पर व्यावर्तक और निःशेषकारी नहीं हैं, अर्थात् उनके अलावा एक तीसरा विकल्प भी है जिनका विचार उभयतः पाश का प्रयोग करने वाले ने नहीं किया है।
उदाहरणार्थ : Counter-Dilemma के अन्तर्गत दिए हुए उभयतः पाश का खंडन इस तरीके से यह बता कर किया जा सकता है कि मैं न सच्ची बात कहूँगा और न गलत बात, बल्कि चुप रहूँगा और इसलिए मैं मनुष्य और देवता दोनों की घृणा का पात्र बनने से बच जाऊँगा। देखिए (counter dilemma)।
  • Eschatology -- मरणोत्तर-विद्या, परलोकविद्या, अंतविद्या
रूढ़िवादी ईश्वरमीमांसा (dogmatic theology) का वह भाग जो स्वर्ग, नरक इत्यादि मरणोत्तर बातों का विवेचन करता है।
  • Esoteric -- गुह्य, अंतरंग, गूढ़, रहस्यमय
विशेष-दीक्षाप्राप्त या विशेषाधिकारी वर्ग से संबंधित अथवा उसके लिए उपयोगी; (और इसलिए) जो सामान्य जनों के लिए अगम्य हो।
  • Esse Est Percipi -- दृश्यते इति वर्तते (सत्ता दृस्यता है)
बर्कले (Berkeley) की प्रसिद्ध उक्ति जो सत्ता और प्रत्यक्ष का अभेद बताती है अर्थात् किसी वस्तु की सत्ता उसके प्रत्यक्षीकृत होने में ही निहित होती है।
  • Essence -- तत्त्व, सार
वस्तु का वह रूप जो स्थायी है, आगंतुक नहीं; वस्तु का स्वरूप; वह जिसके होने से वस्तु वह है जो वह है।
  • Essenism -- एसीनवाद
दूसरी शताब्दी ई.पू. से दूसरी शताब्दी ईसवी तक की अवधि में फिलिस्तीन में कठोर त्याग और तपस्या का आचरण करने वाले यहूदियों के एक संप्रदाय की विचारधारा।
  • Essential Attribute -- तात्त्विक गुण
किसी वस्तु के सामान्य एवं अनिवार्य गुणों को उसका तात्त्विक गुण कहा जाता है।
  • Essential Co-Ordination Theory -- तात्त्विक समन्वयवाद
दार्शनिक एविनेरियस (Avenarius) के द्वारा अंतःक्षेपण – सिद्धांत (प्रतिनिधानात्मक प्रत्यक्ष-सिद्धांत) के विरोध में प्रस्तुत यह सिद्धांत कि विषय और विषयी (ज्ञेय वस्तु और ज्ञाता) के मध्य तात्त्विक समन्वय अथवा सामंजस्य होता है।
  • Essentialism -- तत्त्ववाद
तत्त्वमीमांसा में, वह सिद्धांत जो (व्यष्टिगत) अस्तित्व की अपेक्षा (सामान्य) तत्त्त्वों पर अधिक बल देता है। जैसे : प्लेटो का प्रत्यय-सिद्धांत।
  • Established Generalization -- सिद्ध सामान्यीकरण
वह सामान्यीकरण जो किसी उच्चतर नियम से व्युत्पन्न निगमन के द्वारा प्रमाणित हो गया हो।
  • Esthesis -- भाव-तन्मात्र
शुद्ध अनुभूति जिसमें संप्रत्यय और व्याख्या का कोई अंश न हो।
  • Eternalism -- शाश्वतवाद
वह सिद्धांत कि जगत् का अस्तित्व हमेशा से रहा है और सदैव बना रहेगा अर्थात् जगत् शाश्वत है।
  • Eternal Object -- शाश्वत वस्तु, नित्यवस्तु
ह्वाइटहेड (Whitehead) के दर्शन में, प्लेटो के ‘प्रत्यय’ और अरस्तू के ‘आकार’ का समानार्थक।
  • Ethical Absolutism -- नितिपरक निरपेक्षवाद
नैतिक मानकों या मूल्यों को निरपेक्ष, वस्तुनिष्ठ तथा शाश्वत मानने वाला सिद्धांत।
  • Ethical Egoism -- नीतिपरक स्वार्थवाद
वह मत कि व्यक्ति को केवल अपने ही कल्याण को लक्ष्य बनाकर काम करना चाहिए।
  • Ethical Fiction -- नीतिपरक कल्पितार्थ
वह कल्पित मानदण्ड जिसका कोई अस्तित्व नहीं है और जो कर्मों के औचित्य या अनौचित्य का निर्धारण करता है।
  • Ethical Formalism -- नीतिपरक आकारवाद
कांट का वह नैतिक सिद्धांत जो कर्म के परिणाम और परिस्थिति से निरपेक्ष होता है, अर्थात् उसमें अपवाद स्वीकार नहीं किये जाते हैं।
  • Ethical Hedonism -- नीतिपरक सुखवाद
वह मत कि सुख ही एकमात्र साध्य है और तदनुसार प्रत्येक व्यक्ति को वही कर्म करना चाहिए जो सबसे अधिक सुखदायक परिणामों को देने वाला हो।
  • Ethical Intuitionism -- नीतिपरक अंतःप्रज्ञावाद
एक मत जिसके अनुसार नैतिक औचित्य या अनौचित्य के व्यक्ति को अंतःप्रज्ञा द्वारा अपरोक्ष ज्ञान होता है और वह कर्म के शुभ या अशुभ परिणामों पर आश्रित नहीं होता।
  • Ethical Legalism -- नीतिपरक विधिवाद
वह मत कि आचरण के कुछ नियम हैं जिनका परिणामों की ओर ध्यान दिये बिना अक्षरशः पालन किया जाना चाहिये। यह मत कांट का भी है।
  • Ethical Mysticism -- नीतिपरक रहस्यवाद
वह सिद्धांत जिसके अनुसार व्यक्ति और परमसत् का तादात्म्य नैतिक आदर्श है।
  • Ethical Naturalism -- नीतिपरक प्रकृतिवाद
वह इंद्रियानुभविक विज्ञान जो नीतिशास्त्र एवं उसके संप्रत्ययों को प्राकृतिक विज्ञानों के संप्रत्ययों के माध्यम से व्याख्या करने की चेष्टा करता है। इस दृष्टिकोण का प्रतिपादन बेंथम और मिल ने अपने उपयोगितावाद को स्पष्ट करने के लिए किया है। तत्पश्चात् इसका प्रयोग विकासवादी नीतिशास्त्र हरबर्ट स्पेंसर ने किया और समसामयिक जॉन ड्यूई ने अपने अर्थक्रियावाद में इसकी स्पष्ट विवेचना की।
  • Ethical Nihilism -- नीतिपरक निषेधवाद, नीतिपरक नास्तिवाद
शुभ-अशुभ, उचित-अनुचित इत्यादि नैतिक विभेदों की प्रामाणिकता का निषेध करने वाला मत।
  • Ethical Realism -- नीतिपरक यथार्थवाद
नैतिक मूल्यों के अस्तित्व को अनुभव या ज्ञान से स्वतंत्र मानने वाला मत। जैसे : हार्टमान (Hartmann) का मत।
  • Ethical Relativism -- नीतिपरक सापेक्षवाद
वह नैतिक सिद्धांत जो उचित-अनुचित, शुभ-अशुभ के मानदण्ड को देश-काल और परिस्थिति सापेक्ष मानता है।
  • Ethical Relativity -- नीतिपरक सापेक्षता
देखिए “ethical relativism”।
  • Ethical Scepticism -- नीतिपरक संशयवाद, नीतिपरक संदेहवाद
वह मत जो शाश्वत नैतिक मूल्यों के अस्तित्व में संदेह प्रकट करता है।
  • Ethical Sense -- नैतिक बोध
उचितानुचित का सही बोध।
  • Ethical Viewpoint -- नैतिक दृष्टिकोण
नैतिक एवं अनैतिक, उचित एवं अनुचित तथा शुभ एवं अशुभ इत्यादि नीतिशास्त्रीय शब्दों के अर्थ का विश्लेषण करने वाला दृष्टिकोण। यह आचारिक दृष्टिकोण (moral viewpoint) से भिन्न है जो इन शब्दों के व्यावहारिक पक्ष से संबंधित होता है।
  • Ethics -- नीतिशास्त्र
नीतिशास्त्र की वह शाखा जो नैतिक निर्णयों के संदर्भ में संकल्प-उत्तरदायित्व, शुभ-अशुभ, कर्तव्य-अकर्तव्य इत्यादि प्रत्ययों का विश्लेषण करती है।
  • Ethology -- चरित्रविज्ञान, आचारविज्ञान
चरित्र-निर्माण की प्रविधि का अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Etiquette -- शिष्टाचार
आचरण की परंपरा द्वारा स्थापित नियमों एवम् मूल्यों का समुच्चय।
  • Eudaemonism -- आत्मपूर्णतावाद
एरिस्टॉटल के नीतिशास्त्र का वह सिद्धांत, जिसके अनुसार मनुष्य के आचारण का परम उद्देश्य ऐंद्रिक सुख की प्राप्ति न होकर लोक-कल्याण है, जो तर्कबुद्धि के अनुशासन में रहते हुए सभी मनुष्यों की शक्तियों के पूर्ण विकास से अर्जित होता है। प्रायः यह आत्मपूर्णतावाद का पर्यायवाची शब्द माना जाता है किन्तु दोनों के बीच सूक्ष्म भेद यह है कि जहाँ आत्मपूर्णतावाद केवल व्यक्ति की पूर्णता में विश्वास करता है वहाँ लोक-कल्याणवाद सभी मनुष्यों की पूर्णता को अपना लक्ष्य निर्धारित करता है।
  • Euhemerism -- यूहीमरसवाद
वह सिद्धांत कि पौराणिक कथाएँ सच्ची ऐतिहासिक घटनाओं के विकृत रूप हैं। यूहीमरस (300 ई.पू.), जिसके नाम से यह सिद्धांत प्रचलित है, देवताओं को मूलतः इतिहास के वीर पुरुष मानता था।
  • Eunomianism -- यूनोमियसवाद
ईसाई धर्म में, एक रोमन कैथोलिक पादरी यूनोमियस के नाम से प्रचलित चौथी शताब्दी (ईसवी) का वह सिद्धांत कि ईश्वर के द्वारा रचित होने से ईश्वरपुत्र (ईसा) ईश्वर के सदृश नहीं हो सकता।
  • Event -- घटना
सामान्य रूप से, दिक्काल के एक सीमित अंश के अन्दर होने वाला कोई भी परिवर्तन। विशेषतः ह्वाइटहेड (whitehead) के दर्शन में, ‘अंत्य वस्तुओं’ (actual entities) की एक संबद्ध श्रृंखला। जैसे : एक अणु का कुछ क्षणों तक अविच्छिन्न अस्तित्व।
  • Event Particle -- घटना-कण
ह्वाइटहेड के दर्शन में, घटना का वह रूप जिसमें उसके आयामों को कल्पना में घटाकार अल्पतम कर दिया गया हो।
  • Evil -- अशुभ, मंगल, अनिष्ट, अशिव
जीवन के आदर्शो के विरूद्ध वे विचार भावना अथवा कार्य जो व्यक्ति अथवा समाज के लिए भौतिक, नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टियों से अकल्याणकारी हैं।
  • Evolution -- विकास
वस्तुओं के सरल से जटिल, समांग से विषमांग तथा कम विशिष्टीकृत से अधिक विशिष्टीकृत होने की क्रमिक प्रक्रिया। विशेषतः जीवविज्ञान के प्रभाव द्वारा परिवर्तनों के समायोजन के फलस्वरूप आनुवंशिकता के कारण भावी पीढ़ियों में लक्षणों के संघटित एवं संचित होने से नवीन जातियों के उत्पन्न होने की प्रक्रिया।
  • Evolutionary Ethics -- विकासवादी नीतिशास्त्र
डार्विन के विकासवादी सिद्धांत पर आधारित स्पेन्सर का विकासवादी सिद्धांत, जिसमें नैतिक बोध इत्यादि के विकास पर विशेषतः विचार किया जाता है तथा नैतिक मानक के निरूपण में अनुकूलन में सहायक होना, जीवनोपयोगी होना इत्यादि बातों को विशेष रूप से ध्यान में रखा जाता है।
  • Exceptive Proposition -- अपवादी प्रतिज्ञप्ति, विस्मयादिबोधक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें कोई अपवाद बताया गया हो। जैसे : ‘व्यापारियों’ को छोड़कर सभी आजकल दुःखी हैं।
  • Exclamatory Proposition -- उद्गारी प्रतिज्ञप्ति
जॉनसन के अनुसार, प्रतिज्ञप्ति का वह आदिम रूप जिसमें एक ही शब्द का विस्मयादि बोधक रूप में उच्चारण करके उससे एक पूरी प्रतिज्ञप्ति का काम लिया जाता है। जैसे : ‘कुत्ता।’ (अर्थात् ‘यह कुत्ता है’ या ‘कुत्ता आ रहा है।’)
  • Excludent -- व्यावर्त्य
डिमॉर्गन के तर्कशास्त्र में, वह विधेय जिसका किसी के लिए भी प्रयोग न किया जा सके।
  • Exclusive Egoism -- व्यावर्तक अंहवाद
वह मत कि जो वस्तु एक व्यक्ति के लिए शुभ हो, वह दूसरे व्यक्ति के लिए शुभ नहीं हो सकती और इसलिए किसी अन्य व्यक्ति के शुभ का अपने शुभ से तादत्म्य नहीं हो सकता।
  • Exclusive Proposition -- व्यावर्तक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें विधेय का उद्देश्य के लिए अनन्य रूप से प्रयोग हो। जिस वाक्य में ‘केवल’ या ‘………. के अलावा कोई नहीं’ आदि शब्दों का प्रयोग होता है वह ऐसी प्रतिज्ञप्ति को प्रकट करता है।
उदाहरण : ‘केवल भक्त ही मुक्ति के अधिकारी है’, ‘राम के अलावा कोई अन्दर नहीं जा सकता’ इत्यादि।
  • Exegesis -- शास्त्रतात्पर्य-निरूपण
किसी भी ग्रंथ के अर्थ का निर्णय करना। विशेष रूप से, किसी धर्मग्रंथ के अर्थ का निश्चय करना।
  • Exemplarism -- प्रतिमानवाद
वह सिद्धांत कि ईश्वर के मन में रहने वाले प्रत्यय मूल हैं और इस परिच्छिन्न जगत् की वस्तुएँ उनकी प्रतिकृतियाँ (नकल) हैं।
  • Exemplary Cause -- आदर्श-कारण
वैसा कारण जैसा प्लेटो के प्रत्यय हैं, जिनके अनुकरण पर मर्त्यलोक की वस्तुओं का निर्माण हुआ है। ईश्वरीय योजना भी इस प्रकार का कारण है क्योंकि (मध्ययुगीन दर्शन के अनुसार) विश्व की सृष्टि उसी योजना के अनुसार की गई है।
  • Exemplification -- दृष्टान्तीकरण
किसी बात का उदाहरण या दृष्टांत देना। विशेष रूप से, भारतीय पंचावयव न्यायवाक्य में तीसरा अवयव, उदाहरण।
  • Exemplum -- दृष्टांतकथा
किसी नैतिक शिक्षा को बल देने के लिए सुनाई गई कोई सच्ची या कल्पित कहानी, जैसी कि पंचतंत्र में मिलती है।
  • Exhaustive Judgement -- सर्वसमावेशी निर्णय
बोसांके (Bosanquet) के अनुसार, वह निर्णय जिसका विधेय उद्देश्य के द्वारा व्यक्त वर्ग में शामिल प्रत्येक व्यष्टि पर लागू हो। जैसे : ‘सभी मनुष्य मरणशील हैं’।
  • Exient -- अतिरेकी
डिमॉर्गन की शब्दावली में, वह वर्ग जो एक अन्य वर्ग के अंशतः बाहर हो।
उदाहरण : ‘कुछ क ख नहीं हैं’, में क, ख की तुलना में ऐसा है।
  • Existence -- अस्तित्व
सत्य या वास्तविक होने की अवस्था जिसमें वस्तु अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया-प्रतिक्रियाशील होती है।
  • Existence Theory (Of Truth) -- अस्तित्व-सिद्धांत (सत्यता का)
प्लेटो के ‘सोफिस्ट’ में सत्यता का एक वैकल्पिक सिद्धांत जिसके अनुसार सत्य विश्वास वह है जिसका विषय कोई अस्तित्व रखने वाली वस्तु होता है और मिथ्या वह है जिसका विषय कोई अस्तित्व न रखने वाली वस्तु होता है।
  • Existential Analysis -- अस्तित्वपरक विश्लेषण
स्विस मनोचिकित्सक लुडविग बिन्स्वैन्जर (Ludwig Binswanger) का संप्रदाय जो हुसर्ल (Husserl) के संवृतिशास्त्र, हाइडेगर (Heidegger) के अस्तित्त्ववाद और फ्रॉयड (Freud) के मनोविश्लेषण का मिश्रित रूप है और इस बात पर जोर देता है कि रोगी अपने पर्यावरण का क्या अर्थ ले रहा है तथा उसकी वर्तमान समस्याएँ क्या हैं।
  • Existential Generalization (Rule) -- अस्तित्वपरक सामान्यीकरण (नियम)
अनुमान का एक नियम जिसके अनुसार, गुणधर्म ‘ग’ एक वस्तु ‘व’ में पाया जाता है। इस आकार के एक कथन से कम से कम एक ऐसी वस्तु अस्तित्व रखती है जिसमें गुणधर्म ‘ग’ पाया जाता है। इस आकार के एक कथन का अनुमान किया जा सकता है।
  • Existential Import -- अस्तित्त्वपरक तात्पर्य
किसी प्रतिज्ञप्ति में इस बात का निहित होना कि किन्हीं वस्तुओं का अस्तित्व है।
  • Existential Instantiation (Rule) -- अस्तित्वपरक दृष्टांतीकरण (नियम)
अनुमान का एक नियम जिसके अनुसार कुछ स्थितियों में ‘एक ऐसी वस्तु अस्तित्व रखती है जिसमें गुणधर्म ‘ग’ पाया जाता है, इस आकार के एक कथन से ‘गुणधर्म ‘ग’ एक वस्तु ‘व’ में पाया जाता है, इस आकार के एक कथन का अनुमान किया जा सकता है।
  • Existentialism -- अस्तित्त्ववाद
किर्केंगार्ड (Kierkegaard), हाइडेगर (Heidegger), सार्त्र (Sartre) इत्यादि कुछ समकालीन दार्शनिकों के नाम के साथ जुड़े हुए एक दार्शनिक मत का नाम, जिसका उद्देश्य चिन्तन को विचारों और वस्तुओं से हटाकर मानवीय अस्तित्व पर केंद्रित करना है।
  • Existential Proposition -- अस्तित्वपरक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो अपने उद्देश्य के अस्तित्व का कथन करे अथवा ब्रेन्टानो के अनुसार, जो किसी क्रिया के कर्म का विधान या निषेध करे।
  • Existential Quantifier -- अस्तित्व परिमाणक
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में, प्रतीक (E) या (Ǝ) जिसे एक “ऐसी वस्तु का अस्तित्व है”, बोला या पढ़ा जाता है।
  • Ex Opere Operato -- कर्मानुष्ठानतः
रोमन कैथोलिक धर्मशाश्र में, इस बात को प्रकट करने के लिए प्रयुक्त पद कि धार्मिक संस्कार का प्रभाव उसके अनुष्ठान मात्र से हो जाता है औरवह स्वतः फल देता है न कि अनुष्ठान करने वाले या उसका लाभ प्राप्त करने वाले की गुणवत्ता के कारण।
  • Exoteric -- बहिरंग
जो सामान्य जन हैं या अदीक्षित अथवा अविशेषज्ञ हैं उनसे संबंधित या उनके लिए उपयोगी।
  • Experient -- अनुभविता, अनुभावक
इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग इंग्लैण्ड के तर्कशास्त्री डब्ल्यू. ई. जॉनसन ने अपने तर्कशास्त्र के तृतीय खण्ड में किया था जिसके अनुसार अनुभव करने वाला व्यक्ति अनुभविता या अनुभावक कहलाता है।
  • Experientialism -- अनुभूतिवाद
वह अनुभूति (ऐंद्रिक अनुभव से भिन्न) जो नैतिक, धार्मिक, कलात्मक एवं आध्यात्मिक संवेदनाओं से संबंधित होती है। सामान्य अनुभववाद का संबंध केवल बाह्य ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्राप्त ज्ञान के लिए ही किया जाता है किन्तु अनुभूतिवाद शब्द का प्रयोग बाह्य ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा प्राप्त ज्ञान से पृथक् आन्तरिक अनूभूतियों से संबंधित होता है। केवल अर्थक्रियावादी दार्शनिक जैसे : विलियम जेम्स ने अपने अनुभवाद में अनुभव के भीतर बाह्य अनुभव एवं आन्तरिक अनुभूतियों दोनों के लिए किया है। इसी कारण इसके अनुभववाद को उत्कट अनुभववाद (radical empiricism) के नाम से अभिहित किया जाता है।
  • Experiential Proposition -- अनुभूतिमूलक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो सामान्य अनुभव से पृथक् किसी नैतिक, धार्मिक, कलात्मक अथवा आध्यात्मिक अनुभूतियों से प्राप्त किसी तथ्य का कथन करती है।
  • Experimental Empiricism -- प्रायोगिक इंद्रियानुभववाद
जॉन ड्यूई का ज्ञानमीमासीय सिद्धांत, जो अनुभव को ज्ञान का स्रोत मानता है और वस्तुओं के ऐंद्रिय गुणों को पारंपरिक रूप में स्थिर न मानते हुए उन प्रयोगों या संक्रियाओं का परिणाम मानता है जो हम उनके ऊपर करते हैं।
  • Experimentalism -- प्रयोगवाद
ड्यूई का वह मत कि संपूर्ण जीवन मनुष्य का सफलतापूर्वक परिस्थितियों से समायोजन करने के उद्देश्य से किया जाने वाला एक प्रयोग है।
  • Experimental Logic -- प्रयोगात्मक तर्कशास्त्र
शिलर एवं ड्यूई के अनुसार, वह शास्त्र जिसका कार्य उन प्रणालियों का अध्ययन करना है जिनका अनुसरण करके प्रयोगात्मक विज्ञान सर्वाधिक सफलता के साथ ज्ञान की प्राप्ति करते है और जिनके आधार पर भावी खोज-कार्य के लिए नियामक निर्धारित किए जा सकते हैं।
  • Experimental Method -- प्रयोगात्मक विधि
विज्ञानों के द्वारा अपनाई जाने वाली अनुसंधान प्रणाली जिसमें, परिस्थितियों को पूरी तरह नियंत्रण में रखकर वैज्ञानिक किसी प्राक्कल्पना की सच्चाई की जाँच करता है। जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपने आगमनात्मक तर्कशास्त्र में इन विधियों का सफलतापूर्वक उल्लेख किया है।
  • Experimentum Crusis -- निर्णायक प्रयोग
वह प्रयोग जो किसी प्राक्कल्पना को निर्णायक रूप से सत्य या असत्य सिद्ध कर देता है।
  • Explanandum -- व्याख्येय
वह जिसकी व्याख्या करनी हो, व्याख्या का विषय।
  • Explanans -- व्याख्यापक
जिन प्रत्ययों अथवा पदार्थों के माध्यम से, किसी पद का स्पष्टीकरण किया जाता है।
  • Explanation -- व्याख्या
किसी जटिल अथवा दुर्बोध पद को स्पष्ट करने के लिए तत्संबंधी सरलतर प्रत्ययों के द्वारा उसे बोधगम्य बनाना।
  • Explicandum -- व्याख्येय, विवार्य
वह संप्रत्यय जिसका और अधिक स्पष्ट संप्रत्यय में विश्लेषण करना हो।
  • Explicative Definition -- व्याख्यात्मक परिभाषा
वह परिभाषा जो किसी संप्रत्यय का विश्लेषण करे अथवा व्याख्या प्रस्तुत करे।
  • Explicative Proposition -- व्याख्यात्मक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें विधेय उद्देश्य-पद की व्याख्या प्रस्तुत करता है।
  • Explicit Definition -- सुस्पष्ट परिभाषा
वह परिभाषा जो परिभाष्य पद का पर्याय अर्थात् समतुल्य शब्द बताती है।
  • Exponible -- व्याख्यापेक्षी
तर्कशास्त्र में, ऐसी प्रतिज्ञप्ति के लिए प्रयुक्त विशेषण जिसके अर्थ को स्पष्ट करने के लिए व्याख्या अपेक्षित हो।
  • Exportation -- निर्यातन
प्रतिज्ञप्ति कलन के वैध अनुमान का वह रूप जिसमें (अ ब) ⊃ स से निष्कर्ष (अ ⊃ ब ⊃ स) प्राप्त होता है।
  • Exposition -- विवरण
किसी कथन के निहितार्थ को अनावृत करना। विशेषतः मध्युगीन तर्कशास्त्र में, किसी आलंकारिक कथन का तार्किक रूप में विश्लेषण करना।
  • Expository Syllogism -- व्यष्टिहेतुक न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसमें दो पदों का एक एकवाचक पद द्वारा व्यक्त किसी तीसरी वस्तु से समानतः संबंधित होने के आधार पर निष्कर्ष में संबंध स्थापित किया जाता है।
जैसे : जॉन कायर है
जॉन एक सैनिक है
∴ कुछ सैनिक कायर होते हैं।
  • Expression -- व्यंजक
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में, प्रतीकों की सीमित अभिव्यक्ति,
जैसे : प ⊃ फ।
  • Expressionism -- अभिव्यंजनावाद
वह सिद्धांत कि कला का उद्देश्य बाह्य जगत् के विषय में किसी तथ्य का वर्णन करना नहीं बल्कि कलाकार की भावनाओं, अनुभूतियों तथा अभिवृत्तियों को अभिव्यक्त करना मात्र है।
  • Expressive Meaning -- भावव्यंजक अर्थ, अभिव्यंजक अर्थ
किसी पद या वाक्य का वह अर्थ जो किसी वस्तुस्थिति को नहीं बताता बल्कि वक्ता के मन की अवस्था या उसके भाव या संवेग को व्यक्त करता है।
  • Extension -- वस्त्वर्थ
तर्कशास्त्र में, वे सभी वस्तुएँ जो किसी पद के अंतर्गत आती हैं, अर्थात् जिन पर वह पद लागू होता है या जिनका वह नाम होता है।
  • Extensive Abstraction -- विस्तारी अपाकर्षण
ह्वाइटहेड (Whitehead) के द्वारा बिंदु, रेखा इत्यादि गणितीय संप्रत्ययों को संवेद्य वस्तुओं से जोड़ने के लिए अपनाई गई एक प्रणाली।
जैसे : इसके द्वारा हम एक वृत के अंदर दूसरे वृत की कल्पना करते हुए उत्तरोत्तर अधिक छोटे वृत में पहुँचते जाते हैं और इस तरह बिंदु का संप्रत्यय हमारे लिए बोधगम्य हो जाता है।
  • Extensive Quality -- विस्तारशील गुण
वह गुण जिसकी मात्रा को संख्या के द्वारा सही-सही बताया जा सकता हो। जैसे : भार, लम्बाई इत्यादि। कोहेन और नेगेल के ‘तर्कशास्त्र’ में इसका ‘intensive quality’ से भेद किया गया है, जिसकी न्यूनता या अधिकता तो बताई जा ‘सकती है परंतु कितनी ?’ का सही-सही उत्तर नहीं दिया जा सकता।
  • Exterroity -- बाह्यता
विशेष रूप से ज्ञाता के मन से बाहर होने का गुण।
  • Externalism -- बाह्यादानवाद
शिक्षा-दर्शन में, वह सिद्धांत कि मनस् प्रारम्भ में बिल्कुल कोरा होता है और फलतः बाहर से वस्तुओं को ग्रहण करके ही उसका विकास होता है। देखिये “tabula-rasa”
  • Externalization -- बाह्यीकरण
ज्ञानमीमांसा का वह सिद्धांत जिसके अनुसार बाह्य वस्तुएँ आन्तरिक संस्कारों की ही बाह्य अभिव्यक्तियाँ है। उदाहरण के लिए भारतीय दर्शन में बौद्ध दर्शन का योगाचार विज्ञानवाद।
  • External Law -- बाह्य नियम
वह नियम जो व्यक्ति की अंतरात्मा का अपना नहीं होता बल्कि किसी बाह्य शक्ति के द्वारा उस पर आरोपित किया (थोपा) जाता है।
  • External Sanction -- बाह्य अनुशास्ति
वे बाहरी शक्तियाँ जो व्यक्ति को नीतिनिष्ठ बनाती हैं अर्थात् उसे नैतिकता के मार्ग पर आरूढ़ करती हैं। जैसे : दंड का भय, ईश्वर का भय इत्यादि।
  • (Theory Of) External Relations -- बाह्य-संबंध-सिद्धांत
नव्य-यथार्थवादियों का वह मत कि संबंध संबंधित पदों से स्वतंत्र होते हैं, अर्थात् वे जिन वस्तुओं को जोड़ते हैं उनके स्वरूप को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करते।
  • External World -- बाह्य जगत्
आत्मा से स्वतन्त्र जिन वस्तुओं का प्रत्यक्ष होता है और जिनका प्रत्यक्ष हो सकता है उन सभी वस्तुओं की समष्टि।
  • Extra-Logical Fallacies -- तर्केतर दोष
वे दोष जो तार्किक नियमों के उल्लंघन से नहीं बल्कि अनुचित अभिगृहीतों और असंबद्ध निष्कर्ष के कारण युक्ति में उत्पन्न होते हैं। जैसे ; अर्थान्तर सिद्धि दोष (ignoratio elenchi) के अन्तर्गत उल्लिखित दोष।
  • Extraspective Situation -- परेक्षणात्मक स्थिति
ब्रॉड (Broad) के अनुसार, वह परिस्थिति जिसमें हम अन्य मनों और उनकी अवस्थाओं से साक्षात् संपर्क रखे होते हैं।
  • Extrinsic Values -- बाह्य मूल्य, परतः मूल्य
1. वह मूल्य जो स्वतः साध्य न होकर किसी अन्य साध्य के साधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
2. वे वस्तुएँ जो कि स्वयं मूल्यवान् नहीं होती बल्कि किसी शुभ उदेश्य की प्राप्ति के हेतु मूल्य रखती हैं।
  • Extrojection -- बहिःक्षेपण
मन के द्वारा अपने अंदर अनुभूत होने वाले ऐंद्रिय गुणों और भावात्मक अवस्थाओं का बाह्यीकरण।
  • Fact -- तथ्य
वह जो वस्तुतः है, अस्तित्ववान् है, या घटित हुआ या होता है।
  • Facticity -- तथ्यात्मकता
जर्मन अस्तित्ववादी विचारक मार्टिन हाइडेगर (Martin Heidegger) के अनुसार, वह स्थिति जिसमें व्यक्ति स्वयं को अकेला नहीं बल्कि एक दुनिया में पाता है जो पहले से ही मौजूद है और जिसे उसने नहीं बनाया है और जिसमें उसका होना उसकी इच्छा-अनिच्छा पर निर्भर नहीं है।
  • Factitious Correlation -- कृत्रिम सहसंबंध
ऐसा सहसंबंध जिसका आधार स्वाभाविक या वस्तुनिष्ठ न हो।
जैसे : किसी भी भाषा में पाए जाने वाले नामों और वस्तुओं का सहसंबंध।
  • Factual Content -- तथ्यात्मक अन्तर्वस्तु
समकालीन दार्शनिकों के अनुसार ऐसी प्रतिज्ञप्तियाँ जो न तो विश्लेषणात्मक हैं और न स्वतोव्याघाती अपितु जो इन्द्रियों द्वारा सत्यापित की जा सकती हैं।
  • Factual Correlation -- तथ्यात्मक सहसंबंध
कृत्रिम (Factitious) सहसंबंध से भिन्न वह सहसंबंध जिसका आधार वास्तविक या वस्तुनिष्ठ होता है।
  • Factually Empty -- तथ्यतः रिक्त
ऐसा कथन जो ताथ्यिक अन्तर्वस्तु से रिक्त अर्थात् जिसके सत्यापन के लिए इंद्रियानुभव की आवश्यकता न हो, तार्किक इंद्रियानुभववादियों के अनुसार स्वतोव्याघाती और विश्लेषी कथन इस प्रकार के होते हैं।
  • Factual Meaning -- तथ्यात्मक अर्थ
ऐसी प्रतिज्ञप्ति का अर्थ जिसकी सत्यता किसी तथ्य पर निर्भर होती है।
  • Factual Premise -- तथ्यात्मक आधारवाक्य
रसल के अनुसार, वह आधारवाक्य जो अनुमान से प्राप्त नहीं है और किसी ऐसी घटना का कथन करती है जो किसी तिथि विशेष में घटित हुई है।
  • Fair Bet -- निष्पक्ष दाँव
वह शर्त जिससे संबंधित पक्ष और प्रतिपक्ष को होने वाले लाभ और हानि की प्रसंभाव्यताएँ गणित की दृष्टि से बिल्कुल बराबर हों।
  • Faith -- आस्था, मत
किसी सत्ता अथवा विचार में विश्वास, जिसके पक्ष अथवा विपक्ष में यथेष्ट प्रमाण उपलब्ध न हों अथवा जो प्रमाणों से बिल्कुल अतीत हो। जैसे : ईश्वर, अमरत्व, नैतिक, आदर्श इत्यादि।
  • Faksoko -- फाक्सोको
तर्कशास्त्र में, साक्षात् आकृत्यंतरण के लिए न्यायवाक्य में द्वितीय आकृति के वैध विन्यास “बारोचो” के लिए प्रयुक्त वैकल्पिक नाम। देखिए “baroco”
  • Fallacy -- तर्कदोष, युक्ति-दोष
तर्क में होने वाला कोई दोष, विशेषतः ऐसे तर्क में जो ऊपर से निर्दोष प्रतीत होता है अथवा, कोई भी दोष जो तर्क की सहायक प्रक्रियाओं के किसी नियम के उल्लंघन से पैदा होता है। जैसे : परिभाषा, हेत्वानुमान इत्यादि में आने वाला दोष।
  • Fallacy Extra Dictionem -- शब्देतर दोष
अरस्तू के वर्गीकरण के अनुसार, वह दोष जो युक्ति में भाषा या शब्दों की अनेकार्थकता से नहीं आता। जैसे : अव्याप्त हेतु-दोष।
  • Fallacy In Dictione -- शैली-दोष
अरस्तू के वर्गीकरण के अनुसार, वह जो युक्ति में भाषा या शब्दों की अनेकार्थकता के कारण उत्पन्न होता है। जैसे : पदाघात-दोष (fallacy of accent) या द्वयार्थक-हेतु दोष (fallacy of ambiguous middle)।
  • Fallacy Of Absolute Priority -- निरपेक्ष-प्राथमिकता दोष
वह मिथ्या धारणा कि प्रत्येक घटना-क्रम में पूर्ववर्ती-परवर्ती का संबंध निरपेक्ष है, अर्थात् जो पूर्ववर्ती है वह परवर्ती नहीं हो सकता। जैसे : यदि अज्ञान गरीबी का पूर्ववर्ती है तो गरीबी अज्ञान का पूर्ववर्ती नहीं हो सकती।
  • Fallacy Of Accent -- पदाघात-दोष, स्वराघात-दोष
वाक्य में गलत शब्दों के ऊपर बल देने से उत्पन्न होने वाला दोष। जैसे ; “तुम अपने पड़ोसी के विरूद्ध झूठी गवाही नहीं दोगे”, इस वाक्य में “पड़ोसी” के ऊपर जोर देने से यह अर्थ निकलता है कि जो पड़ोसी नहीं है उसके विरूद्ध झूठी गवाही दी जा सकती है, जो की मूल वाक्य की दोषपूर्ण व्याख्या होगी।
  • Fallacy Of Accident -- उपलक्षण-दोष, उपाधि-दोष
यह दोष तब होता है जब किसी सामान्य रूप से सत्य कथन को किन्हीं आकस्मिक या विशिष्ट परिस्थितियों में भी सत्य मान लिया जाता है।
उदाहरण : पानी तरल होता है;
बर्ष पानी है;
इसलिए बर्फ तरल है।
[“fallacy of converse accident” से भेद करने के लिए इसे “direct fallacy of accident” भी कहते है।]
  • Fallacy Of Affirming The Consequent -- फलवाक्य-विधान-दोष
पक्ष-आधारवाक्य में फलवाक्य का विधान करके निष्कर्ष में हेतुवाक्य का विधान करने का दोष। जैसे : “यदि अ है तो ब है; ब है अतः अ है, ‘या’ यदि कोई राजस्थानी है तो वह भारतीय है; अप्पास्वामी भारतीय है इसीलिए वह राजस्थानी है”।
  • Fallacy Of Ambiguous Major -- द्वयर्थक-साध्य-दोष, संदिग्ध साध्य-दोष
साध्य-पद की द्वयर्थकता से युक्ति में उत्पन्न होने वाला दोष।
उदाहरण : कन्नोज में रहने वाले कनौजिया हैं;
रामसिंह क्षत्री कन्नौज का रहने वाला है;
अतः रामसिंह क्षत्री कनौजिया (ब्राह्मण) है।
  • Fallacy Of Ambiguous Middle -- द्वयर्थक-हेतु-दोष, संदिग्ध हेतु-दोष
हेतु-पद की द्वयर्थकता से युक्ति में उत्पन्न होने वाला दोष।
उदाहरण : सभी द्विज जनेऊ पहनते हैं;
सभी पक्षी द्विज हैं;
अतः, सभी पक्षी जनेऊ पहनते हैं।
  • Fallacy Of Ambiguous Minor -- द्वयर्थक-पक्ष-दोष, संदिग्ध पक्ष-दोष
पक्ष-पद की द्वयर्थकता से युक्ति में उत्पन्न होने वाला दोष।
उदाहरण : सभी जलाशय मछलियों के निवास हैं;
चश्मा जलाशय है;
अतः चश्मा (पहनने का) मछलियों का निवास है।
  • Fallacy Of Amphiboly (Or Amphilology) -- वाक्यछल दोष
वह दोष जो किसी शब्द की अनेकार्थकता से नहीं बल्कि वाक्य की भ्रामक रचना के कारण उसमें अनेकार्थकता आने से पैदा होता है। जैसे : “मैं स्वयं को साथियों से भिन्न दिखाने के लिए ऐसे कपड़े नहीं पहनूँगा।”
  • Fallacy Of Begging The Question -- आत्माश्रय दोष
देखिए “fallacy of petitio principii”।
  • Fallacy Of Category Mixing -- कोटि-संकरण-दोष
एक दोष जो किसी युक्ति में तब पैदा होता है जब उसमें एक कोटि के शब्द को ज्ञात अथवा अज्ञात रूप में एक भिन्न कोटि के शब्द की तरह इस्तेमाल किया गया होता है, अर्थात् जब उसमें एक शब्द कोटि-परिवर्तन के कारण अर्थहीन हो जाता है।
उदाहरण : मैं काल की गति को नहीं रोक सकता, अतः मैं बलवान नहीं हूँ। (यहाँ काल को मोटर जैसी गतिमान् वस्तु के रूप में लिया गया है जो कि एक भिन्न कोटि की वस्तु है।)
  • Fallacy Of Circular Argument -- चक्रक-युक्ति दोष
आत्माश्रय-दोष का एक जटिल रूप जिसमें एक प्रतिज्ञप्ति एक अन्य प्रतिज्ञप्ति के द्वारा सिद्ध की जाती है और फिर इस अन्य प्रतिज्ञप्ति को सिद्ध करने के लिए पिछली प्रतिज्ञप्ति को आधार बनाया जाता है।
उदाहरण :” ईश्वर है क्योंकि धर्मग्रंथ ऐसा कहते हैं।” “पर धर्मग्रंथों की बात क्यों मानी जाए?” “इसलिए कि वे ईश्वर के वचन हैं।”
  • Fallacy Of Co-Effects -- सह-कार्य-दोष
एक ही कारण के कार्यों में से एक को अन्य का कारण मान लेने का दोष। जैसे : विद्युत का चमकना, बादल के गर्जन का कारण माना जाता है जबकि विद्युत का चमकना और बादल गर्जन दोनों एक ही कारण के सहकारी हैं।
  • Fallacy Of Co-Existence -- सह-अस्तित्व-दोष
साथ-साथ अस्तित्व रखने वाली बातों में कारण-कार्य का संबंध मान लेने का दोष, क्योंकि यह संबंध आनुक्रमिक घटनाओं में होता है।
उदाहरण : यदि बिल्ली के रास्ता काटने से कोई दुर्घटना घटित हो जाती है तो सामान्यतः लोग बिल्ली द्वारा रास्ता काटे जाने को दुर्घटना का कारण मान लेते हैं जबकि दोनों के बीच कारण-कार्य संबंध न होकर सह-संबंध मात्र होता है।
  • Fallacy Of Complex Question -- छल प्रश्न दोष
यह दोष तब होता है जब प्रतिवादी से ऐसा प्रश्न किया जाता है जिसमें कोई अनुचित मान्यता छिपी रहती है। देखिए fallacy of many questions तथा fallacy of double question (ये सभी एक दोष के नामांतर हैं)।
उदाहरणार्थ : यदि कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से प्रश्न करता है कि क्या आपने अपनी पत्नी को पीटना बन्द कर दिया है तो दूसरा व्यक्ति उक्त प्रश्न के उत्तर में न तो “हाँ” कह सकता है और न ही “नहीं” क्योंकि दोनों अवस्थाओं में उसे स्वीकार करना पड़ेगा कि वह अपनी पत्नी को कभी अवश्य पीटता रहा होगा।
  • Fallacy Of Composition -- संग्रह-दोष, संहति-दोष
किसी पद को व्यष्टिक अर्थ में ग्रहण करने के बाद उसका समष्टिक अर्थ में प्रयोग करने से उत्पन्न दोष।
उदाहरण : प्रत्येक आदमी का सुख उसके लिए शुभ है; इसलिए सभी का सुख सम्पूर्ण समाज के लिए शुभ है। देखिए collective use तथा distributive use।
  • Fallacy Of Confusing Cause With Effect -- कार्य-कारण-विपर्यय-दोष
कार्य-कारण के रूप में संबंधित दो घटनाओं में से यह न समझ पाना कि कौन कारण है और कौन कार्य है। जैसे : मुर्गी और अण्डे के संबंध में यह न बता पाना कि मुर्गी अण्डे का कारण है अथवा अण्डा मुर्गी का कारण है।
  • Fallacy Of Consequent -- फलवाक्य दोष
हेतु और फल को परस्पर विनिमेय मान लेने से उत्पन्न होने वाला तर्कदोष।
उदाहरण : यदि धर्म सचमुच आत्मोन्नति का साधन है, तो उसका कभी नाश नहीं होता; हिंदू धर्म का जो कि अनादिकाल से चला आ रहा है, नाश नहीं हुआ है; अतः हिंदू धर्म सचमुच आत्मोन्नति का साधन है।
  • Fallacy Of Context Mixing -- संदर्भ-संकरण-दोष
एक प्रकार का दोष जो किसी युक्ति में तब पैदा होता है जब उसमें एक भिन्न में ही सार्थकता रखने वाले शब्द का प्रयोग होता है।
उदाहरण : भेडिए अभिमान नहीं करते, झूठ नहीं बोलते; इसलिए वे मनुष्य से अधिक नीतिपरायण हैं। (यहाँ भेड़िए के संदर्भ में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है जो मनुष्य की चर्चा में ही सार्थकता रखते हैं।)
  • Fallacy Of Denying The Antecedent -- हेतुवाक्य-निषेध-दोष
पक्ष-आधारवाक्य में हेतुवाक्य का निषेध करके निष्कर्ष में फलवाक्य का निषेध करने का दोष। जैसे : ” यदि ‘अ’ है तो ‘ब’ है; ‘अ’ नहीं है; अतः ‘ब’ नहीं है। “यदि युद्ध होता है तो विनाश होता है; युद्ध नहीं हो रहा है; अतः नहीं हो रहा है।”
  • Fallacy Of Division -- विग्रह-दोष
किसी पद को पहले समष्टिक अर्थ में ग्रहण करके बाद में व्यष्टिक अर्थ में इस्तेमाल करने से उत्पन्न तर्कदोष।
उदाहरण : “इस कमरे में विद्यमान सभी व्यक्तियों का वजन आठ क्विन्टल है; हरि इस कमरे में मौजूद एक व्यक्ति है; अतः हरि का वजन आठ क्विन्टल है।”
  • Fallacy Of Double Question -- द्विगुणित प्रश्न-दोष
देखिए “fallacy of complex question”।
  • Fallacy Of Doubling The Bet -- पण-द्विगुणन-दोष
यह मानने की गलती करना कि चितपट जैसे खेल में, जिसमें विकल्प समान रूप से प्रसंभाव्य होते हैं, यदि कोई एक ही बात पर शर्त लगाता जाए और हारने पर शर्त को दुगना करता जाए तो अंत में वह अवश्य जीतेगा।
  • Fallacy Of Equivocation -- अनेकार्थक दोष
युक्ति में किसी अनेकार्थक शब्द के प्रयोग से उत्पन्न होने वाला दोष।
जैसे : “लाल एक रंग है; रक्त लाल होता है; अतः रक्त एक रंग है।”
  • Fallacy Of Exclusive Linearity -- ऐकान्तिक रेखीयता-दोष
अनुचित रूप से यह मान बैठना कि अनेक तत्व इस प्रकार संबंधित हैं कि उनसे अनिवार्यतः एक रेखावत् क्रम बन जाता है।
  • Fallacy Of Exclusive Particularity -- ऐकान्तिक विशिष्टता-दोष, व्यावर्तक विशेषता-दोष
यह मान लेने का दोष कि यदि एक वस्तु एक संदर्भ में एक संबंध रखती है तो वह उसी या किसी अन्य संदर्भ में कोई अन्य संबंध नहीं रख सकती।
उदाहरण : यदि एक व्यक्ति किसी स्त्री का पति है तो यह मान लेना कि वह किसी का पिता या भाई नहीं हो सकता। इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम आर. बी. पैरी ने विज्ञानवाद का खण्डन एवं वस्तुवाद का खण्डन एवं वस्तुवाद का मण्डन करने के लिये किया था।
  • Fallacy Of Existential Assumption -- अस्तित्वाभिग्रह-दोष
यदि स्पष्ट रूप से यह न बताया गया हो कि एक वस्तु का अस्तित्व है तो उसके अस्तित्व को नहीं मान लेना चाहिए। इस नियम के विपरित अस्तित्व मान लेने का दोष।
  • Fallacy Of False Cause -- मिथ्याकारण-दोष
जो किसी कार्य का कारण नहीं है उसे कार्य का कारण मान लेने का दोष।
  • Fallacy Of False Conclusion -- मिथ्यानिष्कर्ष-दोष
वह दोष जिसमें युक्ति का निष्कर्ष असत्य होता है।
  • Fallacy Of False Disjunction -- मिथ्यावियोजन-दोष
देखिए “fallacy of false opposition”।
  • Fallacy Of False Opposition -- मिथ्याविरोध-दोष
वह मानने का दोष कि सभी विकल्प परस्पर व्यावर्तक होते हैं। जैसे : यह मान लेना कि यदि वस्तुएँ स्थिर हैं तो उनमें परिवर्तन बिलकुल नहीं हो सकता।
  • Fallacy Of Figures Of Speech -- आलंकारिक भाषा-दोष
यह दोष तब होता है जब एक ही व्याकरणिक रूप रखने वाले अथवा एक ही मूल से व्युत्पन्न शब्दों का एक ही अर्थ समझ लिया जाता है।
उदाहरण : चित्रकार वह है जो चित्र बनाता है;
इसलिए चर्मकार वह है जो चमड़ा बनाता है।
  • Fallacy Of Four Terms -- चतुष्पद-दोष
निरूपाधिक-न्यायवाक्य से संबंधित इस नियम के उल्लंघन से उत्पन्न दोष कि उसमें केवल तीन पद होने चाहिए। यह दोष प्रायः तब उत्पन्न होता है जब हेतु पद साध्य पद अथवा पक्ष पद द्वयर्थक होता है, जिसमें देखने में तीन ही पद लगते हैं पर उन पदों में से किसी पद के दो अर्थों के कारण वास्तव में चार पद बनते हैं। देखिए “fallcy of ambiguous middle”।
  • Fallacy Of Hysteron Proteron -- पूर्वापरक्रम-दोष
प्राकृतिक या तार्किक क्रम में परिवर्तन कर दिए जाने से उत्पन्न दोष।
उदाहरण के लिए : कांट के अनुसार बुद्धि-विकल्पों को प्रत्यक्ष के ऊपर आधारित करना पूर्वापरक्रम-दोष से ग्रस्त होना है क्योंकि जब तक बुद्धि-विकल्पों को संवेदनाओं के ऊपर आरोपित नहीं करेंगे, तब तक कोई प्रत्यक्ष हमारे ज्ञान का विषय बन ही नहीं सकता।
  • Fallacy Of Ignoratio Elenchi -- अर्थान्तर सिद्धि-दोष
यह दोष तब उत्पन्न होता है जब आधारवाक्य एवं निष्कर्ष वाक्य असंबद्ध होते हैं अर्थात् युक्ति का आधारवाक्य उस निष्कर्ष को निगमित नहीं करता, जो अभीष्ट होता है।
  • Fallacy Of Illicit Importance -- अवैध-महत्व-दोष
वह मान बैठने का दोष कि चूंकि एक प्रतिज्ञाप्ति स्वतः सिद्ध है इसलिए वह सहत्वपूर्ण है।
  • Fallacy Of Illicit Major -- अवैध-बृहत पद-दोष
यह दोष तब होता है जब साध्य-पद निष्कर्ष में व्याप्त होता है, पर साध्य-आधारवाक्य में व्याप्त नहीं होता। जैसे : “सभी पक्षी पंख वाले होते हैं, कोई चमगादड़ पक्षी है; अतः कोई चमगादड़ पंख वाला नहीं है।”
  • Fallacy Of Illicit Minor -- अवैध-लघु पद-दोष
वह दोष तब होता है जब पक्ष-पद निष्कर्ष में व्याप्त होता है, पर पक्ष-आधारवाक्य में व्याप्त नहीं होता। जैसे : “कोई आदमी चार पैरों वाला नहीं है; सभी आदमी प्राणी हैं; अतः कोई प्राणी चार पैरों वाला नहीं है।”
  • Fallacy Of Initial Predication -- आदि-विधेयन-दोष
किसी वस्तु की किसी सुपरिचित विशेषता को अथवा जो विशेषता उसमें अन्यों से पहले दिखाई दे उसे उसकी परिभाषा या उसकी प्रकृति मान लेने का दोष।
  • Fallacy Of Insufficient Evidence -- अपर्याप्त प्रमाण-दोष, अपर्याप्त साक्ष्य-दोष
तार्किक दृष्टि से प्रमाण अथवा साक्ष्य के अपर्याप्त होने के बावजूद उनसे किसी निश्चित निष्कर्ष को निगमित करने का दोष।
  • Fallacy Of Irrelevance -- अप्रासंगिकता-दोष
आवश्यक बात को सिद्ध या असिद्ध करने की अपेक्षा किसी असंबद्ध बात को सिद्ध या असिद्ध करना।
  • Fallacy Of Irrelevant Conclusion -- प्रतिज्ञांतर-सिद्धि-दोष
यह दोष तब होता है जब सिद्ध कुछ करना होता है और प्राप्त होता है उससे बिल्कुल ही असंबद्ध निष्कर्ष। देखिए “fallacy of ignoratio elenchi”।
  • Fallacy Of Many Questions -- बहुप्रश्न-दोष
प्रतिवादी से एक ऐसा प्रश्न पूछना जिसमें एक से अधिक प्रश्न छिपे हों, जिनका अलग-अलग उत्तर माँगना ही उचित होता है, अथवा जिसमें कोई ऐसा कथन छिपा होता है जिसकी स्वीकृति प्रतिवादी के पक्ष के लिए घातक होती है पर जिसका उत्तर वह उसे स्वीकार किए बिना नहीं दे सकता।
  • Fallacy Of Misplaced Concreteness -- भ्रान्तमूर्तता-दोष
जो अमूर्त या अपाकृष्ट है उसे मूर्त मान लेने के दोष के लिए ह्वाइटहेड द्वारा प्रयुक्त पद। तदनुसार साधारण जनों के दिक् और काल के संप्रत्यय में यह दोष है।
  • Fallacy Of Negative Premises -- निषेधात्मक आधार-दोष
जब दो निषेधात्मक आधारवाक्यों से निष्कर्ष को निगमित करने का प्रयास किया जाता है तो यह दोष उत्पन्न होता है।
  • Fallacy Of Non Causa Pro Causa -- अकारण-कारण-दोष
किसी कार्य का वास्तविक कारण न होते हुए भी किसी घटना विशेष को उसका कारण मान लेना, अकारण कारण दोष कहलाता है।
  • Fallacy Of Non Sequitur -- नानुमिति-दोष
वह दोषपूर्ण युक्ति जिसमें निष्कर्ष आधारवाक्यों से बिल्कुल असंबद्ध होने के कारण निगमित ही न होता हो।
  • Fallacy Of Petitio Principii -- सिद्ध साधन-दोष
वह दोषपूर्ण युक्ति जिसमें निष्कर्ष आधारवाक्यों में पहले से ही सिद्ध मान लिया जाता है।
  • Fallacy Of Quoting Out Of Context -- असंदर्भोद्धरण-दोष
किसी उक्ति को उसके मूल संदर्भ से हटाकर उद्धृत करने से उत्पन्न दोष।
उदाहरणार्थ : यदि किसी फिल्म-समीक्षक ने कहा हो कि अमुक फिल्म खराब अभिनय और खराब फोटोग्राफी के अलावा निर्दोष है, और कोई वितरक उसे देखने-योग्य बताने के लिए यह उद्धरण दे कि अमुक फिल्म समीक्षक ने उसे निर्दोष कहा है, तो यह दोष होगा।
  • Fallacy Of Reduction -- अपचय-दोष
वस्तुओं का उनके घटकों में विश्लेषण करने की सामान्य वैज्ञानिक प्रणाली के फलस्वरूप इस गलत धारणा का बन जाना कि वस्तुएँ उन घटकों के अतिरिक्त कुछ हैं ही नहीं। जैसे : पानी ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के अतिरिक्त कुछ है ही नहीं।
  • Fallacy Of Secundum Quid -- विशेष-सामान्य भ्रम-दोष
वह दोषपूर्ण युक्ति जिसमें किसी प्रतिज्ञप्ति को जो विशेष परिस्थितियों में ही सत्य होती है, सामान्य रूप से सत्य मान लिया जाता है।
  • Fallacy Of Selected Instances -- दृष्टांत-चयन-दोष
थोड़े-से चुने हुए दृष्टांतों के आधार पर कोई सामान्यीकरण कर लेने का दोष। जैसे : “बंगाली वाचाल होते हैं।”
  • Fallacy Of Simplism -- आभासी-सरलता-दोष
दो प्राक्कल्पनाओं में से जो सरल हो उसे सत्य मान लेने का दोष।
  • Fallacy Of Undistributed Middle -- अव्याप्त देतु-दोष
जब किसी न्यायवाक्य में मध्यम-पद आधारवाक्यों में एक बार भी व्याप्त नहीं होता तो उसे अव्याप्त मध्यम-पद-दोष कहा जाता है।
उदाहरण : “सभी मनुष्य जानवर हैं” तथा “सभी कुत्ते जानवर हैं” अतः “सभी कुत्ते मनुष्य है”। इस युक्ति में ‘जानवर’ पद में अव्याप्त मध्यम-पद-दोष विद्यमान है।
  • Fallacy Of Unproved Hypothesis -- असिद्ध-प्राक्कल्पना-दोष
किसी बात की व्याख्या के लिए प्रस्तावित प्राक्कल्पना के सिद्ध न होने से उत्पन्न दोष।
  • Fallacy Of Use Mixing -- प्रयोग-संकरण-दोष
भाषा के एक प्रकार के प्रयोग (जैसे : संवेगार्थक या आज्ञार्थक प्रयोग) को दूसरे प्रकार (जैसे : संज्ञानार्थक प्रयोग) का मान लेने से पैदा होने वाला दोष।
उदाहरण : “ईसा ने अपने शत्रुओं को प्यार करने का आदेश दिया: लेकिन इसके सत्य होने का कोई प्रमाण नहीं है और इसलिए यह मिथ्या है; अतः जो मिथ्या है उसका अनुसरण मैं नहीं कर सकता।”
  • False Analogy -- मिथ्या साम्यानुमान
वह साम्यानुमान जो दो वस्तुओं के मुख्य गुणों की अपेक्षा उनके गौण गुणों की समानता पर आधारित हो या उपमा और रूपक के प्रयोग पर आश्रित हो।
  • Falsifiability -- मिथ्यापनीयता
कार्ल पॉपर के अनुसार कोई प्रतिज्ञप्ति निर्णायक रूप में सत्यापित तो नहीं की जा सकती किन्तु वह निर्णायक रूप में असत्यापित अवश्य की जा सकती है।
उदाहरण : यदि व्यवहार में ‘एक भी कौआ सफेद दिखाई पड़ता है’ तो ‘सभी कौए काले होते हैं।’ यह प्रतिज्ञप्ति मिथ्यापनीय हो जायेगी।
  • Family Of Sense Data -- इंद्रिय प्रदत्त-परिवार
समकालीन अंग्रेज दार्शनिक एच. एच. प्राइस के अनुसार, किसी भौतिक वस्तु से संबंधित इंद्रियदत्तों का समुच्चय, जिसका अन्य भौतिक वस्तुओं के इंद्रियप्रदत्त-समुच्चयों से भेद किया जा सकता है।
  • Fana -- फना, तदाकार होना, लीन होना
मुसलमान सूफियों की मान्यता के अनुसार समाधि की अवस्था जिसमें साधक ईश्वर से एकाकार हो जाता है और अपने अस्तित्व को बिल्कुल भूल जाता है।
  • Fatalism -- भाग्यावाद, दैववाद
वह मत कि मनुष्य जो कुछ भी होता है या करता है वह पहले से ही भाग्य के द्वारा नियत होता है।
  • Fecundity Of Pleasure -- सुख की उर्वरकता
सुखवादी बेन्थम के अनुसार, सुख की अन्य सुखों की जन्म देने की क्षमता।
  • Felapton -- फेलाप्टोन
तृतीय आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक पक्ष-आधारवाक्य सर्वव्यापी विध्यात्मक तथा निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
जैसे : कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है;
कुछ मनुष्य विवेकशील हैं;
∴ कुछ विवेकपूर्ण प्राणी पूर्ण नहीं हैं।
  • Ferio -- फेरीयो
प्रथम आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक पक्ष-आधारवाक्य अंशव्यापी विध्यात्मक, तथा निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : कोई बंगाली यूरोपीय नहीं है;
कुछ दार्शनिक बंगाली हैं;
∴ कुछ दार्शनिक यूरोपीय नहीं हैं।
  • Ferison -- फेरिसोन
तृतीय आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक, पक्ष-आधारवाक्य अंशव्यापी विध्यात्मक और निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : कोई भी मनुष्य बंदर नहीं है;
कुछ मनुष्य नीग्रो हैं;
∴ कुछ नीग्रों बंदर नहीं है।
  • Fesapo -- फेसापो
चतुर्थ आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक, पक्ष-आधारवाक्य सर्वव्यापी विध्यात्मक तथा निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : कोई भी बंदर मनुष्य नहीं हैं;
कुछ मनुष्य द्विपद हैं;
∴ कुछ द्विपद बंदर नहीं है।
  • Festino -- फेस्टीनो
द्वितीय आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साधय – आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक, पक्ष-आधारवाक्य अंशव्यापी विध्यात्मक तथा निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : कोई भी मनुष्य बंदर नहीं है;
कुछ प्राणी बंदर हैं;
∴ कुछ प्राणी मनुष्य नहीं हैं।
  • Fiat -- एवमस्तु, अनुज्ञप्ति
“ऐसा हो जाए”; का लैटिन रूपान्तर, जिसके (ईश्वर या किसी दैवी-शक्ति-संपन्न पुरूष द्वारा) उच्चारण मात्र से इष्ट वस्तु की सृष्टि हो जाने की बात मानी जाती है। ईश्वर के उच्चारण मात्र से सृष्टि का उत्पन्न होना।
  • Fiction -- कल्पितार्थ, कल्पना
मन के द्वारा निर्मित कोई रचना जिसकी संगति में संसार में कोई वस्तु उपलब्ध न हो। बट्रेण्ड रसल ने अपनी रचनाओं में भौतिक वस्तुओं को तार्किक निर्मितियाँ (logical constructions) एवं आत्माओं को तार्किक गल्प (logicl fiction) के नाम से अभिहित किया है। इन निर्मितियों एवं गल्पों को भी कल्पना का नाम दिया जा सकता है।
  • Fictionalism (Fictionism) -- कल्पनावाद
विशेषतः जर्मन दार्शनिक हान्स वैहिंगर (Hans Vaihinger) द्वारा प्रस्तावित वह मत कि विज्ञान, गणित, दर्शन और धर्म के मूल संप्रत्यय शुद्ध कल्पनाएँ हैं, पर फिर भी व्यवहार में उनकी उपयोगिता है।
  • Fiction Of Mean Values -- मध्यमान-कल्पितार्थ
औसत का संप्रत्यय जो कि वास्तविक न होते हुए भी गणना करने में उपयोगी होता है। जैसे : औसत आयु, यदि चार लड़के क्रमशः 12, 14, 18 और 10 वर्ष के हैं तो उनकी औसत आयु 13-½ वर्ष की है, जबकी उनमें से कोई भी वस्तुतः इस आयु का नहीं है।
  • Fideism -- आस्थावाद
वह सिद्धांत कि संपूर्ण ऊन का आधार आस्था है। देखिए “faith”।
  • Figurative Definition -- आलंकारिक परिभाषा
वह दोषयुक्त परिभाषा जिसमें परिभाष्य पद की जाति और अवच्छेदक गुण बताने की अपेक्षा उपमा और रूपक का प्रयोग किया गया हो। जैसे : “ऊँट रेगिस्तान का जहाज है।”
  • Figure -- आकृति
तर्कशास्त्र में, न्यायवाक्य का तीन पदों (साध्य, हेतु और पक्ष) की सापेक्ष स्थिति से निर्धारित रूप चार आकृतियाँ होती हैं। प्रथम आकृति में हेतु-पद साध्य-आधारवाक्य में उद्देश्य और पक्ष आधारवाक्य में विधेय होता है; द्वितीय आकृति में वह दोनों में विधेय होता है; तृतीय आकृति में वह दोनों में उद्देश्य होता है; और चतुर्थ आकृति में वह साध्य-आधारवाक्य में विधेय और पक्ष-आधारवाक्य में उद्देश्य होता है।
  • Figured Syllogism -- साकृति न्यायवाक्य
एक निश्चित आकृति में व्यक्त न्यायवाक्य।
उदाहरण : सभी मनुष्य मरणशील हैं;
राम एक मनुष्य है;
∴ राम मरणशील है।
(प्रथम आकृति में व्यक्त एक न्यायवाक्य)
  • Final Cause -- अन्तिम कारण
अरस्तू के द्वारा चार प्रकार के कारणों में से अन्तिम, जो कि किसी वस्तु की उत्पत्ति के पीछे उत्पादन-कर्ता का प्रयोजन या उद्देश्य होता है।
  • Finalism -- प्रयोजनवाद
वह सिद्धांत कि भौतिक जगत् की उत्पत्ति और उसकी घटनाओं के मूल में कोई प्रयोजन होता है, तथा कुछ भी आकस्मिक या निष्प्रयोजन नहीं है।
  • Finality -- 1. परिनिष्पन्नता : अन्तिम होने की अवस्था।
2. सप्रयोजनता : किसी घटना या कर्म के किसी प्रयोजन की पूर्ति के लिए होने की विशेषता।
  • Final Judgement -- कल्पान्त-निर्णय
ईसाइयों में प्रचलित एक विश्वास के अनुसार, सृष्टि के अन्त में सभी जीवित और मृतक मनुष्यों के कर्मों पर ईश्वर के द्वारा दिया जाने वाला निर्णय।
  • Final Perseverance -- अन्तिम स्थायित्व (कृपाजनित)
जॉन कैल्विन के अनुयायियों की एक मान्यता के अनुसार, ईसा में आस्था के पश्चात् नवजीवन-प्राप्त पापात्माओं को ईश्वरीय कृपा से मिलने वाला अमरत्व।
  • Finite Mode -- परिमित पर्याय
स्पिनोज़ा ने परम तत्त्व को “द्रव्य” बताया है और विश्व की समस्त वस्तुओं और जीवात्माओं को उसके अनन्त गुणों में विचार और विस्तार के सीमित विकार माना है। वे सीमित विकार ही “परिमित पर्याय” हैं।
  • Finitism -- 1. परिमिततावाद, परिच्छिन्नतावाद : वह मत कि यद्यपि ईश्वर मंगलमय और नैतिक दृष्टि से पूर्णतः शुभ है, फिर भी उसकी शक्ति उन परिस्थितियों के कारण सीमित हो जाति है जिनको बनाने में उसका कोई हाथ नहीं होता।
2. सान्त दृष्टांतवाद, नियतोदाहरणवाद : वह मत कि केवल वे वाक्य ही सार्थक हैं जिनमें समाविष्ट उदाहरणों की संख्या परिमित होती है और इसलिए जिनका सत्यापन किया जा सकता है।
  • First Cause Argument -- आदि कारण युक्ति
ईश्वर के अस्तित्त्व को सिद्ध करने के लिए दी गई युक्ति जो विश्व को कारण-कार्य श्रृंखला में आबद्ध कर आदि कारण के अस्तित्त्व के रूप में ईश्वर को अनिवार्य मानती है।
  • First Heaven -- आद्य लोक
अरस्तू की ब्रह्माण्ड-मीमांसा के अनुसार सर्वोपरि बाह्य मण्डल जिसमें स्थिर अथवा अचल नक्षत्र निवास करते हैं।
  • First-Person Statement -- उत्तमपुरुष-कथन
किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं अपने विषय में किया गया कथन। जैसे : “मेरे पेट में दर्द हो रहा है।”
  • First Philosophy -- आद्य दर्शन
अरस्तू के अनुसार, (1) आदि कारणों तथा सत्ता के तात्विक गुणों का विवेचन करने वाला शास्त्र, तथा (2) विशेषतः ईश्वर मीमांसा।
  • First Principles -- प्राथमिक सिद्धांत, आदि तत्त्व, प्रथम (आधारभूत) सिद्धांत
1. वे प्राथमिक तत्त्व जिनके द्वारा सम्पूर्ण सृष्टि की रचना मानी जाती है, यथा जल, वायु, अग्नि आदि।
2. वे कथन, नियम, तर्क, विधान, विश्वास अथवा सिद्धांत जो मौलिक आधारभूत, निर्विवाद और स्वतः सिद्ध होते हैं; जो किसी निकाय की व्याख्या के आधार होते हैं तथा जिन पर अपनी संसक्तता और संगति के लिए प्रत्येक निकाय निर्भर करते हैं; जिनकी व्याख्या करने की कोई आवश्यकता नहीं होती।
3. वे मौलिक और परम सत्य, जिन्हें नैतिक कार्य की आधारशिला माना जाता है।
  • First Science -- आदि विज्ञान
अरस्तू के अनुसार, विशुद्ध सत् का अध्ययन करने वाला शास्त्र, अर्थात् सत्ता-मीमांसा।
  • “Fluid” Thinking -- “तरल” चिन्तन
सी.डी. ब्रॉड के अनुसार, विचार का वह रूप जिसमें प्रतीकों का प्रयोग नहीं होता।
  • Fore-Knowledge -- प्राग्ज्ञान
भावी घटनाओं का पूर्व ज्ञान, जिसके निम्न दो रूप होते हैं –
1. भविष्य का अपरोक्ष, अनानुमानित ज्ञान तथा
2. स्मृति इत्यादि के आधार पर भविष्य की घटनाओं के विषय में अनुमान करना।
  • Fore-Ordination -- पूर्वनिर्धारण, पूर्वनियतता
(एक मान्यता के अनुसार) व्यक्ति के जीवन की घटनाओं का और उसके भविष्य का ईश्वर के द्वारा पहले से निर्धारित होना।
  • Forgetful Induction -- अनवहित आगमन
वह अप्रामाणिक आगमनिक तर्क जिसमें कुछ महत्त्वपूर्ण उपलब्ध सामग्री को छोड़ दिया गया हो।
  • Form -- आकार
1. अरस्तू के दर्शन में, किसी वस्तु का वह अंश जो उसके स्वरूप को निर्धारित करता है। प्लेटो के दर्शन में, शाश्वत सामान्य।
2. कांट के दर्शन में, वह प्रागनुभविक तत्त्व जो इंद्रियों से प्राप्त सामग्री को एकता और व्यवस्था प्रदान करके सार्थक प्रत्यक्षों और निर्णयों में परिवर्तित करता है।
  • Formal Axiomatic Method -- आकारिक स्वयंसिद्धि-प्रणाली
शुद्ध गणित में प्रयुक्त एक प्रणाली जिसमें तथ्यों के ज्ञान की बिल्कुल उपेक्षा करके कुछ यादृच्छिक आद्य प्रत्ययों और प्रतिज्ञप्तियों के आधार पर आकारिक परिणाम निकालते हुए एक अमूर्त सिद्धांत की रचना की जाती है।
  • Formal Cause -- आकारिक कारण
अरस्तू के द्वारा माने हुए चार प्रकार के कारणों में से एक, जो वस्तु की उत्पति या सृष्टि की क्रिया में उसके स्वरूप का निर्धारक होता है। जैसे : मूर्ति के निर्माण में कलाकार के मन में वर्तमान आकृति जिनके अनुसार वह पत्थर को तराशता है।
  • Formal Ethics -- आकारिक नीतिशास्त्र
इमैनुएल कांट का नैतिक सिद्धांत जो कि कर्तव्य के आकार अर्थात् मूल में निहित शाश्वत नियम (“उस सिद्धांत के अनुसार काम करें जिसे आप एक सार्वभौम सिद्धांत बनाने के लिए तैयार हों”) मात्र को निर्धारित करता है, परन्तु यह नहीं बताता कि कर्तव्य की वस्तु क्या है, अर्थात् विभिन्न परिस्थितियों में वे कार्य क्या हैं, जिन्हें हमें करना है।
  • Formal Fallacies -- आकारिक तर्कदोष
निगमनात्मक तर्क के वे दोष जो केवल तार्किक (आकार गत) नियमों के उल्लंघन से पैदा होते हैं।
  • Formal Goodness -- आकारिक शुभत्व
उस कर्म की विशेषता जो अच्छे अभिप्राय से किया जाता है, भले ही उसके परिणाम अच्छे न हों।
  • Formal Grounds -- आकारिक आधार
वैज्ञानिक आगमन के दो आकारिक आधार हैं : प्रकृति की समरूपता का नियम एवं कारणकार्य नियम।
  • Formal Idealism -- आकारिक प्रत्ययवाद
कांट का दार्शनिक सिद्धांत, जिसमें देश और काल को ‘संवेदनालम्ब के आकार’ (forms of sensibility) एवं बुद्धि विकल्पों को ‘बोधालम्ब के आकार’ (forms of understanding) कहा जाता है। इनके द्वारा प्राप्त संवेदनाओं को व्यवस्थित कर हम ज्ञान के रूप में परिणत करते है। कांट ने इसे अतीन्द्रिय प्रत्ययवाद (transcendental idealism) की संज्ञा दी है।
  • Formal Intension -- आकारिक अभिप्राय
मैकेन्जी के अनुसार, वह सिद्धांत या आदर्श जिससे प्रेरित होकर कोई व्यक्ति एक काम करने को उद्यत होता है। दो व्यक्ति एक सरकार को उखाड़ने का प्रयत्न कर सकते हैं पर शायद इसलिए कि एक उसे बहुत ही रूढ़िवादी समझता है; और दूसरा बहुत ही प्रगतिशील।
  • Formalism -- आकारवाद
1. नीतिशास्त्र में, कांट के बुद्धिवाद के लिये प्रयुक्त शब्द जिसमें, उसके नीतिशास्त्र के विरूद्ध आकारवाद का आक्षेप लगाया जाता है। इसे नैतिक आकारवाद (ethical formalism) की संज्ञा भी दी जाती है।
2. सौन्दर्यशास्त्र के संदर्भ में, जब वस्तु की अपेक्षा आकार पर अधिक बल दिया जाता है, उसे भी आकारवाद की संज्ञा दी जाती है।
  • Formalizability -- आकार निर्धार्यता
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में, सूत्रों (तार्किक अचरों और चरों से युक्त आकारों) के रूप में प्रस्तुत किए जाने या रखे जा सकने की क्षमता।
  • Formal Logic -- आकारिक तर्कशास्त्र
तर्कशास्त्र का वह प्रकार जो तर्क के आकार तक ही स्वयं को सीमित रखता है, उसकी विषय वस्तु से कोई संबंध नहीं रखता।
  • Formal Truth -- आकारिक सत्यता
प्रतिज्ञप्तियों या विचारों का वह गुण जो उनके स्वसंगत होने से, उनमें स्वतोव्याघात का अभाव होने से, अथवा उनके विशुद्ध तार्किक नियमों का अनुसरण करने से आता है।
  • Form Criticism -- मूलानुसंधान-आलोचना
बाइबिल-आलोचना की एक प्रणाली जिसका प्रयोजन बाइबिल के अंशों का साहित्यिक प्ररूपों के अनुसार वर्गीकरण (जैसे : प्रेम-काव्य, नीतिकथा, आख्यान इत्यादि में) है तथा जो प्रत्येक प्ररूप के मूल रूप को निर्धारित करने के लिए मौखिक परम्परा के आदिकाल में पहुँचने का प्रयास करती है।
  • Fortitude -- धीरता
प्लेटो सम्मत चार मुख्य सद्गुणों में से एक। साहस का वह रूप जो व्यक्ति को विचलित हुए बिना कष्टों का सामना करने की शक्ति देता है तथा संकट की अवस्था में भी उसका मानसिक संतुलन बनाए रखता है।
  • Four-Valued Logic -- चतुर्मूल्यक तर्कशास्त्र
वह तार्किक पद्धति जिसमें प्रत्येक सूत्र के दो पारंपरिक सत्यता मूल्यों के स्थान पर चार सत्यता-मूल्य संभव माने गए हैं।
  • Freedom Of Will -- संकल्प-स्वातन्त्रय
कई विकल्पों में से कोई एक विकल्प चुनने तथा तदनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता, जो कि नैतिक दायित्व की आधारभूत मान्यता है।
  • Freeman’S Worship -- मुक्त मानव की उपासना
रसल के अनुसार, वह स्थिति जब व्यक्ति निजी सुख या संसार की क्षणिक वस्तुओं की कामना से मुक्त होकर वस्तुओं की अनन्य भाव से चिंतन करता है।
  • Free Thinker -- मुक्त चिन्तक
श्रुति, इलहाम, पैंगबर इत्यादि का अंधानुसरण न करने वाला, आप्तप्रमाण को न मानने वाला तथा सूक्ष्म (विशेषतः धर्म और निति की) बातों को तर्कगम्य मानने वाला व्यक्ति।
  • Free Thought -- स्वतंत्र विचार, मुक्त विचार
रसल के अनुसार, वह विचार जो कानूनी या आर्थिक लाभ-हानि के दायरे से स्वतंत्र, प्रमाण मात्र के बल पर आश्रित होता है।
  • Fresison -- फ्रेसीसोन
चतुर्थ आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक, पक्ष- आधारवाक्य अंशव्यापी विध्यात्मक तथा निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है;
कुछ पूर्ण प्राणी विवेकशील हैं;
∴ कुछ विवेकशील प्राणी मनुष्य नहीं हैं।
  • Fruition -- कर्मविपाक
विशेषतः भारतीय कर्मवाद के संदर्भ में, अच्छे-बुरे कर्मों के नैतिक परिणामों का प्रकट होना।
  • Full Contrapositive -- पूर्ण प्रतिपरिवर्तित
एक प्रकार के अव्यवहित अनुमान, प्रतिपरिवर्तन के निष्कर्ष के रूप में प्राप्त वह प्रतिज्ञप्ति जिसका उद्देश्य मूल विधेय का व्याघाती तथा विधेय मूल उद्देश्य का व्याधाती होता है। जैसे : “कोई मनुष्य गधा नहीं है” से प्राप्त यह प्रतिज्ञप्ति कि “कुछ जो गधे नहीं हैं, मनुष्य नहीं हैं।”
  • Functional Realism -- अन्योन्याश्रयी यथार्थवाद, प्रकार्थात्मक यथार्थवाद
वह मत कि विश्व की द्रव्य, गुण, द्रष्टा, दृश्य इत्यादि सभी वस्तुएँ परस्पर आश्रित हैं, अर्थात् प्रत्येक वस्तु शेष सभी वस्तुओं के द्वारा निर्धारित है।
  • Fundamentalism -- मूलप्रमाणवाद, धार्मिक श्रेष्ठतावाद
1. मुख्यतः प्रोटेस्टेण्ट सम्प्रदाय में इस अर्थ में प्रचलित शब्द कि धार्मिक सिद्धांत उनकी आधुनिक व्याख्याओं की अपेक्षा अधिक प्रामाणिक है।
2. मूल धार्मिक ग्रन्थों/ मान्यताओं का अक्षरशः अनुसरण।
  • Fundamental Syllogism -- मूल न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसके आधारवाक्य में कोई भी पद अनावश्यक रूप से व्याप्त न हो, अर्थात् जिसका आधारवाक्यों में कोई भी ऐसा पद व्याप्त न हो जो निष्कर्ष में अव्याप्त है और हेतु-पद केवल एक बार व्याप्त हो। जैसे, बार्बाराः सभी मनुष्य मरणशील हैं; सुकरात एक मनुष्य है; अतः सुकरात मरणशील है। (यहाँ हेतु-पद “मनुष्य” केवल एक बार साध्य आधारवाक्यों में व्याप्त है और पक्ष-पद निष्कर्ष और पक्ष-आधारवाक्य दोनों में व्याप्त है।)
  • Fundamentum Divisionis -- विभाजनाधार
तर्कशास्त्र में, वह विशेषता जिसे दृष्टि में रखकर किसी जाति (वर्ग) का उपजातियों (उपवर्गों) में विभाजन किया जाता है।
  • Futurism -- भविष्यवाद
1. ईसाई धर्मशास्त्र में, वह विश्वास कि नए देवदूतों की भविष्यवाणियाँ भविष्य में कभी अवश्य सच होंगी।
2. यूरोपीय कला और साहित्य में, परंपराओं को बिल्कुल छोड़कर चलने वाले आन्दोलन का नाम।
  • Galenian Figure -- गैलेनी आकृति
तर्कशास्त्र में, न्यायवाक्य की चतुर्थ आकृति का नाम, जिसमें हेतुपद साध्य-आधारवाक्य में विधेय होता है और पक्ष-आधारवाक्य में उद्देश्य। इस आकृति को सर्वप्रथम कलॉडियस गैलेन (मृत्यु 200 ई.) ने मान्यता दी थी।
  • Geist -- आत्मा
जर्मन भाषा में आत्मा का पर्याय; विशेषतः कांट के द्वारा कलाकृति में प्राण का संचार करने वाले तत्तव के अर्थ में प्रयुक्त।
  • General Idea -- सामान्य प्रत्यय
उस लक्षण को घटित करने वाला, जो किसी वर्ग (समष्टि) के समस्त विभिन्न व्यष्टियों में समान रूप से विद्यमान है।
  • General Intuition -- सामान्य अंतःप्रज्ञावाद
शुभ और अशुभ, उचित और अनुचित कर्मों का ज्ञान कराने वाली मानव की अन्तनिर्हित क्षमता।
  • General Intuitionism -- सामान्य अंतःप्रज्ञावाद
नीतिशास्त्र में वह मत कि अंतःप्रज्ञा सदैव कर्मों के प्रकारों के बारे में होती है, न कि विशेष कर्मों के बारे में।
  • Generalized Cause -- सामान्यीकृत कारण
कारण का वह रूप जिसमें कार्य के विभिन्न दृष्टांतों में कारण में शामिल सभी उपाधियों को न लेकर केवल समान उपाधियों को लिया गया हो।
  • General Logic -- सामान्य तर्कशास्त्र
नील (Kneale) के अनुसार, वह तर्कशास्त्र जो निषेध, संयोजन, वियोजन इत्यादि के प्रत्ययों के साथ-साथ “प्रत्येक” इत्यादि शब्दों द्वारा अभिव्यक्त सामान्यता के प्रत्यय का भी विवेचन करता है।
  • General Term -- सामान्य पद
तर्कशास्त्र में, ऐसा पद जो अनेक व्यष्टियों पर लागू होता है। जैसे: “मनुष्य”।
  • General Will -- सामान्य-संकल्प
रूसो के सामाजिक राजनैतिक चिंतन में समूह को व्यक्तित्त्व के रूप में ग्रहण करके, उसमें व्यक्ति की भाँति एक सार्वभौम इच्छा शक्ति की विद्यमानता की स्वीकृति।
  • Generative Realism -- प्रजननात्मक यथार्थवाद
वह सिद्धांत जिसके अनुसार किसी ज्ञात वस्तु का गुण, ज्ञाता की तंत्रिका तंत्र (स्नायु प्रणाली) के ऊपर होने वाली क्रिया की उपज होता है।
  • Generative Theory Of Sense Data -- इन्द्रिय-प्रदत का प्रजननात्मक सिद्धांत
इन्द्रिय प्रत्यक्ष विषयक वह मत कि इन्द्रिय प्रदत बाह्य वस्तुओं द्वारा (तंत्रिका तंत्र ज्ञाता) को प्रभावित करने के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते है और केवल प्रत्यक्ष की अवधि में ही उनका अस्तित्त्व होता है।
  • Generic Accident -- जातिगत आगंतुक गुण
वह आगंतुक गुण जो पूरी जाति (genus) के अन्दर विद्यमान रहता है। जैसे : “मनुष्य” का कोई ऐसा गुण जो इस पद की परिभाषा का अंग न हो, न परिभाषा का परिणाम हो, पर जो मनुष्यों में ही विशेष रूप से न होकर उसकी पूरी जाति (= अधिक व्यापक वर्ग) अर्थात् सभी पशुओं में विद्यमान हो।
  • Generic Attribute -- जातिगत गुण
ऐसा गुण, जो विचाराधीन उपजाति के अतिरिक्त उस जाति की अन्य उपजातियों में भी पाया जाता है।
  • Generic Excludent -- जातिगत व्यावर्तक
डिमॉर्गन (demorgan) के तर्कशास्त्र में, किसी उपजाति पर लागू न होने वाला वह विधेय जो उस जाति पर भी लागू नहीं होता जिसके अन्तर्गत वह उपजाति है।
  • Generic Judgement -- जातिपरक निर्णय
बोसांके (Bosanquet) के द्वारा सर्वव्यापी निर्णय (“सभी प फ हैं”) को दिया गया नाम।
  • Generic Non-Accident -- जातिगत अनागंतुक गुण
वह गुण जो आकस्मिक न हो और जाति से उपजाति में आया हो।
  • Generic Property -- जातिगत गुणधर्म
वह गुणधर्म जो जाति के गुणार्थ का परिणाम हो। जैसे : समद्विबाहु त्रिभुज के तीनों कोणों के योग में दो समकोण होने की विशेषता, जो त्रिभुज (जाति अर्थात् बड़ा वर्ग) के गुणार्थ का परिणाम है।
  • Genetic Definition -- जननमूलक परिभाषा
वह परिभाषा जो परिभाष्य पद का गुणार्थ न बताकर यह बताती है कि संबंधित वस्तु की उत्पत्ति या रचना कैसे होती है। जैसे : “वृत्त” की वह परिभाषा जो यह बताए कि यह आकृति कैसे बनाई जाती है।
  • Genetic Epistemology -- जननिक ज्ञानमीमांसा
ज्ञानमीमांसा की वह शाखा जो व्यक्ति के अन्दर तार्किक, गणितीय और दार्शनिक संप्रत्ययों के विकास का अध्ययन करती है, जिसका प्रारंभ स्विस दार्शनिक ज्यॉ पिआजे (jean piaget) ने किया।
  • Genetic Fallacy -- जननिक दोष
जननिक प्रणाली का दुरुपयोग, जिसके फलस्वरूप संबंधित वस्तु के प्रति उसके आदिम मूल से उत्पन्न होने से अवमानात्मक धारणा हो जाती है।
  • Genetic Logic -- जननिक तर्कशास्त्र
बोसांके (basanquet) के अनुसार, वह तर्कशास्त्र जो विचार को विकासवादी दृष्टिकोण से देखता है, अर्थात् उसे व्यावहारिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विकसित अनुकूलनों का एक समुच्चय मानता है।
  • Genetic Method -- जननिक विधि
उत्पत्ति या मूल के आधार पर वस्तुओं की व्याख्या करने की प्रणाली।
  • Genidentity -- क्रमतादात्म्य
कार्नेप के तर्कशास्त्र में किसी वस्तु की दो निरन्तर क्षणों की अवस्थाओं के बीच तादात्म्य स्वीकार करना जबकि वे यथार्थतः दो भिन्न वस्तुएँ होती हैं, क्रमतादात्म्य कहलाता है।
  • Genus -- जाति
अरस्तू के तर्कशास्त्र में :
1. किसी वस्तु के सारतत्त्व का वह अंश जो उससे भिन्नता रखने वाली उपजातियों की अन्य वस्तुओं से भी संबंधित है।
2. सामान्य लक्षणों से युक्त दो या दो से अधिक उपजातियों से निर्मित वस्तुओं का वर्ग।
  • Geometric Method -- ज्यामितीय विधि
परिभाषाओं और स्वयंसिद्धियों से निष्कर्ष निकालने की वह प्रणाली जिसका ज्यामिति में अनुसरण किया जाता है और जिसे देकार्त, स्पिनोजा इत्यादि विचारकों ने दर्शन के लिए भी आदर्श माना।
  • Ghost Theory -- प्रेत सिद्धांत
वह विश्वास कि मृत्यु के बाद भी आत्मा अदृश्य रूप में बनी रहती है और चाहने पर इस लोक के निवासियों के साथ संपर्क कर सकती है तथा उनके जीवन को प्रभावित कर सकती है।
  • Gnosiology -- आध्यात्म विद्या
देखिए “epistemology”।
  • Gnosis -- प्रज्ञान
मूलतः ज्ञान का समानार्थक, किन्तु प्रथम तथा द्वितीय शताब्दियों में विशिष्ट साधनों के द्वारा प्राप्त होने वाले पारमार्थिक सत्यों के ज्ञान के अर्थ में प्रयुक्त।
  • Gnosticism -- प्रज्ञानवाद
विशेषतः ईसाई धर्म के अन्तर्गत उसके इतिहास के प्रारंभ में कुछ रहस्यवादी संप्रदायों की विचारधारा के लिए प्रयुक्त शब्द। इन संप्रदायों को बाद में चर्च ने धर्मविरूद्ध घोषित कर दिया था।
  • Gnothi Seauton -- आत्मानं विद्धि, अपने को जानो
आत्मज्ञान के लिए प्रेरित करने वाली एक प्राचीन यूनानी सूक्ति।
  • Goal -- ध्येय, लक्ष्य
वह जिसे प्राप्त करने के लिए कर्म किया जाता है या कर्म का अभीष्ट।
  • God Realization -- ईश्वर-साक्षात्कार
ईश्वरार्पण बुद्धि से अपने कर्तव्य का पालन करते हुए भक्त के द्वारा ईश्वर की अनुभूति प्राप्त करना।
  • Good -- शुभ, श्रेय
वह कर्म जो नैतिक दृष्टि से मान्य हो, नैतिकता का साध्य हो अथवा नैतिक मूल्य रखता हो।
  • Good Analogy -- सुसाम्यानुमान
1. वह साम्यानुमान जो दृष्टान्तों एवं सामान्य विशेषताओं की अधिकतम संख्या और गुणवत्ता के ऊपर आधारित हो।
2. दो पदार्थों, व्यक्तियों या अवधारणाओं में महत्वपूर्ण समानता।
  • Gratuitous Hypothesis -- अनुपयोगी प्राक्कल्पना
ऐसी प्राक्कल्पना जो जाति पर आधारित न होकर केवल व्यक्तियों (दृष्टान्तों) की संख्या के ऊपर आधारित होती है।
  • Great Man Theory -- महापुरूष सिद्धांत
वह सिद्धांत जो इतिहास को समझने के लिए महापुरूषों को कुंजी मानता है या इतिहास के निर्माण में उनका महत्व मानता है।
  • Gross Egoistic Hedonism -- स्थूल स्वार्थपरक सुखवाद
वह सिद्धांत जो अपने दैहिक सुख को चरम उद्देश्य मानता है और सुखों में गुणात्मक भेद न मानकर केवल परिमाणात्मक भेद को स्वीकार करता है।
  • Gross Utilitarianism -- स्थूल उपयोगितावाद
बेंथम द्वारा प्रतिपादित नैतिक मापदंड का सिद्धांत, जिसके अनुसार कर्म की उपयोगिता, उसके शुभाशुभ का निर्धारक है। इसमें अधिकतम लोगों के अधिकतम (दैहिक) सुख अभीष्ट हैं, तथा सुखों में मात्र परिमाणात्मक भेद होता है।
  • Grounds Of Induction -- आगमन के आधार
कारणता और प्रकृति की एकरूपता के नियम जिन पर आगमन आश्रित है।
  • Happiness -- प्रसन्नता, आनन्द
वह स्थिति जिसमें व्यक्ति कुल मिलाकर अपने जीवन से संतोष का अनुभव करता है या उसे अपने आदर्शों के अनुरूप पाता है।
  • Hard Data -- दृढ़ प्रदत्त
संवेदन में व्याख्या, अर्थबोध इत्यादि मनःकल्पित अंशों को निकाल देने के बाद बचा हुआ सार भूत अंश जिसके बारे में ज्ञाता दृढ़ विश्वास के साथ कह सकता है कि वह बाहर से आया है।
  • Hard Determinism -- दृढ़ नियतत्ववाद
विलियम जेम्स (William James) के द्वारा इस सिद्धांत के लिए प्रयुक्त पद कि मनुष्य और उसके कर्म पूर्णतः कारणों के द्वारा निर्धारित हैं और उसके वश के बिल्कुल बाहर हैं तथा हमारी उत्तरदायित्व और स्वतंत्रता की धारणाएँ एकदम निराधार हैं।
  • Hasidism -- हसीदवाद
यहूदी धर्म के अन्तर्गत एक रहस्यवादी आन्दोलन जिसका उदय पोलैंड में अट्ठारहवीं सताब्दी में हुआ था; तथा तीसरी शताब्दी ई.पू. में स्थापित एक संप्रदाय का सिद्धांत जो यहूदी धर्म में प्रविष्ट यूनानी प्रभावों का विरोधी था।
  • Hasty Generalization -- अविचारित सामान्यीकरण
वह दोषपूर्ण सामान्यीकरण जिसमें पूरी छानबीन किए बिना ही थोड़े-से दृष्टांतों के आधार पर एक सामान्य कथन कर दिया जाता है।
  • Hearsay -- अनुश्रुति, जनश्रुति, किंवदन्ती
ठोस, प्रमाणरहित, सुनी-सुनाई बात।
  • Heaven -- स्वर्ग
देवताओं तथा पुण्यात्माओं का (कल्पित) निवास-स्थान।
  • Hedonics -- सुखशास्त्र
बाल्डविन (Baldwin) के अनुसार, सुख और दुःख की मानसिक अवस्थाओं का, उनके परिवर्तनों और विकास का, अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Hedonism -- सुखवाद, प्रेयवाद
नीतिशास्त्र में, वह सिद्धांत कि सुख ही एकमात्र शुभ है या सर्वोच्च साध्य है।
  • Hedonistic Aesthetics -- सुखवादी सौन्दर्यमीमांसा
वह सौन्दर्यमीमांसीय सिद्धांत, जिसके अनुसार सौन्दर्य एवं सुख के बीच तादात्म्य संबंध हो। अर्थात् सुख देने वाली वस्तु ही सुन्दर है।
  • Hedonistic Calculus -- सुखवादी कलन
बेन्थम (Benthum) द्वारा प्रस्तावित गणना-पद्धति जिसका उद्देश्य गणितीय शब्दावली में किसी कर्म से प्राप्त होने वाले सुख का मूल्यांकन करना होता है और इस आधार पर वैकल्पिक कर्मों में से एक का चुनाव करने में कर्ता की सहायता करना होता है।
  • Hedonistic Optimism -- सुखवादी आशावाद
हर्बर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer) का वह विश्वास कि विकास की प्रक्रिया में कालांतर में सुखवादी आदर्श स्वतः ही प्राप्य हो जायेगा।
  • Hedonistic Utilitarianism -- सुखवादी उपयोगितावाद
नीतिशास्त्र में वह सिद्धांत जो कर्म के औचित्य का आधार शुभ को उत्पन्न करने की उसकी क्षमता को मानता है (उपयोगितावाद) और शुभ को सुख से अभिन्न स्वीकार करता है (सुखवादी)।
  • Hegelianism -- हेगेलवाद
प्रसिद्ध प्रत्ययवादी जर्मन दार्शनिक हेगेल (1770-1831) का सिद्धांत जिसके अनुसार परमसत् प्रत्ययस्वरूप है एवम् उसकी सृजन विकास की प्रक्रिया द्वंद्वात्मक है।
  • Hegelian Left -- हेगेलीय वामपक्ष
हेगेल की विचारधारा का क्रांतिकारी आदर्शों के समर्थन के लिए उपयोग करने वाले विचारकों का समुदाय।
  • Hegelian Right -- हेगेलीय दक्षिणपक्ष
हेगेल की विचारधारा का धर्म, नीति और राजनीति के सनातन आदर्शों के समर्थन के लिए उपयोग करने वाले विचारकों का समुदाय।
  • Hegelian Triad -- हेगेलीय त्रिक
हेगेल की द्वंद्वात्मक दार्शनिक प्रणाली के तीन चरण : पक्ष (thesis), प्रतिपक्ष (antithesis) और संपक्ष (synthesis)। देखिए “dialectical method”।
  • Hell -- नरक
प्रायः सभी धर्मों द्वारा कल्पित वह स्थान या लोक जहाँ दुष्टात्माएँ मृत्यु के पश्चात् जाती हैं और तरह-तरह की यंत्रणाएँ भोगती हैं।
  • Henological Argument -- पूर्णतामात्रिक युक्ति
ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए दी गई वह युक्ति कि पूर्णता की विभिन्न (कम या अधिक) मात्राएँ पाई जाती हैं और इसलिए कहीं उसकी अधिकतम मात्रा अवश्य होनी चाहिए जो कि ईश्वर में ही हो सकती है।
  • Henotheism -- एकैकाधिदेववाद
वैदिक विचारधारा में पाई जाने वाली प्रत्येक देवता की स्तुति करते समय उसको सर्वोच्च मान लेने की प्रवृत्ति को मैक्समूलर द्वारा दिया गया नाम।
  • Heresy -- अपधर्मिता, अपधर्म, अपसिद्धांत
किसी मत, धर्म, वाद या सिद्धांत के अनुयायी होने का दावा करने वाले व्यक्ति का कोई ऐसा विश्वास जो उस मत, धर्म इत्यादि के विरूद्ध हो।
  • Hesychasm -- प्रशांतचित्तता
दिव्य-दर्शन या परमानंद-लाभ के लिए शांत होकर चिंतन करने की मनःस्थिति, अथवा चौदहवीं शताब्दी के उन ईसाई रहस्यवादियों का सिद्धांत जो इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रशांत चिंतन की प्रणाली को अपनाते थे।
  • Heterization -- इतरीकरण
सामान्यतः एक से अन्य हो जाना; विशेषतः हेगेल के दर्शन में, परम सत् (आत्मन्) का जगत् (अनात्मन्) के रूप में परिणत हो जाने की क्रिया।
  • Heterodoxy -- विपथिता, अरूढ़िवादिता
किसी भी धर्म के अनुयायी की उसके रूढ़ या पारंपरिक स्वरूप का अंधानुसरण न करते हुए किन्हीं बातों में उससे दूर जाने या हट जाने की अवस्था।
  • Heterological -- परगुणार्थक
शब्दों की इस विशेषता का सूचक विशेषण कि वे जो गुण प्रकट करते हैं वह स्वयं उनका गुण नहीं होता।
उदाहरणार्थ : लम्बा स्वयं एक लम्बा शब्द नहीं है।
  • Heteronomy -- परायत्तता, परतंत्रता
अपने से बाहर के नियम के अधीन या दूसरे की इच्छा के वशीभूत होने का लक्षण। भेद के लिए देखिए “autonomy”।
  • Heteropathic Effect -- नवगुणात्मक कार्य
मिल (Mill) के अनुसार, ऐसा कार्य जो अपनी कारणात्मक उपाधियों के कार्यों का योग मात्र न होकर कुछ नवीनता से युक्त होता है।
  • Heteropathic Intermixture Of Effects -- नवगुणात्मक- कार्य-सम्मिश्रण
अनेक कारणों का संयोग होने की दशा में उनके अलग-अलग कार्यों का वह सम्मिश्रण जिसमें समग्र कार्य प्रकार की दृष्टि से अपने संघटक कारणों से भिन्न होता है।
  • Heteropathic Unipathy -- इतरैकानुभूति
एक प्रकार का भावात्मक तादात्म्य जिसमें अहं इतर के साथ एक हो जाता है। दूसरे प्रकार के भावात्मक तादात्म्य के लिए देखिए “diopathic unipathy”।
  • Heteropsychological Ethics -- विषम-मनोवैज्ञानिक नीतिशास्त्र
जेम्स मार्टिन्यू (James Martineau) द्वारा उस नैतिक सिद्धांत के लिए प्रयुक्त पद जो अंतर्विवेक से भिन्न मानसिक तथ्यों पर आधारित होता है।
  • Heterotelic -- अन्यहेतुक
किसी दूसरे के प्रयोजन का साधक (कर्म) इत्यादि।
  • Heterozetesis -- प्रतिज्ञांतर सिद्धि, अर्थान्तर सिद्धि
तर्कशास्त्र में, वह दोषपूर्ण युक्ति जो अभीष्ट निष्कर्ष को छोड़कर किसी असंबद्ध बात को सिद्ध करती है।
  • Heuristic Fiction -- अन्वेषणोपकारी कल्पितार्थ, अन्वेषणोपयोगी कल्पितार्थ
एक ऐसा संप्रत्यय जो किसी वास्तविकता का बोधक तो नहीं होता पर नई बातों की खोज करने में सहायक होता है और इसलिए वैज्ञानिक उसका त्याग नहीं करते। परमाणु को किसी-किसी ने ऐसा ही एक कल्पितार्थ माना है।
  • Highest Good -- निःश्रेयस, परमार्थ, परम पुरूषार्थ, परम शुभ
नैतिकता का श्रेष्ठतम आदर्श अथवा जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य जिसको आनन्द की प्राप्ति, आध्यात्मिक पूर्णता, मोक्ष इत्यादि अनेक रूपों में माना गया है।
  • Historical Determinism -- ऐतिहासिक नियतत्त्त्ववाद
वह मत कि ऐतिहासिक घटना-क्रम किसी पूर्व-निश्चित योजना के अनुसार चल रहा है अथवा कि प्रत्येक ऐतिहासिक घटना एक या अधिक जातिगत, भूगोलीय, आर्थिक इत्यादि कारकों के द्वारा पूर्णतः निर्धारित होती है।
  • Historical Explanation -- ऐतिहासिक व्याख्या
ऐतिहासिक घटनाओं की व्याख्या। जैसे : प्लासी का युद्ध क्यों हुआ ?
  • Historical Materialism -- ऐतिहासिक भौतिकवाद
कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स का वह मत कि समाज का ढाँचा और उसका ऐतिहासिक विकास “जीवन की भौतिक परिस्थितियों” अथवा जीवन के भौतिक साधनों के उत्पादन की विधियों के द्वारा निर्धारित होते हैं।
  • Historical Relativism -- ऐतिहासिक सापेक्षावाद, इतिहास-सापेक्षवाद
लुकास का सिद्धांत कि निरपेक्ष रूप से सत्य या असत्य कुछ नहीं है, बल्कि सत्यता का एक लक्ष्य है जिसे इतिहास को प्राप्त करना है और ज्ञान सदैव सीमित और अपूर्ण होता है।
  • Historicism -- इतिहासपरतावाद
वह सिद्धांत कि किसी वस्तु की प्रकृति को समझने तथा उसके मूल्य को निर्धारित करने के लिए उसकी उत्पत्ति और विकास के इतिहास को जानना पर्याप्त होता है।
  • Holism -- साकल्यवाद
स्मट्स (Smuts) का सिद्धांत कि प्रकृति और विकास-प्रक्रिया में भावी तत्व अवयवी या साकल्य होते हैं और अवयवी अपने घटकों के योग से सदैव अधिक होता है।
  • Holophrastic Meaning -- समग्रार्थ
पूरे कथन का अर्थ जो कि उसके अलग-अलग शब्दों के अर्थ से भिन्न होता है।
  • Holyism -- पावनवाद
जर्मन दार्शनिक और धर्मशास्त्री रूडोल्फ ओटो (Otto) 1868-1937 का धार्मिक मत जिसमें ईश्वर को “पावन” कहा गया है।
  • Holy Spirit -- पवित्र आत्मा
ईसाई त्रयी (Trinity) में शामिल तीसरी शक्ति।
  • Homiletics -- प्रवचनशास्त्र
धर्मशास्त्र की प्रवचन-कला और उसके प्रशिक्षण से संबंधित शाखा-विशेष।
  • Homme Moyen -- सामान्य मानव
(कल्पितार्थ) मनुष्य का संप्रत्यय, जो कि मिथ्या होते हुए भी उपयोगी है।
  • Homo Absconditus -- दुर्ज्ञेय मानव
मानवमीमांसा अर्थात् मानवविज्ञान का एक संप्रत्यय, जिसके अनुसार, मनुष्य को दार्शनिक धारणाओं के अन्दर नहीं बाँधा जा सकता और न वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रणालियाँ ही उस पर लागू होती हैं।
  • Homo Creator -- स्वसर्जक मानव, स्वनिर्माता मानव
नीत्शे की वह अवधारणा कि मनुष्य निर्माता स्वयं है।
  • Homo Dionysiacus -- डायोनिससीय मानव
ह्रास या पतन की अवस्था में कल्पित मानव, शेपेनहावर, नीत्शे इत्यादि के चिंतन से प्रेरित मनुष्य की स्वयं अपने पतन की कल्पना।
  • Homoeomeries -- समांग, समावयव
अरस्तू के दर्शन में, वे पिंड जिनका ऐसे अवयवों में विभाजन किया जा सकता है जो गुण की दृष्टि से परस्पर समान हों और पूर्ण के भी समान हों। जैसे : धातुएँ।
  • Homoiousios -- सदृशद्रव्य
ईसाई धर्मशास्त्र में इस धारण का सूचक पद कि ईसा, ईश्वर के समान है किन्तु पूर्णतः ईश्वर नहीं है।
  • Homo Mensura -- मनुष्य एवं प्रमाणम् (मनुष्य ही प्रमाण है)
प्राचीन यूनानी दार्शनिक प्रोटेगोरस की एक प्रसिद्ध उक्ति का लैटिन रूपांतर। इस उक्ति की अनेक प्रकार से व्याख्या की गई है। पर यह निश्चित है कि प्रोटेगोरस हर वस्तु को मनुष्य सापेक्ष समझता था और सच्चाई, अच्छाई इत्यादि का आधार मनुष्य के लिये उनकी उपयोगिता को मानता था।
  • Homoousios -- समद्रव्य
ईसाई धर्म में प्रयुक्त पद जिसके अनुसार ईसा व ईश्वर समान हैं।
  • Homo Religiosus -- धार्मिक मानव
वह मत कि मनुष्य एक धर्मनिष्ठ या धर्मभीरू प्राणी है। यह मनुष्य की स्वविषयक धारणा के विकास की एक अवस्था है।
  • Homo Sapiens -- प्राज्ञ मानव
मनुष्य एक बुद्धिमान और तर्कशील प्राणी के रूप में; मनुष्य की स्वविषयक धारणा के विकास में एक और चरण।
  • Hyle -- पुद्गल
भौतिक द्रव्य का बोधक यूनानी मूल से व्युत्पन्न शब्द।
  • Hylomorphism -- पुद्गलाकारवाद्
वह मत कि सभी भौतिक वस्तुएँ दो तत्वों के मेल से बनी हैं : एक है आद्य भौतिक द्रव्य या पुद्गल जो कि जगत् में सातत्य और तादात्म्य का आधार है और दूसरा है आकार।
  • Hylosis -- पुद्गलवृत्ति
अमरीकी नव्य यथार्थवादी मॉन्टेग्यू द्वारा चित्तवृत्ति (मानसिक अवस्था) के साथ पाई जाने वाली (सहचारी) भौतिक अवस्था के लिए प्रयुक्त शब्द।
  • Hylosystemism -- भूततंत्रवाद, पुद्गलतंत्रवाद
भौतिक पिंडों की रचना के बारे में वह सिद्धांत कि उनके अणु और परमाणु वस्तुतः परमाणु से भी सूक्ष्म अंशों से बने होते हैं जो कि गतिशील तंत्र के रूप में परस्पर संयुक्त होते हैं।
  • Hylotheism -- पुद्गलेश्वरवाद, जड़ेश्वरवाद
ईश्वर का पुद्गल या जड़ द्रव्य से अभेद करने वाला सिद्धांत। भौतिकवाद सर्वेश्वरवाद का समानार्थी।
  • Hylozoism -- भूतजीववाद
वह मत कि जीवन भौतिक द्रव्य से व्युत्पन्न है, उसका एक गुणधर्म है और उससे पृथक नहीं किया जा सकता, अर्थात् वह कोई स्वतंत्र और नया तत्त्व नहीं है।
  • Hyper-Organic Values -- अतिजैविक मूल्य
अर्बन (Urban) के अनुसार, वे मूल्य जो जैविक आवश्यकताओं से ऊपर हैं और मनुष्य के सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन से संबंधित होते हैं।
  • Hyperousios -- द्रव्यातीत
नव्य-प्लेटोवाद में ईश्वर को द्रव्य से परे बताने के लिए प्रयुक्त शब्द।
  • Hypostasis -- आधार द्रव्य
ईसाई धर्मशास्त्र में प्रयुक्त शब्द, जिसके अनुसार ईश्वर की त्रयात्मक एकता में ईश्वर (पिता), ईसा (पुत्र) एवं पवित्र आत्मा समाविष्ट है।
  • Hypostatization -- अमूर्त पदार्थीकरण
संप्रत्यय को मूर्त रूप प्रदान करना।
  • Hypothesis -- प्राक्कल्पना
किसी घटना की व्याख्या के लिए, अथवा उसके कारण के रूप में, अपर्याप्त प्रमाण के आधार पर की गई कोई कामचलाऊ कल्पना, जो पूर्णतः सिद्ध या असिद्ध होने के लिए और अधिक प्रेक्षण और प्रयोग की अपेक्षा रखती है।
  • Hypothesis Concerning Agent -- कर्त्ताविषयक प्राक्कल्पना
प्राक्कल्पना का एक प्रकार, जिसमें नियम ज्ञात होता है पर कर्ता ज्ञात नहीं होता और इसलिए घटना की व्याख्या के लिए कर्ता की कल्पना कर ली जाती है, जैसे : यह मालूम होने पर, कि घर में चोरी हुई है पर यह न मालूम होने पर कि किसने चोरी की है, यह कल्पना कर लेना कि शायद ‘क’ चोर है।
  • Hypothesis Concerning Collocation -- संस्थितिविषयक प्राक्कल्पना
प्राक्कल्पना का एक प्रकार, जिसमें केवल कारण और उसका नियम ज्ञात होता है पर यह ज्ञात नहीं होता कि परिस्थितियों का कौन-सा समुच्चय था जिसमें घटना हुई, इसलिए उसकी कल्पना कर ली जाती है, जैसे : उन परिस्थितियों की कल्पना जिनमें चोर ‘क’ ने चोरी की।
  • Hypothesis Concerning Law -- नियमविषयक प्राक्कल्पना
प्राक्कल्पना का एक प्रकार, जिसमें कर्ता ज्ञात होता है पर उसकी कार्यप्रणाली ज्ञात नहीं होती, इसलिए घटना की व्याख्या के लिए कार्य-प्रणाली की कल्पना कर ली जाती है, जैसे : पृथ्वी, सूर्य इत्यादि की स्थिति-परिवर्तन की व्याख्या के लिए गुरूत्वाकर्षण के नियम की कल्पना।
  • Hypothesis Of Cause -- कारण-प्राक्कल्पना
घटना की व्याख्या के लिए उसके कारण को मान लेना, जैसे : वायु मंडल की नाइट्रोजन प्रयोगशाला का नाइट्रोजन से भारी होने की व्याख्या के लिए उसमें किसी और गैस (जिसे आर्गन कहा गया है) का मिश्रित होना मान लेने वाली प्राक्कल्पना।
  • Hypothetical Dualism -- हेत्वाश्रित द्वैतवाद
ज्ञानमीमांसा में, वह सिद्धांत कि बाह्य जगत् का ज्ञान केवल अनुमान से होता है और उसका अस्तित्व प्रत्यक्ष-प्रमाण पर आधारित न होकर प्राक्कल्पित मात्र है।
  • Hypothetical Imperative -- हेतुफलाश्रित आदेश, सोपाधिक आदेश
कांट के नीतिशास्त्र में कर्म करने के लिए आदेश का एक प्रकार जो सोपाधिक है। जैसे : यदि तुम अपनी भलाई चाहते हो, तो दूसरों की भलाई करो।
  • Hypothetical Morality -- सोपाधिक नैतिकता
वह नैतिकता जो उपाधि सहित हो। जैसे : यदि तुम चोरी करोगे, तो दण्ड मिलेगा।
  • Hypothetical Proposition -- हेत्वाश्रित प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो शर्त पर आधारित हो और जिसका अनुवर्ती पूर्ववर्ती से निगमित होता है। यह प्रतिज्ञप्ति ‘यदि’ और ‘तब’ से जुड़ी होती है। जैसे : यदि उत्पादन बढ़ता है (मांग स्थिर रहने पर) तो कीमतें घटती हैं।
  • Method -- प्राक्कल्पना-निगमनात्मक विधि
विज्ञान में प्रयुक्त वह विधि जिसमें घटना के कारण इत्यादि की प्राक्कल्पना कर ली जाती है और उससे निगमनात्मक निष्कर्ष निकालकर प्रेक्षण और प्रयोग से इनकी जाँच की जाती है।
  • Iconic Sign -- चित्र-संकेत
सी. एस. पर्स के अनुसार, वह संकेत जो किसी वस्तु का बोध अपनी कुछ उन विशेषताओं के कारण कराता है, जो उस वस्तु में भी होती है, जैसेः एक प्ररूप, मॉडल या चित्र।
  • Idea -- विचार, प्रत्यय
दृश्य या अदृश्य, स्थूल या सूक्ष्म, सामान्य या विशेष, किसी भी वस्तु का मानसिक प्रतिरूप या प्रतिनिधि। दर्शन के इतिहास में अलग-अलग अर्थों में प्रयुक्त शब्द –
1. प्लेटो और सुकरात : कालातीत सत्व या सामान्य, दिक्-काल में अस्तित्व रखने वाली वस्तुओं का आद्य प्ररूप।
2. स्टोइक : मनुष्य के मन में वर्तमान वर्ग-संप्रत्ययों में से एक।
3. नव्य प्लेटोवाद : परम मनस द्वारा संकल्पित। विचारित वस्तुओं के आद्य प्ररूप।
4. देकार्त और लॉक : मानवीय मन में स्थित संकल्पनाओं में से एक।
5. बर्कले : इन्द्रिय संवेदन के विषय या प्रत्यक्ष जो या तो मानवीय आत्मा के पर्याय या मनआश्रित सत्ता के प्रकार होते हैं।
6. ह्यूम : संवेदन की हल्की-सी नकल जिसका स्मृति में उपयोग होता है।
7. कांट : वे सहजात अवधारणाएँ जो पदार्थ की कोटियों तथा ज्ञान की सीमा के बाहर हैं।
  • Ideal -- आदर्श
वह वांछित अभीष्ट जिसे मनुष्य प्राप्त करना चाहता है। विविध क्षेत्रों में उपर्युक्त प्रकार से विभिन्न लक्ष्य (आदर्श) होते हैं। जैसे : सौन्दर्य, पूर्णता, नैतिक या भौतिक उत्कर्ष इत्यादि।
  • Idealism -- प्रत्ययवाद, विज्ञानवाद
ज्ञानमीमांसा में वह मत कि प्रत्यक्ष बोध केवल प्रत्ययों का ही होता है न कि बाह्य वस्तुओं का। तत्त्वमीमांसा में, वह मत कि “मनस्” या आत्मा का ही वास्तविक अस्तित्व है, परम सत्ता चिद्रूप है न कि भौतिक।
  • Idealistic Monism -- प्रत्ययवादी एकतत्त्ववाद
वह मत कि परम तत्त्व एक एवम् चिद्रूप प्रत्यय रूप है।
  • Idealistic Vitalism -- प्रत्ययवादी प्राणतत्त्ववाद
जीव वैज्ञानिक से दार्शनिक बने जर्मन विचारक ड्रीश के अनुसार, जीवन प्रक्रिया पर एक अति जैविक अति वैयक्तिक अन्तस्तत्त्व का वर्चस्व रहता है, उसके प्रकाश में ही जीवन की व्याख्या की जा सकती है। देखे “entelechy”।
  • Idealization -- आदर्शीकरण
कला में, पूर्ण या आदर्श पुरूष को प्रस्तुत करने के लिए व्यष्टियों के गुणों के संबंध में अपाकर्षण और सामान्यीकरण का प्रयोग।
  • Ideal Observer Theory -- आदर्श प्रेक्षक-सिद्धांत
नैतिक वस्तुपरकनावाद का एक रूप, जिसके अनुसार नैतिक निर्णय, कर्मों के विषय में उन भावनाओं को व्यक्त करते हैं, जिनका यदि कोई आदर्श प्रेषक होता तो उसे अनुभव होता।
  • Ideal Of Reason -- तर्कबुद्धि-आदर्श
कांट के अनुसार एक ऐसी सर्व-समावेशी सत्ता (ईश्वर) का प्रत्यय, जो सभी परिच्छिन्न वस्तुओं का अंतिम कारण है। वह एक आदर्श मात्र है न कि कोई तर्कसिद्ध वस्तु।
  • Ideal Utilitarianism -- आदर्श उपयोगितावाद
उपयोगितावाद का एक रूप, जो सुख के अतिरिक्त अन्य वस्तुओं को भी शुभ मानता है। इंग्लेण्ड में मूर, रैशडल और लेयर्ड इस मत के प्रमुख समर्थक हुए।
  • Ideas Of Pure Reason -- शुद्ध तर्कबुद्धि प्रत्यय
कांट के दर्शन में, आत्मा, ईश्वर और विश्व से संबंधित प्रत्यय, जो शुद्ध तर्कबुद्धि के लिए नियामक हैं पर जिन्हें व्यावहारिक तर्कबुद्धि वास्तविक मानकर चलती है।
  • Ideatum -- प्रत्यय-प्रदत्त
प्रत्यय की विषय वस्तु अथवा वह जिसका प्रतिनिधित्व मन में प्रत्यय करता है। इसका निर्देश वस्तुतः अस्तित्त्ववान वस्तु से भी है, जो चेतना में प्रत्ययों के अनुरूप होती है।
  • Identity-In-Difference -- भेद में अभेद
सत्ता-शास्त्र की वह अवधारणा जिसके अनुसार नानात्व में अभेद या एकतत्व मान्य है।
  • Identity Philosophy -- तादात्म्य-दर्शन, अभेद दर्शन
1. सामान्यतः वह सिद्धांत जो तात्त्विक दृष्टि से चित् और अचित् में भेद नहीं मानता।
2. ज्ञानमीमांसीय दृष्टि से ज्ञाता और ज्ञेय में अंतर नहीं स्वीकार करता है। विशेषतः शेलिंग के दर्शन के लिए प्रयुक्त, जो प्रकृति और आत्मा को एक मानता है।
  • Ideogenetic Theory -- प्रत्ययजनन-सिद्धांत
ब्रेन्टानो (Brentano) एवं अन्य संवृतिवादियों का एक सिद्धांत जिसके अनुसार निर्णय चेतना की एक ऐसी क्रिया है जो प्रत्ययों को उत्पन्न करती है।
  • Ideographic Language -- भावलेखात्मक भाषा
लाईब्नित्ज़ (Leibnitz) के अनुसार, ऐसी भाषा जिसमें प्रत्येक सरल संकेत एक सरल प्रत्यय का बोधक हो और संयुक्त संकेत एक संयुक्त प्रत्यय का : इसकी योजना ज्ञान को सबके लिए सुगम बनाने के उद्देश्य से बनाई गई थी।
  • Ideology -- 1. प्रत्ययविज्ञान – फ्रेंच दार्शनिक देस्त्यूत द त्रसी (destutt de tracy : 1754-1836) द्वारा प्रत्ययों का विश्लेषण करने और संवेदनों से उनकी उत्पत्ति दिखाने वाले विज्ञान के लिए सर्वप्रथ्म प्रयुक्त शब्द।
2. सिद्धांतवाद – कुछ अर्थनियतत्ववादियों द्वारा प्रभावोत्पादक व्यवहार के विपरीत प्रभावहीन या कोरे विचारों या सिद्धांतों के अर्थ में प्रयुक्त।
3. वैचारिकी, विचारधारा – जीवन की सामान्य समस्याओं के विषय में व्यवस्थाबद्ध चिंतन।
  • Idiopathic Unipathy -- स्वैकानुभूति
भावात्मक स्तर पर इतर का अहम् में विलय हो जाना और इस प्रकार दोनों का अभेद हो जाना।
  • Idio-Psychological Ethics -- अंतर्विवेकात्मक नितिशास्त्र
जेम्स मार्टिन्यू (1805-1899) के अनुसार, वह नीतिशास्त्र या नैतिक सिद्धि जो अंतर्विवेक पर आधारित हो।
  • Idiotology -- व्यष्टि विज्ञान
मैकेंजी (Mackenzie) के अनुसार, मानवविज्ञान की वह शाखा जिसका विषय समाज न होकर व्यष्टि व्यक्ति हो।
  • Idol -- व्यामोह (मिथ्या धारणा)
1. सर्वप्रथम हिब्रू एवं ईसाई धर्म में देव विषयक मिथ्या धारणा के लिए प्रयुक्त शब्द।
2. फ्रांसिस बेकन (Francis Bacon) ने ‘नोवम ऑर्गेनम’ में दर्शन और विज्ञान के क्षेत्र में मनुष्यों द्वारा की जाने वाली त्रुटियों के चार प्रमुख कारणों के लिए प्रयुक्त।
  • Idols Of The Cave -- प्राकृत व्यामोह
फ्रांसिस बेकन के अनुसार, वे भ्रांतियाँ जिनका शिकार आदमी अपने स्वभाव की विचित्र विशेषताओं तथा अपनी विशेष परिस्थितियों के कारण बनता है।
  • Idols Of The Market (Idols Fori) -- लोकगत व्यामोह
बेकन के अनुसार, वे भ्रांत धारणाएँ जो व्यक्तियों के संवाद से, विशेषतः प्रचलित भाषा और शब्द-प्रयोग को अपनाने से, उत्पन्न होती हैं।
  • Idols Of The Theatre -- वैचारिक व्यामोह
बेकन के अनुसार, बिना जाँच-पड़ताल किए परंपरागत मतों और धारणओं को अपनाने से उत्पन्न भ्रांतियाँ।
  • Idols Of The Tribe (Idola Tribus) -- जातिगत व्यामोह
बेकन के अनुसार, वे भ्रांतियाँ जिनका मूल सामान्य मानव-प्रकृति है और इसलिए जो पूरी मानव-जाति में व्यापक रूप से पाई जाती है।
  • Iff -- यद्यैव
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में, द्वि-उपाधिक “if and only if” (यदि…….तो……और केवल तभी…….) का संक्षिप्त रूप।
  • Ignava Ratio -- तर्करोधी युक्ति
तर्क को निष्क्रिय कर देने वाली इस प्रकार से युक्ति : यदि रोग से मुक्त होना आपके भाग्य में लिखा है तो आप रोग मुक्त हो जाएँगे, चाहे आप डाक्टर के पास जाएँ या न जाएँ।
  • Illegitimate Hypothesis -- अवैध प्राक्कल्पना
वह प्राक्कल्पना जो स्वतः व्याघाती, प्रकृति के सुस्थापित नियमों के विरूद्ध अथवा असत्यापनीय हो।
  • Illicit Generalization -- अवैध सामान्यीकरण
पर्याप्त प्रमाणों के बिना तथ्यों के अधूरे प्रेक्षण के आधार पर किया गया कोई सामान्य कथन।
  • Illocutionary Act -- वचनेतर किया
भाषाविश्लेषणावादी दार्शनिक ऑस्टिन (Austin) के अनुसार, बोलने के साथ किए जाने वाला वक्ता का इशारा इत्यादि करना।
  • Illustrative Fiction -- निदर्शनात्मक कल्पितार्थ
वैहिंगर (Vaihinger) के अनुसार, किसी प्रत्यय के लिए एक चित्र का प्रयोग करके सूक्ष्म को स्थूल या इंद्रियगम्य (और इस प्रकार एक मिथ्या) रूप देने की प्रणाली।
  • Illustrative Symbol -- निदर्शी प्रतीक
जॉनसन के अनुसार, वर्णमाला का कोई अक्षर जिसका प्रयोग किसी वस्तु के स्थान पर किया जाता है। जैसे : “सभी क ख हैं” में “क” और “ख”।
  • Imaginative Generalization -- कल्पनात्मक सामान्य़ीकरण
ह्वाइटहेड के अनुसार, ज्ञान के किसी सीमित क्षेत्र में कुछ विशेषताओं के सामान्य होने की संभावना को मानते हुए कल्पना से उन्हें सामान्य तात्विक सिद्धांत बना देने की क्रिया।
  • Imitationism -- अनुकरणवाद
पोलैण्ड के समसामयिक दार्शनिक कोटारबिन्सकी (Kotarbinski) का वह मत कि दूसरों की मानसिक अवस्थाओं और प्रक्रियाओं से संबंधित कथनों को श्रोता केवल उनके व्यवहार का अनुकरण करके ही समझ सकता है।
  • Immaculate Conception -- निष्कलंक गर्भाधान
रोमन कैथोलिकों के एक धार्मिक विश्वास के अनुसार कुमारी मरियम (ईसा मसीह की माता) के गर्भ में ईसा मसीह पवित्र रीति से आये।
  • Immanence -- अंतर्यामित्व
अन्तर्व्याप्त या अनुस्यूत होने की विशेषता। ईश्वर और जगत् के मध्य संबंध दर्शाने का एक सिद्धांत।
  • Immanence Philosophy -- अन्तर्यामित्व-दर्शन
जर्मन दार्शनिक विल्हेल्म शपे (Wilhelm Schuppe, 1836-1913) का प्रत्ययवादी दर्शन जो परिच्छिन्न चेतना की अंतर्वस्तु में समाविष्ट सामान्य अंश को विश्व-चेतना का विषय मानता है, और फलतः विश्व को प्रत्येक परिच्छिन्न चेतना में “अन्तर्व्याप्त” मानता है।
  • Immanent Activity -- अतर्वर्ती क्रिया
1. तर्कशास्त्र में मन की वह क्रिया जो ज्ञान के विषय पर कोई प्रभाव उत्पन्न नहीं करती है।
2. ईसाई धर्मशास्त्र में ईसा का सृजन इस क्रिया द्वारा हुआ था।
  • Immanental Theory -- अंतर्व्यापी-सिद्धांत
नव्य यथार्थवादियों का वह सिद्धांत जिसमें प्रत्यक्ष और संकल्प में मन एवम् शरीर के परस्पर ओत-प्रोत एवम् अनुस्यूत होने के कारण उनके द्वैत को निरस्त किया गया है।
  • Immanent Causation -- अंतर्वर्ती कारणता
किसी व्यवस्था या तंत्र के आंतरिक अवयवों के मध्य होने वाला कार्यकारणात्मक परिवर्तन, जिसमें उस तंत्र के बाहर के किसी तत्त्व या कारण का हाथ नहीं होता।
  • Immanent Theism -- अंतर्यामी ईश्वरवाद
वह सिद्धांत कि ईश्वर जगत् में व्याप्त भी है और उससे अतीत भी है। यह मत सर्वेश्वरवाद की इस मान्यता को अस्वीकार करता है कि ईश्वर और जगत् अभिन्न हैं।
  • Immanent Transcendence -- अंतर्यामी अतीतता
व्याप्त होने के साथ-साथ अतीत होने की विशेषता।
  • Immaterialism -- अभौतिकवाद
भौतिक जगत का निषेध करने वाला तत्त्वमीमांसीय सिद्धांत।
  • Immateriality -- अभौतिकता
अभौतिक होने की विशेषता जो कि, स्कॉलेस्टिक दार्शनिकों के अनुसार, आत्मा और फरिश्तों में तथा आत्मा की बुद्धि और संकल्प नामक शक्तियों में होती है।
  • Immediacy -- अव्यवहित्त्व
चेतना के समक्ष ज्ञेय वस्तु की उपस्थिति, अथवा ज्ञान की वह अवस्था जिसमें अनुमान, अर्थबोध और कल्पना का अंश या तो होता ही नहीं अथवा अल्पतम होता है।
  • Immediate Inference -- अव्यवहित अनुमान
निगमनात्मक अनुमान का एक प्रकार, जिसमें केवल एक आधारवाक्य से सीधे निष्कर्ष निकाला जाता है।
उदाहरण : सभी मनुष्य मर्त्य हैं;
∴ कुछ मर्त्य (प्राणी) मनुष्य हैं।
  • Immediate Intention -- तात्कालिक अभिप्राय
मैकेंजी के अनुसार, कर्त्ता का वह अभिप्राय जिसकी तात्कालिक पूर्ति हेतु वह कर्म में प्रवृत होता है।
  • Immediate Knowledge -- अव्यवहित ज्ञान
ज्ञानेंद्रियों से बाह्य वस्तुओं का और आंतरिक प्रत्यक्ष से स्वयं अपनी मानसिक अवस्थाओं का साक्षात् अर्थात् किसी मध्यस्थ के बिना, होने वाला ज्ञान। कतिपय दर्शनों में बाह्य वस्तुओं के इन्द्रिय प्रत्यक्ष को अव्यवहित ज्ञान की कोटि में स्वीकार नहीं किया जाता है।
  • Immoralism -- रूढ़ नीति-विद्रोह
वह नीतिशास्त्रीय दृष्टिकोण जो रूढ़िगत नैतिक मूल्यों का निषेध करता है। नीत्शे (Nietzsche) के चिन्तन में विशेष रूप से प्रयुक्त।
  • Immortality -- अमरता, अमरत्व
देहान्त के पश्चात् आत्मा का बने रहने की अवधारणा।
  • Immutability -- अविकारिता, अपरिवर्तनीयता
ईश्वर : आत्मा अथवा सत्ता के विकार-रहित होने की विशेषता।
  • Impeccability -- निष्कलुषता
दोष अथवा पाप से रहित होने का सहज गुण।
  • Impenetrability -- अभेद्यता
लॉक के अनुसार द्रव्य का वह प्राथमिक गुण जिसके कारण द्रव्य के दो अंश कदापि एक ही काल में एक ही स्थान नहीं घेर सकते।
  • Imperfect Figure -- अपूर्ण आकृति
अरस्तू के अनुसार, वह आकृति (द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ) जिस पर मूल तार्किक सिद्धांत (dictum de omni) ‘यज्जातिविधेयम् तद्व्यक्तिविधेयम्’ सीधा लागू नहीं होता और फलतः जिसके विन्यासों की वैधता को प्रथम आकृति में रूपांतरित करके ही सिद्ध करना होता है।
  • Impersonalism -- निर्वैयक्तिकवाद
1. वह यंत्रवादी संकल्पना कि विश्व के सभी जड़-चेतन पदार्थों के अंदर प्रकृति बिल्कुल नियमबद्ध तरीके से काम करती है और उसके पूरे तंत्र में वैयक्तिक मूल्यों के लिए कोई स्थान नहीं है।
2. धर्मदर्शन के विशेष संदर्भ में प्रयुक्त होने वाला वह सिद्धांत जिसके अनुसार किसी व्यक्तित्व सम्पन्न अथवा वैयक्तिक सत्ता को स्वीकार नहीं किया जाता।
  • Impersonalistic Idelism -- निर्वेवक्तिक प्रत्ययवाद
प्रत्ययवाद का वह रूप जो परम तत्त्व को व्यक्ति रूप नहीं मानता।
  • Implicans -- आपादक
आपादनात्मक प्रतिज्ञप्ति (यदि “प” तो “फ”) का प्रथम भाग (यदि “प”)।
  • Implicate -- आपाद्य
आपादनात्मक प्रतिज्ञप्ति का दूसरा भाग (तो “फ”)।
  • Implication -- आपादन
दो प्रतिज्ञप्तियों का संबंध जिसके होने पर, यदि प्रथम (आपादक) सत्य हो, तो द्वितीय (आपाद्य) असत्य नहीं हो सकता।
  • Implicative Proposition -- आपादनात्मक प्रतिज्ञपप्ति
“यदि……… तो ……….” आकार वाली प्रतिज्ञप्ति जिसका पहला अंश दूसरे अंश को आपादित करता है।
  • Implicit Definition -- निहित परिभाषा
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में स्वयंसिद्ध वाक्यों के एक समुच्चय में आये हुए अपरिभाषित पदों को इस प्रकार से परिभाषित करना कि उन पदों के निर्देश अभिप्रेत वस्तुओं तक ही सीमित रहें और ऐसा स्वयंसिद्ध वाक्यों में ऐसी शर्तों को समाविष्ट करके किया जाता है जिन्हें वस्तुओं का कोई एक समुच्चय कर सकता है।
  • Implicit Faith -- अंतर्निहित आस्था
ईसाई धर्मशास्त्र में ऐसे व्यक्ति की धार्मिक आस्था के लिए प्रयुक्त पद जो चर्च की शिक्षाओं को पूर्णतः सत्य मानता है परंतु स्पष्ट रूप में यह नहीं जानता कि वे हैं क्या।
  • Import -- आशय
पदों के संदर्भ में, अर्थ या गुणार्थ का पर्याय। प्रतिज्ञप्तियों के संदर्भ में, उद्देश्य, विधेय और इनके संबंध का जो अर्थ होता है उसके लिए तथा पूरी प्रतिज्ञप्ति मुख्य रूप से वस्तुओं, नामों या प्रत्ययों में से जिसकी बोधक होती है या मानी जाती है उसके लिए प्रयुक्त शब्द।
  • Impredicative Definition -- अविधेयक परिभाषा
हेनरी प्वाइन्केअर (Henri Poincare, 1854-1912) के अनुसार, किसी वस्तु की उस समष्टि के द्वारा दी गई परिभाषा जिसका वह स्वयं एक सदस्य हो। ऐसी परिभाषा दोषयुक्त मानी गई है।
  • Impressionism -- संस्कारवाद, प्रभाववाद
ह्यूम का वह मत कि हमको अपनी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा वस्तुओं के जो संस्कार (छाप) प्राप्त होते हैं वही ज्ञान के मूल स्रोत हैं।
  • Inclination -- प्रवृत्ति
झुकाव, या अनुकूल वृत्ति जो कि किसी कार्य को स्वेच्छा से या बिना बाहरी दबाव के करने में प्रकट होती है।
  • Inclusion -- समावेश
ऐसे दो समुच्चयों या कुलकों का संबंध जिनमें से एक के सभी सदस्य दूसरे के भी सदस्य होते हैं।
  • Incomplete Induction -- अपूर्ण आगमन
अवैज्ञानिक आगमन का वह प्रकार जिसके मूल में प्रकृति-समरूपता के नियम को आधार मानकर किसी सामान्य निष्कर्ष को प्रतिपादित किया जाता है।
उदाहरणार्थ : अनेक कौओं को काला देखकर सभी कौओं के काले होने का निष्कर्ष प्रतिपादित करना।
  • Incomplete Symbol -- अपूर्ण प्रतीक
बर्ट्रेन्ड रसल ने प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र के अन्तर्गत अपूर्ण प्रतीक का प्रयोग किया है। अपूर्ण प्रतीक वह प्रतीक है जो अपना कोई स्वतंत्र अर्थ नहीं रखता है, परन्तु अन्य प्रतीकों का घटक बनकर उन्हें अर्थ प्रदान कर सकता है।
  • Inconsistent Triad -- असंगत त्रिक
तीन प्रतिज्ञप्तियों का वह समुच्चय जिसमें कम से कम एक असत्य होता है क्योंकि उनमें से किन्हीं दो के आधार पर तीसरी प्रतिज्ञप्ति का निषेध निगमित किया जा सकता है। जब ऐसा निगमन (न्यायवाक्यी होता है, तो इस असंगति के आकार को प्रतिहेतु-न्यायवाक्य (antilogism) कहते हैं।
  • Incorrigible Proposition -- अशोध्य प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसकी सत्यता पर शक करना असंभव हो : एयर (Ayer) के अनुसार “आधारिक प्रतिज्ञप्तियाँ” (basic propositions) “शंकातीत” होती हैं, भले ही वक्ता कोई शब्द-प्रयोग संबंधी गलती कर जाय।
  • Indefectibility -- अविकार्यता
पतन, विकार, क्षय इत्यादि की संभावना से मुक्त होने का गुण; विशेषतः ईसाई धर्मशास्त्र में, ईश्वरीय कृपा, पवित्रता इत्यादि के संदर्भ में प्रयुक्त शब्द।
  • Indefinite Definite -- अनिश्चित निश्चयवाचक
तर्कशास्त्री जॉनसन के अनुसार, अंग्रेजी भाषा के निश्चयवाचक आर्टिकिल “दि” का वह प्रयोग जिसमें उसके बाद आने वाले संज्ञा-शब्द का अर्थ संदर्भ को जाने बिना अनिश्चित होता हैं, जैसे “दि पार्क” में यहाँ पार्क का अर्थ उसके लिए निश्चित नहीं हैं जिसे यह पता न हो कि प्रसंग दिल्ली के नेहरू पार्क का है।
  • Indefinite Indefinite -- अनिश्चित अनिश्चयवाचक
तर्कशास्त्री जॉनसन के अनुसार, अंग्रेजी भाषा में आर्टिकिल “ए” का वह प्रयोग जिसमें उसके बाद आने वाले संज्ञा-शब्द का निर्देश पूर्णतः अनिश्चित होता है, जैसे “ए” का “ए मैन मस्ट हैव बीन इन दि रूम” में।
  • Indefinite Proposition -- अनिश्चित प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो उसके सर्वव्यापी या अंशव्यापी होने के सूचक किसी शब्द के अभाव में सुनिश्चित परिमाण नहीं रखती।
  • Indemonstrables -- अप्रमाणनीय
स्टोइक दार्शनिकों (Stoics) की शब्दावली में स्वयंसिद्ध प्रतिज्ञप्तियों का नाम।
  • Indesignate Proposition -- अनिर्दिष्ट प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसके परिमाण, अर्थात् व्याप्ति या अव्याप्ति का स्पष्ट उल्लेख नहीं होता, जैसे “पुस्तकें उपयोगी वस्तुएँ हैं”। (इस उदाहरण में यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है कि सभी पुस्तकें उपयोगी हैं या कुछ।)
  • Indeterminism -- अनियतत्ववाद
वह सिद्धांत कि व्यक्ति के संकल्प एवं कार्य पूर्वनिर्धारित नहीं होते।
  • Indexical Sign -- निर्देशक चिह्न
ऐसे चिह्न या संकेत जो अपनी निर्दिष्ट वस्तु का बोध उनसे दिक्कालिक रूप से संबंधित होने पर ही कराते हैं। जैसे ‘मैं’, ‘तुम’, ‘यहाँ’ इत्यादि। (सी. एस. पर्स)
  • Indicator Term -- निर्देशक पद
आर्थर पैप के अनुसार, वह पद जिसका निर्देश प्रसंगानुसार बदलता रहता है, जैसे ‘यहाँ’, ‘वहाँ’, ‘मैं’।
  • Indifferentism -- 1. तटस्थवाद : स्टोइकों (Stoics) का वह सिद्धांत कि स्वास्थ्य, धन-संपत्ति, सौदर्य, ऊँचे कुल में जन्म इत्यादि बातें हमारे वश की नहीं हैं और इसलिए ये नैतिक दृष्टि से तटस्थ हैं।
2. अभेदवाद : मध्य युग में यथार्थवाद और नामवाद के विवाद को दूर करने के लिए एबेलार्ड (Abelard) द्वारा प्रस्तुत वह सिद्धांत कि कोई वस्तु व्यष्टि है या जाति (सामान्य), यह हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है : इससे वस्तु के मूल स्वरूप में कोई अंतर नहीं आता।
  • Indirect Intention -- परोक्ष अभिप्राय
मैकेंजी के अनुसार, कर्त्ता के अभिप्राय का वह अंश जिसकी पूर्ति के उद्देश्य से तो कर्म में वह प्रवृत्त नहीं होता पर कर्त्ता का जो वास्तविक उद्देश्य होता है उससे अपरिहार्य रूप से जुड़े होने के कारण वह उसे स्वीकार करना पड़ता है।
  • Indirect Knowledge -- परोक्ष ज्ञान
वह ज्ञान जो प्रत्यक्ष से नहीं बल्कि अनुमान, साक्ष्य और आप्त-प्रमाण इत्यादि से परोक्षतः प्राप्त होता है।
  • Indirect Proof -- परोक्ष प्रमाण
देखिए “reductio ad absurdum”।
  • Indirect Reduction -- परोक्ष-आकृत्यंतरण
पारंपरिक तर्कशास्त्र में दिए हुए निगमन (द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ आकृति में) को असत्य मानते हुए, उसके व्याघातक वाक्य तथा दिये हुए आधारवाक्यों में से किसी एक के संयोग से प्रथम आकृति में ऐसा निगमन प्राप्त करके जो दूसरे आधारवाक्य का व्याघातक हो, यह सिद्ध करना कि मूल निगमन सत्य है।
  • Indiscernibility Of Identicals -- तदात्म-अविभेद्यता
लाइब्निज़ का वह नियम कि यदि ‘अ’ और ‘ब’ बिल्कुल एक ही वस्तुएँ हैं तो ‘अ’ के बारे में जो सत्य है वह ‘ब’ के बारे में भी सत्य है।
  • Individual Constant -- व्यष्टि-अचर
प्रतीकात्मक प्रतिज्ञपप्तियों में अंग्रेजी वर्णमाला का a से w तक का कोई भी छोटा अक्षर जिसे प्रतिज्ञप्ति-कलन (propositional calculus) में (उससे शुरू होने वाले) व्यक्ति वाचक नाम के स्थान पर रखा जाता है।
  • Individual Ethics -- व्यष्टिक नीतिशास्त्र
व्यष्टि की नैतिक समस्याओं और उनके समाधान से संबंधित अध्ययन।
  • Individual Intuition -- व्यष्टिक अन्तर्बोध, व्यष्टिक अतःप्रज्ञा
व्यक्ति में विद्यमान किसी कर्म-विशेष के उचित या अनुचित होने का सीधा और सहज ज्ञान।
  • Individual Intuitionism -- व्यष्टिक अंतःप्रज्ञावाद
नीतिशास्त्र में वह मत कि प्रत्येक व्यक्ति में कर्म के औचित्य-अनौचित्य का अंतःप्रज्ञा से तत्काल बोध हो जाता है। तुलना के लिए देखिए “general intuitionism”और “universal intuitionism”।
  • Individualism -- व्यष्टिवाद
व्यष्टि के हित को समष्टि या समूह के हित की अपेक्षा वरीयता देने वाला अथवा व्यष्टि को प्रधान या साध्य मानने वाला सिद्धांत।
  • Individualistic Hedonism -- व्यष्टिपरक सुखवाद
स्वसुखवाद का दूसरा नाम। देखिए “egoistic hedonism”।
  • Individualistic Relativism -- व्यष्टि-सापेक्षवाद
कर्म की अच्छाई और उसके औचित्य को व्यष्टियों के मनोभावों या उनकी अभिवृत्तियों पर आधारित मानने वाला सिद्धांत।
  • Individual Variable -- व्यष्टि-चर
तर्कशास्त्र में, कोपी द्वारा प्रस्तावित प्रयोग के अनुसार, अंग्रेजी वर्णमाला का छोटा अक्षर x, y, z जो उस स्थान का सूचक होता है जिसमें a से w तक का कोई व्यष्टि-अचर रखा जाना है। तुलना के लिये देखिए “individual constant”।
  • Induction -- आगमन, सामान्यानुमान
अनुमान का वह प्रकार जिसमें विशेष तथ्यों से सामान्य निष्कर्ष निकाला जाता है।
उदाहरण : राम मर्त्य है;
मोहन मर्त्य है;
सोहन मर्त्य है;
∴ सभी मनुष्य मर्त्य है।
  • Induction By Colligation Of Facts -- तथ्यानुबंधी आगमन
सर्वप्रथम ब्रिटिश दार्शनिक हेवल (Whewell) द्वारा प्रयुक्त एक पद। व्याख्या के लिए देखिए “colligation of facts”।
  • Induction By Complete Enumeration -- पूर्णगणनाश्रित आगमन
वह आगमन जो अपने क्षेत्र के सभी दृष्टांतों के प्रेक्षण पर आधारित होता है, जैसे “इस पुस्तकालय में 164 नम्बर वाली सभी किताबें तर्कशास्त्र की हैं”।
  • Induction By Parity Of Reasoning -- तर्क साम्य-आगमन
एक प्रकार का आगमन जिसमें एक सामान्य प्रतिज्ञप्ति इस आधार पर निष्कर्ष के रूप में प्राप्त की जाती है कि जो तर्क एक विशेष दृष्टांत पर लागू होता है वही उसके अंतर्गत आने वाले प्रत्येक अन्य समान दृष्टांतों पर लागू होगा, जैसे ज्यामिति की यह उपपत्ति कि सभी त्रिभुजों के अंतः कोणों का योग दो समकोण के बराबर होता है”।
  • Induction By Simple Enumeration -- सरल गणनाश्रित आगमन
वह आगमन जिसका आधार बार-बार-प्रत्यक्ष अथवा अबाधित अनुभव मात्र होता है और जिसमें कारण-संबंध ढूढने का कोई प्रयास नहीं किया गया होता, जैसे, “सभी कौवे काले होते हैं”।
  • “Inductive” Causality -- आगमनात्मक कारणता
वह कारण-कार्य संबंध जो दृष्टांतों के प्रेक्षण मात्र पर आधारित हो।
  • Inductive Class -- आगमनात्मक वर्ग
रसल के अनुसार, अन्वागतिक कुलक्रमागत वर्ग (hereditary class) : कोई वर्ग अन्वागतिक कुलक्रमागत तब होता है जब “व” के उसका एक सदस्य होने पर “व+1” भी उसका सदस्य होता है।
  • Inductive Definition -- आगमनात्मक परिभाषा
किसी शब्द की ऐसी परिभाषा जो उसके गुणार्थ (connotation) के विश्लेषण पर आधारित न हो बल्कि उस शब्द का जिन वस्तुओं के लिए प्रयोग होता है उनके प्रेक्षण पर आधारित अर्थात् आगमनिक प्रणाली से प्राप्त हो।
  • Inductive Fallacy -- आगमन-दोष
आगमन के नियमों का उल्लंघन करने से उत्पन्न दोष : इस वर्ग में सामान्यीकरण, प्राक्कल्पना, वर्गीकरण आदि के दोष सम्मिलित हैं।
  • Inductive Leap -- आगमन-छलांग, आगमन प्लुति
आगमनात्मक अनुमान की एक आवश्यक विशेषता जो कि ज्ञात से अज्ञात में पहुँचने की, प्रेक्षित या देखे हुए उदाहरणों में जो बात लागू होती है उसे अप्रेक्षित या अनदेखे उदाहरणों में भी लागू करने का खतरा उठाने में प्रकट होती है।
  • Inductive Syllogism -- आगमनात्मक न्यायवाक्य
आगमनात्मक अनुमान को न्यायवाक्य का रूप देने का अरस्तू से लेकर आधुनिक युग में मिल तक चला आने वाला प्रयास,
जैसे : अ, ब, स ……….. काले हैं;
अ, ब, स ……… सभी कौवे हैं;
∴ सभी कौवे काले हैं।
  • In Facto -- परिनिष्पन्न, वास्तव
स्कॉलेस्टिक दर्शन में, उस वस्तु के लिए प्रयुक्त जो अपने अवयवों के सहित पूर्ण रूप में अस्तित्व रखती है, जैसे उस चित्र के लिए जिसे कलाकार ने पूरा कर लिया है।
  • Inference -- अनुमान
तर्क की वह प्रक्रिया जिससे कुछ सत्य मान ली गई प्रतिज्ञप्तियों के आधार पर ऐसी प्रतिज्ञप्ति या प्रतिज्ञप्तियाँ निष्कर्ष के रूप में प्राप्त की जाती हैं जिनकी सत्यता मूल प्रतिज्ञप्तियों में निहित होती है।
  • Inference By Added Determinants -- योजित-विशेषणानुमान
एक प्रकार का अव्यवहित अनुमान जिसमें मूल उद्देश्य और विधेय के साथ एक विशेषण जोड़ कर कुछ कम विस्तार-वाला निष्कर्ष प्राप्त किया जाता है।
उदाहरण : मनुष्य एक प्राणी है;
∴ एक अच्छा मनुष्य एक अच्छा प्राणी है।
  • Inference By Change Of Relation -- संबंध-परिवर्तन-अनुमान
एक प्रकार का अव्यवहित अनुमान जिसमें निरूपाधिक, हेतुफलाश्रित और वियोजक में से किसी एक तरह की प्रतिज्ञप्ति से शेष दो में से किसी एक आकार का निष्कर्ष निकाला जाता है।
उदाहरण : सभी मनुष्य मरणशील हैं (निरूपाधिक);
∴ यदि कोई प्राणी मनुष्य है, तो वह मरणशील है (हेतुफलाश्रित)।
  • Inference By Complex Conception -- मिश्रधारणानुमान
एक प्रकार का अव्यवहित अनुमान जिसमें आधारवाक्य के उद्देश्य और विधेय को किसी अधिक जटिल संप्रत्यय का अंश बनाकर निष्कर्ष प्राप्त किया जाता है।
जैसे : घोड़ा एक पशु है,
∴ घोड़े का सिर एक पशु का सिर है।
  • Inference By Converse Relation -- परिवर्तित-संबंधानुमान
एक प्रकार का अव्यवहित अनुमान जिसमें आधारवाक्य के उद्देश्य के स्थान पर उसका सहसंबंधी रखकर, विधेयगत सहसंबंधी के स्थान पर उद्देश्य-पद को रखकर तथा संबंध-सूचक पद के स्थान पर विलोम संबंध का सूचक पद रखकर निष्कर्ष प्राप्त किया जाता है।
जैसे : राम सीता का पति है।
सीता राम की पत्नी है।
  • Inferential Fallacies -- आनुमानिक दोष
अनुमान के नियमों का उल्लंघन करने से उत्पन्न दोष जो परिभाषा, वर्गीकरण, प्रेक्षण आदि के दोषों से भिन्न होते हैं।
  • In Fieri -- परिनिष्पाद्य
स्कॉलेस्टिक दर्शन में, उस वस्तु के लिए प्रयुक्त जिसका अस्तित्व अभी शुरू ही हुआ है जो अभी पूर्णतः अस्तित्व में नहीं आई, जैसे एक निर्माणाधीन चित्र।
  • Infima Species -- निम्नतम उपजाति
तर्कशास्त्र में, किसी वर्गीकरण की सबसे छोटी उपजाति, जो और छोटी उपजातियों में विभाजित नहीं की जा सकती।
  • Infinite Judgement -- अपरिमित निर्णय
वह निर्णय जिसका विधेय कोई अनियत पद होता है। जैसे, “अ, अ-प है”।
  • Infinite Term -- अनंत पद
तर्कशास्त्र में, निषेधात्मक और असीमित वस्त्वर्थ वाला पद, जैसे “अमनुष्य”।
  • Infinity -- अनंतता
दिक्-काल अथवा संख्या का कभी समाप्त न होने वाला विस्तार।
  • Informal Fallacy -- अनाकारिक तर्कदोष, अनाकारिक युक्तिदोष
वह तर्कगत दोष जो आकारिक न हो : ऐसे दोष तर्क में तब पैदा होते हैं जब तर्क को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त भाषा में कोई द्वयर्थकता होती है।
  • Infralapsarianism -- पतनोत्तर-उद्धारवाद
ईसाई धर्म में एक मत, जिसके अनुसार ईश्वर को इस बात का पूर्वज्ञान था कि मनुष्य का पतन होगा और इसके बाबजूद उसने उसका पतन होने दिया तथा कुछ मनुष्यों को अपनी कृपा का पात्र बनाकर उनका उद्धार किया।
  • Infusion Of Grace -- दिव्य-अंतर्वेशन
रोमन कैथोलिक चर्च में प्रचलित वह धारणा है कि बपतिस्मा (ईसाई-दीक्षा) इत्यादि संस्कारों के द्वारा दिव्य शक्ति को व्यक्ति के हृदय में प्रवेश कराया जाता है।
  • Ingression -- अन्तःप्रवेश
ह्वाइटहेड के अनुसार शाश्वत वस्तु का अस्तित्ववान वस्तु में उसे विशेष आकार प्रदान करने हेतु प्रवेश।
  • Innate Ideas -- सहज प्रत्यय
बुद्धिवादी विचारकों के अनुसार, वे प्रत्यय जो जन्म से ही मनुष्य के मन में होते हैं, जिन्हें शिक्षा और अनुभव से प्राप्त करने की जरूरत नहीं होती, और सामान्यतः जो सभी मनुष्यों को प्राप्त होते हैं। ईश्वर, अमरत्व, पाप और पुण्य आदि ऐसे ही प्रत्यय हैं।
  • Innatism -- सहजप्रत्ययवाद
ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत जिसके अनुसार प्रत्यय मन के अंदर जन्म से ही अपने पूर्ण रूप में अथवा बीज-रूप में विद्यमान रहते हैं।
  • Inner Intension -- आंतर अभिप्राय
मैकेन्जी के अनुसार किसी कार्य के सम्पादन के लिये कर्त्ता का अप्रकट या अनभिव्यक्त अभिप्राय / मनोरथ, जो उसके प्रकट या अभिव्यक्त मनोरथ से भिन्न हो सकता है।
  • Inner Sense -- अंतःकरण, अन्तरिन्द्रिय
देखिए “internal sense”।
  • Inorganic Evolution -- अजैव-विकास
जड़ पदार्थों की सरल से जटिल एवम् जटिलतर होने की नैसर्गिक प्रक्रिया।
  • Inseparable Accident -- अवियोज्य आगंतुक गुण
वह आगंतुक गुण जो वर्ग के प्रत्येक व्यष्टि में पाया जाय अथवा व्यष्टि में सदैव विद्यमान रहे।
उदाहरण : कौवे का काला रंग, व्यक्ति-विशेष की जन्मतिथि।
  • Insolubilia -- असमाधेय
विरोधाभासों (paradoxes) के लिए मध्ययुगीन दर्शन में प्रयुक्त नाम : इसके अंतर्गत ऐसे कथन आते हैं जैसे “यह कथन सत्य नहीं है”।
  • Instantial Indefinite -- द्राष्टांतिक अनिश्चयवाचक
देखिए “definite indefinite”।
  • Instantial Proposition -- द्राष्टांतिक प्रतिज्ञप्ति
अस्तित्व (existence) “(ईश्वर है)” और वर्तित्व (subsistence) “(3+4=7)” बताने वाली प्रतिज्ञप्तियों का सामूहिक नाम।
  • Instantiation -- दृष्टांतीकरण
प्रतीकात्मक प्रतिज्ञप्ति में किसी व्यष्टि-चर के स्थान पर एक व्यष्टि-अचर को रख देना। देखिए “individual constant” तथा “individual variable”।
  • Instinctive Morality -- सहज नैतिकता
पशुओं और मनुष्यों का वह व्यवहार जो नैतिकता के अनुरूप होता है, परंतु जिसमें विचार और संकल्प का अभाव होता है।
  • Instrumentalism -- करणवाद
जान ड्यूई (John Dewey) का वह मत कि ज्ञान जीवन का पर्यावरण से सफलतापूर्वक समायोजन करने का एक साधन (करण) है।
  • Instrumental Theory -- करण-सिद्धांत
सी. डी. ब्रॉड के अनुसार वह मत कि मन, शरीर से स्वतंत्र अस्तित्व रखता है, पर जब तक वह किसी शरीर से जुड़ा होता है तब तक शरीर ही उसके लिए ज्ञान और कर्म का साधन होता है।
  • Instrumental Value -- साधन-मूल्य
वह वस्तु जो साधन के रूप में मूल्यवान् हो या जिसका मूल्य उससे निकलने वाले वास्तविक या संभावित परिणामों पर आश्रित हो।
  • Intellectualistic Determinism -- बुद्धिपरक नियतत्ववाद
विन्डेलबैंड के अनुसार वह मत कि बुद्धि न केवल शुभ का सामान्य रूप से बोध कराती है अपितु यह भी विचार करती है कि व्यक्ति के लिए विशेष रूप से शुभ क्या है और इस प्रकार उसके संकल्प को भी प्रभावित करती है।
  • Intellectual Virtue -- बौद्धिक सद्गुण
बुद्धि के विकास से संबंधित सद्गुण।
  • Intellectus Agens -- सक्रिय बुद्धि
टॉमस एक्विनस के अनुसार, आत्मा की एक विशेष शक्ति जो संवेदन से प्राप्त वस्तु की नकल से अपनी प्रकृति से सामंजस्य रखने वाले तत्वों को लेकर वस्तु की नकल यानी “संवेदी प्रतीरूप” (sensible species) को ‘बुद्धिपरक प्रतिरूप’ (“intelligible species”) में बदल देती है।
  • Intellectus Archetypus -- बुद्धि-आदिरूप
कांट के अनुसार, वह बुद्धि जिस पर या जिसके प्रत्ययों पर संवेदनों या संवेदनों में दी हुई वस्तुओं का स्वरूप आश्रित होता है।
  • Intellectus Ectypus -- संवेदनाश्रित बुद्धि
कांट के अनुसार, वह बुद्धि जो अपने प्रत्ययों या प्रक्रियाओं के लिए सामग्री इंद्रियानुभव या संवेदनों से प्राप्त करती है।
  • Intelligible -- बुद्धिगम्य
सामान्य अर्थ में, वह जो समझ में आ सके, विशेष रूप से वह जो केवल बुद्धि से ही जाना जा सकता हो, इंद्रियों से नहीं।
  • Intelligible Species -- बुद्धिगम्य प्रतिरूप
टॉमस एक्विनस के अनुसार, ‘संवेदी प्रतिरूप’ का क्रियात्मक के द्वारा परिष्कृत रूप : ‘संवेदी प्रतिरूप’ भौतिक वस्तु का संवेदन से प्राप्त प्रतिरूप होता है; सक्रिय बौद्धिक-शक्ति उसे आत्मा के द्वारा ग्राह्य बनाने के लिए उसके स्थूल भौतिक अंशों को हटाकर उसे यह रूप प्रदान करती है, जो उस वस्तु का सामान्य प्रत्यय होता है।
  • Intension -- गुणार्थ
पारंपरिक तर्कशास्त्र में, किसी वस्तु के संप्रत्यय में समाविष्ट सार गुणों का समूह।
  • Intensive Quality -- प्रकर्षशील गुण, सघन गुण
कोहेन और नेगेल (Cohen & Nagel) के अनुसार, ऐसा गुण जिसमें कुछ जोड़ा-घटाया न जा सके और इसलिए जिसके बारे में “कितना” और “कितने गुना” पूछना निरर्थक हो, जैसे मृदुता, बुद्धिमता इत्यादि। इसका extensive quality से भेद किया गया है।
  • Intentionality -- साभिप्रायता, सोद्देश्यता
पदार्थ को निर्दिष्ट करने वाली चेतना का गुण। आवश्यक नहीं कि अभिप्रेत पदार्थ सत् या अस्तित्ववान ही हो। उसका निर्देश, संदर्भ मानसिक क्रिया से होता है। साभिप्रायताः स्कॉलेस्टिक दर्शन में तथा वर्तमान में ब्रेन्टानों और मीनाँग के दर्शन में भी प्रयुक्त।
  • Intentional Theory Of Mind -- साभिप्राय मन-सिद्धांत
ब्रेन्टानों आदि का वह सिद्धांत जिसके अनुसार मनस सदैव विषयोन्मुखी होता है।
  • Interactionism -- अन्तः क्रियावाद, क्रियाप्रतिक्रियावाद
मन और शरीर का संबंध स्पष्ट करने के लिए देकार्त द्वारा प्रस्तावित वह सिद्धांत कि मन तथा शरीर परस्पर एक-दूसरे पर क्रिया-प्रतिक्रिया करते हैं।
  • Intercession -- परार्थप्रार्थना
ईसाई धर्म में, ईश्वर से दूसरों के लिए प्रार्थना।
  • Interjectionism -- उद्गारवाद
वह सिद्धांत कि अच्छा-बुरा, शुभ-अशुभ बताने वाले मूल्य-निर्णय किन्हीं वस्तुनिष्ठ विशेषताओं को प्रकट नहीं करते अपितु वक्ता के निजी भावों या संवेगों को व्यक्त करने वाले उद्गार मात्र होते हैं।
  • Intermixture Of Effects -- कार्य-संमिश्रण
मिल (mill) के अनुसार, एक ही काल में सक्रिय विभिन्न कारणों से उत्पन्न अलग-अलग परिणामों का मिश्रित रूप।
  • Internal Sanction -- आंतरिक अनुशास्ति
वह आंतरिक त्त्व जो व्यक्ति को नैतिक अनुशासन में बाँधकर रखता है और कर्तव्यपालन हेतु अतःप्रेरणा प्रदान करता है।
  • Internal Sense -- अन्तःकरण
आंतरिक अवस्थाओं का अपरोक्ष बोध कराने वाली इंद्रिय।
  • Intersensual Language -- इंद्रियाभिसंप्लवी भाषा
तार्किक इंद्रियानुभववादियों के द्वारा प्रस्तावित योजना के अनुसार एकीकृत विज्ञान (unified science) की वह भाषा जिसके कथनों की एक से अधिक इंद्रियों द्वारा जाँच की जा सके।
  • Intersubjective -- अन्तर्विषयी
विभिन्न विषयियों या ज्ञाताओं के द्वारा प्रयुक्त या समझा जा सकने वाला (संप्रत्यय, ज्ञान, भाषा इत्यादि)।
  • Intersubjective Cognition -- अन्तर्विषयी-संज्ञान
विभिन्न ज्ञाताओं द्वारा एक-दूसरे की चेतन स्थितियों का बोध।
  • Intersubjective Intercourse -- अन्तार्विषयी संव्यवहार
विभिन्न विषयियों के मध्य उपलब्ध व्यवहार एवं संबंध।
  • Interverbal Definition -- शब्दानुशब्द परिभाषा
एक शब्द की अन्य शब्दों के द्वारा परिभाषा, जैसा कि प्रायः कोशों में उपलब्ध होता है।
  • Intransitive Relation -- असंक्रामी संबंध
ऐसा संबंध जो यदि अ और ब के मध्य हो तथा ब और स के मध्य भी हो तो अ और स के मध्य नहीं हो सकता, जैसे पिता-पुत्र का संबंध। यदि अ ब का पिता है ब स का पिता है तो अ स का पिता नहीं हो सकता।
  • Intrinsic Value -- स्वतः मूल्य, अन्तर्निहित मूल्य
किसी वस्तु का वह मूल्य जो उसका अपनी आंतरिक रचना, अपने स्वभाव या अपने ही अस्तित्व के कारण होता है; अथवा वह वस्तु जो स्वयं, न कि अपने अच्छे परिणों के कारण, या किसी दूसरी वस्तु के साधन के रूप में मूल्यवान होती है।
  • Introductory Indefinite -- प्रस्तावकात्मक अनिश्चयवाचक
जॉनसन के अनुसार, अंग्रेजी भाषा में अनिश्चयवाचक आर्टिकिल “ए” का वह प्रयोग जो किसी स्थान, काल या व्यक्ति का किसी वर्णन के प्रारंभ में उल्लेख करने के लिए किया जाता है।
  • Introjection -- अंतःक्षेपण
जर्मन दार्शनिक एविनेरियस (Avenarius) द्वारा सर्वप्रथम देकार्त, लॉक और बर्कले के इस सिद्धांत के लिए प्रयुक्त शब्द कि मन अपने ही प्रत्ययों के अन्दर बंद रहता है और उसे बाह्य जगत् का बोध उसके बिंबों के बाह्यीकरण से होता है।
  • Intuition -- अंतःप्रज्ञा
1. ऐन्द्रिक-बौद्धिक स्तर से परे का ज्ञान।
2. अनुभवातीत ज्ञान को प्राप्त करने की एक विशिष्ट शक्ति।
  • Intuitionism -- अंतःप्रज्ञावाद
वह मत जिसके अनुसार अन्तः प्रज्ञा ज्ञान प्राप्ति का एक विशिष्ट स्रोत है। इसके अनुसार व्यक्ति को शुभ-अशुभ का ज्ञान अंतः प्रज्ञा से परिणाम-निरपेक्ष रूप में होता है।
  • Intuitionist Logic -- आंतःप्रज्ञ तर्कशास्त्र
पारंपरिक तर्कशास्त्र से भिन्न तथा अंतःप्रज्ञा को सत्यता का स्रोत मानने वाला तर्कशास्त्र : ब्राउवर (Brouwer) इत्यादि विचारकों के अनुसार तर्कशास्त्र कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं रखता बल्कि गणित के अंतःप्रज्ञा से ज्ञात संप्रत्ययों पर ही आधारित है।
  • Intuitive Induction -- आंतःप्रज्ञ आगमन
जॉनसन के अनुसार, वह सामान्य प्रतिज्ञप्ति जिसका बोध तत्काल एक ही विशेष दृष्टांत से हो जाता है।
  • Invariant Property -- अव्यभिचारी गुणधर्म
वस्तु का वह गुण-धर्म जो प्रत्येक परिस्थिति एवं व्यवहार में अपरिवर्तित रहता है।
  • Inverse -- विपरिवर्तित
विपरिवर्तन की क्रिया से प्राप्त वाक्य, अर्थात् विपरिवर्तन का निष्कर्ष। देखिए “inversion”।
  • Inverse Deductive Method -- प्रतिलोम निगमन प्रणाली
किसी जटिल कार्य का कारण ढूँढने में प्रयुक्त एक प्रणाली, जिसके अनुसार पहले उस कार्य के अनेक उदाहरणों का प्रेक्षण करके यह पता किया जाता है कि कौन-सी परिस्थिति सभी में समान है और फिर उसे कारण मानते हुए उच्चतर नियमों से यह निगमित किया जाता है कि उससे उस कार्यविशेष की उत्पत्ति स्वाभाविक है।
  • Inverse Inference -- प्रतिलोम अनुमान
कार्नेप (Carnap) के अनुसार, सांख्यिकी अनुमान का एक प्रकार, जिसमें एक नमूने के प्रेक्षण के आधार पर पूरे वर्ग के विषय में निष्कर्ष निकाला जाता है।
  • Inversion -- विपरिवर्तन
एक प्रकार का अव्यवहित अनुमान, जिसमें निष्कर्ष का उद्देश्य आधारवाक्य के उद्देश्य का व्याघातक होता है।
जैसे : सभी उ वि हैं;
∴ कुछ अ-उ वि नहीं हैं।
  • Invertend -- विपरिवर्त्य
विपरिवर्तन का आधारवाक्य अर्थात् वह वाक्य जिसका विपरिवर्तन करना होता है। देखिए “inversion”।
  • Involuntary Ideas -- अनैच्छिक प्रत्यय
बर्कले के अनुसार, बाह्य वस्तुओं के प्रत्यय जो व्यक्ति की इच्छा के अधीन नहीं होते अपितु ईश्वर की इच्छा से उसके मन में आते हैं : बर्कले बाह्य वस्तुओं को ऐसे प्रत्ययों से अभिन्न मानते हैं।
  • Inwardization -- आभ्यंतरीकरण
कृष्णचन्द्र भट्टाचार्य के दर्शन में, विषयी की क्रमशः सभी बाहरी तत्वों से स्वयं को विच्छिन्न कर अन्तर्मुखीकरण की प्रक्रिया।
  • I’ Proposition -- आई’ प्रतिज्ञप्ति
पारंपरिक तर्कशास्त्र में, अंशव्यापी विधायक प्रतिज्ञप्ति : “कुछ उ वि हैं”।
  • Irrationalism -- अतर्कबुद्धिवाद
मानवीय प्रज्ञा या तर्कबुद्धि को सर्वोच्च प्रमाण मानने का विरोध अथवा विरोध करने वाला मत, विशेषतः वह मत कि तत्व अथवा वास्तविकता का स्वरूप तर्कबुद्धिगम्य या तर्कबुद्धिपरक प्रणालियों के द्वारा प्राप्य नहीं है।
  • Irreflexive Relation -- अपरावर्ती संबंध
ऐसा संबंध जो किसी वस्तु का स्वयं अपने साथ नहीं हो सकता, जैसे, “के उत्तर में”, “का पति” इत्यादि।
  • Irreligion -- धर्मराहित्य
धार्मिक प्रवृत्ति का अभाव।
  • Irreversibility -- अनुत्क्रमणीयता
विशेषतः काल की यह विशेषता कि उसके विभिन्न अंशों के क्रम को उल्टा नहीं जा सकता।
  • “Is” Judgement -- अस्ति -निर्णय
तथ्य से संबंधित निर्णय। इस प्रकार के निर्णय प्राकृतिक या वर्णनात्मक विज्ञान के अंतर्गत आते हैं।
  • Isolationism -- पृथक्तावाद
एक सौंदर्यशास्त्रीय मत जिसके अनुसार किसी भी कलाकृति को सम्यक् रूप से समझने के लिए एकाग्र होकर किसी भी बाहरी तत्व की ओर ध्यान दिए बिना उसे देखते, सुनते या पढ़ते जाना आदि आवश्यक होता है। अंतर के लिए देखिए “contextualism”।
  • Isosthenia -- समबलता
वह अवस्था जिसमें किसी बात के पक्ष और विपक्ष में प्रमाण या तर्क बिल्कुल बराबर शक्ति का होता है।
  • Iterated Modality -- पुनरावर्ती प्रकारता
निश्टयमात्र – सूचक शब्द की आवृत्ति से प्रकट निश्चयमात्र, जैसे “संभवतः संभव” या “अनिवार्यतः अनिवार्य”।
  • Ius Divinum -- दैवी नियम, दैवी विधि
स्कॉलेस्टिक दर्शन में, विशेषतः टॉमसीय दर्शन में, प्रकृति और मानव समाज दोनों को अटूट व्यवस्था में बाँधनेवाला ईश्वरीय नियम।
  • Iustitia Naturalis -- स्वाभाविक नीतिपरायणता
मनुष्य के अन्दर विद्यमान नैतिक मार्ग पर चलने की स्वाभाविक प्रवृत्ति, जिसकी प्रेरणा कहीं बाहर से नहीं आती।
  • Institia Originalis -- आदिम नीतिपरायणता
ईसाई धर्म के अनुसार मनुष्य को जन्म या सृष्टि के समय ईश्वर के द्वारा प्रदत्त मीतिनिष्ठता, जिसे पतन के पूर्व आदम में विद्यमान माना गया है।
  • Joint Denial -- संयुक्त निषेध
दो प्रतिज्ञाप्तियों के एक साथ निषेध के लिए प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में प्रयुक्त एक चिह्न (↓)।
  • Joint Method Of Agreement And Difference -- संयुक्त – अन्वय – व्यतिरेक विधि
मिल के तर्कशास्त्र में, कार्यकारण का संबंध निर्धारित करने की एक विधि, जिसका सूत्र यह है : यदि एक घटना के घटने के कई दृष्टांतों में एक परिस्थिति समान रूप से विद्यामान रहती है और उस घटना के न घटने के कई दृष्टांतों में अन्य बातों के प्रायः समान रहते हुए उस परिस्थिति का भी अभाव रहता है, तो उस घटना तथा परिस्थिति में कार्य – कारण का संबंध है।
उदाहरण : यदि एक व्यक्ति अनेक बार यह देखता है कि जब भी उसने खीर खाया, उसके पेट मे दर्द हुआ, और खीरा न खाने पर पेट में दर्द नहीं हुआ, तो खीरा खाना पेट के दर्द का कारण है।
  • Judgement Of Fact -- तथ्य – निर्णय
वस्तुस्थिति को बतानेवाला या बताने का दावा करने वाला निर्णय जैसे, चंद्रमा एक ठंडा उपग्रह है। इस प्रकार के निर्णय प्राकृतिक या वर्णनात्मक विज्ञानों के क्षेत्र में आते हैं।
  • Judgement Of Taste -- सौंदर्य – निर्णय
किसी वस्तु के बारे में यह कथन कि वह सुुन्दर, कलात्मक या मनोरम है। इस प्रकार के कथन मूल्यनिर्णय के सामान्य वर्ग में आते हैं।
  • Judgement Of Value -- मूल्य – निर्णय
निर्णय का वह प्रकार जो किसी वस्तु का तार्किक, नैतिक या सौंदर्य – शास्त्रीय मूल्यांकन करता है, अर्थात् किसी बात को सत्य या असत्य, अच्छी या बुरी, सुन्दर या असुन्दर बताने वाला निर्णय। इस तरह के निर्णय मानकीय नियामक विज्ञानों के अंतर्गत आते हैं।
  • Jural Ethics -- विधिक नीतिशास्त्र
वह नीतिशास्त्र या नीतिशास्त्रीय सिद्धांत जो विधिशास्त्र का अनुसरण करते हुए साध्य और शुभ की अपेक्षा नियम और उसके अनुसरण तथा औचित्य के संप्रत्ययों को प्रमुखता देता है।
  • Justice -- न्याय, नायायशीलता
प्लेटो के द्वारा स्वीकृत चार मुख्य सद्गुणों में से एक। यह तब होता है जब समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपना कार्य सुचारू रूप से करता है और दूसेर के कार्य में कोई बाधा नहीं डालता फलस्वरूप, समाज में पूर्ण सामंजस्य रहता है। इसकी आधुनिक अवधारणा में मुख्य तत्व है, नियमों का पालन, स्वतंत्रता, समानता, निष्पक्षता तथा योग्यतानुसार प्राप्ति।
  • Kalology -- सौंदर्यशास्त्र
मॉन्टेग्यू के अनुसार, वस्तुओं एवं चरित्र की सुन्दरता का अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Kantianism -- कांटवाद
प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक इमैनुएल कांट (1724 – 1804) का दर्शन, जो ज्ञान में कुछ प्रागनुभविक मानसिक तत्त्वों का महत्व स्वीकारता है और वस्तुओं के तात्त्विक स्वरूप को अज्ञेय मानता है।
  • Kathenotheism -- एकैकाधिदेववाद
देखिए ‘henotheism”।
  • Kenotism -- आत्मरेचनवाद, दिव्यत्वत्यागवाद
ईसाई धर्मावलंबियों का वह विश्वास कि ईसा ने मानव – रूप धारण करने में अपने कुछ दिव्य गुणों का त्याग किया था।
  • Kind -- 1. वर्ग : अन्य वस्तुओं में न पाए जाने वाले एक ऐसे लक्षण से युक्त वस्तुओं का समूह जो उनमें समान हों।
2. जाति : जे. एस. मिल के अनुसार, प्राकृतिक वर्ग, जैसे कोई जीव – जाति, जिसके सदस्यों में परिभाषक गुणधर्म के अलावा अन्य असंख्य गुणधर्म भी समान होते हैं।
  • Kingdom Of Ends -- साध्यलोक, साध्यजगत्
कांट के अनुसार, वह आदर्श जगत जिसमें प्रत्येक व्यक्ति साध्य होगा और कोई व्यक्ति साधन मात्र नहीं होगा, प्रत्येक व्यक्ति विवेक से काम लेते हुए निरपेक्ष आदेश का पालन करेगा तथा दूसरे के सुख को वही प्रधानता देगा जो स्वयं अपने सुख को देता है और इस तरह अन्य लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित किए रहेगा।
  • Knowledge By Acqaintance -- परिचयाश्रित ज्ञान
सम्मुख उपस्थित वस्तु, व्यक्ति या गुण का ज्ञाता को होने वाला अपरोक्ष ज्ञान। वस्तुतः इसका प्रयोग इन्द्रिय प्रदत्तों के लिए ही होता है, परन्तु अब सामान्यतः इन प्रदत्तों के माध्य से होने वाले वस्तु (मेज़ इत्यादि ) और व्यक्ति के प्रत्यक्ष को भी इसके अंतर्गत माना जाता है।
  • Knowledge By Description -- वर्णनाश्रित ज्ञान
परिचयात्मक अथवा साक्षात् ज्ञान के उपरान्त वस्तु के बारे मे वह ज्ञान जो अनुमाम इत्यादि से प्राप्त होता है।
  • Ktatocracy -- शक्तितंत्र
मॉन्टेग्यू (montague) के अनुसार, ऐसे लोगों का शासन जो बलपूर्वक या चालाकी से सत्ता हथियाने की शक्ति रखते हैं।
  • Lamaism -- लामाधर्म, लामावाद
महायान बौद्ध धर्म का वह रूप जो मुख्यतः तिब्बत में, पर साथ ही भूटान, लद्दाख, सिक्किम तथा मध्य एशिया के अन्य प्रदेशों में भी मिलता है और जिसमें पुराने ‘बोन’ नामक जादूटोनाप्रधान धर्म के तथा तंत्र के तत्त्व मिश्रित हैं।
  • Law Of Bivalence -- दिवमूल्य – नियम
एक नियम जिसके अनुसार किसी प्रतिज्ञाप्ति के दो ही मूल्य होते हैं : पहला सत्यता एवं दूसरा असत्यता; अर्थात् यह कि प्रतिज्ञाप्ति या तो सत्य होती है या असत्य, कोई तीसरी अवस्था संभव नहीं है।
  • Law Of Contradiction -- व्याघात – नियम
विचार का वह नियम कि कोई भी वस्तु एक ही देश तथा काल में व्याघाती गुणों – वाली नहीं हो सकती : क, ख और अ – ख दोनों नहीं हो सकता। यह तर्कशास्त्र के आधारभूत नियमों में दूसरा है। कुछ विचारकों ने इसे अव्याघात – नियम (law of non-contradiction) भी कहा है।
  • Law Of Excluded Middle -- मध्याभाव – नियम
तर्कशास्त्र में, विचार का एक आधारभूत नियम जिसके अनुसार किसी एक वस्तु या स्थिति के बारे में दो व्याघाती बातें एक साथ असत्य नहीं हो सकती : यदि एक असत्य है तो दूसरी अवश्य सत्य होगी; उनके अतिरिक्त कोई तीसरा विकल्प नहीं होगा।
  • Law Of Identity -- तादात्म्य – नियम
तर्कशस्त्र के आधारभूत नियमों में से एक, जिसके अनुसार, “सत् सदा – सर्वदा आत्मानुरूप होता है।“ इस नियम को इस प्रकार व्यक्त किया गया है : “कोई वस्तु जो है वह है“, या “क, क है“ अथवा प्रत्येक वस्तु अपने तुल्य होती है।“
इसमें यह माना गया है कि प्रत्येक वस्तु की एक ऐसी प्रकृति होती है जो नहीं बदलती। यह परिवर्तन का निषेध नहीं है : परिवर्तन होता है पर वस्तु अपनी एकता बनाए रखती है।
  • Law Of Parsimony -- लाघव – न्याय, लाघव – नियम
एक प्रणाली संबंधी नियम जो व्याख्या में मितव्ययिता के ऊपर बल देता है। यह नियम तथ्यों या घटनाओं की व्याख्या को व्यर्थ शब्दों के जाल द्वारा जटिल बनाने के स्थान पर कम से कम शब्दों द्वारा स्पष्ट करने को कहता है।
  • Law Of Sufficient Reason -- पर्याप्त हेतु नियम
तर्कशास्त्र में, विचार का एक आधारभूत नियम (लाइब्नित्ज़ के अनुसार चौथा) जिसके अनुसार प्रत्येक परिवर्तन के पीछे कोई कारण होता है, जिसके द्वारा उसकी संतोषजनक व्याख्या की जा सकती है।
  • Laws Of Co – Existence -- सह अस्तित्व – नियम
वे प्राकृतिक नियम जो एक ही काल में अस्तित्व रखने वाली वस्तुओं के नियत संबंधों को प्रकट करते हैं।
  • Laws Of Succession -- अनुवर्तिता – नियम
वे प्राकृतिक नियम जो आगे – पीछे (पूर्वापर) घटने वाली घटनाओं के नियत संबंधों को प्रकट करते हैं।
  • Laws Of Thought -- विचार -नियम
पारंपरिक तर्कशास्त्र में वे नियम जो तर्क के मूलाधार हैं तथा जिन पर तर्कशास्त्र के अन्य नियम आश्रित हैं। अरस्तू के अनुसार ये नियम है (1) तादात्म्य – नियम (2) व्याघात – नियम, और (3) मध्याभाव – नियम। लाइब्नित्ज़ के अनुसार एक अन्य नियम भी है, और वह है (4) पर्याप्त हेतु – नियम।
  • Lay Confession -- अदीक्षित के समक्ष पाप – स्वीकृति
पादरी की अनुपस्थिति में साधारण व्यक्ति के समक्ष यह स्वीकृति कि मैंने अमुक पाप किया है। यह बात मध्ययुग के ईसाई समाज में प्रचलित थी।
  • Legal Duty -- विधिक कर्त्तव्य
वह कर्त्तव्य जिसे न करने पर कानून में दण्ड की व्यवस्था रहती है।
  • Legal Ethics -- विधिक नीतिशास्त्र
नीतिशास्त्र का वह क्षेत्र जो नैतिकता के मापदण्डों का निर्धारण विधिपरक नियमों के माध्यम से करता है।
  • Legal Nihilism -- विधिक नास्तिवाद
समस्त कानूनों को अर्थहीन मानकर उनका निषेध करने वाला सिद्धांत।
  • Legal Philosophy -- विधिमीमांस, विधि – दर्शन
कानून तथा न्याय से संबंधित दार्शनिक प्रश्नो का विवेचन – विश्लेषण करने वाला शास्त्र।
  • Legitimate Hypothesis -- वैध प्राक्कल्पना
वह प्राक्कल्पना जो स्वतोव्याघाती न हो, तथ्य – विरूद्ध न हो, निश्चित हो, स्थापित नियमों के अनुरूप हो, किसी वास्तविक कारण को मानती हो तथा सत्यापनीय हो।
  • Lexical Definition -- कोशीय परिभाषा
वह परिभाषा जो शब्दकोशीय अर्थ पर आधारित हो।
  • Liberation -- मुक्ति, मोक्ष
विशेषतः भारतीय दार्शनिकों की सामान्य धारणा के अनुसार, परमार्थ के रूप में कल्पित वह अवस्था जिसमें जीव सुख – दुःख और जन्म – मरण के चक्र से सदा के लिए छूट जाता है।
  • Libertarianism -- स्वेच्छातंत्रवाद
वह सिद्धांत कि व्यक्ति अच्छे – बुरे मे से चुनाव करने में बिलकुल स्वतंत्र है, उसके ऊपर कोई बाह्य दबाव नहीं है, और इस प्रकार वह अपने कर्मों के लिए पूर्णतः उत्तरदायी है।
  • Limitative Judgement -- परिच्छेदक निर्णय
कांट के अनुसार, इस प्रकार का निर्णय जैसे “प्रत्येक क, अ-ख है।” पारंपरिक तर्कशास्त्र में निर्णयों में विध्यात्मक और निषेधात्मक का जो भेद माना जाता है, यह भेद उसके अतिरिक्त है।
  • Logic -- तर्कशास्त्र
तर्क या अनुमान क व्यवस्थित ढंग से अध्ययन करने वाला शास्त्र, जिसकी दो शाखाएँ हैं : निगमनात्मक तर्कशास्त्र और आगमनात्मक तर्कशास्त्र।
  • Logical Addition -- तार्किक योग
यदि क और ख दो व्यावर्तक वर्ग हैं तो “या तो क या ख” इन दो वर्गों का “तार्किक योगफल” (प्रतीकात्मक रूप में, “क + ख”) कहलाता है और इस प्रकार इन दोनों को मिलाने की संक्रिया “तार्किक योग”।
  • Logical Atomism -- तार्किक परमाणुवाद
बर्ट्रेड रसल का सिद्धांत जिसमें गणितीय तर्कशास्त्र की भाषा को आदर्श माना गया है और विश्व को परमाणु प्रतिज्ञाप्तियों (atomic propositions) के द्वारा व्यक्त सरलतम तथ्य (एक सरल गुणधर्म या संबंध के द्वारा विशिष्ट विशेषों) माना गया है। यह एक प्रकार का बहुतत्ववाद है और इसका नामकरण स्वयं रसल ने किया है।
  • Logical Calculus -- तर्ककलन
गणित के अनुकरण पर रचा गया आधुनिक प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र।
  • Logical Constant -- तार्किक अचर, तार्किक स्थिरांक
तार्किक संकारकों के लिए प्रयुक्त प्रतीकों में से कोई एक, जैसे ‘—‘, ‘V’, →, ↔, ←, x, כ।
  • Logical Constructionism -- तार्किक संरचनावाद
ओकम (Occam) के लाघव – न्याय से मिलता – जुलता बर्ट्रेंड रसल का वह सिद्धांत कि विज्ञान के व्याख्याकार और दार्शनिक को सत्ताओं की कल्पना के स्थान पर तार्किक संरचनाओं का उपयोग करना चाहिए : किसी वस्तु ‘व’ को वस्तु ‘य’ से बनी तार्किक रचना कहने का तात्पर्य यह है कि व-विषयक कथनों का य-विषयक कथनों मे अनुवाद किया जा सकता है और य, व की अपेक्षा अधिक आधारभूत प्रकार की सत्ता है।
  • Logical Definition -- तार्किक परिभाषा
किसी पद की वह परिभाषा जिसमें उसके गुणार्थ का तार्किक नियमों के अनुसार पूरा और स्पष्ट कथन किया गया हो।
  • Logical Division -- तार्किक विभाजन
किसी जाति या बड़े वर्ग का उसकी उपजातियों या छोटे वर्गों में तार्किक नियमों के अनुसार विभाजन।
  • Logical Empiricism -- तार्किक इंद्रियानुभववाद
“वियना सर्कल” (Vienna Circle) के दार्शनिकों द्वारा विकसित सिद्धांत जो “लॉजिकल पॉजिटिविज्म” के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। इसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सहयोग पर बल दिया गया है, जो बातें अनुभव द्वारा सत्यापनीय नहीं हैं उन्हें अर्थहीन माना गया है, तत्वमीमांसा – विरोधी दृष्टिकोण अपनाया गया है, तथा भाषा का तार्किक विश्लेषण दर्शन का मुख्य कार्य बताया गया है।
  • Logical Multiplication -- तार्किक गुणन
यदि क (“जैसे प्रोफेसर”) और ख (“जैसे हँसोड़”) दो वर्ग हैं और हम ऐसे व्यक्तियों को छाँटना चाहें जो इन दोनों वर्गों में शामिल हों (“हँसोड़ प्रोफेसर”) तो छाँटने की यह संक्रिया “तार्किक गुणन” कहलाती है और इसका फल “तार्किक गुणनफल”, जिसे प्रतीकात्मक रूप में “क x ख” अथवा “कख” लिखा जाता है।
  • Logical Positivism -- तार्किक प्रत्यक्षवाद
देखिए “logical empiricism”।
  • Logic Diagram -- तर्कारेख
पदों इत्यादि के तार्किक संबंधों को दिखाने के लिए प्रयुक्त रेखाकृति।
  • Logicism -- तर्क – गणितवाद
फ्रेगे तथा रसल का वह सिद्धांत कि गणित के सभी संप्रत्यय तर्कशास्त्र के संप्रत्ययों से और गणित के सभी प्रमेय तार्किक निगमन मात्र के द्वारा तर्कशास्त्र के अभिगृहीतों से प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • Logistic -- तर्कगणित
1904 की अंतर्राष्ट्रीय दर्शन – कांग्रेस में आइटेल्सन (Itelson) इत्यादि कई दार्शनिकों के द्वारा प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र के पर्याय के रूप में प्रस्तावित तथा अब उसी अर्थ में प्रचलित शब्द। इस प्रयोग के पीछे गणित को तर्कशास्त्रमूलक मानने और तर्कशास्त्र को गणितात्मक बनाने की भावना निहित है।
  • Logos -- लोगस
प्राचीन यूनानी दर्शन मे वैदिक चितन के “ऋत” से मिलती – जुलती एक संकल्पना। सर्वप्रथम हेराक्लाइटस द्वारा ब्रह्मांड की व्यवस्था और नियमबद्धता की कारणभूत पराबुद्धि के अर्थ में प्रयुक्त शब्द। बाद में स्टोइकों द्वारा विश्व की आंगिक एकता और प्रयोजनवत्ता के मूलभूत बुद्धितत्त्व की संकल्पना के रूप में विकसित। ईसाई धर्मशास्त्र में, “त्रयी” (Trinity) का दूसरा व्यक्ति जो ईसा के रूप में अवतरित हुआ।
  • Lumen Naturale -- नैसर्गिक प्रकाश
मध्ययुगीन दर्शन का वह मत कि मनुष्य को साधारणतः प्राप्त बौद्धिक शक्ति दैवी सहायता के बिना ही उसे वस्तुओं का ज्ञान कराती है।
  • Macrocosm -- ब्रह्माण्ड
विश्व का विराट् स्वरूप।
  • Maecenatism -- मिसीनैसी, वृत्ति, कला – प्रतिपालन, कला – संरक्षण
कला और कलाकारों को उदारतापूर्वक संरक्षण देने की वृत्ति के लिए रोम के दो कवियों, होरेस और वर्जिल, के आश्रयदाता मिसीनेस के नाम से प्रचलित शब्द।
  • Magic -- जादू, जादू – टोना, अभिचार
1. वह विद्या जिसमें तंत्र – मंत्र के प्रयोग से किसी (आत्मा, देवता, भूत – प्रेत आदि) अलौकिक शक्ति का आराधन करके, उसके द्वारा कोई अभिप्रेत कार्य सम्पन्न कराया जाता है। 2. तंत्र- मंत्र से प्राप्त अलौकिक शक्ति।
  • Manners -- शिष्टाचार
व्यक्ति के व्यवहार का वह गुण जो सभ्य समाज के मूल्यों एवं मानदंडों के अनुरूप होता है।
  • Materialistic Monism -- भौतिकवादी एकतत्त्ववाद
वह तत्त्वमीमांसीय मत कि मूलतत्त्व केवल एक है और वह जड़ है।
  • Materialistic Realism -- भौतिकवादी यथार्थवाद
भौतिक वस्तुओं के स्वतंत्र अस्तित्व में विश्वास रखने वाला मत।
  • Materialization -- भौतिकीकरण
यूनानी चिन्तन में विशेष रूप से पाइथागोरस के अनुसार मनुष्य की आत्मा जो मूलतः दिव्य है, का भौतिक देह ग्रहण करना।
  • Material Cause -- उपादान – कारण
वह सामग्री जिससे कोई वस्तु उत्पन्न होती है या बनाई जाती है, जैसे घड़े के प्रसंग में मिट्टी।
  • Material Equivalence -- वास्तविक तुल्यता
ऐसे दो कथनों का संबंध जो या तो दोनों सत्य होते हैं या दोनों असत्य।
  • Material Logic -- वस्तुपरक तर्कशास्त्र
तर्कशास्त्र का वह रूप जो विचारों की पारस्परिक संगति के साथ – साथ वास्तविकता से संगति को भी अध्ययन का विषय बनाता है।
  • Material Obversion -- वस्तुपरक प्रतिवर्त्तन
बेन (Bain) के अनुसार प्रतिवर्त्तन का एक रूप, जिसमें निष्कर्ष के उद्देश्य और विधेय मूल प्रतिज्ञप्ति के उद्देश्य और विधेय के विपरीत या व्याघातक होते हैं, किन्तु प्रतिज्ञाप्ति के गुण में कोई परिवर्तन नहीं होते : जैसे ‘युद्ध अशुभ है; ∴शान्ति शुभ है’। यह अनुमान अनुभव तथा ज्ञान पर आधारित होता है न कि प्रतिज्ञाप्तियों के आकार पर।
  • Material Truth -- वस्तुगत सत्यता
प्रतिज्ञप्तियों की वह तार्किक विशेषता जो तथ्यों से संगत होने पर उनमें आती है।
  • Material Implication -- शाब्दिक आपादन
कोपी (Copi) के अनुसार “यदि – तो -” आकारवाला एक ऐसा कथन जिसका फल – भाग (“तो” वाला अंश) हास्यजनक ढंग से किसी असंभव बात को कहता है और इसलिए जिसका हेतु – भाग (“यदि” वाला अंश) असत्य होता है, जैसे “यदि रावण भला आदमी था तो मैं बंदर का मामा हूँ”। ऐसे कथन में हेतु और फल के मध्य कोई वास्तविक या तार्किक अनिवार्यता का संबंध नहीं होता। उसका उद्देश्य किसी बात का एक हास्यजनक तरीके से निषेध करना मात्र होता है।
  • Mathematical Induction -- गणितीय आगमन
अनंत धन – पूर्णांकों के बारे मे कोई निष्कर्ष निकालने के लिये प्रयुक्त इस प्रकार की अनुमान – क्रिया : “0 में गुणधर्म ग है; यदि किसी धन – पूर्णांक अ में गुणधर्म ग है तो उसके अनुक्रमी अ +1 में भी वह गुणधर्म ग है; अतः प्रत्येक धन – पूर्णांक में गुणधर्म ग है।”
  • Mathematical Intuitionism -- गणितीय अंतः – प्रज्ञावाद
ब्राउवर (Brouwer), हेटिंग (Heyting) आदि की विचारधारा, जिसने गणित को दर्शन एवं तर्कशास्त्र की अपेक्षा प्राथमिकता दी और इस बात पर बल दिया कि गणितीय संप्रत्ययों तथा अनुमानों का अंतःप्रज्ञा के माध्यम से स्वतः ही स्पष्ट बोध होता है।
  • Mathematical Logic -- तर्कगणित
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र, जिसमें साधारण भाषा के दोषों से बचने के लिए प्रतीकों की भाषा और गणितीय संक्रियाओं का उपयोग किया जाता है।
  • Mathesis Universalis -- सार्वभौम गणित
लाइब्नित्ज़ द्वारा प्रस्तावित एक प्रतीक-पद्धति जिसका प्रयोजन सभी विज्ञानों की तर्क-प्रक्रियाओं को व्यक्त करने के लिए एक समान और सबके लिए सुबोध आधार प्रदान करना था। लाइब्नित्ज़ के इस प्रस्ताव को आधुनिक प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र के विकास में पहला चरण माना जाता है।
  • Matter -- 1.भौतिक द्रव्य, पुद्गल : परिमाण, विस्तार, संहतत्व, जड़त्व, आकर्षण, विकर्षण आदि गुणधर्मों से युक्त वह द्रव्य जिससे दृश्य जगत् की वस्तुओं का निर्माण हुआ है।
2. उपादान, वस्तु : वह सामग्री जिससे कोई वस्तु बनाई जाती है (material)। अरस्तू के अनुसार, आकार (from) से भिन्न वह स्थूल और अनियत पदार्थ जिसे आकार प्रदान किया जाता है।
कांट के अनुसार, संवेदन की वह वैविध्यपूर्ण सामग्री जो ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से मन के सामने प्रस्तुत होती है तथा प्रागनुभविक आकारों (a priori forms) के द्वारा व्यवस्थित की जाती है।
  • Mechanism -- यांत्रिकवाद
विश्व, प्रकृति या जीवित प्राणी को यंत्र के समान कुछ सुनिश्चित नियमों के अनुसार स्वतः चालित मानने वाला सिद्धांत। यह विशेष रूप से प्रयोजनवत्ता और संकल्प स्वातंत्रय का विरोधी है।
  • Mediate Inference -- व्यवहित अनुमान
वह अनुमान जिसका निष्कर्ष एक से अधिक आधारवाक्यों पर आश्रित होता है।
उदाहरण : सभी मनुष्य मरणशील हैं;
राम एक मनुष्य है;
∴ राम मरणशील है।
  • Mediate Knowledge -- व्यवहित ज्ञान
वह ज्ञान जो परोक्ष रूप मे प्राप्त होता है, जैसे अनुमानमूलक या साक्ष्य से प्राप्त ज्ञान।
  • Meliorism -- सुधारवाद, उन्नयनवाद
वह मत कि विश्व न तो पूर्णतः बुरा है और न पूर्णतः अच्छा है, अपितु उसके अंदर शुभ – अशुभ की मात्रा परिवर्तनशील है, तथा मानव – प्रयत्न से उसको और अधिक श्रेष्ठ या शुभ बनाया जा सकता है।
  • Mentalism -- मनसवाद
एक तत्त्वमीमांसीय सिद्धांत जो केवल मन और मानसिक अवस्थाओं को ही वास्तविक मानता है।
  • Mentalistic Neutralism -- मानसवादी तटस्थवाद, मानसवादी अनुभयवाद
मनस तथा भौतिक द्रव्य के संबंध के विषय मे ब्राड का वह मत कि चिद्द्रव्य और भौतिक द्रव्य दोनों ही अवास्तविक हैं, पर एक उद्गामी गुण के रूप मे चेतना या मानसिकता वास्तविक है।
  • Mention Of A Term -- पदोल्लेख
किसी पद के विषय मे चर्चा करने के लिए (न कि उसके द्वारा व्यक्त वस्तु के विषय में) उसे उद्धरण-चिह्नों के अन्दर रखना; “पदप्रयोग” (use of a term) से इसका अंतर है, जिसमें वस्तु की चर्चा की जाती है।
  • Merit -- पुण्य, श्रेष्ठता
कांट के नैतिक सिद्धांत के विशेष संदर्भ में कर्त्ता को प्राप्त होने वाला श्रेय जिसे वह अपनी सहज प्रवृत्तियों से प्रबल संघर्ष करते हुए अर्जित करता है। भारतीय दर्शन में विशेषतया मीमांसकों द्वारा मान्य वे संस्कार-समूह जिन्हें वह अच्छे कर्मों के फलस्वरूप प्राप्त करता है तथा जो उसे स्वर्ग का अधिकारी बनाते हैं।
  • Meta-Ethics -- अधिनीतिशास्त्र
आधुनिक विश्लेषणवादी दार्शनिकों के अनुसार, ‘मानकीय नीतिशास्त्र’ से भिन्न वह शास्त्र जिसमें ‘शुभ’, ‘अशुभ’ इत्यादि शब्दों के अर्थ और प्रयोग का विवेचन किया जाता है तथा नैतिक संप्रत्ययों और निर्णयों का विश्लेषण किया जाता है।
  • Meta-Inquiry -- अधिमीमांसा
मीमांसा की मीमांसा, अर्थात् शास्त्रों का शास्त्र : दर्शन को अन्य शास्त्रों के स्तर का मानने वाली पुरानी धारणा का खंडन करके यह बताने के लिए प्रयुक्त शब्द कि उसका विवेच्य विषय सारे शास्त्र हैं।
  • Meta-Language -- अधिभाषा, परा भाषा
वह भाषा जिसका प्रयोग किसी अन्य भाषा का विवेचन करने के लिए किया जाता है, अर्थात् जिसके प्रतीक किसी अन्य भाषा के प्रतीकों के गुणधर्मों का वर्णन करते हैं, जैसे व्याकरण की भाषा।
  • Meta-Metalanguage -- अध्यधिभाषा
वह भाषा जिसके माध्यम से अधिभाषा का विवेचन किया जाता है।
  • Metaphysical Division -- तात्त्विक विभाजन
किसी वस्तु का उसके गुणों में विश्लेषण, जैसे कुनैन की गोली का सूक्ष्मत्व, श्वेतत्व और कटुत्व के गुणों में विश्लेषण। इसको संप्रत्ययात्मक विश्लेषण भी कहा जाता है।
  • Metaphysical Dualism -- तात्विक द्वैतवाद
विश्व के आधारभूत दो परस्पर भिन्न और स्वतंत्र द्रव्यों के अस्तित्व में विश्वास, जैसे आत्मा और पुद्गल में।
  • Metaphysical Essence -- तात्विक सार
स्कॉलेस्टिक दर्शन में, किसी वस्तु की अनिवार्य विशेषताओं का योग, जिसके आधार पर वह अन्य वस्तुओं से पृथक् की जाती है।
  • Metaphysical Evil -- अतिप्राकृतिक अशुभ, अतिप्राकृतिक अनिष्ट
पैट्रिक के अनुसार, शारीरिक (एवं मानसिक) अशुभ तथा नैतिक अशुभ से भिन्न एक तीसरे प्रकार का अशुभ जो विश्व में विद्यमान है : प्राकृतिक प्रकोप, जैसे भूचाल, अकाल, बाढ़ आदि।
  • Metaphysical Form -- तात्त्विक आकार
स्कॉलेस्टिक दर्शन में, वस्तु का सारतत्त्व, जैसे ‘विवेकशील प्राणी’ मानव का है।
  • Metaphysical Solipsism -- तत्त्वमीमांसीय सर्वाहंवाद
प्रत्ययवाद का वह रूप जो केवल चिंतन करने वाले की आत्मा को ही संपूर्ण सत्य मानता है और बाह्य जगत् व अन्य आत्माओं को उस आत्मा का प्रत्ययमात्र तथा स्वतंत्र अस्तित्त्व से हीन मानता है।
  • Metaphysics -- तत्त्वमीमांसा
दर्शन की वह शाखा जो सत्ता के प्रतीयमान रूप के परे जाकर उसके वास्तविक स्वरूप का विवेचन करती है।
  • Meta-Science -- अधिविज्ञान
विज्ञानों का विवेचन करने वाला शास्त्र।
  • Metempiric -- अत्यानुभविक
अनुभव के द्वारा सत्यापित न हो सकने वाला; अनुभव से अतीत।
  • Metempsychosis -- देहांतर, देहांतर-प्राप्ति
(एक मान्यता के अनुसार) आत्मा का मृत्यु के समय एक देह को छोड़ कर दूसरी मानवीय या पशु-देह में प्रवेश कर जाना।
  • Method Of Agreement -- अन्वय-विधि
एक आगमनिक विधि जिसका आधारभूत नियम मिल के अनुसार इस प्रकार है : “यदि विचाराधीन घटना के दो या अधिक दृष्टांतों में केवल एक बात समान हो तो केवल वह समान बात ही निर्दिष्ट घटना का कारण (या कार्य) है।”
  • Method Of Difference -- व्यतिरेक-विधि
एक आगमनिक विधि जिसका आधारभूत नियम मिल के अनुसार यह है : “यदि दो दृष्टांत ऐसे हों जिनमें से एक में विचाराधीन घटना होती है और दूसरे में नहीं होती, और दोनों में एक को छोड़कर शेष सभी तथ्य बिल्कुल तुल्य हों, तथा वह तथ्य पहले दृष्टांत में उपस्थित और दूसरे में अनुपस्थित हो, तो वह तथ्य जिसमें दोनों दृष्टांत भिन्न हैं विचाराधीन घटना के साथ कारण, कार्य अथवा कारण के एक अनिवार्य अंश के रूप में संबंधित है”।
  • Method Of Elimination -- निरसन विधि
कारण-कार्य का आवश्यक संबंध स्थापित करने के लिए आकस्मिक या अनावश्यक तत्त्वों को निकालने की विधि।
  • Method Of Residues -- अवेशष-विधि
मिल की एक आगमनात्मक विधि जिसमें अवशिष्ट कार्य से कारण का अनुमान किया जाता है। जैसे : “यदि यह ज्ञात हो कि क ख ग कार्य क1 ख1 ग1 का कारण है और यह भी ज्ञात हो कि क क1 और ख ख1 का कारण है, तो शेष ग, ग1 का कारण है”।
  • Methodological Solipsism -- पद्धतिपरक सर्वाहंवाद
एक ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत जो दार्शनिक विवेचन का एकमात्र संभव आरंभ-बिन्दु अहं (आत्मा) और उसकी अवस्थाओं को मानता है।
  • Methodology -- 1. प्रणालीतंत्र : विज्ञानों में अपनाई गई-प्रणालियों का समूह।
2. प्रणालीविज्ञान : तर्कशास्त्र की शाखा-विशेष जो उन विधियों या प्रक्रियाओं का विवेचन-विश्लेषण करती है जिनका अध्ययन के विशेष क्षेत्रों में अनुसरण किया जाना चाहिए।
  • Microcosm -- पिण्ड
ब्रह्माण्ड का लघुतम स्वरूप।
  • Millenniarism -- सहस्राब्दवाद
ईसाइयों की एक मान्यता जिसके अनुसार ईसा मानव-शरीर धारण करके संसार में आकर एक हजार वर्ष तक शासन करेंगे।
  • Mimesis -- अनुकृति
प्लेटो ने प्रतिपादित किया है कि “काल शाश्वतता की गत्यात्मक अनुकृति” है, जिसका अर्थ यह है कि विश्व प्रत्ययों अथवा शाश्वत आकारों की छाया या अनुकृति है।
  • Mind-Stuff Theory -- मनोद्रव्यवाद
वह सिद्धांत कि मन चिद् कणों से निर्मित होता है जो भौतिक परमाणुओं के सदृश होते हैं।
  • Minima Naturalia -- भौतिक लधिष्ठ, प्राकृतिक लघिष्ठ
अरस्तू के अनुसार, परमाणु, जो कि भौतिक द्रव्य के विभाजन के अंत में प्राप्त लघुतम अंश हैं और जिनका सिद्धांततः आगे विभाजन नहीं हो सकता।
  • Minor Arts -- गौण कलाएँ, लघु कलाएँ
मूर्तिकला एवं चित्रकला से भिन्न लघुरूप वस्त्र, मृद्भाण्ड आदि बनाने की कलाएँ।
  • Misoneism -- नवीन के प्रति विकर्षण
नवीन के प्रति घृणा की भावना अथवा नई परिस्थिति से भयभीत होने की प्रवृत्ति।
  • Mixed Effect -- मिश्र कार्य
जब विभिन्न प्रकार के कार्य इस प्रकार मिले हों कि वे एक ही प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करें, उसे मिश्र कार्य कहते हैं।
  • Mixed Hypothetical Syllogism -- मिश्रित हेतुफलात्मक न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य हेतुफलात्मक, पक्ष-आधारवाक्य निरूपाधिक तथा निष्कर्ष भी निरूपाधिक होता है।
उदाहरण : यदि वर्षा होती है तो उपज अच्छी होती है;
वर्षा हुई है;
∴ उपज अच्छी होगी।
  • Mnemic Causation -- स्मृतिक कारणता
वह कारणता जिसमें अव्यवहित पूर्ववर्ती तत्त्वों के अतिरिक्त सुदूर अतीत में घटी हुई कोई घटना भी कार्योत्पत्ति के लिए उत्तरदायी होती है, (जैसा कि स्मृति के प्रसंग में होता है)।
  • Modalism -- पर्यायवाद
द्वितीय एवं तृतीय शताब्दी ईसवी में ईसाई लोगों द्वारा मान्य एक सिद्धांत जिसके अनुसार “त्रयी” में सम्मिलित पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा एक ही द्रव्य के तीन पर्याय (रूप) हैं।
  • Modality -- निश्चयमात्रा
(क) प्रतिज्ञप्तियों की वह विशेषता जिसके अनुसार वे आवश्यक, सम्भाव्य, सांयोगिक, असंभव हो सकती हैं।
(ख) आधुनिक तर्कशास्त्र में इसे प्रतिज्ञप्ति अथवा कथन का कतिपय “अधितार्किक मूल्यांकन मानते हुए उसके विश्लेषण की संभावना को प्रस्तुत करने वाला गुण माना गया है।
(ग) परम्परागत तर्कशास्त्र में प्रतिज्ञप्तियों को अनिवार्यता, सम्भाव्यता तथा वास्तविकता में विभाजित किया जाता है।
कांट के मत में भी इसी अर्थ को स्वीकार किया गया है।
  • Modal Logic -- निश्चयमात्रक तर्कशास्त्र, प्रकारात्मक तर्कशास्त्र
वह तर्कशास्त्र जिसमें अनिवार्यता, संभाव्यता, असंभाव्यता की अवधारणाओं के तार्किक लक्षणों का अध्ययन किया जाता है। एक निश्चयमात्रिक कथन वह है जिसमें अनिवार्यता या संभाव्यता के संदर्भ में कुछ कहा जाता है। निश्चयात्मक तर्कशास्त्र के मूल प्रत्यय क्रिया-विशेषणों, सहायक क्रियाओं एवं क्रिया वाक्यांशों में व्यक्त होते हैं।
  • Modal Proposition -- निश्चयमात्रक प्रतिज्ञप्ति
ऐसे कथन के द्वारा अभिव्यक्त प्रतिज्ञप्ति जिसमें उसकी निश्चयात्मकता की मात्रा को बताने वाला कोई शब्द जैसे – “अवश्य; सम्भाव्य” एवं “वास्तविक” जुड़ा हुआ हो।
  • Mode -- पर्याय, प्रकार
सामान्यतः किसी द्रव्य या तत्त्व के गौण गुण जो द्रव्य या तत्त्व पर आश्रित होते हैं। देकार्त के दर्शन में पर्याय का यही अर्थ किया गया है। स्पिनोजा के दर्शन में पर्याय, द्रव्य के परिणामी धर्म या विकार माने गये हैं। उनके अनुसार पर्याय गुणों के विकार हैं न कि द्रव्य के, क्योंकि द्रव्य अपरिणामी है। लॉक के अनुसार पर्याय सरल प्रत्ययों का योग है, जो द्रव्य पर आश्रित है, अतः परतन्त्र है।
  • Modus Ponendo Ponens -- विध्यात्मक हेतुफलानुमान
न्यायवाक्य का वह रूप जिसमें पक्ष आधारवाक्य में साध्य-आधारवाक्य के पूर्ववर्ती को स्वीकार करके निष्कर्ष में अनुवर्ती को स्वीकार किया जाता है।
उहाहरण : यदि प है, तो क है।
प है।
अतः क है।
प ⊃ क -प्रतीकात्मक
∴ क
यदि सूर्य है, तो प्रकाश है। – विधानात्मक
सूर्य है।
∴ प्रकाश है।
  • Modus Ponendo Tollens -- विधि-निषेधात्मक हेतुफलानुमान
न्यायवाक्य का वह रूप जिसमें पक्ष-वाक्य में पूर्ववर्त्ती का विधान करके, निष्कर्ष में अनुवर्ती का विधान किया जाता है, किन्तु यहाँ साध्य-वाक्य में अनुवर्ती निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : यदि प है तो क नहीं है।
प है।
अतः क नहीं है।
प्रतीकात्मक उदाहरण :
प ⊃ ≃ क
∴ ≃ क
यदि चुनाव हुए तो किसी दल को बहुमत नहीं मिलेगा।
चुनाव हुए – विधानात्मक
अतः किसी दल को बहुमत नहीं मिलेगा। – निषेधात्मक
  • Modus Ponens -- विधानात्मक हेतुफलानुमान
यह हेत्वाश्रित न्यायवाक्य का वह रूप है जिसका साध्य-वाक्य हेत्वाश्रित हो तथा पक्ष-वाक्य में साध्य-आधारवाक्य के पूर्ववर्त्ती को स्वीकार करके निष्कर्ष में अनुवर्ती को स्वीकार किया जाता है।
  • Modus Tollendo Ponens -- निषेधक विधानात्मक हेतुफलानुमान
न्यायवाक्य का वह रूप जिसमें पक्ष-वाक्य के पूर्ववर्त्ती का विधान करके निष्कर्ष में अनुवर्त्ती का विधान किया जाता है, किन्तु यहाँ पूर्ववर्त्ती साध्य-वाक्य निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : यदि प नहीं है, तो क है।
प नहीं है।
अतः क है।
प्रतीकात्मक उदाहरण :
≃ प ⊃ क
~ प
∴ क
यदि ईमानदारी नहीं है तो भ्रष्टाचार रहेगा।
ईमानदारी नहीं है। – निषेधात्मक
अतः भ्रष्टाचार रहेगा। – विधानात्मक
  • Molecular Proposition -- अणु प्रतिज्ञप्ति, आण्विक प्रतिज्ञप्ति
1. उन दो प्रतिज्ञप्तियों में से एक जिसका प्रतिपादन रसल ने अपने दार्शनिक विचार ‘तर्कीय परमाणुवाद’ के अन्तर्गत किया। इनमें से प्रथम प्रतिज्ञप्ति को उन्होंने सरल प्रतिज्ञप्ति कहा जबकि दूसरी को आण्विक प्रतिज्ञप्ति। यह वह प्रतिज्ञप्ति है जो दो अथवा दो से अधिक सरल प्रतिज्ञप्तियों को ‘और’, ‘या तो या’ ‘यदि…….. तो’ से संयुक्त करके बनायी जाती है।
जैसे : (i) यदि पानी बरसेगा तो छाते की जरूरत होगी।
(ii) राम साहसी और बुद्धिमान है।
(ii) यो तो राम साहसी है या बुद्धिमान है।
2. परम्परागत तर्कशास्त्र में इसे ही मिश्रित प्रतिज्ञप्ति कहा जाता है।
  • Molinism -- मोलीनावाद
स्पेन के जेज्यूइट मोलीना (1535-1600) एवं उसके अनुयायियों का सिद्धांत जिसमें ईश्वर को सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान् मानते हुए भी मनुष्य को कर्म करने में स्वतंत्र माना गया है।
  • Monad -- चिदणु, मोनेड
लाइब्नित्ज़ के दर्शन में उन तात्विक सत्ताओं के लिये प्रयुक्त नाम जो चिद्रूप-आण्विक, विस्तारहीन, गतिमान, अविभाज्य-शास्वत एवं सप्रयोजन हैं। ईश्वर को भी इसी प्रकार की एक सत्ता माना गया है, यद्यपि वह अन्यों की अपेक्षा अधिक विकसित है। लाइब्नित्ज़ से पहले इस शब्द का प्रयोग ऑगस्टाइन, ब्रूनो और प्रोटेस्टेंट स्कॉलेस्टिकों में मिलता है।
  • Monadology -- चिदणुशास्त्र
लाइब्नित्ज़ का द्रव्य सिद्धांत, जिसके अनुसार चिदणु ही द्रव्य है, जो परम सूक्ष्म विशेष पदार्थ है और जो शक्तिसम्पन्न, अनश्वर तथा चिद्रूप है। चिदणु या मोनेड शब्द का प्रयोग लाइब्नित्ज़ से पूर्व ब्रूनों ने किया था, परन्तु लाइब्नित्ज़ ने यह शब्द प्रसिद्ध रसायनशास्त्री वान हेलमोण्ट (Van Helmount) से लिया था, जिसने सर्वप्रथम सरल, सूक्ष्म, न्यूनतम अवयव को मोनेड या चिदणु माना था।
  • Monarchianism -- एकाधिदेववाद
वह मत, जिसके अनुसार एक ही देवता के अस्तित्व को स्वीकार किया जाता हो, जैसे वैदिक धर्म आदि में।
  • Monasticism -- मठवाद, भिक्षुधर्म, मठचर्या
आध्यात्मिक विकास के लिए संसार से विरक्त होकर आश्रम या मठ में वास करते हुए चिंतन-मनन, ध्यान, तपस्या या योगाभ्यास का उपदेश करने वाला सिद्धांत अथवा जीवन-पद्धति।
  • Monergism -- ईशैककृतिवाद
ईसाई धर्मशास्त्र में एक मत जिसके अनुसार आध्यात्मिक पुनरूत्थान अकेले दैवी शक्ति से ही संभव है, उसमें मानव-संकल्प का कोई योगदान नहीं होता।
  • Monism -- एकतत्त्ववाद, अद्वैतवाद
1. तत्त्वमीमांसा में वह मत कि इस नानात्व से युक्त विश्व में मूलभूत तत्त्व या सत्ता एक है, हालाँकि उसके स्वरूप को लेकर यह विवाद हो सकता है कि क्या वह भौतिक है, आध्यात्मिक है अथवा दोनों है।
2. ज्ञानमीमांसा में, वह मत कि प्रत्यक्ष के बाहर जो वस्तु होती है वह तथा प्रत्यक्षकर्ता के मन में उसका जो प्रत्यय होता है वह एक है।
  • Monochronistic Hedonism -- तात्कालिक सुखवाद
वह सुखवाद जो तत्क्षण सुख को ही नैतिक आदर्श मानता है और उसे प्राधानता देता है। भारत में चार्वाक एवं पाश्चात्य विचारकों में बेंथम इस मत का प्रतिपादन करते हैं।
  • Monopsychism -- एकात्मवाद
वह मत कि आत्मा एक है और वह शाश्वत है तथा संसार में जो अनेक जीवात्माएँ हैं वे सभी एकेश्वरवाद उसकी अभिव्यक्तियाँ हैं।
  • Monotheism -- एकेश्वरवाद
यह विश्वास कि ईश्वर एक है, अनेक नहीं।
  • Monte Carlo Fallacy -- मॉण्टो-कार्लों-दोष
आगमनात्मक युक्ति में पाया जाने वाला एक दोष, जो तब होता है जब निकट भूत में एक घटना विशेष के आशा से कम बार घटने से यह अनुमान किया जाता है कि निकट भविष्य में उसके घटने की संभाव्यता बढ़ गई है।
  • Moral A Priori -- नैतिक प्रागनुभविक
वे नैतिक संप्रत्यय जो अनुभवपूर्व हों, जैसे शुभ-अशुभ, सत्-असत् आदि। ये नैतिक संप्रत्यय जन्म से ही मनस् में निहित हैं और इनके ज्ञान के लिए किसी प्रकार के इन्द्रिय अनुभव की आवश्यकता नहीं होती।
  • Moral Argument -- नैतिक युक्ति
नैतिकता के आधार पर ईश्वर को प्रमाणित करने वाली युक्ति।
उदाहरण : (i) नैतिक नियम नियामक के बिना नहीं हो सकता, मनुष्य उसका नियामक नहीं हो सकता अतः नियामक के रूप में ईश्वर का अस्तित्व है।
(ii) नैतिक कर्मों का कोई फलदाता होना चाहिये। मनुष्य फलदाता नहीं हो सकता, अतः फलदाता के रूप में ईश्वर का अस्तित्व है।
(iii) नैतिकता की यह तर्कसम्मत मांग है कि सदाचारी अन्त में सुखी हो एवं दुराचारी दुःखी। कोई सीमित शक्ति या जड़ प्रकृति नैतिकता एवं सुख का संयोग नहीं करा सकती अतः ईश्वर का अस्तित्व है।
कांट ईश्वर के अस्तित्व को नैतिकता की एक पूर्वमान्यता के रूप में स्वीकार करते हैं। कांट के अतिरिक्त मार्टिन्यू, प्रो. सोर्ली, जेम्स, सैथ आदि भी इसे स्वीकार करते हैं।
  • Moral Atavism -- नैतिक प्रत्यावर्तन
पूर्व नैतिकता की ओर लौटना, अर्थात् पूर्व में ग्रहण की गई नैतिकता को छोड़कर दूसरी नैतिकता को स्वीकार कर लेना, किन्तु तत्पश्चात् त्यागी गई पूर्व नैतिकता को पुनः ग्रहण कर लेना।
  • Moral Code -- नीति-संहिता, आचार-संहिता
व्यक्ति के आचरण के औचित्य को आँकने के लिए समाज द्वारा निर्धारित नैतिक नियमों का संग्रह।
  • Moral Connoisseur -- नीति-मर्मज्ञ
वह गुणी व्यक्ति जो कर्मों के औचित्य और अनौचित्य का पारखी या विशेषज्ञ हो। ऐसा ही व्यक्ति नैतिक क्षेत्र में मार्ग दर्शन करता है।
  • Moral Duty -- नैतिक कर्तव्य
वह कर्तव्य जिसका पालन करने के लिए कानून तो बाध्य नहीं करता परन्तु समाज की नैतिकता के अनुसार जिसका पालन करने की व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है।
  • Moral Evil -- नैतिक अशुभ, नैतिक बुराई
पैट्रिक के अनुसार, वह बुराई जो नैतिकता के उल्लंधन से पैदा होती है, जैसे अन्याय, शोषण, चोरी, घूसखोरी इत्यादि।
  • Moral Expiation -- नैतिक प्रायश्चित
किसी अनुचित या अनैतिक कर्म करने के पश्चात् उसका बोध होने पर ग्लानि होना।
  • Moral Fanaticism -- नैतिक मतांधता
केवल अपने नैतिक मूल्यों को ही सत्य एवं सर्वश्रेष्ठ मानने वाला तथा दूसरों के नैतिक मूल्यों को अस्वीकृत करने वाला मत।
  • Moral Indifferentism -- नैतिक उदासीनतावाद
शुभ-अशुभ आदि नैतिक प्रत्ययों के प्रति तटस्थता का भाव रखने वाला मत।
  • Moral Indignation -- नैतिक आक्रोश
अन्याय, अनाचार एवं दुराचार के प्रति अवहेलना-मिश्रित उचित क्रोध का भाव।
  • Moral Institutions -- नैतिक संस्थाएँ
वे सामाजिक संस्थाएँ जिनका निर्माण व्यक्ति की श्रेय, पुरूषार्थ या नैतिक शुभ की प्राप्ति में सहायता करने के प्रयोजन से हुआ है, जैसे परिवार, विद्यालय, चर्च आदि।
  • Moral Judgement -- नैतिक निर्णय
किसी भी ऐच्छिक कर्म को नैतिक दृष्टि से शुभ या अशुभ, उचित या अनुचित बताना नैतिक निर्णय है।
  • Morality -- 1. नैतिकता : व्यक्ति के कर्म, आचरण या चरित्र की वह विशेषता जो उसके नैतिक आदर्श के अनुरूप होने से या उसका अनुसरण करने से उसमें आती है।
2. नीति : नैतिक आदर्श की दृष्टि से आचरण का अध्ययन करने वाला शास्त्र अथवा मुख्य रूप से मानव-स्वभाव, आदर्श और उसका अनुसरण करने के लिए बनाए गए नियमों से संबंधित विचारों का तंत्र विशेष।
  • Moral Scepticism -- नैतिक संशयवाद
वह मत जिसके अनुसार, नैतिक नियमों या मापदण्डों को बौद्धिक तर्क द्वारा उचित नहीं ठहराया जा सकता है। अतः उन पर विश्वास या अविश्वास नहीं किया जा सकता।
  • Morality Of Masters -- स्वामी नीति
जर्मन दार्शनिक नीत्शे के द्वारा समाज के दो वर्गों एवं उनसे संबंधित दो प्रकार की नैतिकता में से एक। इस प्रकार की नैतिकता शक्तिशाली वर्ग से संबंधित है। चूँकि शक्तिशाली ही समाज का स्वामी होता है, अतः इस वर्ग की नैतिकता युद्ध, हिंसा, शौर्य, पराक्रम, उद्यम आदि वीरोचित गुणों से परिचालित होती है।
  • Morality Of Slaves -- दास नीति
जर्मन दार्शनिक नीत्शे के अनुसार, उपयोगिता के विचार से प्रेरित निति जिसे सेवक-वर्ग या शासित-वर्ग अपनाता है और जिसमें विनय, धैर्य, शांति, अहिंसा इत्यादि गुणों को प्रधानता दी जाती है।
  • Moral Law -- नैतिक नियम
विशेषतः कांटीय नीतिशास्त्र में, व्यावहारिक तर्कबुद्धि का वह निरपेक्ष आदेश कि केवल कर्तव्यबुद्धि से कर्तव्य करो और उसे कर्तव्य मानो जिसे तुम एक सार्वभौम सिद्धांत के रूप में स्वीकार कर सको।
  • Moral Optimism -- नैतिक आशावाद
वह मत कि संसार में नैतिक सुधार व उत्थान अवश्य होगा।
  • Moral Religion -- नीतिप्रधान धर्म
वह धर्म जो ईश्वर, परलोक आदि परिकल्पनाओं को छोड़कर नैतिकता को प्रधानता दैता है, जैसे बौद्ध धर्म।
  • Moral Sense Theory -- नैतिक संवित्तिवाद
मुख्य रूप से ब्रिटेन के शेफ्ट्सबरी और हचेसन नामक नीतिशास्त्रियों का वह सिद्धांत कि हमें कर्म के औचित्य और अनौचित्य का बोध अंतर्विवेक से हो जाता है : जिस प्रकार आँख, कान इत्यादि गुणों का साक्षात् ज्ञान कराने वाली इंद्रियाँ हैं, उसी प्रकार अंतर्विवेक नैतिक गुणों का साक्षात् ज्ञान कराने वाली इंद्रिय है।
  • Moral Sentiment Theory -- नैतिक भाव सिद्धांत
नीतिशास्त्र का वह सिद्धांत, जिसके अनुसार नैतिक औचित्य-अनौचित्य के निर्णय व्यक्ति के अनुमोदन अथवा अननुमोदन के भाव या संवेग पर आधारित है।
  • Moral Syllogism -- नैतिक न्यायवाक्य
अरस्तू ने नैतिक न्याय-वाक्य को एक बौद्धिक क्रिया की परिणति माना है : पहले व्यक्ति को नैतिक मानक का बोध होता है, फिर उसे परिस्थिति विशेष में कर्म-विशेष के उस मानक के अनुरूप होने का बोध होता है और तब वह तदनुसार आचरण करता है। इन तीनों चरणों को क्रमशः न्यायवाक्य का साध्य- आधारवाक्य, पक्ष-आधारवाक्य और निष्कर्ष के रूप में लिया जाता है।
  • Moral Theology -- नैतिक धर्मशास्त्र, नैतिक ईश्वरमीमांसा
संकुचित अर्थ में, धर्मशास्त्र की वह शाखा जो ईसाई धर्मावलंबियों के जीवन का ईश्वरीय इच्छा के संदर्भ में अध्ययन करती है। व्यापक अर्थ में, मानवीय जीवन की समस्या का, उसके नैतिक लक्ष्यों का, उसके नैतिक मानकों का और मानव के नैतिक आचरण का तथा इन सबका ईश्वर से जो संबंध है उसका अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Mortalist -- नश्वरवादी
वह व्यक्ति जो यह विश्वास करता है कि मृत्यु के पश्चात् कुछ शेष नहीं रहता।
  • Mortification Of The Flesh -- आत्म-यातना, देह-यातना
आध्यात्मिक उपलब्धि के लिए संयम और त्याग का आचरण करते हुए नैसर्गिक इच्छाओं का दमन तथा प्रायश्चित के रूप में अथवा तप इत्यादि के द्वारा शरीर को कष्ट देना।
  • Mosaic Philosophy -- मोजेक दर्शन
विश्व को मोज़ेक के समान विभिन्न रूप-रंगों वाले मौलिक तत्वों से निर्मित माननेवाला सिद्धांत।
  • Multiformity -- बहुरूपता
स्टेबिंग (Stebbing) के अनुसार, एक साथ देखी गई ऐसी घटनाओं का एक समूह जिनमें से कोई एक या अधिक अन्य अवसरों पर अन्य की अनुपस्थिति में घटित होती है : समूह घटनाओं के अलावा गुणों या विशेषताओं का भी हो सकता है।
  • Multiple Location Theory -- अनेकत्र-स्थिति सिद्धांत, बहु-स्थिति सिद्धांत
न्यूटन आदि वैज्ञानिकों तथा सहज वस्तुवाद के स्थान परिसीमन सिद्धांत (simple location theory) के विपरीत हाइटहेड के द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत। इस सिद्धांत के अनुसार ऐसा समझना अत्यन्त भ्रामक है कि कोई भी वस्तु एक विशेष स्थान में सीमित रहती है। इसे स्थान परिसीमन का दोष कहते है। वस्तुतः कोई भी वस्तु-विशेष प्रक्षेपों का एक ऐसा समूह होती है जो अपने पड़ोस में और पड़ोस से भी प्रभावी हो सकती है एवं पड़ोस की कोई निश्चित सीमा नहीं होती है। इसके परिणामस्वरूप उसमें अनेक गुण आ जाते हैं जो परस्पर विरोधी तक भी हो सकते हैं। जैसे : एक सिक्के की दीर्घवृत्तीयता और वृत्तीयता।
  • Multiple Relation Theory -- बहु-संबंध-सिद्धांत
निर्णय को निर्णयकर्त्ता का मन (विषयी) एवं बाह्य-पदार्थ (विषय) स्वीकार करने वाले दार्शनिकों का मत। इसके अनुसार निर्णय के एक घटक के रूप में निर्णय कर्त्ता का मन विषयी होता है एवं अन्य प्रतिज्ञप्ति के अंश होते हैं, जिन्हें विषयी एक निश्चित अर्थ प्रदान करता है।
  • Mundus Intelligibilis -- प्रज्ञा-लोक
प्लेटो के अनुसार प्रज्ञागम्य सत्ताओं का लोक जिसमें दृश्य जगत् की प्रत्येक वस्तु का प्रतिमान विद्यमान रहता है।
  • Mysticism -- रहस्यवाद
वह मत कि परम सत् अपरोक्षानुभूतिगम्य है। इसका ज्ञान, बुद्धि, तर्क एवं भाषा से परे है।
  • Naïve Realism -- सहज यथार्थवाद
जन-साधारण का मत जो किसी छान-बीन के बिना ही बाह्य जगत् के अस्तित्त्व को सहज रूप से स्वीकार कर लेता है। सामान्य बुद्धि पर आधारित होने के कारण इसे सामान्य बुद्धि वस्तुवाद भी कहा जाता है और मनुष्य का स्वाभाविक दृष्टिकोण होने से इसे स्वाभाविक वस्तुवाद भी कहा जाता है।
  • Narrative Proposition -- आख्यानात्मक प्रतिज्ञप्ति
जॉनसन के अनुसार, वह प्रतिज्ञप्ति जिसके उद्देश्य-पद के पहले कोई निर्देशात्मक या उपस्थापक विशेषण लगा होता है, जैसे, “एक छाताधारी सैनिक नीचे उतरा”, “वह व्यक्ति बड़े गुस्से में था” इत्यादि। इस तरह की प्रतिज्ञप्तियाँ उपन्यासों कथा-कहानियों और इतिहास की पुस्तकों में प्रायः होती हैं। जॉनसन ने “टीका-प्रतिज्ञप्ति” (commentary proposition) अर्थात् कोई सामान्य बात बताने वाली प्रतिज्ञप्ति से इसका भेद किया है।
  • Nativism -- सहज ज्ञानवाद, प्रकृत ज्ञानवाद
जर्मन विचारक हेल्महोल्स (1821-1894) के द्वारा प्रतिपादित मत जिसके अनुसार मानवीय ज्ञान में निस्सन्देह कुछ ऐसे तत्त्व विद्यमान रहते हैं जो संवेदना से प्राप्त नहीं होते वरन् ये आनुवंशिक होते हैं। इसलिये ये प्रत्येक व्यक्ति को अनुभव-निरपेक्ष रूप से जन्म से ही प्राप्त होते हैं।
  • Natural Deduction System -- प्राकृतिक निगमन प्रणाली
स्वयंसिद्धों के बिना निगमनात्मक युक्तियों की संरचना के लिए नियमों के समुच्चय के लिए प्रयुक्त।
  • Natural Dualism -- प्राकृत द्वैतवाद, सहज द्वैतवाद
वह सिद्धांत जो यह मानता है कि मनस् और भौतिक द्रव्य की सत्ता एक-दूसरे से भिन्न एवं स्वतंत्र है।
  • Natural Experiment -- प्राकृतिक प्रयोग
प्राकृतिक घटनाओं पर आधारित वह प्रयोग जो प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से संभव नहीं होता। वैज्ञानिक प्रेक्षण के लिये प्रकृति स्वयं ऐसी घटनाओं को उत्पन्न करती है, यथा, सूर्य या चन्द्रग्रहण।
  • Naturalism -- प्रकृतिवाद
1. वह विचारधारा कि विश्व में होने वाली किसी भी प्रक्रिया या घटना के पीछे किसी अतिप्राकृतिक शक्ति का हाथ नहीं है, सभी कुछ प्रकृति से व्युत्पन्न है और कार्य-कारण-नियम के द्वारा व्याख्येय है, प्रकृति के अन्दर कोई प्रयोजन काम नहीं कर रहा है, तथा मानवीय व्यवहार और नैतिक तथा सौंदर्यमीमांसीय मूल्यों को समझने के लिए भी किसी आध्यात्मिक सत्ता का आश्रय लेने की जरूरत नहीं है।
2. सौंदर्यशास्त्र में वह मान्यता कि कलाकार को अपने भौतिक पर्यावरण का सूक्ष्म प्रेक्षण करके केवल प्रकृति की विशेषताओं का ही स्पष्टतः चित्रण करना चाहिए।
  • Naturalistic Ethics -- प्रकृतिवादी नीतिशास्त्र
नीतिशास्त्र को प्रकृतिवादी विज्ञान मानने वाला वह सिद्धांत जो यह मानता है कि नैतिक प्रत्ययों की व्याख्या प्राकृतिक विज्ञान के संप्रत्ययों द्वारा की जा सकती है।
  • Naturalistic Fallacy -- प्रकृतिवादी दोष
नीतिशास्त्रीय प्रत्ययों की व्याख्या करने में प्रकृतिवादियों द्वारा किया गया वह दोष जो “शुभ” की व्याख्या प्रकृतिवादी दृष्टिकोण से करते हैं, जबकि “शुभ” एक अप्राकृतिक गुण है। यह मत जी. ई. मूर का है, जिनके अनुसार, “शुभ” नैतिक गुण है जो सुख या इच्छा की मनोवैज्ञानिक प्रतीतियों से भिन्न है।
  • Naturalistic Humanism -- प्रकृतिवादी मानववाद
उन दार्शनिकों का मत जो समस्त मानवों के हित को सर्वोच्च नैतिक आदर्श मानते हैं तथा मानव से संबंधित समस्त समस्याओं का निराकरण अतिप्राकृतिक शक्तियों से न करके तर्क, विज्ञान एवं लोकतांत्रिक प्रणालियों द्वारा करते हैं।
  • Natural Philosophy -- प्रकृतिदर्शन
प्रकृति का सामान्य अध्ययन करने वाला शास्त्र।
  • Natural Realism -- नैसर्गिक यथार्थवाद, प्राकृत यथार्थवाद
ज्ञानमीमांसा में वह सिद्धांत कि संवेदन और प्रत्यक्ष ज्ञान के विश्वसनीय साधन हैं और इनसे बाह्य जगत् के वास्तविक अस्तित्व का असंदिग्ध प्रमाण मिल सकता है।
  • Natural Sanction -- प्राकृतिक अंकुश, भौतिक अंकुश
बेन्थम द्वारा प्रतिपादित चार नैतिक अंकुशों में से एक। इसके अनुसार शारीरिक स्वास्थ्य के लिये प्राकृतिक अथवा भौतिक नियमों का पालन करना आवश्यक है क्योंकि इनका पालन न करने से मनुष्य को शारीरिक कष्ट, रोग आदि होते हैं। जैसे : सन्तुलित आहार न होने पर विभिन्न प्रकार के रोगों का होना।
  • Natural Slave Doctrine -- प्राकृतिक-दास-सिद्धांत
अरस्तू का वह सिद्धांत कि व्यक्तियों की कार्य-क्षमता में भिन्नता होने के कारण समाज में दास और स्वामी के वर्ग नैसर्गिक रूप से बन जाते हैं।
  • Natural Theology -- प्राकृतिक ईश्वर मीमांसा, प्राकृतिक धर्मशास्त्र
वह ईश्वर-मीमांसा जो यह मानती है कि प्राकृतिक तत्त्व एवं घटनाएँ ईश्वरीय ज्ञान का आधार हैं तथा मनुष्य की तर्कबुद्धि, जो प्रकृतिप्रदत्त है, उस ज्ञान का साधन है।
  • Natura Naturans -- कारण-प्रकृति, कारण मूलक
यह पद इस अर्थ में प्रयुक्त होता है कि ईश्वर समस्त व्यावहारिक जगत् का कारण अथवा उसका अधिष्ठान है, और ईश्वर जगत् से अभिन्न है। इस पद का प्रयोग इब्न रूश्द (Ibn-Rushd), निकॉलस कूसेनस (Nicholas Cusanus), ब्रूनो आदि मध्ययुगीन दार्शनिकों ने किया है। आधुनिक युग में इस मत का प्रयोग स्पिनोजा ने अपने दर्शन में किया है।
  • Natura Naturata -- कार्य-प्रकृति, कार्यमूलक (स्पिनोजा)
यह पद इस अर्थ में प्रयुक्त होता है कि ईश्वर ही जगत् के समस्त पदार्थों में कार्यरूपेण विद्यमान है। कार्य-कारण से अभिन्न है, ईश्वर कारण भी है और कार्य भी है। दोनों में अभेद है। इस पद का प्रयोग मध्ययुगीन दार्शनिकों ने किया। आधुनिक युग में स्पिनोजा ने भी इस पद का प्रयोग किया है।
  • Nature Philosophers -- प्रकृति-दार्शनिक
भौतिक विद्याविदों तथा यूरोपीय पुनर्जागरण युग में टेलेसिओ, ब्रूनों एवं काम्पानेला जैसे उन दार्शनिकों को दिया गया नाम जिन्होंने भौतिक अध्ययन में रूचि को पुनः जाग्रत किया।
  • Nature-Religion -- प्रकृति-प्रधान धर्म
एक वर्गीकरण के अनुसार, नीतिप्रधान धर्म (morality religion) से भिन्न वह धर्म जिसमें प्राकृतिक शक्तियों की उपासना और उससे संबंधित कर्मकांड को प्रधानता दी जाती है।
  • Nature Worship -- प्रकृति-पूजा
मूलतः सभ्यता के प्रारंभिक काल में समुचित ज्ञान के अभाव में मानव के द्वारा प्रकृति की उपकारक शक्तियों की कृतज्ञता-प्रकाशन तथा अधिक अनुग्रह के लिए देवता मानकर की जाने वाली उपासना और दुष्ट शक्तियों की उनके कोप की शांति के लिए उपासना।
  • Naturism -- 1. प्रकृति-पूजा : प्राकृतिक शक्तियों के प्रकोप के भय से उनकी पूजा।
2. प्रकृतिदेववाद : वह सिद्धांत कि आदिम धर्म प्रकृति या प्राकृतिक शक्तियों को देवता मानकर चलने वाला और उनकी उपासना का ही एक रूप था।
  • Necessary Condition -- अनिवार्य उपाधि (कारक)
कारण की व्याख्या में वह घटक या शर्त जिसकी उपस्थिति घटना के लिये आवश्यक है अर्थात् वह कारक जिसकी अनुपस्थिति में घटना/कार्य घटित न हो सके।
  • Necessary Proposition -- अनिवार्य प्रतिज्ञप्ति, निश्चयात्मक प्रतिज्ञप्ति
पारम्परिक तर्कशास्त्र में विधि (निश्चयमात्र) के अनुसार दिये गये प्रकारों में से प्रतिज्ञप्ति का एक प्रकार। इस प्रकार की प्रतिज्ञप्ति में उद्देश्य और विधेय में ऐसा अनिवार्य संबंध होता है जो भूत, वर्तमान तथा भविष्य सभी कालों के लिये सत्य होता है और इसके विपरीत कभी सत्य नहीं हो सकता।
उदाहरणार्थ : त्रिभुज के तीनों अन्तः कोणों का योग दो समकोणों के योग के बराबर होता है। 2 + 2 = 4 अवश्य होते हैं। इसका प्रारूप है S must be P अर्थात् S अवश्य ही P है।
  • Necessitarianism -- अवश्यतावाद
देखिए “determinism”।
  • Necromancy -- प्रेत विद्या
प्रेतों को वश में करने की विद्या।
  • Negationism -- निषेधवाद
वह सिद्धांत जो सभी बातों का निषेध करता है।
  • Negative Condition -- अभाव-उपाधि
मिल के अनुसार, कार्योत्पत्ति को रोकनेवाले कारक का अभाव, जैसे, फिसलकर गिरने वाले आदमी के प्रसंग में अवलंब का अभाव।
  • Negative Definition -- निषेधात्मक परिभाषा
परिभाष्य पद की परिभाषा इस प्रकार से दी जाये कि उससे यह पता चलने के बजाये कि ‘वह क्या है?’, यह पता चले कि ‘वह क्या नहीं है?’, निषेधात्मक परिभाषा कहलाती है। अभावात्मक पदों (यथा-अस्वेत, संदेह आदि) को छोड़ कर जब भावात्मक पदों (श्वेत आदि) की निषेधात्मक शब्दों में परिभाषा दी जाती है, तब यह दोषपूर्ण हो जाती है। जैसे :’ गर्मी सर्दी नहीं है; दिन रात का अभाव है।
  • Negative Method Of Agreement -- अन्वय की निषेधात्मक पद्धति
इस पद्धति में कारण स्वरूप घटना के किसी कारक या घटक की अनुपस्थिति में कार्य स्वरूप घटना में कोई कारक या घटक अनेक अवस्थाओं में अनुपस्थित रहता है।
उदाहरणार्थ : जब-जब ‘क’ अनुपस्थित रहता है तब-तब ‘प’ भी अनुपस्थित रहता है। इस दृष्टांत में ‘क’ और ‘प’ में निषेधात्मक अन्वय है।
  • Negative Proposition -- निषेधात्मक प्रतिज्ञप्ति, अभावात्मक प्रतिज्ञप्ति
गुण के दृष्टिकोण से प्रतिज्ञप्ति का एक प्रकार। ऐसी प्रतिज्ञप्तियाँ जिसमें उद्देश्य पद विधेय पद को अस्वीकार करता है अथवा जिसमें उद्देश्य पद के लिये विधेय पद का निषेध किया जाता है, उसे निषेधात्मक अथवा अभावात्मक प्रतिज्ञप्ति कहते हैं। जैसे : कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है। कुछ वैज्ञानिक दार्शनिक नहीं हैं। यह दो प्रकार की होती है। पूर्णव्यापी निषेधात्मक और अंशव्यापी निषेधात्मक। निरूपाधिक प्रतिज्ञप्तियों के मानक आकार के अन्तर्गत E (ई) एवं O (ओ) क्रमशः पूर्णव्यापी निषेधात्मक एवं अंशव्यापी निषेधात्मक प्रतिज्ञप्तियाँ हैं।
  • Negative Term -- अभावात्मक पद
वह शब्द या शब्द-समूह जो किसी गुण या वस्तु के भाव को प्रकट करे, जैसे “बुद्धिहीन”, “अमानव”, “अश्वेत” इत्यादि।
  • Negative Value -- नास्ति-मूल्य, अभावात्मक मूल्य
भावात्मक मूल्यों का निषेध करने वाले मूल्य यथा अशुभ, असत्य इत्यादि।
  • Negativism -- निषेधवाद
सत्य की प्राप्ति में संशय करने वाला अथवा सत्य की प्राप्ति को असंभव मानने वाला, या सत्ता का, विशेषतः दृश्य जगत् का, निषेध करने वाला सिद्धांत।
  • Neglective Fiction -- अपाकर्षी कल्पितार्थ
हान्स फाइइंगर (Hans Vaihinger) के अनुसार, वह कल्पितार्थ यानी अवास्तविक परन्तु व्यवहारोपयोगी संप्रत्यय जिसमें विचार की सरलता के लिए जटिल तथ्यों में से कुछ बातों को निकालकर आवश्यक तत्त्वों को रख लिया जाता है।
  • Neo-Criticism -- नव्य समालोचनावाद, नव्य समीक्षावाद
रिनुविए (Renouvier) द्वारा प्रतिपादित मत, जिसके अन्तर्गत उन्होनें कांट की समीक्षात्मक पद्धति को स्वीकार करते हुए भी कांट द्वारा प्राप्त निष्कर्षों की आलोचना की।
  • Neo-Idealism -- नव्य-प्रत्ययवाद
हेगेल के मूलभूत सिद्धांतों से प्रभावित किन्तु स्वतंत्र रूप से विकसित प्रत्ययवाद जिसका प्रतिपादन इटली के प्रसिद्ध दार्शनिक क्रोचे (Croce) एवं जेन्टाइल (Gentile) ने किया है। इन्होंने हेगेल के सर्वबुद्धिवाद को अस्वीकृत करते हुए दर्शन की ऐतिहासिक व्याख्या की और कहा कि यद्यपि निरपेक्ष सत् एक है किन्तु वह कोई स्थिर सत्ता नहीं है, अपितु ऐसी प्रगतिशील सत्ता है जो स्वरूपतः परिवर्तनशील तथा निरन्तर विकसनशील है।
  • Neo-Intuitionism -- नव्य-अन्तःप्रज्ञावाद
रॉस (Ross), प्रिचर्ड (Prichard), कैरिट (Carritt) आदि समसामयिक दार्शनिकों द्वारा प्रतिपादित मत। इनके अनुसार उचित एवं अनुचित का निर्णय कर्त्ता के द्वारा परिस्थितियों के चयन में होता है किन्तु इसका आधार साधारण बुद्धि न होकर व्यक्ति की अन्तःप्रज्ञा होती है, अतः यह परिणामनिरपेक्ष होता है, परिणामसापेक्ष नहीं।
  • Neo-Kantianism -- नव्य कांटवाद
जर्मनी में 1870 और 1920 के बीच में होने वाले अनेक दार्शनिक आंदोलनों के लिए प्रयुक्त पद। इन आंदोलनों ने कांट की भावना, समीक्षात्मक विधि और कृतित्व से प्रेरणा ली। कांट की कृति के विभिन्न पक्षों पर बल देने पर मतभेद रखते हुए वे सभी परिकल्पनात्मक तत्वमीमांसा के विरोधी थे और कांट के अनुभववाद और बुद्धि के समन्वय के मन्तव्य की ओर प्रवृत हुए।
  • Neology -- नव्य-प्रयोग
सामान्यतः नए शब्द का प्रयोग अथवा पुराने शब्द का परंपरा से भिन्न किसी नए अर्थ में प्रयोग।
  • Neo-Platonism -- नव्य-प्लेटोवाद
ऐमोनियस सेकस के शिष्य प्लाटिनस द्वारा स्थापित मत, जो प्लेटो के प्रत्ययवाद का पुनरूद्धार था और जिसमें प्लेटो के विचारों और पूर्वी रहस्यवाद का मिश्रण था।
  • Neo-Thomism -- नव्य-टॉमसवाद
संत टॉमस एक्विनस के विचारों का परिष्कृत रूप। इसके अनुसार ‘दर्शन ईश्वरमीमांसा का सेवक है’। यह समसामायिक वस्तुगत प्रत्ययवाद का धर्मशास्त्रीय रूप है जो ‘विशुद्ध स्वत्व’ को उच्चतम यथार्थ मानता है जिसे आत्मिक, दिव्य मूल-तत्व समझा जाता है। इस वाद को मानने वाले रूप तथा भूतद्रव्य, अन्तर्निहित क्षमता तथा संक्रिया (संभावना और यथार्थ) के मिथ्याकृत अरस्तूवादी प्रवर्गों एवं साथ ही अस्तित्व तथा सार के प्रवर्गों का धार्मिक जड़सूत्रों के प्रमाण के रूप में व्यापक उपयोग करते हैं। वे परिकल्पनात्मक विन्यासों के परिणामस्वरूप ईश्वर को स्वत्व का मूल कारण तथा समस्त दार्शनिक प्रवर्गों का मूल आधार मानते हैं।
  • Nescience -- अविद्या, अज्ञान
विशेष रूप से, ईश्वर, आत्मा और पुद्गल के अज्ञान की अवस्था; परमार्थ-तत्व के ज्ञान का अभाव।
  • Neuter Proposition -- अनुभय प्रतिज्ञप्ति, तटस्थ प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो न सत्य हो और न असत्य, जैसे “आज से पाँच वर्ष पश्चात् तीसरा महायुद्ध होगा”। इस तरह की प्रतिज्ञप्तियों की सत्यता-असत्यता को अरस्तू ने संदिग्ध माना था और मध्ययुगीन तर्कशास्त्रियों ने इन्हें अनुभय माना।
  • Neutral Monism -- तटस्थ एकतत्त्ववाद, निर्विशेष एकतत्त्ववाद
(1) वह मत कि परम सत्ता न मानसिक है, न भौतिक और जो एक है, और दोनों अर्थात् मानसिक और भौतिक से उभय है। मनस् और जड़ उस एक सत्ता के दो गुण मात्र हैं और जो स्वतंत्र एवं निरपेक्ष नहीं है। स्पिनोजा इसी मत का प्रतिपादन करता है।
(2) रसल ने अपने दर्शन में इन्द्रिय-प्रदत्त के आधार पर भौतिक एवं मानसिक पदार्थों को समझाते हुए, तटस्थ एकतत्त्ववाद की स्थापना की है। उनके अनुसार एक विशेष प्रकार के इन्द्रिय-प्रदत्तों की तार्किक संरचना (logical construction out of sense-data), मानसिक पदार्थ एवं एक विशेष प्रकार की इन्द्रिय पदार्थों की तार्किक संरचना भौतिक पदार्थ कहलाती है। भौतिक एवं मानसिक तत्त्वों के विश्लेषण में रसल ने मात्र ‘इन्द्रिय-प्रदत्त’ को स्वीकार किया है। अतः इस अर्थ में उनका विचार’ तटस्थ एकतत्त्ववाद’ कहा जाता है। इस मत को विलियम जेम्स ने भी अपने निबंध ‘क्या चेतना का अस्तित्त्व है?’ में स्वीकार किया है।
  • Neutral Stuff -- तटस्थ वस्तु, उभयेतर वस्तु
अर्नस्टमाक, एबेनेरियस आदि दार्शनिकों के अनुसार, ऐसी वस्तु जो न मानसिक है और न भौतिक, किन्तु जो दोनों के मूल में है।
  • Neutrum -- तटस्थ वस्तु, अनुभय वस्तु
देखिए “neutral stuff”।
  • New Realism -- नव-यथार्थवाद
वह मत जिसके अनुसार ज्ञान का विषय ज्ञाता से स्वतंत्र है और इनके बीच बाह्य संबंध है। साथ ही वस्तुएँ ठीक वैसी ही हैं, जैसी प्रतीत होती हैं और जैसी प्रतीत होती हैं, ठीक वैसी ही हैं जिसका ज्ञान साक्षात होता है, इसके लिये किसी माध्यम की अपेक्षा नहीं है। इसकी दो शाखाएँ हैं : एक का विकास जी. ई. मूर के नेतृत्व में इंग्लेंड में हुआ और दूसरी का अमेरिका में, होल्ट, मार्विन, पेरी, पिटकिन आदि के द्वारा।
  • Nihil Est In Intellectu Quod Non Prius -- नास्ति संवेदन यत्तत्, बुद्धावपि न वर्तते (संवेदना के अभाव में बुद्धि का न होना)
लैटिन भाषा का एक सूत्र जिसका अर्थ है : “कोई भी ऐसी बात बुद्धि में नहीं होती जो पहले संवेदन में न रह चुकी हो।” अर्थात् उच्चतर चिंतन-मनन की सारी सामग्री ज्ञानेन्द्रियों के व्यापार से प्राप्त होती है। इस सिद्धांत के मानने वालों में अरस्तू, संत टॉमस और लॉक प्रमुख थे।
  • Nihil Ex Nihilo -- नासतः किंचित् (असत् से सत्)
“असत् से कुछ उत्पन्न नहीं होता”। यह सूत्र पर्याप्त-हेतु सिद्धांत का निषेधात्मक रूप है।
  • Nihilism -- शून्यवाद
इस मत के अनुसार सत्ता चतुष्ट कोटि से परे है अर्थात् (i) न वह सत् है, (ii) न असत् है, (iii) न उभय है, (iv) न उभय से परे है, अर्थात् अनिर्वचनीय है। इस मत का प्रमुख उदाहरण नागार्जुन के बौद्ध दर्शन में द्रष्टव्य है।
  • Nominal Definition -- नाम-विषयक परिभाषा
एक मत के अनुसार, वह परिभाषा जो वस्तु की नहीं बल्कि शब्द या नाम की होती है। इसमें कुछ तर्कशास्त्रियों को यह आपत्ति है कि परिभाषा सदैव नाम या शब्द की ही होती है, वस्तु की कदापि नहीं। अतः कोपी (Copi) इत्यादि कुछ तर्कशास्त्री इस पद को “स्वनिर्मित परिभाषा” का पर्याय मानते हैं।
देखिए “stipulative definition”।
  • Nominal Essence -- शाब्दिक सार
जॉन लॉक के अनुसार, मन में विद्यमान कोई जटिल प्रत्यय जिसे कोई नाम दे दिया गया हो और जो उस नाम की परिभाषा का आधार बनता है। इसका “वास्तविक सार” (“real essence”) से भेद किया गया है।
  • Nominalism -- नाममात्रवाद
वह सिद्धांत कि सामान्य कोई ऐसी वस्तु नहीं है जिसका कोई अस्तित्व हो जैसे : “मनुष्य” इत्यादि। ये किसी ऐसी वस्तु के अस्तित्व के सूचक नहीं होते जो उन व्यष्टियों में समान हो; व्यष्टियों में समान केवल नाम होता है।
  • Nomological Proposition -- नियम-प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो प्रकृति के किसी नियम को व्यक्त करे, जैसे : “समुद्र की सतह पर पानी 32 डिग्री फा. पर जमकर बर्फ बन जाता है,” “प्रत्येक भौतिक पिंड प्रत्येक अन्य भौतिक पिण्ड को उपनी ओर खींचने की शक्ति रखता है” इत्यादि।
  • Non-Centre Theory -- अ-केन्द्र-सिद्धांत
सी. डी. ब्रॉड के अनुसार, मानसिक एकता का कारण किसी एक केन्द्र भूत सत्ता को न मानकर एक काल में होने वाली मानसिक घटनाओं का सीधे पारस्परिक संबंधों से जुड़े होने को मानने-वाला सिद्धांत।
  • Non-Cogitative Substance -- अचिंतक द्रव्य
लॉक के अनुसार, ऐसा द्रव्य जिसमें चिंतन की शक्ति न हो।
  • Non-Cognitivist Theory -- निःसंज्ञानवादी सिद्धांत
स्वीडन, इंग्लेण्ड और अमेरिका में विकसित अधि-नीतिशास्त्र का एक सिद्धांत जिसके अनुसार नैतिक निर्णय नैतिक तथ्यों को स्वीकार नहीं करता है। यह सिद्धांत यह भी मानता है कि नैतिक अन्तर्ज्ञान के द्वारा कुछ भी नहीं जाना जा सकता है।
  • Non-Collective Term -- असमूह-पद
पारंपरिक तर्कशास्त्र में, वह पद जो किसी समूह के लिए प्रयुक्त न हो, जैसे ‘मनुष्य’।
  • Non-Connotative Term -- अ-वस्तुगुणार्थक पद
जॉन स्टुअर्ट मिल के अनुसार, वह पद जिसका या तो केवल वस्त्वर्थ हो या केवल गुणार्थ, न कि दोनों, जैसे “जेम्स” (केवल वस्त्वर्थ) या “श्वेतत्व” (केवल गुणार्थ)।
  • Non-Dualism -- अद्वैतवाद
भारतीय दर्शन के “अद्वैतवाद” का अंग्रेजी पर्याय। अद्वैतवाद में ब्रह्म को एकमात्र सत्य माना गया है और जगत् को मिथ्या। नानात्व माया के कारण प्रतीत होता है और इसलिए पारमार्थिक दृष्टि से असत् है। सत्य केवल ब्रह्म है, पर उसे ‘एक’ न कहकर अद्वैत कहा गया है : ‘एक’ इसलिए नहीं कि ब्रह्म निर्विशेष है; ‘एक’ कहना उसे सविशेष बना देने के समान है, अतः उसके लिए अद्वैत इत्यादि निषेधात्मक शब्दों का प्रयोग अधिक समीचीन है।
  • Non-Ethical -- निर्नीतिशास्त्रीय
वह जिस पर नीतिशास्त्रीय संप्रत्यय लागू ही न हों।
  • Non-Inferential Fallacies -- अनानुमानिक दोष
निगमन के वे दोष जो अनुमान से संबंधित नहीं है, जैसे परिभाषा और विभाजन के दोष।
  • Non-Logical Fallacies -- अ-तार्किक दोष
देखिए “extra-logical fallaciest”।
  • Non-Moral -- निर्नैतिक
वह जो नीति विहिन हो।
  • Non-Normative Ethics -- अनियामक नीतिशास्त्र
वह नीतिशास्त्र जो नियमों अथवा आदर्शों की स्थापना नहीं करता है।
  • Non-Reflexive Relation -- न-परावर्ती संबंध
ऐसा संबंध जो न परावर्ती हो और’ न अपरावर्ती, जैसे ‘प्रेम करना’, ‘घृणा करना’, ‘आलोचना करना’, इत्यादि (क्योंकि अ का स्वयं से न ये काम करना जरूरी है और न ये काम न करना)।
  • Non-Symmetrical Relation -- न-सममित संबंध
वह संबंध जो यदि क का ख के साथ है तो ख का क के साथ कभी होता है और कभी नहीं होता, जैसे भाई का संबंधः यदि क ‘ख’ का भाई है तो ख ‘क’ का कभी भाई होता है और कभी बहन।
  • Non-Transitive Relation -- न-संक्रामी संबंध
वह संबंध जो न संक्रामी हो और न असंक्रामी, जैसे “प्रेम करना” (क्योंकि यदि अ ब से प्रेम करता है और ब स से प्रेम करता है, तो अ का स से न प्रेम करना जरूरी है और न उससे प्रेम न करना)।
  • Normative Science -- नियामक आदर्श मूलक विज्ञान
वह विज्ञान जो नियमों एवं आदर्शों का वैज्ञानिक ढंग से विवेचन करता है। जैसे : नीतिशास्त्र, सौंदर्यशास्त्र और तर्कशास्त्र।
  • Notiones Communes -- सार्वजनीन प्रत्यय
वह प्रत्यय जो सार्वजनीन हो। जैसे : दिक्, काल, कारण आदि। स्टोइक दार्शनिकों ने इस प्रत्यय का प्रयोग शुभाशुभ एवं ईश्वर के अस्तित्त्व के संदर्भ में किया है।
  • Noumenal World -- पारमार्थिक जगत्
कांट के दर्शन में अभिव्यक्त ऐसा जगत् जिसका ज्ञान हमें अपनी इन्द्रियों के द्वारा नहीं होता क्योंकि इसकी संवेदना प्राप्त करने में ये असमर्थ हैं। कांट इसे वस्तुओं का निज-स्वरूप (thing-in-it-self) कहते हैं और इसे ही वास्तविक जगत् मानते हैं।
  • Noumenon -- परमार्थसत्
कांट के अनुसार वह जो अलौकिक, अज्ञेय तथा अनुभवातीत सत् हो, परमार्थसत् कहलाता है।
  • Nous -- नाउस, चित्ततत्त्व
प्राचीन यूनानी दर्शन की एक आधारभूत अवधारणा जो एनेक्जेगोरस के दर्शन में पहली बार सुस्पष्ट रूप में अभिव्यक्त हुई। इसके अनुसार नाउस ही वह चेतन तत्त्व है जो आकारहीन भूत-द्रव्य को गढ़ता तथा व्यवस्थित करता है। कालान्तर में प्लेटो तथा विशेष रूप से अरस्तू इसकी प्रत्ययवादी परिभाषा करते हुए इसे समस्त रूपों का शाश्वत आत्म-अनुध्यान की अवस्था में रहने वाला रूप माना है। आगे चलकर नव्य-प्लेटोवादियो ने इसे विशेष महत्ता प्रादन करते हुए अरस्तूवाद के आधार पर इसकी एक, विशेष प्रकार के अतीन्द्रिय स्वत्व के रूप में व्याख्या की, जो जगत का अर्थ तथा निश्चित रूप, आकार प्रदान करता है।
  • Null Proposition -- रिक्त प्रतिज्ञप्ति, शून्य प्रतिज्ञप्ति
तर्क-बीजगणित के अन्तर्गत ऐसी प्रतिज्ञप्तियाँ जो कभी सत्य नहीं होती (जॉर्ज बूल, अर्नस्ट श्रोडर)। ऐसी प्रतिज्ञप्तियों का कोई निर्देश्य पदार्थ नहीं होता। यथा आकाशकुसुम लाल होता है।
  • Null Relation -- रिक्त संबंध
बूल-श्रोडर तर्क-बीजगणित में, वह संबंध जो विश्व की किसी भी वस्तु का किसी अन्य वस्तु से नहीं होता है।
  • Number -- संख्या
पाइथागोरस के अनुसार परम् सत् को संख्यात्मक अभिव्यक्तियों, संख्या की स्थिति और संख्यात्मक सत्ताओं के द्वारा समझा जा सकता है। प्रत्ययवाद और नामवाद में सामान्यों के संदर्भ में संख्या की चर्चा होती है। प्लेटोवाद, अंतःप्रज्ञावाद एवं नामवाद में संख्या की चर्चा प्रमुख है।
  • Numen -- दिव्यतत्त्व
जर्मन धर्मशास्त्री रूडोल्फ ओटो (Rudolf Otto 1869-1937) के अनुसार, एक विशेष और विचित्र प्रकार की दिव्यानुभूति (“numinous feeling”) को जन्म देनेवाला दिव्य तत्त्व अर्थात् इस अनुभूति का विषय। इस अनुभूति में भीति, आश्चर्य, श्रद्धा, मूल्य इत्यादि अनेक तत्त्वों का समावेश रहता है और इन सबसे वह भिन्न है।
  • Numinous -- दिव्यानुभूति
रूडोल्फ ओटो के अनुसार, सच्चे धर्मात्मा व्यक्ति की मनःस्थिति जिसमें उसको एक अद्भूत, चमत्कारी, रहस्यमयी पवित्र, प्रेरणादायक शक्ति का बोध होता है और उससे भय भी होता है।
  • Objectivation -- विषयीकरण, विषयीभवन
वह मानसिक प्रक्रम जिसके द्वारा संवेदन संवेत्ता की एक आंतरिक अवस्था से बदलकर बाह्य वस्तु का प्रत्यक्ष बन जाता है।
  • Objective -- वस्तुपरक, वस्तुनिष्ठ, विषयनिष्ठ
ज्ञाता के मन से स्वतंत्र रूप में बाह्य जगत् में अस्तित्त्व रखनेवाला, अथवा ऐसी वस्तु से संबंधित, ज्ञाता की बुद्धि या मन से निरपेक्ष अर्थात् उस पर निर्भर न रहने वाला, “subjective” का विलोम।
  • Objective Ethics -- वस्तुपरक नीतिशास्त्र
1. वह नीति या वह आचार-व्यवहार जिसका आधार व्यक्ति का समाज में नियत स्थान होता है, जैसे, हिंदू संस्कृति में व्यक्ति के वर्ण और आश्रम पर आधारित कर्तव्यों से संबंधित नीति। इस अर्थ में यह सामाजिक नीति का पर्याय है।
2. वह नीति जो अच्छाई-बुराई को व्यक्ति के भावों पर नहीं अपितु वस्तुगत गुणों पर आधारित मानती है।
  • Objective Idealism -- विषयनिष्ठ प्रत्ययवाद
वह मत कि प्रकृति, विश्व या जगत् प्रत्ययात्मक होने के बाद भी हमारे मन से स्वतंत्र अस्तित्व रखता है, वस्तुनिष्ठ प्रत्ययवाद कहलाता है।
  • Objective Relativism -- विषयनिष्ठ सापेक्षवाद, वस्तुनिष्ठ सापेक्षवाद
ज्ञान मीमांसा का वह सिद्धांत जिसके अन्तर्गत यह स्वीकार किया गया है कि वस्तु प्रत्यक्षकर्त्ता के मन से स्वतंत्र अस्तित्व रखती है। बाह्य वस्तुएँ परस्पर सापेक्षिक होती हैं।
  • Objectivism -- विषयनिष्ठवाद, वस्तुनिष्ठवाद
बाह्य जगत् का मन से स्वतंत्र अस्तित्व मानने वाला सिद्धांत।
  • Object Language -- 1. वस्तु भाषा : वह भाषा जिसका प्रयोग वस्तुओं, घटनाओं और उनकी विशेषताओं की चर्चा करने के लिये किया जाता है।
2. विषय-भाषा : वह भाषा जो चर्चा का विषय होती है अथवा जिसकी छानबीन अधिभाषा (metalanguage) करती है।
  • Objecto-Centric Predicament -- वस्तुकेंद्रिक विषमावस्था, वस्तुकेंद्रिक विप्रतिपत्ति
नव-यथार्थवादियों की यह युक्ति कि जो वस्तुएँ ज्ञान के विषय हैं उनके अतिरिक्त किसी के संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता, इसलिए केवल इन वस्तुओं का ही वास्तव में अस्तित्त्व है।
  • Object Of Moral Judgement -- नैतिक निर्णय का विषय
वह कर्म या विषय जिस पर नैतिक निर्णय दिया जाता है।
  • Obligation -- बाध्यता
नैतिक दृष्टि से कर्म करने की वह मनः स्थिति, जो बाह्य दबाव के कारण न हो कर ‘चाहियेपन’ की आन्तरिक प्रेरणा के कारण हो।
  • Obliteration Philosophy -- अपमार्जन दर्शन
नव यथार्थवादियों द्वारा प्रत्ययवादी दर्शन को दिया गया अनादरसूचक नाम, जो उनके कथनानुसार वस्तु-जगत् के स्वतंत्र अस्तित्व का लोप ही कर देता है।
  • Obscure Definition -- अस्पष्ट परिभाषा
वह दोषयुक्त परिभाषा जिसमें दुर्बोध भाषा का प्रयोग किया गया हो, जैसे “जीवन शरीरान्तर्गत एकत्रीभूत अभौतिक पदार्थ है।”
  • Obstacularity -- प्रतिघता
प्राइस (Price) के अनुसार, बाह्य वस्तु में पाई जाने वाली यह विशेषता कि वह उसकी स्थिति में परिवर्तन चाहने वाले की चेष्टा का प्रतिरोध करती है।
  • Obverse -- प्रतिवर्तित
वह निष्कर्ष जो प्रतिवर्तन के द्वारा प्राप्त होता है।
  • Obversion -- प्रतिवर्तन
अनन्तरानुमान का वह रूप जिसमें आधारवाक्य के विधेय का व्याघाती पद निष्कर्ष वाक्य का विधेय होता है और निष्कर्ष वाक्य का
गुण आधारवाक्य के गुण से भिन्न होता है। अर्थात् आधारवाक्य यदि विध्यात्मक हो तो निष्कर्ष निषेधात्मक और यदि आधारवाक्य निषेधात्मक हो तो निष्कर्ष विध्यात्मक होता है किन्तु आधारवाक्य एवं निष्कर्ष के अर्थ और परिमाण में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
जैसे : सभी मनुष्य मरणशील हैं – प्रतिवर्त्य (आ वा)
कोई मनुष्य अमरणशील नहीं है – प्रतिवर्तित (निष्कर्ष)
यह आ, ए, इ एवं ओ में वैध होता है।
  • Obverted Contrapositive -- प्रतिवर्तित प्रतिपरिवर्तित
प्रतिपरिवर्तन की क्रिया से प्राप्त निष्कर्ष का प्रतिवर्तन करने से प्राप्त वाक्य, अर्थात् किसी दिए हुए वाक्य का क्रमशः प्रतिवर्तन, परिवर्तन और पुनः प्रतिवर्तन करने से प्राप्त वाक्य।
उदाहरण : सभी उ वि हैं;
कोई उ-अ-वि नहीं है (प्रति.);
कोई अ-वि उ नहीं है (परि.)
∴ सभी अ-वि अ-उ हैं (प्रति प्रतिपरि.)।
  • Obverted Converse -- प्रतिवर्तित-परिवर्तित
परिवर्तन से प्राप्त निष्कर्ष का प्रतिवर्तन करके प्राप्त होने वाला वाक्य या प्रतिज्ञप्ति।
उदाहरण : सभी स प हैं;
∴ कुछ प स है; (परिवर्तित)
∴ कुछ प अ-स नहीं हैं (प्रतिवर्तित परिवर्तित)
  • Obvertend -- प्रतिवर्त्य
वह प्रतिज्ञप्ति जिसका प्रतिवर्तन किया जाना है। देखिए, “obversion”।
  • Occam’S Razor -- ओकम-न्याय, लाघव-न्याय
वैज्ञानिक व्याख्या का एक सिद्धांत जिसके अनुसार “यदि आवश्यक न हो तो बहुत-सारी वस्तुओं की कल्पना नहीं करनी चाहिए” अथवा “यदि कम वस्तुओं से काम चल जाता है तो अधिक वस्तुओं को मानना व्यर्थ है।” यह सिद्धांत भारत में “कल्पना-लाघव” या “लाघव-न्याय” के नाम से बहुत पहले से प्रसिद्ध है और पश्चिम में भी ओकम (William of Occam, 1300-1349) के नाम से प्रसिद्ध होने के बावजूद पहले से प्रयोग में है।
  • Occasionalism -- प्रसंगवाद, संयोगवाद
मन और शरीर के संबंध को समझने के लिये देकार्त के अनुयायियों गुलिंग्स तथा मेलब्रान्श (Malebranche) के द्वारा स्थापित सिद्धांत। इसके अनुसार मन एवं शरीर दोनों परस्पर विरूद्धधर्मी होने के कारण एक दूसरे पर क्रिया-प्रतिक्रिया नहीं कर सकते किन्तु फिर भी दोनों में संवादिता है, इस संवादिता का कारण ईश्वर है। ईश्वर किसी एक में परिवर्तन होने पर दूसरे में भी उसी प्रकार का परिवर्तन उत्पन्न कर देता है। जैसे : जब शरीर में कुछ परिवर्तन होते हैं, तब ईश्वर उन्हीं के अनुरूप मनस् में संवेदना उत्पन्न कर देता है और जब मन में कुछ इच्छाएँ या संकल्प उत्पन्न होते हैं तो ईश्वर उन्हीं के संवाद में शरीर में गति उत्पन्न कर देता है।
  • Occultism -- गुह्यतंत्र, गुह्यविद्या
गुप्त, रहस्यमय या प्रेत में विश्वास तथा उन्हें वश में करने के लिए मंत्र-तंत्र और अन्य गुह्य साधनों का प्रयोग।
  • Occupant -- अधिवासी
जॉनसन के अनुसार, वह द्रव्य जो स्थान घेरता है, अर्थात् सामान्य भाषा में भौतिक द्रव्य।
  • Occurrent -- आपाती
जॉनसन के अनुसार, दिक्काल में अस्तित्व रखने वाली वस्तुओं के दो वर्गों में से एक : वह जिसका थोड़ी देर बाद अस्तित्व नहीं रहता, जैसे बिजली की कौंध।
  • Omnipotence -- सर्वशक्तिमत्ता
ईश्वर के प्रमुख गुणों में से एक।
  • Omnipresence -- सर्वव्यापकता
ईश्वर के प्रमुख गुणों में से एक।
  • Omniscience -- सर्वज्ञता
ईश्वर के प्रमुख गुणों में से एक।
  • One-Many Problem -- एक-अनेक की समस्या
एकमेव परम् सत्ता तथा अनेकात्मक जगत के मध्य संबंध का सत्ताशास्त्रीय प्रश्न। यह दर्शनशास्त्र का मूल प्रश्न है।
  • One-One Relation -- एकैक-संबंध
वह संबंध जो एक वस्तु का केवल और केवल एक ही अन्य वस्तु से होता है।
  • Ontological Argument -- सत्तामूलक युक्ति
ईश्वर के अस्तित्व को प्रमाणित करने वाली पारम्परिक युक्तियों में से एक युक्ति जिसका प्रयोग मध्य युग में संत एन्सेल्म एवं आधुनिक युग में देकार्त ने किया था। इस युक्ति के अनुसार ईश्वर का प्रत्यय है, इस प्रत्यय के अनुसार पूर्व ईश्वर का अस्तित्व भी है। कांट ने इस तर्क का खंडन किया है। उनके अनुसार प्रत्यय से प्रत्यय की सत्ता सिद्ध होती है, इसके अनुरूप वस्तु की नहीं।
  • Ontological Idealism -- सत्तामीमांसीय चिद्वाद
मैक्टेगर्ट (Mc Taggart) का सिद्धांत जो सत्ता के विवेचन से आरंभ करके इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि वह आध्यात्मिक, चिद्रूप या प्रत्ययात्मक है।
  • Ontological Object -- सद्वस्तु
ज्ञान की वह वस्तु जो कल्पना मात्र न हो बल्कि जिसका भौतिक जगत् में वास्तव में अस्तित्त्व हो।
  • Ontology -- सत्तामीमांसा
तत्त्वमीमांसा की एक शाखा, जो सत्ता के सामान्य स्वरूप का विवेचन करती है। इसमें आदि-तत्त्वों का विवेचन और पदार्थों का वर्गीकरण इत्यादि भी शामिल है। सर्वप्रथम क्रिश्चियन वोल्फ (Christian Wolff) ने इस शब्द को यह अर्थ दिया, हालाँकि ontologia शब्द का प्रयोग स्कालेस्टिक लेखकों ने सत्रहवीं शताब्दी में शुरू कर दिया था। कुछ इसे तत्त्वमीमांसा के पर्याय के रूप में लेते हैं।
  • Onymatic System -- नामिक निकाय
डी. मार्गन द्वारा प्रयुक्त पद। इसके अनुसार शुद्ध आकारिक तर्कशास्त्र में गुणवाचक व्याख्या को वस्तुवाचक व्याख्या के अंतर्गत लाते हुये समूह और व्यष्टि के आकारों के संबंध में इसका प्रयोग हुआ है।
  • Open Morality -- सार्वजनीन नैतिकता
वह नैतिकता, जिसका स्रोत सामाजिक नियम, रीति-रिवाज, परंपराएँ एवं रूढ़ीगत संस्कार नहीं हैं, अपितु जिसका स्रोत अंतर्ज्ञान है, जो सम्पूर्ण मानवता के कल्याण का आदर्श स्थापित करता है। हेनरी बर्गसा ने अपनी पुस्तक “टू सोर्सेज ऑफ मोरेलिटी एण्ड रिलीज़न” में इसका प्रयोग किया है।
  • Operational Definition -- संक्रियात्मक परिभाषा
वह परिभाषा जो यह बताती है कि अमुक पद अमुक स्थिति में केवल तभी लागू होगा जब उसमें कुछ निर्दिष्ट संक्रियाओं को करने से निर्दिष्ट परिणाम प्राप्त होंगे। ऐसी परिभाषाएँ निश्चित नाप-जोख और प्रयोग की सहायता से संप्रत्ययों को स्पष्ट करने के लिए भौतिक विज्ञानों में शुरू हुईं। प्रयोजन विज्ञान से अस्पष्टता और अमूर्त प्रत्ययों को दूर करना तथा उसे अधिक उपयोगी बनाना था। इस पद का प्रयोग सर्वप्रथम पी. डब्ल्यू. ब्रिजमैन ने 1927 में किया था।
  • Operationism -- संक्रियावाद
समकालीन बुर्जुआ दर्शन में एक धारा जो तार्किक प्रत्यक्षवाद तथा व्यावहारिकतावाद का संश्लेषण है। इसके प्रणेता ब्रिजमैन थे। उनके अनुसार किसी भी संप्रत्यय या पद का अर्थ सबके सामने दोहराई जा सकने वाली संक्रियाओं के एक समूह के द्वारा निर्धारित होता है। यह सिद्धांत पहले भौतिकी में निरपेक्ष दिक्, निरपेक्ष काल इत्यादि अनुपयोगी संप्रत्ययों से छुटकारा पाने के लिए एक आन्दोलन के रूप में चला था।
  • Opinion -- मत
वह धारणा जो तर्क पर आधारित न हो।
  • Opposition -- विरोध
तर्कशास्त्र में एक ही उद्देश्य पद एवं विधेय पद के होते हुए जब वे परस्पर गुण, परिमाण एवं दोनों (गुण व परिमाण) में भिन्नता रखते हैं तब उसे विरोध कहा जाता है।
जैसे : 1. सभी विद्यार्थी बुद्धिमान हैं।
कोई भी विद्यार्थी बुद्धिमान नहीं है। } गुण में भेद।
2. सभी विद्यार्थी बुद्धिमान हैं।
कुछ विद्यार्थी बुद्धिमान हैं। } परिमाण में भेद।
3. सभी विद्यार्थी बुद्धिमान हैं।
कुछ विद्यार्थी बुद्धिमान नहीं है। } गुण एवं परिमाण में भेद।
  • O’ Proposition -- ओ’ प्रतिज्ञप्ति
तर्कशास्त्र में, अंशव्यापी निषेधक प्रतिज्ञप्ति का प्रतीकात्मक नाम।
उदाहरण : “कुछ पक्षी उड़नेवाले नहीं होते”।
“कुछ उ वि नहीं हैं”।
  • Organic Whole -- सावयवी साकल्प
ऐसा साकल्य या समुच्चय जिसके समस्त अंग किसी जीव-देह के अंगों की तरह परस्पर संबंधित हों।
  • Organism -- अंगिवाद
1. जीवन की व्याख्या के लिए प्रयुक्त एक सिद्धांत जो यह मानता है कि जीवन अवयव-व्यवस्था या आंगिक संगठन का परिणाम है, न कि शरीर के किसी एक घटक का कार्य।
2. यह धारणा कि समाज व्यष्टियों से ऊपर के स्तर का एक अंगी है अथवा जीव-देह के सदृश है और जन्म, परिपक्वता तथा मृत्यु की विभिन्न अवस्थाओं में से गुजरता है।
  • Organon -- आन्वीक्षिकी, ऑर्गेनन
अरस्तू की तर्कशास्त्र-संबंधी रचनाओं के समूह को टीकाकारों द्वारा दिया गया नाम। इस नाम के मूल में यह विचार था कि तर्कशास्त्र स्वयं न विज्ञान है, न कला, और न दर्शन, बल्कि सभी शास्त्रों को छानबीन (‘अन्वीक्षा’) की प्रणाली प्रदान करने वाला अर्थात् साधन-शास्त्र है।
  • Original Sin -- आद्यपाप, मूलपाप
ईसाई धर्म की मान्यतानुसार ईश्वर ने प्रथम मानव (आदम और हव्वा) को उत्पन्न किया और ‘ईडन गार्डन’ के स्वर्गिक सुख में रखा था, परन्तु ‘शैतान’ के बहकावे में आकर उन्होने ‘निषिद्ध फल’ खा लिया अर्थात् ईश्वर की आज्ञा की अवहेलना की। यही मूल पाप है जिसका प्रत्येक व्यक्ति भागीदार है।
  • Ostensible Object -- निर्दिष्ट वस्तु
वह वस्तु जो ज्ञान-क्रिया या संवेदन में प्रकट होती है, भले ही उसका वस्तुतः अस्तित्त्व न हो।
  • Ostensive Definition -- निदर्शनात्मक परिभाषा
किसी (व्यक्तिवाचक या जातिवाचक) नाम (प्रायः नए) का अर्थ बताने का एक तरीका, जिसमें नाम के उच्चारण के साथ-साथ उस वस्तु को दिखाया जाता है या उसकी ओर इशारा किया जाता है जिसका वह नाम होता है।
  • Ostensive Proposition -- निदर्शक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो तात्कालिक अनुभव को व्यक्त करती है; जैसे ‘यह लाल है’।
  • Ought’ Judgement -- कर्तव्यता-निर्णय
वह निर्णय जिसके द्वारा कोई कर्तव्य बताया जाता है, जैसे “सच बोलना चाहिए।”
  • Ousia -- सत्ता, सार
अरस्तू द्वारा विशिष्ट अस्तित्ववान वस्तु के लिये प्रयुक्त पद। उसने इसे ‘प्रथम तत्व’ कहा है।
  • Outer Intention -- बाह्य अभिप्राय
नीतिशास्त्र में दो प्रकार के अभिप्राय होते हैं। आंतरिक और बाह्य। बाह्य अभिप्राय वे हैं जो प्रत्यक्ष हैं। जैसे : पानी में डूबते हुए मनुष्य को बचाने में बाह्य अभिप्राय उसकी सहायता करना है।
  • Outness -- बाह्यता
बर्कले के अनुसार, बाहर, दूरी पर या दिक् में स्थित होने का प्रत्यय या अनुभव। ह्यूम के अनुसार, दूरी। हैमिल्टन के अनुसार, वास्तविक वस्तु जगत् में चेतना से बाहर होने की अवस्था।
  • Overbelief -- अधिविश्वास
विलियम जेम्स के अनुसार, आधारभूत धार्मिक विश्वास पर थोपा गया अतिरिक्त विश्वास।
  • Overlapping Division -- अतिव्यापी विभाजन
तार्किक विभाजन का एक दोष जो इस नियम के उल्लंघन से पैदा होता है कि वर्ग का ऐसे उपवर्गों में विभाजन किया जाना चाहिए जो परस्पर व्यावर्तक हों।
उदाहरण : “मनुष्य” का “गोरे रंग के” और “लंबे कदवाले” में (कुछ “गोरे रंग के मनुष्य” निश्चय ही “लंबे कद वाले होते हैं।)
  • Pacifism -- शांतिवाद
किसी समस्या को सुलझाने के लिए हिंसा और युद्ध का विरोध करने तथा शांति से काम लेने की नीति।
  • Paganism -- पैगनवाद, पैगनमत
यहूदियों और ईसाइयों द्वारा अपने से इतर धर्मावलम्बियों, विशेषतः मूर्तिपूजकों व अनेक देवताओं को मानने वालों के लिये प्रयुक्त अपमानसूचक (अवमाननासूचक) मत।
  • Palingenesis -- पुनर्जन्म, देहान्तरण
जीवात्मा का एक शरीर के बाद दूसरे में प्रकट होना।
  • Panentheism -- निमित्तोपादानेश्वरवाद
वह मत कि ईश्वर विश्व का निमित्त और उपादान कारण है। वह विश्व में व्याप्त भी है और विश्वातीत भी है। सर्वप्रथम इस मत का प्रयोग क्राउजे ने किया।
  • Panlogism -- सर्वबुद्धिवाद
हेगेल का यह सिद्धांत कि जो सत् है वह बौद्धिक है और जो बौद्धिक है वह सत् है : बुद्धि को परमतत्व मानते हुए विश्व को बुद्धिमय मानने वाला मत।
  • Panobjectivism -- सर्वयथार्थवाद
ज्ञानमीमांसीय यथार्थवाद का एक उत्कट रूप जो ज्ञान की समस्त वस्तुओं को वास्तविक मानता है, भले ही ज्ञान मिथ्या हो।
  • Panpneumatism -- सर्वप्राणवाद
जर्मन दार्शनिक वॉन हार्टमन (Von Hartmann) द्वारा हेगेल के सर्वबुद्धिवाद और शोपेनहावर के सर्वसंकल्पवाद में समन्वय करने का प्रयास। तदनुसार वास्तविकता अचेतन संकल्प और अचेतन बुद्धि दोनों का संयुक्त रूप है।
  • Pan-Psychism -- सर्वचित्तवाद
वह मत कि सभी जड़ वस्तुएँ तथा प्रकृति चेतना से युक्त हैं। यह व्हाइटहेड आदि का मत है।
  • Pan-Satanism -- सर्वासुरवाद
वह विश्वास कि विश्व शैतान की रचना है अथवा आसुरी शक्तियों की अभिव्यक्ति है।
  • Pansomatism -- सर्वकायवाद
वह मत कि विस्व की प्रत्येक आत्मा एक शरीर या देह है तदनुसार आत्मा और देह का अभेद है।
  • Pantheism -- सर्वेश्वरवाद
स्पिनोजा, फेक्नर आदि के मतानुसार ईश्वर विश्वव्यापी सत्ता है।
  • Pantheistic Personalism -- सर्वेश्वरवादी व्यक्तिवाद
संपूर्ण सत्ता को व्यक्तिरूप माननेवाला और विश्व की वस्तुओं और जीवों को इस महाव्यक्ति के अंग मानने वाला सिद्धांत।
  • Paradigma -- प्रतिमान
प्लेटो के प्रत्ययों की दृश्य जगत् की वस्तुओं के संबंध में एक विशेषता को प्रकट करने वाला शब्द : प्लेटो ने इंद्रियातीत प्रत्ययों का एक जगत् माना है और उन्हें दृश्य-जगत् की वस्तुओं के लिए आदर्श बताया है, जिनकी वे अपूर्ण प्रतिलिपियाँ हैं।
  • Paradox -- विरोधाभास
तर्कशास्त्र में अनुमान की वह स्थिति जब सत्य रूप में स्वीकृत आधारवाक्य से वैध निगमन द्वारा ऐसा निष्कर्ष प्राप्त किया जाता है जो आधारवाक्य को असत्य दर्शाता है। जैसे : यह कथन कि “मैं असत्य बोलता हूँ।”
  • Parallelism -- समानान्तरवाद
स्पिनोजा के अनुसार मन और शरीर के संबंध के बारे में प्रस्तुत एक सिद्धांत, जिसके अनुसार प्रत्येक मानसिक क्रिया के समानान्तर एक शारीरिक क्रिया होती है, परन्तु उनके मध्य कोई कारणात्मक संबंध नहीं होता।
  • Paralogism -- तर्काभास
सामान्यतः एक दोषपूर्ण न्यायवाक्य या तर्क, जिसके दोष का ज्ञान उसका प्रयोग करने वाले को नहीं होता, और इसलिए जिसका प्रयोग दूसरे को धोखा देने के उद्देश्य से नहीं किया जाता। विशेषतः कांट के द्वारा उन दोषपूर्ण युक्तियों के लिए प्रयुक्त जो आत्मा को एक द्रव्य, निरवयव और नित्य सिद्ध करने के लिए प्रस्तुत की जाती है।
  • Partial Inversion -- आंशिक विपरिवर्तन
एक प्रकार का अव्यवहित अनुमान जिसमें निष्कर्ष का उद्देश्य मूल प्रतिज्ञप्ति के उद्देश्य का व्याघातक होता है और उसका विधेय वही रहता है जो मूल प्रतिज्ञप्ति का है।
उदाहरण : सभी उ वि हैं;
∴ कुछ अ-उ वि नहीं हैं।
  • Particular -- विशेष
1. बौद्ध-दर्शन का एक पारिभाषिक शब्द जिसके अनुसार केवल ‘स्व-लक्षण’ वस्तुएँ ही एकमात्र सत्य है। इसके विपरीत ‘सामान्य लक्षण’ एक कल्पना-मात्र है।
2. न्याय-वैशेषिक दर्शन ने ‘विशेष’ को एक पदार्थ के रूप में स्वीकार किया है, जिसके अनुसार ‘विशेष’ केवल सामान्यों से ही पृथक नहीं है वरन् एक विशेष की अन्य विशेषों से भी पृथक् विशिष्टता है। ‘विशेष’ पदार्थ केवल भौतिक परमाणुओं पर ही लागू नहीं होता, बल्कि भौतिक परमाणुओं के समान आत्माओं (souls) पर समान रूप से लागू होता है।
3. द्वैतवादी मध्वाचार्य ने भी ‘ विशेष’ (भेद) पर टिप्पणी की है, जिसके अनुसार न केवल एक वस्तु दूसरी वस्तु से भिन्न है, वरन् वह भिन्नता अन्य सभी वस्तुओं की भिन्नताओं से भी भिन्न है।
4. पाश्चात्य दर्शन में प्लेटो एवं कांट के दर्शन में ‘विशेष’ एक महत्वपूर्ण प्रत्यय है जो ‘सामान्य’ का विलोम है।
  • Particular Proposition -- अंशव्यापी प्रतिज्ञप्ति
पारंपरिक पाश्चात्य तर्कशास्त्र में, वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें उद्देश्य उसके पूरे वस्त्वर्थ में ग्रहण नहीं किया जाता, जैसे, ‘कुछ पशु मांसभक्षी हैं।’ इसका विलोम ‘सर्वव्यापी प्रतिज्ञप्ति’ है जिसमें उद्देश्य उसके पूरे वस्त्वर्थ में ग्रहण किया जाता है। जैसे, सभी मनुष्य मरणशील हैं।
  • Particulate -- कणाकार
कोई भी वस्तु जो कण के आकार की होती है, उसे कणाकर कहते हैं। उदाहरण के लिए भारतीय दर्शन के वैशेषिक दर्शन में परमाणुओं को विशेष के नाम से अभिहित किया जाता है। सभी भौतिक परमाणुओं को ‘कणाकार’ कहा जा सकता है।
  • Partition -- विखंडन, अवयवन
जिस क्रिया के द्वारा हम किसी यौगिक अथवा संशलिष्ट प्रत्यय को उसके अवयवों में विभाजित करते हैं, उसे विखंडन अथवा अवयवन कहा जाता है।
  • Passive Awareness -- निष्क्रिय चेतना, निष्क्रिय बोध
भारतीय दार्शनिक जे, कृष्णामूर्ति ने सर्वप्रथम इस शब्द का प्रयोग किया जिसके अनुसार बोध को प्राप्त करने के लिए किसी विशिष्ट प्रयास की आवश्यकता नहीं होती, अपितु वह स्वतः स्वाभाविक रूप से मनुष्य को प्राप्त होती है। इसकी तुलना जैन-दर्शन में ‘केवल ज्ञान’ अथवा ‘अद्वैत-वेदांत’ के ‘साक्षी चैतन्य’ से की जा सकती है।
  • Passive Courage -- निष्क्रिय साहस
नैतिक दर्शन में ‘साहस’ को एक विशिष्ट सद्गुण के रूप में स्वीकार किया गया है। यह साहस जब तक किसी विशिष्ट परिस्थिति में सक्रिय नहीं हो जाता, तब तक इस ‘साहस’ को निष्क्रिय साहस’ कहा जाता है।
  • Passive Empiricism -- निष्क्रिय इंद्रियानुभववाद
जॉन लॉक इत्यादि का वह सिद्धांत कि ज्ञान का एक मात्र स्रोत इंद्रियानुभव है और मन तब तक निष्क्रिय बना रहता है जब तब बाह्य जगत् से आने वाली संवेदनाएँ उस तक नहीं पहुँच जाती।
  • Passive Resistance -- सत्याग्रह, अहिंसक प्रतिरोध
किसी अत्याचार अथवा अनाचार के विरूद्ध सत्यनिष्ठ होकर अहिंसक किन्तु सक्रिय रूप में विरोध प्रकट करना। स्वतंत्रता-संग्राम में गाँधी जी ने राजनीतिक समस्याओं के समाधान के लिए अंग्रेजों के विरूद्ध इस अस्त्र का सफल प्रयोग किया था।
  • Pathetic Fallacy -- भावाभास
निर्जीव वस्तुओं के प्रति उन भावनाओं, संवेदनाओं, प्रतिक्रियाओं को आरोपित करना जो केवल सजीव व्यक्तियों के प्रति व्यक्त की जा सकती हैं।
  • Patient -- कर्मविषय, कर्मपात्र
कारणविषयक सामान्य धारणा के अनुसार, वह सामग्री जो स्वयं तुलनात्मक रूप से निष्क्रिय रहती है और जिस पर क्रिया करके कारण कार्य को उत्पन्न करता है, जैसे आग लगने की स्थिति में लकड़ियों का ढेर। (विज्ञान इस भेद को उचित नहीं मानता।)
  • Patristic Philosophy -- पादरी-दर्शन
ईसाई धर्म के पादरियों द्वारा प्रतिपादित दर्शन जो ईश्वर, विश्व से मानव के संबंध में एक तर्कसंगत दार्शनिक सिद्धांत प्रस्तुत करता है। ईसाई धर्म में प्रचलित पिता (father), पुत्र (son) एवं पवित्र (holy hhost) एवं पवित्र आत्मा (trinity) से संबंधित ‘त्रयी’ (trinity) के सिद्धांत का यह एक संशोधित रूप है।
  • Peano’S Postulate -- पियानी-अभ्युपगम
देखिए “primitive propositions”।
  • Peccability -- पाप-प्रवणता, पापवृत्तिता, दोष-प्रवणता
पाप-कर्म करने वाले व्यक्ति के भीतर पाप करने की प्रवृत्ति। इसे पाप-प्रवणता अथवा ‘पापवृत्तिता’ कहते हैं।
  • Penance -- तपस्या, तप
भूतकाल में किए गए पाप-कर्मों के प्रायश्चित के लिए अथवा वर्तमान में नवीन गुणों को अर्जित करने के लिए की गई कष्ट-साध्य क्रिया।
  • Penitence -- परिताप
ऐसे व्यक्ति की मानसिक अवस्था सूचक शब्द जो अपनी गलतियों को स्वीकार करता है तथा उनके लिए बहुत दुःखी है और भविष्य में उन्हें न दोहराने के लिए कृतसंकल्प है।
  • Penology -- दंड-विज्ञान, दंडशास्त्र
अपराध-शाखा से संबंधित वह विज्ञान जिसमें अपराध की मात्रा व गुण के अनुपात में दंड-विधान किया जाता है।
  • Per Accidens Predication -- आगंतुकगुणी विधेयन
किसी पद का उसके आगंतुक गुणों के माध्यम से वर्णन करना। जैसे : मनुष्य दो हाथ वाला प्राणी है।
  • Perception -- प्रत्यक्ष
1. ज्ञान का एक साधन विशेष।
2. वह ज्ञान जो इन्द्रिय और विषय के सम्पर्क से उत्पन्न होता है।
3. इन्द्रिय और विषय के सम्पर्क के बिना भी प्राप्त ज्ञान, जिसे अलौकिक या अतीन्द्रिय प्रत्यक्ष कहते हैं। पाश्चात्य दार्शनिकों में बर्ट्रेन्ड रसल के अनुसार परिचयात्मक या परिचयाश्रित ज्ञान (knowledge by acquaintance) एक प्रकार का प्रत्यक्ष है। तार्किक प्रत्यक्षवादियों ने इन्द्रिय-प्रदत्तों (sense data) के ज्ञान को प्रत्यक्ष माना है।
  • Perceptive Premise -- प्रात्यक्षिक आधारिका
प्रत्यक्ष पर आश्रित आधारिका जिससे कोई तार्किक निष्कर्ष निकाला जाए।
  • Perceptual Intuitionism -- प्रत्यक्षपरक-अंतःप्रज्ञावाद
नीतिशास्त्र में अंतःप्रज्ञावाद का एक प्रकार जिसके अनुसार मनुष्य का अंतःकरण किसी कर्म-विशेष की नैतिकता अथवा अनैतिकता के विषय में तत्काल निर्णय देने का पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत करता है।
  • Perfect Figure -- पूर्ण आकृति
एरिस्टोटेलियन तर्कशास्त्र में, प्रथम आकृति, जिस पर अरस्तू की वह अभ्युक्ति सीधी लागू होती है कि जो बात किसी जाति के बारे में सत्य है वह उसके प्रत्येक व्यक्ति के बारे में सत्य है (“यज्जातिविधेयं तद् व्यक्तिविधेयम्”)।
  • Perfect Induction -- पूर्ण आगमन
पारंपरिक पाश्चात्य तर्कशास्त्र में, आगमन का वह प्रकार जिसमें सभी विशिष्ट दृष्टान्तों की परीक्षा करके एक सर्वव्यापी प्रतिज्ञप्ति की स्थापना की जाती है, जैसे किसी पुस्तकालय की 161 नंबर की सभी पुस्तकों की जाँच करने के बाद यह कहना कि अमुक पुस्तकालय में 161 नंबर की सभी पुस्तकें तर्कशास्त्र की है। (यह वास्तव में आगमन नहीं बल्कि एक आगमन-आभास क्रिया है।)
  • Perfectionism -- पूर्णतावाद
व्यक्ति या समाज की, अथवा दोनों ही की पूर्णता की प्राप्ति को सर्वोच्च लक्ष्य माननेवाला नैतिक सिद्धांत। प्लेटो, अरस्तू एवं ग्रीन इस सिद्धांत के प्रबल समर्थक हैं।
  • Performative Functions -- निष्पादन क्रिया
ब्रिटिश दार्शनिक जे. एल. ऑस्टिन (J.L. Austin) द्वारा प्रयुक्त पद। जिस प्रक्रिया की अभिव्यक्ति निष्पादन उच्चार द्वारा सम्पन्न होती है, उसे निष्पादन क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए “मैं आपको 100 रू, देने का वादा करता हूँ”, में ‘वादा करना’ निष्पादन क्रिया है।
  • Peripatetic -- परिव्राजक-संप्रदाय
एरिस्टॉटल द्वारा स्थापित संप्रदाय का नाम, जिसका आधार यह बताया जाता है कि इस संप्रदाय के लोग भ्रमण करते हुए दार्शनिक चर्चा या वाद-विवाद करते रहते थे, परन्तु अब यह माना जाता है कि अरस्तू के विद्यालय में घूमने के लिए एक विशेष पथ बना हुआ था जिससे यह नाम व्युत्पन्न है।
  • Peripateticism -- परिभ्रामीवाद
देखिये “peripatetic”।
  • Peripheralist -- परिधिवादी
वे दार्शनिक जो किसी दार्शनिक सिद्धांत के केंद्रीय विचारों पर ध्यान न देकर उससे पृथक् महत्वहीन विषय पर विशेष चर्चा करते हैं।
  • Perlocutionary Act -- प्रभावी वचनकर्म
ब्रिटीश दार्शनिक जे. एल. ऑस्टिन ने तीन प्रकार की क्रियाओं में भेद किया है : (1) वचनकर्म (locutionary act) (2) वचनतेर कर्म (illocutionary act) एवं (3) प्रभावी वचनकर्म (perlocutionary act)। प्रभावी वचनकर्म वे वचनकर्म हैं जो किसी कथन द्वारा श्रोता को प्रभावित करने की चेष्टा करते हैं।
  • Persecution -- उत्पीड़न
असामान्य मनोविज्ञान (abnormal psychology) में इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति इस भ्रम में रहता है कि कोई व्यक्ति उसे कष्ट देने का प्रयत्न कर रहा है।
  • Personal Idealism -- वैयक्तिक प्रत्ययवाद
परम सत्ता को व्यक्तित्त्व से सम्पन्न अर्थात् ज्ञान, संकल्प, आत्म-चेतना इत्यादि वैयक्तिक गुणों से युक्त माननेवाले सिद्धांत, जैसे ब्रह्म को सगुण माननेवाला मत।
  • Personal Identity -- वैयक्तिक तादात्म्य, व्यक्तिगत अनन्यता
काल परिवर्तन के बावजूद व्यक्ति के न बदलने या अनन्य बने रहने की विशेषता, जो कि उसके अभिन्न बने रहने के बोध में प्रकट होती है।
  • Personalism -- व्यक्तिवाद
वह सिद्धांत जो व्यक्तित्त्व को परम मूल्य मानता है और सत्ता के सच्चे अर्थ को समझने की कुंजी व्यक्तित्त्व के संप्रत्यय को बताता है। इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम (1863) में अमेरिका में ब्रॉन्सन एल्कॉट (Bronson Alcott) ने इस मत के लिए किया था कि चरम तत्त्व व्यक्तित्त्व संपन्न (सगुण) ईश्वर है जो अपने नित्य सर्जनशील संकल्प के बल से विश्व को धारण करता है।
  • Personalistic Idealism -- वैयक्तिकीय प्रत्ययवाद
देखिए “personal idealism”।
  • Personal Realism -- वैयक्तिक यथार्थवाद
परम सत्ता अर्थात् ईश्वर को एक अतिप्राकृतिक व्यक्तित्त्व तथा उसकी सृष्टि में आत्मिक के साथ-साथ भौतिक पदार्थों का भी अस्तित्त्व मानने वाला सिद्धांत।
  • Perspectivism -- संदर्शवाद
विभिन्न वैकल्पिक संप्रत्ययों परिप्रेक्ष्यों एवं विश्वासों के माध्यम से बाह्य विश्व की व्याख्या।
  • Persuasive Definition -- प्रभावी परिभाषा, प्रत्यायक परिभाषा
प्रो. सी. एल. स्टीवेंसन के द्वारा सर्वप्रथम ऐसी परिभाषा को दिया गया नाम जिसका प्रयोजन श्रोता या पाठक के संवेगों को प्रभावित करके उससे कोई दृष्टिकोण स्वीकार या अस्वीकार करवाना होता है, जो कि किसी संवेगार्थक शब्द के, जैसे शुभ-अशुभ इत्यादि के प्रयोग से किया जाता है।
  • Perverse Ratio -- तर्कबुद्धि विपर्यय, कुतर्क विपर्यास
अनुभव और तार्किक सिद्धांतों का उल्लंधन करने वाली बुद्धि।
  • Pessimism -- निराशावाद
वह मत कि संसार में दुःख, मृत्यु, अशुभ, ही सत्य है, शेष सभी कुछ, सुख इत्यादि क्षणिक और मिथ्या है। आधुनिक युग में शोपेनहावर और प्राचीन काल में बुद्ध (‘सर्व दुःखम’) इस मत के मुख्य अनुयायी हुए।
  • Pessimistic Voluntarism -- निराशावादी संकल्पवाद
नीतिशास्त्र का वह मत जिसके अनुसार हमारे संकल्प का पर्यवसान निराशा में होता है।
  • Petites Perceptions -- सूक्ष्म प्रत्यक्ष
लाइब्नित्ज़ के द्वारा अस्फुट तथा अचेतन प्रत्यक्षों के लिए प्रयुक्त पद। लाइब्नित्ज़ ने चेतना में मात्रा-भेद मानते हुए निम्न स्तर के चिदणुओं में इनकी कल्पना की थी, जिसमें फ्रॉयड के ”अचेतन मन” के आधुनिक सिद्धांत की झलक दिखाई देती है।
  • Petitio Principii -- आत्माश्रय-दोष
एक तर्कदोष, जो तब उत्पन्न होता है जब निष्कर्ष आधारवाक्यों में पहले से ही निहित होता है। जे. एस. मिल ने एरिस्टॉटल के न्यायवाक्य में उपर्यक्त दोष का निरूपण किया है।
  • Phenomenalism -- सवृत्तिवाद, दृश्यप्रपंचवाद
वह सिद्धांत कि ज्ञान संवृति, दृश्य प्रपंच या दृश्य जगत् तक ही सीमित है, जिसके अंतर्गत प्रत्यक्षगम्य भौतिक विषय और अंतर्निरीक्षणगम्य मानसिक विषय आते हैं। इसको माननेवाले साधारण वस्तुविषयक कथनों को संवृति-विषयक कथनों में अर्थात् इंद्रिय-प्रदत्तों की भाषा में परिवर्तित करने की आवश्यकता बताते हैं। वे संवृत्ति के पीछे कोई सत्ता या तो मानते नहीं या उसे अज्ञेय कहते हैं।
  • Phenomenology -- संवृतिशास्त्र, दृश्यप्रपंचशास्त्र
दृश्य-प्रपंच का वर्णन-विश्लेषण करने वाला शास्त्र। सर्वप्रथम कांट के समकालीन जर्मन दार्शनिक लैम्बर्ट द्वारा ”आभासों की मीमांसा” के लिये प्रयुक्त शब्द। स्वयं कांट द्वारा तत्त्वमीमांसा की उस शाखा के लिए प्रयुक्त शब्द जो गति और गतिहीनता का वस्तुओं के विधेयों के रूप में विवेचन करती है। हेगेल के द्वारा किसी तत्त्व को उत्तरोत्तर अधिक विकसित अभिव्यक्तियों का अध्ययन करने वाले शास्त्र के अर्थ में प्रयुक्त। परन्तु सर्वाधिक प्रचलित अर्थ में यह एडमंड हुसर्ल (edmund husserl) द्वारा दर्शन में चलाए गए एक आंदोलन का नाम है।
  • Phenomenon -- घटना-संवृति
सामान्यतः कोई भी दृश्य वस्तु, तथ्य या घटना जिसका वर्णन या व्याख्या विज्ञान के लिए महत्त्वपूर्ण हो। विशेषतः कांट में, वस्तु का वह रूप जो हमें प्रतीत होता है और आत्मा की विभिन्न शक्तियों से प्रभावित होता है। इसके विपरीत, वस्तु का निजरूप (noumenon) हमारे लिए सदैव अज्ञेय बना रहता है।
  • Philosophical Analysis -- दार्शनिक विश्लेषण
दर्शन का एक समकालीन संप्रदाय जिसके अनुसार दर्शन का एक मुख्य या एकमात्र कार्य विज्ञान के तथा सामान्य-बुद्धिमूलक संप्रत्ययों का तार्किक विश्लेषण करना है। जी.ई. मूर (Moore), बट्रेंड रसल (Russell), विटगेन्स्टाइन (Wittgenstein), ए. जे. एअर (Ayer) इत्यादि कुछ प्रमुख दार्शनिक हैं जिन्होंने विचारों में बहुत वैषम्य होने के बावजूद विश्लेषण को दार्शनिक प्रणाली के रूप में अपनाया है।
  • Philosophical Behaviourism -- दार्शनिक व्यवहारवाद
मनोवैज्ञानिक तथ्यों को मानव-व्यवहार की कोटियों में अनूदित करने का प्रयास करता है। इसके विपरीत दार्शनिक व्यवहारवाद दार्शनिक संप्रत्ययों एवं दार्शनिक युक्तियों की प्रामाणिकता उनके द्वारा उत्पन्न व्यावहारिक उपयोगिता पर आधारित करता है। जिस से प्रत्यय अथवा युक्ति में जितनी अधिक व्यावहारिक उपयोगिता होगी वह उतना ही अधिक वैध अथवा प्रामाणिक समझा जायेगा। ‘चार्ल्स पर्स’, ‘विलियम जेम्स’, ‘जान ड्यूई’ एवं ‘एफ. सी.एस. शिलर इस संप्रदाय के प्रतिनिधि दार्शनिक हैं।
  • Philosophical Intuitionism -- दार्शनिक अंतःप्रज्ञावाद
नीतिशास्त्र में अंतःप्रज्ञावाद का एक प्रकार जिसके अनुसार हमें किसी कर्म के सत्-असत् अथवा शुभ-अशुभ का अंतःप्रज्ञा द्वारा तात्कालिक ज्ञान प्राप्त होता है। उक्त ज्ञान का संबंध कुछ ऐसे सार्वभौम नैतिक नियमों से होता है, जिनके भीतर शाश्वत प्रामाणिकता पाई जाती है।
  • Philosophical Method -- दार्शनिक विधि
दार्शनिक समस्याओं के समाधन के लिये स्वीकृत विधि। जैसे : सुकरात की धात्री विधि, संवाद विधि (प्लेटो), संदेह विधि (देकार्त) तार्किक विधि (रसल) इत्यादि।
  • Philosophical Psychology -- दार्शनिक मनोविज्ञान
‘मन्’, ‘चेतना’, ‘आत्मा’ इत्यादि से संबंधित तात्त्विक प्रश्नों का विवेचन करने वाला शास्त्र। उदाहरण के लिए आत्मा या मन का तात्त्विक स्वरूप क्या है? मन् और शरीर के बीच क्या संबंध है? क्या आत्मा के भीतर ‘संकल्प-स्वातंत्रय’ विद्यमान है अथवा आत्मा कर्म करने में बिल्कुल परंतत्र है।
  • Philosophy -- दर्शनशास्त्र
व्युत्पत्ति के अनुसार ‘फिलॉसफी’ शब्द दो शब्दों का योग है। फिल (phil) सोफिया (sophia)। ‘सोफिया’ का अर्थ है विद्या अथवा ज्ञान जबकि ‘फाइलो’ का अर्थ है अनुराग अथवा प्रेम। इस दृष्टि से ‘फिलॉसफी’ का अर्थ हुआ- ‘ज्ञान के प्रति अनुराग’। साधारण और वैज्ञानिक संप्रत्ययों का विश्लेषण और संपरीक्षण करनेवाला तथा विशेष विज्ञानों की पूर्व-मान्यताओं की जाँच करके उनके परिणामों का समन्वय करनेवाला और विज्ञानों के क्षेत्रोें में न आनेवाले जगत्, समाज और व्यक्ति से संबंधित गहन प्रश्नों का विवेचन करनेवाला शास्त्र, जिसके अंदर तत्त्वमीमांसा, ज्ञानमीमांसा, नीतिशास्त्र, सत्ताशास्त्र, तर्कशास्त्र, मूल्यमीमांसा, भाषा-दर्शन इत्यादि का समावेश होता है।
  • Philosophy Of Beauty -- सौंदर्य मीमांसा
सौंदर्य एवं सौंदर्य शास्त्रीय प्रत्ययों का दार्शनिक विवेचन, यथा : सौंदर्य का स्वरूप, उसके मापदंड, सौन्दर्यपरक मूल्य, रस-निष्पादन के सिद्धांत आदि। संगीत, नाटक, साहित्य एवं शिल्प-विद्या, ललित कलाएँ आदि भी इसके अंतर्गत हैं।
  • Philosophy Of Education -- शिक्षा-दर्शन
शिक्षा का स्वरूप, उसका उद्देश्य, समाज से उसका संबंध इत्यादि तात्त्विक प्रश्नों का विवेचन करनेवाला शास्त्र।
  • Philosophy Of History -- इतिहास-दर्शन
इतिहासकार के कार्य का तर्कशास्त्र और ज्ञानमीमांसा की दृष्टि से विवेचन करनेवाला शास्त्र।
  • Philosophy Of Language -- भाषा-दर्शन
दर्शनशास्त्र की वह विधा जिसमें सामान्य भाषा, उसकी वाक्य-संरचना, शब्दार्थ, शब्द प्रयोग आदि की विवेचना की जाती है। समकालीन पाश्चात्य दर्शन में गिल्बर्ट राइल, विटगेन्स्टाइन, आस्टिन आदि इसके प्रवर्तक हैं। भारतीय दर्शन में उक्त विधा भर्तृहरि के चिंतन में द्रष्टव्य है।
  • Philosophy Of Law -- विधि-दर्शन
विधि विषयक अवधारणाओं, समस्याओं, सिद्धांतों आदि का गहन चिंतन। जैसे : संकल्प-स्वातंत्रय, मूल-अधिकार, मूलकर्तव्य, दंड की अवधारणा एवं उसके सिद्धांत, मृत्यु-दंड का औचित्य, आत्महत्या एवमं ‘दया-मृत्यु'(mercy-killing) इत्यादि।
  • Philosophy Of Religion -- धर्म-दर्शन
धर्म का दार्शनिक दृष्टि से अध्ययन करने वाला शास्त्र, जो धर्म की प्रकृति, उसका कार्य और मूल्य, धार्मिक ज्ञान का प्रामाण्य इत्यादि प्रश्नों का किसी धर्म-विशेष के प्रति पक्षपात न रखते हुए सामान्य रूप से विवेचन करता है।
  • Philosophy Of Science -- विज्ञान-दर्शन
वैज्ञानिक अध्ययन के क्षेत्र में आने वाली तार्किक, ज्ञानमीमांसीय और तत्त्वमीमांसीय समस्याओं का अध्ययन करने वाला शास्त्र। इसमें वैज्ञानिक प्रणाली में प्रयुक्त ‘पूर्व-मान्यताओं’, ‘प्राक्कल्पना’, ‘प्रयोग’ इत्यादि पदों को परिभाषित किया जाता है और ‘बल’, ‘दिक्’, ‘काल’, ‘ऊर्जा’, ‘द्रव्यमान’ इत्यादि संप्रत्ययों का विश्लेषण किया जाता है। विज्ञानों के अभ्युपगमों की जाँच करना भी इसके क्षेत्र में आता है।
  • Physical Division -- भौतिक विभाजन
किसी भौतिक पदार्थ को विभाजित करना, जैसे पेड़ का उसकी शाखाओं, पत्तों आदि में विभाजन। इसका तार्किक विभाजन से भेद हृदयंगम कर लेना आवश्यक होता है।
  • Physical Evil -- भौतिक अशुभ
पैंट्रिक के अनुसार सामान्यतया तीन प्रकार के ‘अशुभ’ स्वीकार किए गए हैं। भौतिक अशुभ, प्राकृतिक अशुभ एवं नैतिक अशुभ। भौतिक अशुभ के अन्तर्गत सभी प्रकार के शारीरिक अशुभ यथा रोग, वृद्धावस्था, आघात, पीड़ा एवं कुरूपता इत्यादि प्रत्यय सम्मिलित किए जा सकते हैं।
  • Physicalism -- कायावाद, भौतिकवाद
वियना सर्कल (Vienna Circle) के इंद्रियानुभववादियों का वह मत कि सभी भाषाओं और विज्ञानों में प्रयुक्त प्रत्येक सार्थक वाक्य का भौतिकी की भाषा में अनुवाद किया जा सकता है, अर्थात् प्रेक्षण-योग्य वस्तुओं और उनके गुणधर्मों को व्यक्त करने वाली भाषा आदर्श भाषा है।
  • Physical Realism -- कायिक यथार्थवाद, भौतिकी यथार्थवाद
वह मत कि भौतिकी में प्रयुक्त इकाइयों, जैसे : इलेक्ट्रॉन, परमाणु आदि का वस्तुतः स्वतंत्र अस्तित्व है।
  • Physical Sanction -- भौतिक अंकुश
बेन्थम के अनुसार, प्रकृति का सामान्य व्यापार और उसके नियम जो उनके विपरीत आचरण करने वाले को बीमारी इत्यादि उत्पन्न करके कष्ट देते हैं और इस प्रकार एक सीमा तक उसे नैतिक आचरण के लिए बाध्य करते हैं।
  • Physico-Theological Argument -- भौतिक-ईश्वरमीमांसीय यपक्ति
सृष्टि में निहित उद्देश्य अथवा प्रयोजन के आधार पर एक ‘चेतन सत्ता’ के रूप में ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध करता है। प्रयोजनमूलक युक्ति को कांट द्वारा दिया गया नाम।
  • Physiological Solipsism -- शरीरक्रियात्मक अहंमात्रवाद
वह विचार कि प्रत्येक व्यक्ति को केवल अपने शरीर के अंदर होने वाली घटनाओं का ही ज्ञान हो सकता है।
  • Place Marker -- स्थान-चिह्नक
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में, प्रतीक ”…….” या “X” जिसका प्रयोग किसी प्रतिज्ञप्तिफलन [ यथा, (X) MX)] में उस स्थान को बताने के लिए किया जाता है जो किसी व्यष्टिचर या व्यष्टि के नाम के लिए निर्धारित होता है।
  • Platonic Idealism -- प्लेटोनिक विज्ञानवाद
प्लेटो का दर्शन, जिसमें निरंतर परिवर्तनशील ऐंद्रिय जगत् की वस्तुओं को नहीं बल्कि अभौतिक विज्ञानों को वास्तविक माना गया है। तदनुसार इन्हीं शाश्वत विज्ञानों के अनुकरण के आधार पर दृश्य-जगत् को आंशिक वास्तविकता प्राप्त होती है।
  • Platonic Realism -- प्लेटॉनिक यथार्थवाद
प्लेटो का वह मत कि अतींद्रिय जगत् में अस्तित्व रखने वाले ‘विज्ञान’ ही वास्तविक हैं; दृश्य जगत् की वस्तुएँ (विशेष) पूर्णतः वास्तविक नहीं हैं बल्कि उतनी ही मात्र में वास्तविक हैं जितनी मात्र में वे ‘विज्ञानों’ का अनुकरण करती हैं।
  • Plenum -- प्लैनम, पूर्ण
दिक् जो जड़ पदार्थ से भरा हुआ है। स्टोइको (Stoics) की सृष्टि मीमांसा में प्रयुक्त।
  • Plotinism -- प्लोटिनसवाद
प्लोटिनस (205-270) नामक दार्शनिक का सिद्धांत जो कि प्लेटो के दर्शन और पौरस्त्य धारणाओं का संकलित रूप है। प्लोटिनस ने संपूर्ण सत्ता का शाश्वत स्रोत ‘एक’ को माना है और उससे क्रमिक रूप से निर्गत वस्तुओं में सर्वप्रथम बुद्धितत्त्व (नाउस) को द्वितीय आत्मा को और तृतीय पुद्गल को बताया है, तथा ईश्वर के साथ तादात्म्य को परम पुरूषार्थ माना है।
  • Pluralism -- बहुतत्त्ववाद
तत्त्व-विज्ञान का वह सिद्धांत जो दो या दो से अधिक मूल तत्त्वों के अस्तित्व को स्वीकार करता है। भौतिक जगत् की चार अथवा पाँच महाभूतों से उत्पत्ति माननेवाले, प्राचीन मतों से लेकर असंख्य चिदणुओं के अस्तित्व को मानने वाले लाइब्नित्ज़ के मत को इसके भीतर समाहित किया जा सकता है। भारतीय दर्शन में जैन न्याय-वैशेषिक-परमाणुवाद बहुतत्त्ववाद का प्रतिनिधित्व करता है।
  • Plures Interrogationis -- बहु प्रश्न दोष
देखिए “fallacy of many questions”।
  • Political Personalism -- राजनीतिक व्यक्तिवाद
वह सिद्धांत जो किसी सामाजिक व्यवस्था के अंदर व्यक्तित्व के विकास को सर्वोच्च महत्त्व प्रदान करता है और इसी कारण प्रत्येक नागरिक को शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास का अवसर प्रदान करना राज्य का परम कर्त्तव्य समझता है। पाश्चात्य-दर्शन में ‘प्लेटो’, ‘एरिस्टॉटल’ एवं ‘ग्रीन’ इसके प्रतिनिधि दार्शनिक हैं।
  • Political Philosophy -- राजनीति-दर्शन
दर्शन की वह शाखा जो राजनीतिक जीवन क्रम, विशेषतः राज्य के स्वरूप, उत्पत्ति और मूल्य का विवेचन करती है।
  • Political Sanction -- राजनीतिक अनुशास्ति
बेंथम के अनुसार राज्य या शासन के द्वारा आपराधिक कार्यों के लिए दिए जाने वाले दंड का भय अथवा अच्छे कामों के लिए मिलने वाले पुरस्कार का लोभ, जो व्यक्ति को नैतिकता का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं।
  • Polylemma -- बहुतःपाश
उभयतःपाश के समान एक युक्ति जिसके साध्य-आधारवाक्य में दो की अपेक्षा अधिक विकल्प दिए जाते हैं।
  • Polysyllogism -- अनेकन्यायवाक्य
न्यायवाक्यों की ऐसी श्रृंखला जो एक अंतिम निष्कर्ष पर पहुँचाती है। इस श्रृंखला के प्रत्येक न्यायवाक्य का निष्कर्ष अगले न्यायवाक्य में आधारवाक्य होता है, और अंतिम निष्कर्ष पूरी श्रृंखला का निष्कर्ष होता है।
  • Polytheism -- बहुदेववाद, अनेकेश्वरवाद
वह सिद्धांत जिसके अनुसार देवता अनेक हैं और प्रत्येक देवता की स्वतंत्र सत्ता है।
  • Positive Condition -- भाव-उपाधि
वह उपाधि जिसकी उपस्थिति किसी कार्य की उत्पत्ति के लिए अनिवार्य होती है, अर्थात् जिसके अभाव में कार्य की उत्पत्ति हो ही नहीं सकती।
उदाहरण : किसी वस्तु के जलने के लिए ‘ऑक्सीजन’ की उपस्थिति अनिवार्य कारण है। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जलने की क्रिया संभव नहीं हो सकती। अतः ऑक्सीजन जलने की ‘भाव-उपाधि’ कही जाती है।
  • Positive Ethics -- वस्तुपरक नितिशास्त्र
वह वर्णनात्मक शास्त्र अथवा समाजशास्त्र का वह भाग जो इस बात का अध्ययन करता है कि विभिन्न कालों और युगों में विभिन्न समाजों में अच्छाई-बुराई, औचित्य-अनौचित्य के बारे में क्या विचार रहे हैं।
  • Positive Instance -- अन्वय-दृष्टांत
जिन दो वस्तुओं के बीच नित्य साहचर्य संबंध पाया जाता है। अर्थात् जिसमें एक की उपस्थिति होने पर दूसरे के विषय में अनिवार्य निष्कर्ष की प्राप्ति कर सकें, ऐसे दृष्टांतों को ‘अन्वय-दृष्टांत’ कहते हैं। उदाहरण के लिए, जहाँ-जहाँ ध्रूम्र होता है वहाँ अग्नि अवश्य पाई जाती है। अतः ध्रूम्र और अग्नि ‘अन्वय दृष्टांत ‘ हैं।
  • Positive Philosophy -- वस्तुपरक दर्शन
संत साइमन द्वारा प्रयुक्त। इसमें दर्शनशास्त्र को तथ्यपरक माना जाता है। शेलिंग और कोंत (Comte) के द्वारा स्वीकृत एवं परिवर्धित।
  • Positive Science -- तथ्यपरक विज्ञान, वस्तुपरक विज्ञान
तर्कशास्त्र, नीतिशास्त्र, सौंदर्यशास्त्र इत्यादि नियामक विज्ञानों से भिन्न जो विज्ञान केवल वस्तुस्थिति का अध्ययन करते हैं, उन्हें तथ्यपरक अथवा वस्तुपरक विज्ञान की संज्ञा दी जाती है। उदाहरण के लिए मनोविज्ञान, भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, मानवविज्ञान इत्यादि शास्त्र तथ्यपरक विज्ञान हैं।
  • Positive Term -- भावात्मक पद
वह पद जो किसी वस्तु या गुण की उपस्थिति को प्रकट करता है जैसे, ‘मानव’, ‘सुख’ आदि।
  • Positivism -- प्रत्यक्षवाद, भाववाद
फ्रेंच दार्शनिक कोंत (Auguste Comte; 1798-1857) का यह सिद्धांत कि दर्शन को इंद्रियानुभविक विज्ञानों की प्रणालियों का अनुसरण करते हुए प्राकृतिक तथ्यों के वर्णन और कार्य-कारण संबंधों तक ही सीमित रहना चाहिए। इस सिद्धांत का आधार कोंत की यह मान्यता थी कि ज्ञान के विकास में पहली दो अवस्थाएँ, जिन्हें ‘धर्मशास्त्रीय’ और ”तत्त्त्वमीमांसीय” कहा गया है, अपूर्णता की होती हैं, जबकि उसमें पूर्णता तीसरी और अंतिम अर्थात् तथ्यपरक विज्ञान-वाली अवस्था में आती है।
  • Possibility -- संभवता
उस प्रतिज्ञप्ति की विशेषता जिसका निषेध अनिवार्य नहीं होता, उस घटना की विशेषता जो हो सकती है अथवा जिसके होने की स्वतोव्याघात के बिना कल्पना की जा सकती है।
  • Post Hoe Ergo Propter Hoe -- यत् पूर्वम् तत्कारणम्’ काकतालीय दोष
यह एक अनौपचारिक (informal) तर्कदोष है। दो घटनाओं के बीच केवल पूर्वापर-क्रम मात्र के आधार पर जब उनमें कारण-कार्य संबंध की स्थापना की जाती है तो उस युक्ति में उपर्युक्त दोष का आरोपण कर दिया जाता है, जो सही नहीं है। उदाहरण के लिए यदि यात्रा प्रारम्भ करते समय बिल्ली रास्ता काट दे और बाद में कोई दुर्घटना घटित हो जाए तो बिल्ली द्वारा रास्ता काटने को उस दुर्घटना का कारण मान लिया जाता है, जो सही नहीं है।
  • Postulate -- पूर्वमान्यता
ज्ञान के किसी क्षेत्र विशेष में स्वीकृत सत्य, सिद्धांत, सूत्र तथा तथ्य जिनके आधार पर उस क्षेत्र के अन्यान्य प्रत्यय सिद्धांत एवं विचार-प्रणाली की संरचना की जाती है। ‘यथाः ”कारणता-सिद्धांत”, प्रकृति की समरूपता का सिद्धांत आदि।
  • Potentiality -- शक्यता
किसी वस्तु अथवा विषय में अन्तर्निहित क्षमता जो उसे अपने स्वरूप की प्राप्ति में सहायक और प्रेरक होती है (अरस्तू) यथा : बीज-वृक्ष में बीज वृक्ष की शक्यता है।
  • Practical Imperative -- व्यावहारिक नियोग, व्यावहारिक आदेश
कांट के अनुसार, व्यवहार में मार्ग दर्शन करने वाला नैतिक बुद्धि का यह आदेश : ”इस प्रकार काम करो कि मानवता सदैव साध्य रहे, मात्र साधन कदापि नहीं”।
  • Practical Reason -- व्यावहारिक तर्कबुद्धि
तर्कबुद्धि का वह पक्ष जो व्यवहार का पथप्रदर्शन करता है। विशेषतः कांट के अनुसार नैतिक जीवन की समस्याओं के समाधान में लगी हुई तर्कबुद्धि।
  • Pragmatic Realism -- अर्थक्रियापरक यथार्थवाद
वह सिद्धांत कि ज्ञान, कर्म के द्वारा प्राप्त होता है : जानने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति प्राक्कल्पनाओं के आधार पर काम करता है और इसके फलस्वरूप उसे पर्यावरण के साथ अनुकूलन में सफलता प्राप्त होती है या उसकी व्यावहारिक निपुणता में वृद्धि होती है।
  • Pragmatism -- अर्थक्रियावाद, व्यावहारिकतावाद
बीसवीं शताब्दी में अमेरिका में चलाया गया एक वैचारिक आंदोलन जिसके नेता पर्स (Peirce) और जेम्स थे। तदनुसार किसी भी संप्रत्यय का अर्थ उसके व्यावहारिक प्रभावों में ढूँढा जाना चाहिए : विचार का काम व्यवहार का पथ प्रदर्शन होता है और सत्य वह है जो व्यवहारोपयोगी हो। आगे चलकर जॉन ड्यूई एवं एफ.सी.एस. शिलर ने इस विचारधारा को अग्रसरित किया।
  • Preception -- पूर्वग्रहण, पूर्वोपलंभ
वास्तविक प्रत्यक्ष से पहले होने वाला वस्तु का आभास जो प्रत्यक्ष का सहायक और मार्गदर्शक होता है।
  • Precognition -- प्राक्संज्ञान, प्राग्बोध
भविष्य में घटने वाली किसी घटना का परामानसिकीय बोध।
  • Predesignate Proposition -- पूर्वनिर्दिष्ट प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसका परिमाण (अर्थात् सर्वव्यापित्व या अंशव्यापित्व) पूर्णतः व्यक्त होता है, जैसे ”सभी मनुष्य मरणशील हैं”, ”कुछ अपराधी बुद्धिमान होते हैं” इत्यादि।
  • Predestination -- पूर्वनियति
वह नैतिक एवं धार्मिक विश्वास कि मनुष्य के कर्म एवं उत्थान-पतन ईश्वर द्वारा निर्धारित होते हैं।
  • Predicables -- विधेय-धर्म, वाच्यधर्म
एरिस्टॉटल के अनुसार, विधेय के वे पाँच प्रकार जिनका किसी उद्देश्य के बारे में कथन या निषेध किया जा सकता है। ये हैं : परिभाषा, जाति, अवच्छेदक, गुणधर्म और आकस्मिक गुण। पॉर्फीरी और बाद के तर्कशास्त्रियों ने परिभाषा के स्थान पर उपजाति को लिया।
  • Predicament -- दशा, वर्ग, पदार्थ
कांट के दर्शन में, बोधशक्ति (understanding) के सहज, प्रागनुभविक, आकारों के लिए प्रयुक्त शब्द। ऐसा प्रत्येक आकार निर्णय या विधेयन का एक रूप है और चूँकि निर्णय बारह प्रकार के हैं अतः ये भी बारह माने गए हैं, जो इस प्रकार हैं : समग्रता, अनेकता; एकता; अस्तित्व, नास्तित्व, सीमितत्व; द्रव्यत्व (समवाय); कारणत्व (आश्रितत्व), अन्योन्यत्व; संभवता, सत्ता, अनिवार्यता।
  • Predicative View -- विधेय-मत
उद्देश्य और विधेय के संबंध के विषय में वह मत कि प्रतिज्ञप्ति के उद्देश्य को उसके वस्त्वर्थ (denotation) में और विधेय को उसके गुणार्थ (connotation) में लेना चाहिए। तदनुसार “सभी मनुष्य मरणशील हैं” का अर्थ यह होगा कि राम, श्याम इत्यादि जितने भी मनुष्य हैं उनमें मरणशीलता नामक गुण पाया जाता है।
  • Pre-Established Harmony -- पूर्वस्थापित सामंजस्य
लाइब्नित्ज़ के अनुसार, सभी चिदणुओं के मध्य और विशेषतः मन और शरीर के मध्य पहले से ही स्थापित सामंजस्य, जिसके फलस्वरूप उनके परस्पर स्वतंत्र होते हुए भी उनकी क्रियाओं में उसी प्रकार सामंजस्य पाया जाता है जिस प्रकार विभिन्न वाद्य यंत्रों में स्वतंत्र क्रिया होते हुए भी एकतान संगीत का निर्माण होता है।
  • Preformationism -- पूर्वरचनावाद
वह सिद्धांत कि जीव के सभी अवयव पहले से निर्मित होते हैं और सूक्ष्म रूप में जनन-कोशिका या बीज के अंदर विद्यमान होते हैं।
  • Prehension -- प्राग्ग्रहण
ए. एन. ह्वाइटहेड (1861-1947) के द्वारा उपलब्धि (संवेदन, प्रत्यक्ष) के आद्य रूप के लिए प्रयुक्त शब्द।
  • Premise -- आधारिका
वह प्रतिज्ञप्ति जो दी हुई होती है या जिसे सत्य मानकर चला जाता है और जिससे तर्कशास्त्र के नियमों के अनुसार एक नई प्रतिज्ञप्ति निष्कर्ष के रूप में प्राप्त की जाती है। एक या अधिक ऐसी प्रतिज्ञप्तियाँ निष्कर्ष का आधार बन सकती हैं।
  • Pre-Philosophy -- प्राग्दर्शन
हॉकिंग के अनुसार, दर्शन के विकास की प्रारंभिक अवस्था, जिसमें जीवन तथा विश्व से संबंधित विचारों एवं विश्वासों को बिना किसी आलोचना के स्वीकार कर लिया जाता था।
  • Presentationism -- पुरोधानवाद
प्रतिनिधानवाद (representationism) के विपरीत यह ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत ज्ञान के लिए केवल दो घटकों के अस्तित्व में ही विश्वास करता है, अर्थात् प्रत्यक्ष में आत्मा को वस्तु का अपरोक्ष ज्ञान प्राप्त होता है। बौद्धों का ‘वैभाषिक संप्रदाय’ इसी पुरोधानवाद में विश्वास रखता है।
  • Primary Qualities -- प्राथमिक गुण, मूल गुण
लॉक के अनुसार गौण गुणों (secondary qualities) के विपरीत वस्तुओं के स्वकीय गुण, जैसे ठोसपन, विस्तार, आकृति, गति, स्थिति और संख्या, जिनके बिना वस्तुओं को सोचा ही नहीं जा सकता।
  • Prime Matter -- मूल द्रव्य
एरिस्टॉटल ने अपने ‘तत्त्वविज्ञान’ की व्याख्या ‘द्रव्य’ (matter) एवं स्वरूप (form) के माध्यम से की है। यद्यपि संसार की प्रत्येक वस्तु में द्रव्य और स्वरूप दोनों पाए जाते हैं किंतु विकास की प्रथम अवस्था में हम एक ऐसी वस्तु की कल्पना कर सकते हैं जिसमें केवल द्रव्य हो किंतु स्वरूप का आत्यन्तिक अभाव पाया जाता है। उसी प्रकार विकास की चरम अवस्था में हम एक ऐसी वस्तु की कल्पना कर सकते हैं, जिसमें केवल ‘स्वरूप’ (form) पाया जाता हो एवं जिसमें द्रव्य का आत्यन्तिक अभाव हो। ऐसी स्थिति में विकास की प्राथमिक अवस्था जो द्रव्यमात्र होगी, उसे एरिस्टॉटल ने ‘मूल-द्रव्य’ (prime matter) के नाम से अभिहित किया है।
  • Prime Mover -- आद्य चालक, आद्य प्रवर्तक
एरिस्टॉटल के अनुसार, वह जो सभी परिवर्तनों का आदि कारण है और स्वयं अपरिवर्तित रहता है, जैसे ईश्वर।
  • Primitive Proposition -- आद्य प्रतिज्ञप्ति
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र के जनकों में से एक ‘पेआनो’ (Peano) के अनुसार किसी निगमनात्मक तंत्र में उन प्रतिज्ञप्तियों में से एक जिन्हें सिद्ध नहीं किया जाता बल्कि प्रारम्भ में ही सत्य मान लिया जाता है तथा उन्हें निगमनों का आधार बनाया जाता है। उसे आद्य प्रतिज्ञप्ति कहते हैं। वह न तो ‘स्वतःसिद्ध’ है और न अनिवार्य रूप से सत्य है तथा ऐसी भी बात नहीं है कि उसे सिद्ध किया ही नहीं जा सकता। फिर भी वह सत्य रूप में मान्य होता है। तर्कशास्त्र में डब्ल्यू. ई. जॉनसन पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने तर्कशास्त्र (logic) के प्रथम-भाग में ‘आद्य-प्रतिज्ञप्ति’ (primitive proposition) की कल्पना की थी। इस प्रतिज्ञप्ति को ‘उद्देश्यहीन-प्रतिज्ञप्ति’ (subjectless proposition) अथवा विस्मय-बोधक प्रतिज्ञप्ति (exclamatary proposition) के नाम से भी अभिहित किया जाता है।
  • Principle Of Economy -- लाघव-न्याय
इस सिद्धांत का प्रमुख तात्पर्य यह है कि अनावश्यक रूप में तात्त्विक इकाईयों की संख्या में वृद्धि नहीं करनी चाहिए। इस सिद्धांत को भारत में ‘ कल्पना-लाघव’ या ‘लाघव-न्याय’ के नाम से जाना जाता है। विस्तार के लिए “occam’s razor” को देखिए।
  • Private Attitude Theories -- व्यक्तिगत-अभिवृत्ति-सिद्धांत
नीतिशास्त्र में वे सिद्धांत जो कर्म के औचित्य या शुभत्व को व्यक्ति की निजी अभिवृत्ति पर आधारित मानते हैं, जैसे, यह सिद्धांत कि शुभ वह है जो मुझे अच्छा लगता है (भले ही अन्यों को वह अच्छा न लगे)।
  • Private Term -- वैकल्प-पद
वह पद जो वर्तमान में किसी गुण का अभाव बताता है परन्तु साथ ही जिसमें यह निहित होता है कि उस गुण की क्षमता वस्तु में है, जैसे ”अंधा”, ”बहरा”, ”वंध्या” इत्यादि।
  • Probabilism -- प्रसंभाव्यतावाद
प्राचीन यूनानी संशयवादियों का वह सिद्धांत कि किसी भी विषय में निश्चयात्मक ज्ञान प्राप्त करना संभव नहीं है, अतः समस्त कार्यों तथा आस्थाओं का आधार प्रसंभाव्यता को ही स्वीकार करता है।
  • Probability -- प्रसंभाव्यता
प्रसंभाव्य होने की अवस्था या विशेषता। किसी बात को ”प्रसंभाव्य” तब कहा जाता है जब उसका घटित होना असंभव तो नहीं होता परन्तु इसका घटित होना अनिवार्य भी नहीं होता। इस प्रकार इस अवस्था में मात्रा-भेद होता है और उसके घटित होने की अनिवार्यता को तथा असंभाव्यता को 0 (Zero) मानते हुए उसे एक भिन्न के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जिसका अंश अनुकूल विकल्पों की संख्या तथा हर अनुकूल और प्रतिकूल विकल्पों की संख्याओं का योग होता है।
  • Problematic Proposition -- समस्यात्मक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें किसी घटना के घटित होने को न तो अनिवार्य समझा जाये और न असंभाव्य, बल्कि उसके द्वारा यह कथन किया जाए कि उक्त घटना घटित हो भी सकती है अथवा नहीं भी घटित हो सकती है। उदाहरण के लिए : यह कथन ” शायद वर्षा होगी”, समस्यात्मक प्रतिज्ञप्ति है।
  • Processes Simulating Induction -- आभासी आगमन
पूर्ण आगमन, तर्कसाम्य-आगमन और तथ्यानुबंधी आगमन के लिए प्रयुक्त पद, जिनहें आगमनोचित प्लुति (inductive leap) के अभाव के कारण सही अर्थ में आगमन नहीं माना गया है। देखिए “perfect induction”, “induction by parity of reasoning’, और “colligation of facts”।
  • Process Philosophy -- संभवन् दर्शन
दर्शन की वह प्रवृत्ति जिसमें कूटस्थ सत् की अपेक्षा संभवन अथवा क्रिया सातत्य पर बल दिया जाता है।
  • Progressive Train Of Reasoning -- प्रगामी तर्कमाला
दो या अधिक न्यायवाक्यों का वह संयोग जिसमें पहले पूर्वन्यायवाक्य (prosyllogism) होता है और फिर उत्तर-न्यायवाक्य (episyllogism) जो आगामी न्यायवाक्य के लिए पूर्वन्यायवाक्य बनता है और इसी प्रकार तर्क अंतिम निष्कर्ष की ओर अग्रसर होता है।
उदाहरण :
1. सभी ब स हैं।
सभी अ ब हैं।
∴ सभी अ स हैं।
2. सभी स द हैं।
सभी अ स हैं।
∴ सभी अ द हैं।
3. सभी द य हैं।
सभी अ द हैं।
∴ सभी अ य हैं।
  • Proper (Or Special) Sensibles -- विशिष्ट संवेद्य
सामान्य संवेद्यों के विपरित वे विषय जिनका ज्ञान केवल एक ही इंद्रिय के माध्यम से होता है, जैसे प्रकाश जो केवल चक्षुगम्य है।
  • Property (Or Proprium) -- गुणधर्म
पारंपरिक तर्कशास्त्र में, वह विशेषता जो पद के गुणार्थ का भाग तो नहीं होती (अर्थात् पद की परिभाषा में शामिल नहीं होती) परन्तु उसका फल या उससे निगमित होती है और इस प्रकार उसका अनिवार्य परिणाम होती है, जैसे “त्रिभुज के तीनों कोणों का योग दो समकोण होना।” त्रिभुज की परिभाषा है तीन भुजाओं से घिरी हुई समतलाकृति, जिससे उदाहृत विशेषता निगमित होती है।
  • Proposition -- प्रतिज्ञप्ति
पारंपरिक तर्कशास्त्र में किसी निर्णय (judgement) की शाब्दिक अभिव्यक्ति को प्रतिज्ञप्ति के नाम से अभिहित किया जाता था किंतु आधुनिक तर्कशास्त्र के अनुसार किसी वाक्य (sentence) का वह अर्थ जो यथार्थ अथवा अयथार्थ हो सकता है, उसे प्रतिज्ञप्ति कहते हैं। उदाहरण के लिए – “आपकी कक्षा में कितने विद्यार्थी हैं?” यह एक वाक्य है। किंतु “हमारी कक्षा में पचास विद्यार्थी हैं” – एक प्रतिज्ञप्ति है, जो या तो यथार्थ है अथवा अयथार्थ। यद्यपि प्रत्येक प्रतिज्ञप्ति वाक्य है किन्तु प्रत्येक वाक्य प्रतिज्ञप्ति का रूप धारण नहीं कर सकता।
  • Prosyllogism -- पूर्वन्यायवाक्य
तर्कमाला अर्थात् न्यायवाक्यों की श्रृंखला में वह न्यायवाक्य जिसका निष्कर्ष दूसरे न्यायवाक्य में एक आधारवाक्य बनता है।
उदाहरण : progressive train of reasoning के अंतर्गत दी हुई तर्कमाला में प्रथम (दूसरे के संबंध में) तथा द्वितीय (तीसरे के संबंध में)।
  • Protocol Sentence -- आधारिक वाक्य, आधार-वाक्य
देखिए – “basic sentence”।
  • Provisional Hypothesis -- अनंतिम प्राक्कल्पना, अस्थायी प्राक्कल्पना
वह प्राक्कल्पना जिसे किसी संतोषजनक या यथेष्ट प्राक्कल्पना के अभाव में अस्थायी रूप से मान लिया जाता है, ताकि खोज-कार्य अग्रसरित करने के लिए उसे प्रेक्षण और प्रयोग का आधार बनाया जा सके।
  • Psychical Research -- परामानसिकीय अनुसंधान
मनःपर्याय अतींद्रिय प्रत्यक्ष इत्यादि असाधारण, सामायन्य मनोविज्ञान व शरीरविज्ञान के नियमों के द्वारा अव्याख्येय, तथा मन या आत्मा के स्वतंत्र अस्तित्व के पोषक लगनेवाले तथ्यों की छानबीन करनेवाला विज्ञान, जो अब अधिक प्रचलित नाम “परामानसिकी” (parapsychology) से जाना जाता है।
  • Psychological Atomism -- मनोवैज्ञानिक परमाणुवाद
मन की रचना से संबंधित एक सिद्धांत जिसके अनुसार प्रत्येक मानसिक अवस्था कई सरल तथा पृथक् परमाण्विक घटकों के साहचर्य या संश्लेषण से बनी होती है। ह्यूम का दर्शन इसका उत्तम उदाहरण है।
  • Psychological Egoism -- मनोवैज्ञानिक स्वार्थवाद
इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक ऐच्छिक कर्म के मूल में प्रकट अथवा अप्रकट रूप से स्वार्थ का भाव निहित होता है। अर्थात् ‘स्वहित-साधन’ करना मनुष्य का स्वभाव है। यदि हम कभी परहित भी करते हैं तो उसमें भी कहीं न कहीं स्वार्थभाव निहित होता है। हॉब्स, बेंथम और मिल इसके प्रबल समर्थक हैं।
  • Psychological Hedonism -- मनोवैज्ञानिक सुखवाद
यह सुखवाद का एक विशिष्ट प्रकार है। इस सिद्धांत की सर्वमान्य स्वीकृति के अनुसार व्यक्ति स्वभावतः सुख-प्राप्ति के निमित्त कर्म प्रवृत्त होता है एवं दुःख-निवृत्ति की इच्छा करता है। भारतीय-दर्शन में चार्वाक तथा पाश्चात्य दर्शन में हॉब्स, बेंथम एवं मिल इसके प्रबल समर्थक हैं।
  • Psychological Relativism -- मनोवैज्ञानिक सापेक्षवाद
एक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत जिसके अनुसार मन का वर्तमान चेतन अवस्था का स्वरूप उसके भूतकालीन तथा समकालीन अनुभवों से प्रभावित होता है।
  • Psychologism -- मनोविज्ञानपरता, मनोविज्ञानवाद
ह्यूम, मिल तथा जेम्स आदि विचारकों की दार्शनिक समस्याओं को मनोविज्ञान की दृष्टि से सुलझाने की प्रवृत्ति। हुसर्ल इत्यादि जर्मन विचारकों ने इस शब्द का प्रयोग अवमानसूचक अर्थ में किया है।
  • Psychophysical Parallelism -- मनोदैहिक समानान्तरवाद
मन और शरीर के संबंध के बारे में प्रस्तावित वह मत कि ये परस्पर स्वतंत्र वस्तुएँ हैं और इसलिए इनमें कार्य-कारण का संबंध कदापि नहीं हो सकता, परन्तु दोनों के परिवर्तनों में एक संवादिता होती है : मान लीजिए म1, म2, म3 ….. मानसिक परिवर्तनों की श्रृंखला है, और त1, त2, त3 …….. शारीरिक या तंत्रिकीय परिवर्तनों की श्रृंखला है। तो म-श्रृंखला के प्रत्येक सदस्य के अनुरूप त ……… श्रृंखला में एक सदस्य है, पर दोनों में कोई कार्य-कारण-संबंध संभव नहीं है। गणित की भाषा में दोनों श्रृंखलाएँ समानान्तर हैं। स्पिनोजा ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया है।
  • Pure Fallacy -- विशुद्ध तर्कदोष
तर्क का वह दोष जो केवल तार्किक नियमों के उल्लंघन से पैदा होता है, न कि अनेकार्थक शब्दों के प्रयोग से या अप्रासंगिक बातों के आने से।
  • Pure Hypothetical Syllogism -- शुद्ध हेतुफलात्मक न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसमें तीनों प्रतिज्ञप्तियों हेतुफलात्मक होती हैं।
उदाहरण : यदि गर्मी अच्छी पड़ती है तो वर्षा अच्छी होती है;
यदि वर्षा अच्छी होती है तो फसल अच्छी होती है;
∴ यदि गर्मी अच्छी पड़ती है तो फसल अच्छी होती है।
  • Puritanism -- शुद्धाचारवाद, प्यूरिटनवाद
इंग्लेंड में प्रोटेस्टेंट-संप्रदाय को रोमन कैथोलिक कर्मकांड के तत्वों और रूढ़ियों से बिलकुल मुक्त करवाने के लिए आन्दोलन करनेवाले प्यूरिटनों का सिद्धांत, जो संयम, ईमानदारी, मितव्ययिता इत्यादि पर बल देता है।
  • Quakerism -- क्वेकरवाद
जॉर्ज फॉक्स (1624-1691) द्वारा स्थापित सोसायटी ऑफ फ्रेंड्स नामक धार्मिक संस्था के अनुयायियों का मत जिसमें आंतरिक प्रकाश से निर्देशन लेना, बाह्य अनुशास्तियों से मुक्ति, मौन का महत्व, रहन-सहन की सादगी तथा दूसरों के साथ शांतिपूर्वक रहने पर बल दिया गया है।
  • Qualitative Atomism -- गुणात्मक परमाणुवाद
परमाणुओं को ब्रह्मांड के अंतिम घटक तथा उनके मध्य गुणात्मक अंतर माननेवाला सिद्धांत।
  • Qualitative Hedonism -- गुणात्मक सुखवाद
सुखवाद का वह रूप जो परिमाणात्मक भेद के अतिरिक्त सुखों में गुणात्मक भेद भी मानता है जैसा कि मिल ने माना है।
  • Quality -- गुण
1. वस्तु में स्वतः पाई जाने वाली (अर्थात् अ-संबंधमूलक) विशेषता।
2. तर्कशास्त्र में, वह विशेषता जो प्रतिज्ञप्तियों को विधानात्मक और निषेधात्मक बनाती है।
  • Quantification -- परिमाणन
तर्कशास्त्र में, किसी प्रतिज्ञप्ति में उसके परिमाण का बोधक शब्द (जैसे, सभी या कुछ) जोड़ना अथवा किसी प्रतिज्ञप्ति-फलन में उसका परिमाण का व्यंजक प्रतीक लगा देना।
नीतिशास्त्र में, सुखों की मात्रएँ निर्धारित करना ताकि तुलना के लिए उनका योगफल निकाला जा सके।
  • Quantification Of Predicate -- विधेय-परिमाणन
हैमिल्टन के तर्कशास्त्र में उद्देश्य की तरह विधेय के परिमाण को भी ‘कुछ’ या ‘सभी’ लगाकर व्यक्त करना, जैसे, ”सभी मनुष्य प्राणी हैं” को ”सभी मनुष्य कुछ प्राणी हैं” के रूप में रखना।
  • Quantifier -- परिमाणक
वह शब्द (जैसे, सभी, कुछ) या प्रतीक जो किसी प्रतिज्ञप्ति के परिमाण का (अर्थात् उसके सर्वव्यापी या अंशव्यापी होने का) बोध कराता है।
  • Quantitative Atomism -- परिमाणात्मक परमाणुवाद
परमाणुओं को विश्व के अंतिम घटक और उनमें केवल परिमाणात्मक अंतरों को मानने वाला सिद्धांत।
  • Quantitative Hedonism -- परिमाणात्मक सुखवाद
बैंथम का नीतिशास्त्रीय सिद्धांत जो सुखों में केवल मात्रा-भेद मानता है, गुण-भेद नहीं।
  • Quantity -- परिमाण
1. ‘इतना’, ‘उतना’, ‘अधिक’, ‘कम’ इत्यादि प्रत्ययों के द्वारा विशिष्ट लक्षण।
2. तर्कशास्त्र में, प्रतिज्ञप्तियों की वह विशेषता जिससे उनमें सर्वव्यापी और अंशव्यापी का भेद उत्पन्न होता है।
  • Quasi Collective Judgement -- संकलनात्मक कल्प निर्णय, समूहवाची कल्प निर्णय
बोसांके के तर्कशास्त्र में वह सर्वव्यापी प्रतिज्ञप्ति जो संबंधित एक-व्यापी प्रतिज्ञप्तियों का संकलित रूप प्रतीत होती है, पर वास्तव में ऐसी नहीं होती। उदाहरण के लिए ”सभी मनुष्य मरणशील हैं”, ”राम मरणशील है”, ”श्याम मरणशील है”, ”मोहन मरणशील है” – इत्यादि प्रतिज्ञप्तियों का योगफल प्रतीत होती है, पर वास्तव में वह है नहीं। इसी प्रसंग में रसल ने सर्वव्यापी प्रतिज्ञप्ति को अनस्तित्व परक (non-existential) और अंशव्यापी प्रतिज्ञप्ति को अस्तित्वपरक (existential) कहा है।
  • Quasi-Conscience -- अन्तार्विवेक-कल्प
जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे सिद्धांत के विरूद्ध कर्म करता है जिसे वह सर्वोच्च नैतिक महत्तव का नहीं मानता, ऐसी स्थिति में उसके भीतर जो पीड़ा उत्पन्न होती है, उसे मैकेन्जी ने अर्न्तविवेक-कल्प की संज्ञा दी है।
  • Quasi-Numerical Quantifier -- संख्या-कल्प परिमाणक
वाक्य में प्रयुक्त ”कुछ”, ”अनेक”, ”अधिकतर” जैसे शब्द जो प्रतिज्ञप्ति के परिमाण को निश्चित संख्या के रूप में व्यक्त नहीं करते उन्हें संख्या-कल्प परिमाणक कहते हैं।
  • Quasi-Ostensive Definition -- निदर्शक-कल्प परिभाषा
वह परिभाषा जिसमें संकेत के साथ-साथ कुछ वर्णनात्मक शब्दों का भी प्रयोग होता है, जैसे : ”मेज इस तरह के फर्नीचर को कहते हैं”, जो इस आशंका के कारण किया जाता है कि श्रोता कहीं उंगली के सामने पड़नेवाली किसी अन्य वस्तु को, जैसे एक रंग-विशेष को, मेज न समझ बैठे।
  • Quasi-Substantive -- द्रव्यक कल्प, अर्द्धतात्त्विक
जॉनसन के तर्कशास्त्र में, वह शब्द जो मुख्यतः विशेषण का कार्य करता है, पर एक विशेष वाक्य में विशेष्य के रूप में प्रयुक्त हुआ हो।
  • Quaternary Relation -- चतुष्पदी संबंध
वह संबंध जो चार पदों के मध्य हो। उदाहरण : ”राम ने मोहन से गाय लेकर सोहन को दी।
  • Quaternio Terminorum -- चतुष्पद दोष
देखिए “fallacy of four terms”।
  • Queen Monad -- प्रधान चिदणु
लाइब्नित्ज़ के अनुसार, चिदणुओं की एक संहति में वह चिदणु जो सबसे अधिक विकसित होता है, से शरीर में मन या बुद्धि।
  • Question Begging Epithet -- प्रमाणापेक्ष विशेषण
ऐसा विशेषण जिसका प्रयोग किसी प्रमाण के बिना कर दिया गया हो और इसलिए जिसका प्रतिवाद किया जा सकता हो।
  • Quibbling -- वाक्छल
ऐसे तर्कों का प्रयोग जो विवाद को मुख्य विषय से हटा दे और वह महत्वहीन बातों में उलझ कर रह जाए।
  • Quiddity -- तत्व, सार
वस्तु का स्वरूप; वह जो परिभाषा में व्यक्त होता है; कॉलेस्टिक दर्शन में प्रयुक्त एक शब्द।
  • Quietism -- 1. नैष्कर्म्यवाद : सत्रहवीं शताब्दी की एक रहस्यवादी विचारधारा, जिसके अनुसार ईश्वर की कृपा से ही मुक्ति प्राप्त हो सकती है और ईश्वर का कृपा-पात्र बनने के लिए पूर्ण आत्म-समर्पण आवश्यक होता है, जो तभी संभव है जब व्यक्ति बिलकुल निष्क्रिय हो जाए। भारतीय चिंतन प्रणाली में इसे मार्जार-किशोर न्याय कहते हैं।
2. नैष्कर्ण्य : निष्क्रियता या पूर्ण शांति की अवस्था।
  • Quintessence -- 1. सारतत्व : विशुद्ध सार; सार का सबसे अधिक घनीभूत रूप।
2. पंचमतत्व : अरस्तू के दर्शन में, पाँचवाँ तत्व (पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि के अतिरिक्त), जिससे दिव्य वस्तुएँ बनी हैं।
  • Race Course Paradox -- धावन-पथ विरोधाभास
जीनो (Zeno) के सुप्रसिद्ध अकिलीज़ (Achilles) विरोधाभास की तरह का वह विरोधाभास कि एक धावन-पथ पर अ से ब तक की दौड़ पूरी करने के लिए दौड़नेवाले को उस दूरी के ½, ¾, इत्यादि अनंत खंडों को पूरा करना पड़ेगा और चूँकि अनंत खंडों की दौड़ किसी सीमित कालावधि में पूरी नहीं की जा सकती इसलिए अ से ब तक की दौड़ को पूरा करना तर्कतः असंभव है।
  • Radical Empiricism -- उत्कट इंद्रियानुभववाद
विलियम जेम्स का सिद्धांत जिसके अनुसारः (1) दार्शनिकों को वाद-विवाद केवल उन्हीं बातों पर करना चाहिए जो इंद्रियानुभव पर आधारित हों; (2) न केवल वस्तुएँ अपितु उनके संबंध भी इंद्रियानुभवगम्य होते हैं; तथा (3) बाह्य जगत् के तत्वों को जोड़ने के लिए किन्हीं मनोबाह्य या अनुभवातीत आलंबनों की आवश्यकता नहीं है।
  • Radicalism -- आमूल परिवर्तनवाद, उत्कटवाद
साधारण, पारंपरिक तथा रूढ़ि से बिल्कुल ही भिन्न बात का समर्थक अथवा बुनियादी या भौतिक सुधार या क्रान्तिकारी परिवर्तन का पक्षपाती मत।
  • Ramism -- रामूवाद
फ्रांसीसी दार्शनिक पीटर रामी (Peter Ramus, 1515-1572) का सिद्धांत, जो कि स्कॉलेस्टिकवाद और अरस्तू का विरोधी और केल्विनवाद का समर्थक था तथा तर्कशास्त्र को वादविद्या का अंग मानता था।
  • Random Sample -- यादृच्छिक नमूना, यादृच्छिक प्रतिदर्श
किसी ढेर से, कहीं से भी अर्थात् अनियमित ढंग से चुना हुआ नमूना।
  • Range -- पंक्ति, श्रेणी
सामान्य रूप से, विभिन्न संदर्भों में क्षेत्र, विस्तार, एक निश्चित सीमा के अन्दर आने-वाली वस्तुओं के वर्ग इत्यादि का सूचक शब्द। विशेषतः, संबंध के संदर्भ में ‘converse domain’ का पर्याय।
  • Rapport -- सामरस्य, तालमेल
मुख्यतः सम्मोहित व्यक्ति और सम्मोहनकर्त्ता का वह संबंध जो सम्मोहन की सफलता का मूल होता है। सामान्य रूप से, किन्हीं दो व्यक्तियों के मध्य सौहार्द या घनिष्ठता का संबंध।
  • Rapture -- भावसमाधी, परमानंद
आनंदानुभूति की वह उत्कृष्ट और रहस्यमय अवस्था जिसमें आत्मा दिव्य ज्ञान की भूमि में पहुँच जाता है।
  • Rarefaction -- विरलन
द्रव्य के घनीभूत होने के विपरीत वह अवस्था जिसमें उसके अणुओं या कणों के बीच का अवकाश बढ़ जाता है।
  • Ratiocination -- तर्कणा
अनुमानमूलक बौद्धिक प्रक्रिया।
  • Ratio Cognoscendi -- ज्ञानसाघक हेतु
वह वस्तु जिसके ज्ञान से किसी अन्य वस्तु का अस्तित्व जाना जाता है : ज्ञानसूचक हेतु जैसे धूम्र, जिसे देखकर अग्नि के होने का ज्ञान होता है।
  • Ratio Essendi -- सत्तासाधक हेतु
अस्तित्व का कारण, जैसे अग्नि जो धूम्र को उत्पन्न करती है।
  • Rationalism -- तर्कबुद्धिवाद
इंद्रियानुभववाद का विरोधी वह सिद्धांत कि ज्ञान का एकमात्र अथवा सर्वश्रेष्ठ साधन तर्कबुद्धि है और थोड़े से प्रागनुभविक या तर्कबुद्धिमूलक सिद्धांतों या संप्रत्ययों से निगमन द्वारा संपूर्ण तात्त्विक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
  • Rationalistic Intuitionism -- बुद्धिवादी अंतःप्रज्ञावाद
रिचर्ड प्राइस तथा अन्यों का वह मत कि सदसत् तथा शुभाशुभ के नैतिक प्रत्यय अंतःप्रज्ञामूलक हैं और तर्कबुद्धि इनका ज्ञान कराने वाली शक्ति है।
  • Rational Utilitarianism -- बौद्धिक उपयोगितावाद
सिजविक (Sidgwick) इत्यादि का नैतिक सिद्धांत जिसके अनुसार सुख परम शुभ है और तर्कबुद्धि शुभाशुभ, उचितानुचित के बोध का आधार है।
  • Ratio-Vitalism -- बौद्धिक प्राणतत्त्ववाद
समकालीन स्पेनी दार्शनिक ओर्टेगा (Ortega) का सिद्धांत जो प्राणतत्त्व को चरमतत्त्व मानता है और उसे स्वरूपतः बौद्धिक भी मानता है।
  • Real -- सत्, वास्तविक
काल्पनिक या संभव मात्र के विपरीत यथार्थ बाह्य जगत् में अस्तित्व रखने वाला।
  • Real Definition -- वास्तविक परिभाषा
वह परिभाषा जो जगत् में यथार्थ अस्तित्व रखने वाली किसी वस्तु के गुणार्थ को बताती है, जैसे यह परिभाषा कि ‘मनुष्य’ एक ‘विचारशील प्राणी’ है।
  • Real Essence -- वास्तिविक सारतत्त्व
जॉन लॉक के अनुसार, वस्तु की रचना का वह अज्ञेय अंश जो उसे अन्य वस्तुओं से भिन्न बनानेवाले गुणधर्मों का आधार होता है। भेद के लिए देखिए “nominal essence”।
  • Real Idealism -- यथार्थ प्रत्ययवाद
वह सिद्धांत जो ज्ञानमीमांसीय प्रत्ययवाद व तत्त्वमीमांसीय वस्तुवाद में विश्वास करता है। इस सिद्धांत के अनुसार ज्ञान का विषय आत्म-सापेक्ष होता है अर्थात् किसी आत्मा से पृथक् विषय-वस्तु की कल्पना नहीं की जा सकती। किंतु परमतत्त्व सदा आत्म-निरपेक्ष होता है। ‘जार्ज बर्कवे’ का दर्शन यथार्थ-प्रत्ययवाद का उत्तम उदाहरण है।
  • Realism -- यथार्थवाद
1. वह सिद्धांत कि सामान्यों का बाह्य जगत् में स्वतंत्र रूप से अस्तित्व होता है।
2. वह सिद्धांत कि बाह्य जगत् वास्तविक है, न कि मन की कल्पना अथवा यह कि प्रत्यक्ष की वस्तु सचमुच अस्तित्व रखती है अर्थात् उसका अस्तित्व ज्ञाननिरपेक्ष है।
  • Realistic Idealism -- यथार्थवादी प्रत्ययवाद
वह सिद्धांत कि अनाध्यात्मिक या मानसिकेतर प्रकार की सत्ताएँ भी हैं, पर उनकी स्थिति आध्यात्मिक सत्ता की अपेक्षा गौण कोटि की है।
  • Realistic Value Theory -- यथार्थवादी मूल्य-सिद्धांत
मूल्यों (सत्यता, शुभत्व इत्यादि) के अस्तित्व को ज्ञातृनिरपेक्ष माननेवाला सिद्धांत।
  • Reality -- सत्
वह तत्त्व जो सृष्टि मात्र का उपादन है।
  • Realization -- उपलब्धि, प्राप्ति, सिद्धि
किसी साध्य या लक्ष्य को प्राप्त करना या उसका बोध होना।
  • Realm Of Ends -- साध्य जगत्
कृपया देखें “kingdom of ends”।
  • Real Proposition -- वास्तविक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो उद्देश्य के बारे में ऐसी जानकारी देती है जो उसकी परिभाषा में शामिल न हो।
  • Reals -- सत्, तत्त्व
जर्मन दार्शनिक हर्बर्ट (Herbart, 1776-1841) के अनुसार, सत्ता के चरम तत्त्व जो परमाणुओं और लाइब्नित्ज़ के चिदणुओं के सदृश, गुण में समान, सरलतम, निरवयव तथा अविनाशी कल्पित किए गए हैं।
  • Reason -- 1. तर्कबुद्धि : वस्तुओं के पारस्परिक संबंधों को ग्रहण करनेवाली, अनुभवों को व्यवस्था प्रदान करनेवाली, तुलना, विश्लेषण और संश्लेषण करनेवाली, आधारवाक्यों से निष्कर्ष निकालने वाली, ज्ञात से अज्ञात और विशेषों से सामान्यों का ज्ञान करानेवाली मानसिक शक्ति।
2. हेतु : वह जो किसी निष्कर्ष, विश्वास, कथन या कर्म का तार्किक आधार होता है।
  • Reasoning -- तर्क, तर्कणा
अनुमान करने अर्थात् ज्ञात से अज्ञात के बारे में निष्कर्ष निकालने की मानसिक प्रक्रिया।
  • Rebuttal Of Dilemma -- उभयतःपाश-विखंडन
किसी उभयतःपाश के निष्कर्ष को एक प्रति-उभयतःपाश के द्वारा खण्डित करना : प्रति उभयतःपाश प्रायः मूल उभयतःपाश के अंशों को ही नए रूप में संयुक्त करके बनाया जाता है, परन्तु इस विषय में कोई बंधन नहीं है; केवल एक ऐसा उभयतःपाश चाहिए जिसका निष्कर्ष मूल के निष्कर्ष का व्याधाती हो। देखिए – “counter-dilemma”।
  • Redemption -- उद्धार
पाप से अथवा (हिन्दू और बौद्ध धर्म की मान्यता के अनुसार) कर्म के, अर्थात् पाप और पुण्य दोनी ही के, बंधन से मुक्ति।
  • Reductio Ad Absurdum -- प्रसंगापत्ति, व्याघात-प्रदर्शन, असंगति-प्रदर्शन
किसी प्रतिज्ञप्ति को यह दिखाकर सिद्ध करना कि उसके निषेध से असंगत, व्याघाती या अवांछित परिणाम उत्पन्न होते हैं।
  • Reductio Ad Impossible -- असंभवापत्ति
किसी प्रतिज्ञप्ति को सिद्ध करने के लिए यह दिखाना कि उसे असत्य मानने से असंभव परिणाम निकलते हैं।
  • Reduction -- आकृत्यंतरण, अपचयन
तर्कशास्त्र में, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ आकृतियों के किसी भी विन्यास को प्रथम आकृति के किसी विन्यास में बदलना (ऐरिस्टोटेलियन अर्थ), अथवा, अधिक विस्तृत अर्थ में, किसी भी आकृति के किसी भी विन्यास को किसी भी अन्य आकृति के किसी विन्यास में बदल देना। देखिए figure तथा mood। (यह प्रणाली विन्यास की वैधता को जाँचने में उपयोगी होती है।)
  • Reductionism -- अपचयवाद
1. संवृत्तिशास्त्र (phenomenology) का एक पारिभाषिक शब्द, जिसके अनुसार हम जीवन की पूर्व-मान्यताओं, प्राक्-कल्पनाओं से मुक्त होकर किसी वस्तु के सारतत्त्व (essences) पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हुसर्ल के अनुसार अपचय-क्रिया के तीन भेद हैं :
(i) मनोवैज्ञानिक (psychological) (ii) मूर्त्त-कल्पी (ridetic) (iii) अतीन्द्रिय (transcendental)
2. ‘ए. जे. एयर’, ‘जॉन विज्डम’ इत्यादि विश्लेषणवादियों के अनुसार किसी भौतिक वस्तु से संबंधित कथन की सार्थकता इस बात पर आधारित होती है कि उसको इंद्रिय-प्रदत्तों से संबंधित कथन में किस सीमा तक घटित किया जा सकता है।
  • Reductive Fallacy -- अपचय-दोष
किसी जटिल घटना का सरल तत्त्वों में विश्लेषण करके अथवा किसी अधिक विकसित वस्तु के साथ कुछ निम्न कोटि के तत्त्वों का अस्तित्व दिखाकर यह मान लेने का दोष कि वह उनके अतिरिक्त कुछ है ही नहीं, जैसे यह कि ध्वनि वायु के कणों के क्रमिक संघनन और विरलन के अतिरिक्त कुछ है ही नहीं।
  • Reductive Materialism -- अपचयी भौतिकवाद, अपचयी पुद्गलवाद
ब्रॉड (broad) के अनुसार, वह सिद्धांत कि भौतिक वस्तुओं का सचमुच अस्तित्व है और मन उन्हीं के स्थूल या सूक्षम् परिवर्तनों का नाम मात्र है, जैसा कि व्यवहारवाद में माना गया है।
  • Reductive Mentalism -- अपचयी मानसवाद्
ब्रॉड के अनुसार, वह सिद्धांत (जो तर्कतः संभव है, पर माना कहीं नहीं गया है) कि मन का सचमुच अस्तित्व है और भौतिकता एक ऐसी विशेषता है जिसका मानसिकता में विश्लेषण किया जा सकता है।
  • Reductive Neutralism -- अपचयी तटस्थवाद
ब्रॉड के अनुसार, वह सिद्धांत कि न भौतिकता और न मानसिकता किसी द्रव्य का गुण है, बल्कि दोनों ही एक मौलिक तटस्थ द्रव्य के विवर्त (आभास) मात्र हैं। बर्ट्रेन्ड रसल ने इसी दर्शन को तटस्थ एकतत्त्ववाद (neutral monism) की संज्ञा प्रदान की है।
  • Redundant Definition -- व्यतिरिक्त परिभाषा, अनावश्यक परिभाषा
परिभाषा का एक दोष जिसमें किसी विशेषता की अनावश्यक पुनरावृत्ति होती है।
उदाहरण : “मनुष्य एक बुद्धिमान प्राणी है जो तर्क करता है।” (टिप्पणी- तर्क करने की विशेषता “बुद्धिमान्” कहने में आ जाती है)।
  • Referend -- निर्देशक
वह जिसके द्वारा निर्देश किया जाए, अर्थात्- निर्देश क्रिया का कारण, जैसे प्रत्यक्ष जिसके द्वारा किसी वस्तु का निर्देश होता है अथवा जिसके द्वारा उसका बोध होता है। कुछ लोगों ने निर्देश के विषय के लिए भी इस शब्द का प्रयोग किया है।
  • Referent -- निर्देश्य
वह वस्तु जिसका कोई शब्द, वाक्य या कथन बोध कराता है; निर्देश-क्रिया का विषय या “कर्म”।
  • Referential Definite -- निर्देशीय निश्चायक, निर्देशीय निर्दिष्ट
जॉनसन के अनुसार, आर्टिकल “दि” या उसका कोई रूप-भेद जिसके प्रयोग में एक वस्तु विशेष की ओर संकेत निहित होता है।
  • Referential Realism -- निर्देशात्मक यथार्थवाद
लेज़र वुड (Ledger wood) के अनुसार, वह ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत कि ज्ञान में (1) ज्ञाता, (2) संवेद्य गुण और (3) उन गुणों के द्वारा निर्दिष्ट एक ‘सांवृतिक’ वस्तु जिसका कि अस्तित्व भी हो सकता है : ये तीन तत्व समाविष्ट होते हैं। (लेज़र वुड : फर्म के “ए हिस्ट्री ऑफ फिलोसोफिकल सिस्टम्स” में एक अध्याय के लेखक)।
  • Refined Egoistic Hedonism -- परिष्कृत स्वार्थमूलक सुखवाद
एपिक्यूरस का नैतिक सिद्धांत जो तर्कबुद्धि का अनुसरण करते हुए संपूर्ण जीवन को सुखमय बनाने की संस्तुति करता है और क्षणिक विषय-सुख को हितकर नहीं मानता।
  • Refined Utilitarianism -- परिष्कृत उपयोगितावाद
जे. एस. मिल का नैतिक मत जो सबके सुख को साध्य मानता है और बौद्धिक सुखों को शारीरिक सुखों से श्रेष्ठ मानते हुए सुखों में गुणात्मक अंतर को स्वीकार करता है।
  • Reflection -- 1. मनन : साधारणतः बात को समझने के लिए या स्वीकार करने से पहले शांति के साथ गहराई से सोचने-विचारने की प्रक्रिया।
2. अनुचिंतन : विशेषकर लॉक, स्पिनोजा और लाइब्नित्ज़ के दर्शन में, अंतर्निरीक्षण से मन को स्वयं अपनी क्रियाओं का होने वाला ज्ञान।
  • Reflective Morality -- मननात्मक नैतिकता
वह नैतिकता जिसका आधार चिंतन-मनन होता है, न कि रूढ़ि या कानून का अन्धानुकरण मात्र : रूढ़ियों और कानूनों में पारस्परिक विरोध के होने पर व्यक्ति को चिंतन का सहारा लेना चाहिए।
  • Reflexive Relation -- परावर्ती संबंध
ऐसा संबंध ‘स’ जिसके होने पर ‘अ स अ’ ‘स’ के क्षेत्र में समाविष्ट सभी ‘अ’ ओं के लिए सत्य होता है, जैसे पूर्ण संख्याओं का ”से अधिक बड़ा नहीं” संबंध।
  • Reformative Theory Of Punishment -- सुधारात्मक दंड सिद्धांत
वह सिद्धांत कि अपराधी या पापी को दंड देने का उद्देश्य उसको सुधारना है।
  • Refutation By Logical Analogy -- तार्किक साम्यानुमानमूलक खण्डन
किसी युक्ति का खण्डन करने का वह तरीका जिसमें सत्य आधारवाक्यों किन्तु स्पष्टतः असत्य निष्कर्षवाली एक ऐसी युक्ति का निर्माण किया जाता है जिसका आधार मूल युक्ति के तुल्य होता है।
उदाहरण : यदि मैं राष्ट्रपति होता तो मैं एक प्रसिद्ध व्यक्ति होता; मैं राष्ट्रपति नहीं हूँ, अतः मैं एक प्रसिद्ध व्यक्ति नहीं हूँ। इसका खंडन करने के लिए इस युक्ति का प्रयोग किया जा सकता है, यदि आइन्सटाइन राष्ट्रपति होते तो वे एक प्रसिद्ध व्यक्ति होते; आइन्सटाइन राष्ट्रपति नहीं हैं; अतः आइन्सटाइन एक पसिद्ध व्यक्ति नहीं हैं।
  • Regression -- शैशवावर्तन
फ्रायड के मनोविश्लेषणात्मक पद्धति की वह मानसिक प्रक्रिया जिसमें कोई प्रौढ़ व्यक्ति अपनी वर्तमान अवांछित परिस्थिति से बचने के लिए बाल-सुलभ व्यवहार करता है।
  • Regressive Train Of Reasoning -- प्रतिगामी तर्कमाला
न्यायवाक्यों की वह श्रृंखला जिसमें क्रम उत्तर-न्यायाक्य से पूर्व-न्यायवाक्य की ओर होता है, अर्थात् पहले अंतिम निष्कर्ष का कथन किया जाता है, फिर उसके साधक आधारवाक्यों का, फिर उन आधारवाक्यों के साधक आधारवाक्यों का तथा इसी प्रकार आगे भी यह प्रक्रिया जारी रहती है।
उदाहरण : राम मरणशील है;
क्योंकि सभी मनुष्य मरणशील हैं;
और राम एक मनुष्य है।
सभी मनुष्य मरणशील हैं;
क्योंकि सभी प्राणी मरणशील हैं;
और सभी मनुष्य प्राणी हैं।
  • Regressus Ad Infinitum -- अनवस्था-दोष
एक तर्कगत दोष जिसमें तर्क बिना किसी संतोषजनक परिणाम पर पहुँचे लगातार अनंत तक चलता रहता है – इसमें समस्या को टाला जाता है, उसका समाधान नहीं होता। इसी अनवस्था दोष से बचने के लिए ईश्वर को सृष्टि का आदिकारण माना जाता है।
  • Regularity Theory -- नियमितता- सिद्धांत
ह्यूम् द्वारा स्थापित एक सिद्धांत जो कारणता को दो घटनाओं के नियमित आनन्तर्य की आवृत्ति मात्र मानता है।
  • Regulative Principles -- नियामक तत्त्व
विशेषतः कांट के दर्शन में, प्रज्ञा के विज्ञानों के लिए प्रयुक्त, जो अनुभव या ज्ञान के अंग न होकर उसे तंत्रबद्ध करने के लिए आदर्श का काम करते हैं। ऐसे तीन विज्ञान माने गए है, आत्मा, जगत् और ईश्वर।
  • Regulative Science -- नियामक विज्ञान
वह विज्ञान जो नियामक (व्यवहार का नियमन करने वाले) नियमों का अध्ययन करता है, जैसे नीतिशास्त्र, तर्कशास्त्र एवमं सौंदर्य शास्त्र।
  • Reification -- वस्तुकरण, पदार्थीकरण
अवस्तु को वस्तु बना देना; जो केवल मन या विचार में अस्तित्व रखता है उसे एक वास्तविक वस्तु मान बैठना; अमूर्त में मूर्तत्व का आरोप कर देना। प्लेटो का विज्ञानवाद इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।
  • Reincarnation -- पुनर्जन्म
आत्मा का मृत्यु के पश्चात् पुनः देह धारण करना, अनेक धर्मों में, मुख्यतः हिन्दू धर्म में, यह विश्वास प्रचलित है।
  • Relational Predicate -- संबंधात्मक विधेय
वह विधेय जिसका आधार कोई संबंध हो, जैसे “राम श्याम का मित्र है” में “श्याम का मित्र”।
  • Relational Proposition -- संबंधात्मक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जो दो या अधिक वस्तुओं के मध्य कोई संबंध बताती है, जैसे ” अ, ब से बड़ा है।”
  • Relational Theory Of Mind -- मन का संबंधात्मक सिद्धांत
मन के स्वरूप के बारे में यह सिद्धांत कि वह तटस्थ वस्तुओं (वे जो न मानसिक हैं और न भौतिक) के बीच का संबंध है।
  • Relationism -- संबंधवाद
जर्मन समाजशास्त्री कार्ल मानहाइम (Karl Mannheim, 1893-1947) का वह सिद्धांत कि मानवीय चिंतन का संबंध एक विशिष्ट सामाजिक-ऐतिहासिक परिस्थिति से उत्पन्न होता है।
  • Relative Frequency Theory -- सापेक्ष-आवृत्ति-सिद्धांत
एक सिद्धांत जिसके अनुसार प्रसंभाव्यता एक वर्ग के सदस्यों में एक विशिष्ट गुणधर्म के प्रकट होने की सापेक्ष आवृत्ति है : यदि एक हजार ऐसे युवकों में जो 25 वर्ष के है, 963 ऐसे निकलते है जो छब्बीसवें वर्ष में पहुँचते हैं, तो इस वर्ग में इस विशेषता की सापेक्ष आवृत्ति 963/1000 है।
  • Relative Personal Equation -- सापेक्ष वैयक्तिक समीकरण
विभिन्न व्यक्तियों के द्वारा किसी घटना के जो प्रेक्षण किए जाते हैं उनमें उनकी निजी विशेषताओं के कारण आने वाला अंतर, विशेषतः उस अंतर का सांख्यिकीय मूल्य।
  • Relative Term -- सापेक्ष पद
वह पद जिसके अर्थ में कोई संबंध निहित होता है अथवा जिसमें अनिवार्य रूप से किसी अन्य वस्तु की ओर संकेत रहता है, जैसे, पिता, पुत्र, स्वामी इत्यादि।
  • Relative Value -- सापेक्ष मूल्य
देश, काल, समाज और परिस्थिति की आवश्यकताओं पर आश्रित मूल्य।
  • Relativism -- सापेक्षवाद
सत्य, ज्ञान और मूल्यों को व्यक्ति, समाज और काल के अनुसार परिवर्तनशील माना जाने वाला सिद्धांत।
  • Relativistic Positivism -- सापेक्ष प्रत्यक्षवाद, सापेक्ष भाववाद
जर्मन दार्शनिक जोज़ेफ पेटसोल्ट (Joseph Petzoldt 1862-1929) का दार्शनिक सिद्धांत जो द्रव्यों के अस्तित्व का निषेध करता है और उन्हें संवेद्यगुणों के सापेक्ष रूप से स्थिर समुच्चय मात्र मानता है।
  • Relatum -- संबंधी
परस्पर संबंध रखने वाली वस्तुओं (या पदों) में से एक।
  • Religion -- धर्म
सामान्य रूप से, शाश्वत अतिप्राकृतिक सत्ताओं, शाश्वत जीवन और शास्वत मूल्यों में विश्वास, नैतिक व्यवस्था का भौतिक व्यवस्था के ऊपर आधिपत्य मानना तथा तदनुरूप आचार-व्यवहार।
  • Religious A Priori -- धार्मिक प्रागनुभविक
मानवीय चेतना की एक सहज विशेषता जिसके द्वारा वह दिव्य सत्ता की उपस्थिति का अनुभव निरपेक्ष रूप से अंतःप्रज्ञा द्वारा बोध कराती है।
  • Religious Sanction -- धार्मिक अनुशास्ति
ईश्वर और नरक इत्यादि का भय जो मनुष्य को जो कि स्वभावतः स्वार्थ की ओर प्रवृत्त होता है, परार्थोन्मुख तथा नीतिपरायण बनाता है।
  • Religious Values -- धार्मिक मूल्य
मनुष्य की गहन आध्यात्मिक आवश्यकताओं को संतुष्ट करने वाली अवधारणाएँ। जैसे : ईश्वर-प्रेम, भक्ति प्रपत्ति इत्यादि।
  • Remainder Class -- शेष-वर्ग
यदि क कोई वस्तु है तो उसकी तुलना में उन वस्तुओं का वर्ग जो क नहीं हैं।
  • Remorse -- अनुताप
अतीत में किए हुए पाप-कर्मों (जैसे, दूसरों को क्षति पहुँचाना) के प्रति तीव्र दुःख की अनुभूति।
  • Remote Genus -- विप्रकृष्ट जाति, दूरस्थ जाति
तार्किक विभाजन में, वह वर्ग जो प्रश्नाधीन वर्ग (उपजाति) की तुलना में अधिक व्यापक होता है, परन्तु उसके आसन्न न होकर सुदूर होता है, जैसे पॉरफीरी के प्रसिद्ध विभाजन में “मनुष्य” की तुलना में “द्रव्य”।
  • Remote Intention -- व्यवहित अभिप्राय, परोक्ष अभिप्राय
मैकेंज़ी के अनुसार, वह अभिप्राय जो तात्कालिक न हो। मान लीजिए कि आपके सामने एक अपराधी जिसे पुलिस लिए जा रही है नदी में कूद पड़ता है और आप तथा पुलिसवाले उसके पीछे कूद पड़ते हैं। दोनों का तात्कालिक अभिप्राय उसे बाहर निकालना है, लेकिन आपका “दूरस्थ अभिप्राय” एक जीवन को बचाना है जब कि पुलिस का उसे अदालत में दंड दिलाने के लिए (जो मृत्यु दंड भी हो सकता है) सुरक्षित रखना है।
  • Renaissance -- पुनर्जागरण
सामान्यतः बौद्धिक जागृति और उसका युग विशेषतः पंद्रहवीं और सोलहवीं शताब्दी का एक सांस्कृतिक आंदोलन जो इटली में प्रारंभ हुआ और पूरे यूरोप में फैल गया था तथा जिसके कारण अतीत में रूचि जाग्रत हुई, मध्य युग की धर्मप्रधान चिंतनपद्धति से मुक्ति मिली, साहित्य, कला और दर्शन के क्षेत्रें में अभूतपूर्व उत्कर्ष हुआ तथा विज्ञान का उन्मेष हुआ।
  • Renunciation -- त्याग, संन्यास
उच्चतर आध्यात्मिक लक्ष्य (जैसे, मोक्ष) की सिद्धि के लिए सांसारिक इच्छाओं, वस्तुओं, महत्वाकांक्षाओं इत्यादि के प्रति विरक्ति।
  • Repentence -- पश्चाताप
अपने किए हुए पाप कर्मों के प्रति दुःख की अनुभूति तथा साथ ही भविष्य में कुमार्ग का पूर्णतः त्याग और केवल सन्मार्ग का ही अनुसरण करने का संकल्प।
  • Reportive Definition -- प्रतिवेधक परिभाषा
किसी शब्द की वह परिभाषा जो यह बताती है कि लोग किस अर्थ में उसका प्रयोग करते हैं।
  • Representational Occurrence -- प्रतिनिधानात्मक घटना
बर्ट्रेन्ड रसल के अनुसार, शरीर में घटनेवाली कोई भी ऐसी घटना (जैसे, लाल का संवेदन) जो बाहर किसी वस्तु के अस्तित्व का निर्देश करती है।
  • Representationism -- प्रतिनिधानवाद
ज्ञानमीमांसा में, वह सिद्धांत कि हमारे मन में बाह्य वस्तुओं का प्रतिनिधित्व उनके प्रत्यय करते हैं जो उनकी प्रतिलिपियाँ हैं, और हमें अपरोक्ष रूप से इन्हीं का ज्ञान होता है, न कि बाह्य वस्तुओं का, क्योंकि वे वास्तव में अनुमानगम्य हैं।
  • Representative Fictions -- प्रतिरूप कल्पितार्थ
तर्कशास्त्री बेन के अनुसार, पिंडों की सूक्ष्म संरचनाओं और क्रियाओं के बारे में की गई वे प्राक्कल्पनाएँ जिन्हें सीधे उपायों से कदापि प्रमाणित नहीं किया जा सकता, परन्तु जो इसके बावजूद घटनाओं की व्याख्या में सहायक होती हैं।
  • Representative Realism -- प्रतिनिधानात्मक यथार्थवाद
एक ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत जो बाह्य जगत् के अस्तित्व को वास्तविक मानता है परन्तु उसके ज्ञान को प्रतिनिधि सदृश प्रत्ययों के माध्यम से ही संभव मानता है।
  • Repression -- दमन
फ्रायड के मनोविश्लेषण की एक अवधारणा, जिसके अनुसार चेतन मनस् के विचार या इच्छाएँ अचेतन मनस् के स्तर पर दबा दी जाती हैं।
  • Reprobation -- शाश्वत-नरक-दंड
कैल्विन के सिद्धांत के अनुसार, जिन जीवों को ईश्वर ने शाश्वत स्वर्गीय जीवन के लिए नहीं चुना है उन्हें दिया गया शाश्वत नरक निवास का दंड।
  • Res Cogitans -- चिद्द्रव्य, मनस्
देकार्त के अनुसार द्रव्य का वह प्रकार जो सोच सकता है। इसको मनोद्रव्य, चित्द्रव्य भी कहा जाता है।
  • Res Extensa -- अचित् द्रव्य, विस्तृत द्रव्य
देकार्त के दर्शन में द्रव्य का वह प्रकार जो दिक् में प्रसारित रहता है।
  • Residues Method -- अवशेष विधि
मिल की एक आगमनात्मक विधि जिसमें अवशिष्ट कार्य से कारण का अनुमान किया जाता है।
  • Resonance -- अनुनाद
विकास की प्रक्रिया में समग्र दर्शन का वह प्रत्यय जो आरोहण की व्याख्या करता है। (श्री अरविंद दर्शन में)
  • Restorationism -- पुनःस्थापनवाद
कुछ ईसाई धर्मावलंबियों का यह विश्वास कि अंत में सभी बाधाओं के दूर हो जाने पर सबको मुक्ति मिल जाएगी और सबको ईश्वर का प्रसाद और सान्निध्य प्राप्त होगा।
  • Resurrection -- पुनरूज्जीवन, पुनरूत्थान
ईसाई मत में वह विश्वास जिसके अनुसार ईसा मसीह अपनी कब्र से पुनः सशरीर जीवित हो गये थे।
  • Retributive Theory Of Punishment -- दण्ड का प्रतिकारात्मक सिद्धांत
दण्ड का वह सिद्धांत जिसके अनुसार कर्ता को उसके द्वारा किये गये कृत्य के अनुरूप ही दण्ड दिया जाना चाहिए।
  • Return-Eternal -- शाश्वत प्रत्यागमन
1. वह विश्वास जिसके अनुसार ब्रह्माण्ड में सभी घटनाएँ (क) असंख्य बार उसी क्रम से घटित होती रही हैं और (ख) भविष्य में भी उसी तरह असंख्य बार घटित होती रहेंगी।
2. ब्रह्माण्ड में ऋतुओं, दिन और रात, जन्म और मरण आदि के चक्र।
3. अव्यवस्था से अनंत रूपेण सुव्यवस्था का आविर्भाव।
  • Revealed Religion -- श्रुत-धर्म, इलहामी-धर्म
धर्म विषयक वह अवधारणा जिसके अनुसार वास्तविक धर्म मानव बुद्धि से परे किसी दैवी प्रकाशन का परिणाम है। उक्त प्रकाशना, ऋषियों एवं पैगम्बरों आदि के दिव्य अनुभवों में आती है। जिसमें प्रधानता मानव पुरूषार्थ की न होकर दैवी चयन की होती है, यथा-श्रुति।
  • Revealed Theology -- प्रकटित ईश्वरमीमांसा
धर्म मीमांसा में वह सिद्धांत जिसके अनुसार ईश्वर विज्ञान मानव रचित न होकर दैवीय रूप से उद्धघाटित है।
  • Revelation -- इलहाम, श्रुति (वैदिक संदर्भ में)
किसी चमत्कार, अलौकिक साक्षात्कार अथवा, दिव्य दर्शन आदि के माध्यम से होनेवाला ईश्वरीय इच्छा का या दिव्य तत्त्व का ज्ञान : विभिन्न धर्मों ने अपने आधारभूत ग्रन्थों (बाइबिल, कुरान इत्यादि) को इस कोटि का ज्ञान माना है।
  • Revelatory Definition -- ज्ञापक परिभाषा
एस. एफ. बार्कर (“दि एलीमेन्ट्स ऑफ लॉजिक” के लेखक) द्वारा ऐसी परिभाषा के लिए प्रयुक्त पद जो न तो शब्द के भाषा में पहले से प्रचलित अर्थ को बताती है और न वक्ता के द्वारा उसे दिया हुआ कोई नया अर्थ बताती है, बल्कि उसके द्वारा व्यक्त वस्तु की किसी ऐसी विशेषता की ओर ध्यान खींचती है जिसे वक्ता विशेष महत्त्व की समझता है, जैसे, “स्थापत्य” की यह परिभाषा कि वह “हिमीभूत संगीत” है।
  • Reverence -- श्रद्धा
धार्मिक संदर्भ में ईश्वर, देवी-देवता व आप्त पुरूषों के प्रति आदर और विश्वास का सूचक, एक भाषा विशेष। कांट के दर्शन में नैतिक नियम के प्रति एक मानवीय भाव।
  • Revisionism -- संशोधनवाद
विशेषतः एक आंदोलन जो मूल मार्क्सीय समाजवाद में किन्हीं बातों में शोधन करवाने के लिए (जैसे, क्रांति के प्रत्यय को मूल कार्यक्रम से हटवाने के लिए) कुछ समाजवादी क्षेत्रों में चल पड़ा है।
  • Revivalism -- पुनरूद्धारवाद, पुनरूत्थानवाद
अतीत की अथवा ऐसी बातों को जो कालान्तर में अनुपयोगी समझकर छोड़ दी गई है, पुनः चलाने का प्रयत्न अथवा इसकी प्रवृत्ति।
  • Ridiculous Hypothesis -- हास्यास्पद प्राक्कल्पना
ऐसी प्राक्कल्पना जो तथ्यों की हास्यास्पद व्याख्या प्रस्तुत करे, जैसे पृथ्वी शेषनाग के फण के ऊपर स्थित है।
  • Right -- 1. अधिकार : वह वस्तु जिसका कोई नैतिक या कानूनी रूप में दावा कर सकता है, समाज के द्वारा स्वीकृत दावा। (स.)
2. उचित, सत् : किसी नैतिक मानक या सिद्धांत के अनुसार (कर्म इत्यादि)। (वि.)
  • Righteousness -- धर्मपरायणता, नीतिपरायणता
मनुष्य की स्वभावगत, वह श्रेष्ठ विशिष्टता जिसके फलस्वरूप, वह जीवन में नीति और धर्म का आचरण करता है।
  • Rigorism -- कठोरतावाद, निग्रहवाद
वह मत कि नियम का आचरण में कठोरता से पालन किया जाना चाहिए, उसमें कोई शैथिल्य या अपवाद नहीं आने देना चाहिए, अथवा नैसर्गिक इच्छाओं, प्रवृत्तियों और भावनाओं का निग्रह करना चाहिए।
  • Rite -- कर्मकांड
परंपरागत रूप से स्वीकृत कर्मानुष्ठान। यथा चूड़ाकर्म आदि।
  • Ritualism -- कर्मकांडवाद, धर्मविधि
1. विभिन्न धर्मों की वह मान्य संहिता, जो उक्त धर्म के बाह्य पक्ष को नियंत्रित और निर्देशित करती है।
2. कतिपय धर्मों (जैसे मीमांसा) की वह मान्यता, जिसके अनुसार शास्त्र प्रतिपादित/निषिद्ध कर्मों के फलस्वरूप ही सुख, स्वर्ग अथवा नरक प्राप्त होते हैं।
  • Romanticism -- रूमानीवाद
हेगेल के पश्चात फ्रांसीसी दर्शन की एक विधा। इस दर्शन में संस्थागत नियम आदि की कट्टरता के विपरीत, मानवीय संवेदनाओं एवं इच्छाओं पर बल दिया गया है।
  • Rule Of Faith -- आस्था-व्यवस्था
आस्था का वह स्वरूप जिसके अनुसार धर्म विषयक शब्द आप्त कोटि के स्वीकार किये जाते हैं, एवम् नास्तिकता की प्रवृति को हतोत्साहित किया जाता है।
  • Rule-Utilitarianism -- नियम-उपयोगितावाद
उपयोगितावाद का एक प्रकार जो प्रत्येक अलग-अलग कर्म के परिणामों पर विचार न करके कर्म के प्रकार, अथवा इस तरह के सामान्य नियम के, जैसे “वचन का पालन करो” के, परिणामों पर विचार करके उसके औचित्य या अनौचित्य का निर्णय करता है। दूसरे प्रकार की जानकारी के लिए देखिए – “act-utilitarianism”।
  • Sage -- ऋषि
भारतीय परंपरा में साधना की दृष्टि से समुन्नत वह व्यक्ति जो आध्यात्मिक जीवन में सहज स्थित हो चुका है।
  • Saint -- संत, साधु
नैतिक एवम् आध्यात्मिक दृष्टि से प्रबुद्ध, वह धर्मात्मा जो जीवन के अलौकिक पक्ष का अधिकारी है।
  • Saintliness -- साधुता
वे सहज गुण जो एक संत में स्वाभाविक रूप से विद्यमान होते हैं तथा उसके जीवन एवम् आचरण में प्रतिबिम्बित होते हैं।
  • Salvation -- मुक्ति, मोक्ष
पाप या कर्म के फल से, जिसकी शाश्वत नरक-दंड, सांसारिक बंधन, जन्म-मृत्यु के अविच्छिन्न चक्र इत्यादि के रूप में कल्पना की गई है, सदा के लिए छुटकारा,जिसे सभी धर्मों ने अपना लक्ष्य बनाया है, हालाँकि उसके स्वरूप और उपायों के बारे में उनमें मतभेद है।
  • Sanction -- अनुशास्ति
व्यक्ति को नैतिक आचरण के लिए प्रोत्साहित करने वाला सामाजिक सम्मान इत्यादि के रूप में प्राप्त पुरस्कार अथवा कर्तव्य के उल्लंघन या कदाचरण के लिए समाज के कानून द्वारा या प्रकृति या ईश्वर के द्वारा दिए जाने-वाले दंड का भय।
  • Saviour -- त्राता
धार्मिक दृष्टिकोण से वह देवता अथवा अवतारी पुरूष जो भक्तजनों, सज्जनों और जीव मात्र के रक्षक हों।
  • Scepticism (=Skepticism) -- संशयवाद
वह मत कि पूर्ण, असंदिग्ध या विश्वसनीय ज्ञान की प्राप्ति असंभव है, अथवा किसी क्षेत्र-विशेष में (तत्वमीमांसीय, नीतिशास्त्रीय, धार्मिक इत्यादि) या साधन-विशेष (तर्कबुद्धि, प्रत्यक्ष, अंतःप्रज्ञा इत्यादि) से ऐसा ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता।
  • Schema -- आकार, साँचा
1. पारंपरिक तर्कशास्त्र में सांतरानुमान के आकार।
2. सत्ता मीमांसा में हमारे अनुभवों पर उन आकारों का प्रयोग जिनसे वस्तुओं का ज्ञान होता है।
3. ज्ञान मीमांसा में उन अवधारणाओं का उपयोग, जिनसे हमारे अनुभव के विषय सुसंबद्ध और आकारित होते हैं।
  • Schism -- मत विभाजन, मतभेद, पृथकता
1. किसी समुदाय अथवा संस्था में मत का विभाजन जिससे उपवर्ग और पृथकता की संभावना होती है।
2. उपवर्ग का यथार्थ पृथकत्व।
  • Scholasticism -- पांडित्यवाद, स्कॉलेस्टिकवाद
एक वैचारिक आन्दोलन या चिंतन पद्धति जिसका पश्चिमी यूरोप में नवीं शताब्दी के बाद से सत्रहवीं शताब्दी के पहले तक प्रभाव रहा। इसमें ईसाई धार्मिक सिद्धांतों का प्राधान्य रहा और उन्हीं की सीमाओं के अंदर रहते हुए दार्शनिक समस्याओं का समाधान खोजा गया।
  • Scientific Classification -- वैज्ञानिक वर्गीकरण
वस्तुओं को उनकी आवश्यक और मौलिक समानताओं के आधार पर एकाधिक समूहों में रखना, जैसे, प्राणिविज्ञान में, प्राणियों को कशेरूकी और अकशेरूकी नामक समूहों में रखना। इसे ‘प्राकृतिक वर्गीकरण’ भी कहते हैं।
  • Scientific Empiricism -- वैज्ञानिक इंद्रियानुभववाद
एक दार्शनिक आन्दोलन जिसका तार्किक प्रत्यक्षवाद से प्रादुभार्व हुआ, परन्तु जिसमें कुछ अन्य संप्रदाय और व्यक्ति भी शामिल हैं। इसे ‘विज्ञान की एकता का आंदोलन’ भी कहा जाता है। इसका तार्किक प्रत्यक्षवाद से पूर्ण मतैक्य है। परन्तु यहाँ विज्ञान की एकता के ऊपर बल दिया गया है। यह विज्ञान की भाषा में तार्किक एकता मानता है : विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के संप्रत्यय मूलतः भिन्न प्रकार के नहीं हैं बल्कि एक तंत्र में संगठित हैं। इसका एक व्यावहारिक उद्देश्य विभिन्न विज्ञानों में प्रयुक्त शब्दावलियों में और अधिक सामंजस्य स्थापित करना है तथा विज्ञान का इस प्रकार विकास करना इसका लक्ष्य है कि भविष्य में परस्पर संबंद्ध आधारभूत नियमों का एक तंत्र प्राप्त हो सके, जिससे विभिन्न विज्ञानों के विशेष नियम निगमित किए जा सकें।
  • Scientific Explanation -- वैज्ञानिक व्याख्या
लोकप्रसिद्ध व्याख्या के विपरीत वह व्याख्या जो तथ्यों को नियमों के अंतर्गत तथा नियमों को और अधिक व्यापक और आधारभूत नियमों के अंतर्गत लाती है तथा अलौकिक बातों का आश्रय नहीं लेती।
  • Scientific Hypothesis -- वैज्ञानिक प्राक्कल्पना
देखिए – “legitimate hypothesis”।
  • Scientific Induction -- वैज्ञानिक आगमन
वह आगमन जिसमें प्रकृति की एकरूपता और कारण-नियम में विश्वास रखते हुए घटनाओं के प्रेक्षण और प्रयोग के द्वारा कोई वास्तविक सर्वव्यापी प्रतिज्ञप्ति स्थापित की जाती है। यदि कारण-नियम और प्रयोग का आश्रय न लिया जाये तो आगमन अवैज्ञानिक माना जाता है।
  • Scientific Method -- वैज्ञानिक विधि
अनुभवात्मक प्रायोगिक तर्कगणितीय अवधारणात्मक व्यवस्था, जिससे सिद्धांतों और अनुमानों के एक साँचे में तथ्यों को व्यवस्थित और सुसंबद्ध किया जाता है। वैज्ञानिक विधि की मान्यता है कि प्रत्येक कार्य का एक निश्चित कारण होता है और कारण में अनुभवात्मक ज्ञान से कार्य का निगमन या उसकी भविष्यवाणी की जाती है। वैज्ञानिक विधि एक तदर्थ प्राक्कल्पना से प्रारम्भ होती है, जो किसी घटना की व्याख्या करती है।
  • Scientism -- विज्ञानपरता
कुछ विचारकों, विशेषतः मैश (Mach) इत्यादि प्रत्यक्षवादियों का, विज्ञान, उसकी प्रणालियों, उसकी भाषा तथा वैज्ञानिकों की ओर अत्याधिक झुकाव और फलतः उनका यह विश्वास कि प्राकृतिक विज्ञानों की अनुसंधान-प्रणाली सामाजिक विज्ञानों तथा दर्शन में भी अनुसरणीय है।
  • Secondary -- गौण
वह गुण या तत्व जो स्वतंत्र न होकर मुख्य तत्व पर निर्भर हों।
  • Secondary Qualities -- गौण गुण, द्वितीयक गुण
जॉन लॉक के अनुसार, वस्तुओं के प्रतीत होने वाले वे गुण जो उनमें वस्तुतः नहीं होते बल्कि ज्ञाता के मन में वस्तु के प्राथमिक गुणों के कारण उत्पन्न होते हैं। ऐसे गुण हैं, रंग, ध्वनि, गंध, स्पर्श तथा स्वाद। मनुष्य की चेतना में ये विभिन्न रूपों में प्रस्तुत होते हैं तथा परिवर्तनशील होते हैं।
  • Secular -- पार्थिव, लौकिक, ऐहिक
धार्मिकता, दिव्यता और अलौकिकता का निषेधात्मक प्रत्यय।
  • Secularism -- ऐहिकता
इस मत के अनुसार राज्य और धर्म का कार्य क्षेत्र भिन्न है और राज्य को धर्म में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। भारतीय संदर्भ में इसको सर्वधर्मसमभाव के रूप में लेते हैं।
  • Selective Realism -- वरणात्मक यथार्थवाद
अमेरिका के समसामयिक नव्य-यथार्थवादियों का वह मत कि जैसे यथार्थ प्रत्यक्ष में वैसे ही भ्रम में भी कोई वस्तु मानसिक या विषयिगत नहीं होती, बल्कि वास्तविक होती है; अंतर केवल यह होता है कि वस्तु के गुणों में से कुछ का ही मस्तिष्क या तंत्रिकातंत्र ने चुनाव किया होता है।
  • Selective Subjectivism -- वरणात्मक विषयिनिष्ठवाद
प्रसिद्ध वैज्ञानिक एडिंगटन (1882-1944) का ज्ञानमीमांसीय मत, जिसके अनुसार प्रत्यक्ष में हमें अपनी चेतना के ही कुछ तत्वों (प्रदत्तों) का ज्ञान होता है, परन्तु इन तत्वों के बाह्य जगत् में स्थित वस्तुओं के समान होने का दावा नहीं किया जा सकता। एडिंगटन ने यह माना है कि जिस प्रकार जाल केवल उन मछलियों को पकड़ सकता है जिनका आकार उसके छेदों से बड़ा होता है उसी प्रकार हमारी इंद्रियाँ केवल कुछ चुने हुए प्रदत्तों को ही ग्रहण कर सकती हैं।
  • Selective Theory (Of Sensa) -- (संवित्तों का) वरण-सिद्धांत
वह यथार्थवादी सिद्धांत कि संवेद्यों का संवेदन की क्रिया से पूर्व अस्तित्व होता है, और इसलिए मन का कार्य सर्जनात्मक नहीं बल्कि वरणात्मक होता है।
  • Self -- आत्मा
अनुभव या चेतना में कर्ता (विषयी या अहम्) के रूप में तथा आत्म-चेतना में कर्ता और कर्म के तादात्म्य के रूप में विद्यमान तत्व, जिसे प्रायः शरीर से स्वतंत्र अस्तित्व रखने वाली, परिवर्तन के मध्य अपरिवर्तित बनी रहने वाली, एक अभौतिक सत्ता के रूप में कल्पित किया गया है।
  • Self-Alienation -- आत्म-परकीयन
वह स्थिति जिसमें व्यक्ति स्वयं को अपने ही परिवेश में अज़नबी अनुभव करता है।
  • Self-Conscious -- आत्मचेतन
देखिये “self-consciousness”।
  • Self-Consciousness -- आत्मचेतना
चेतना की वह अवस्था जिसमें ज्ञाता, ज्ञान और ज्ञेय एक रूप होते हैं और चेतना स्वयं केन्द्रबिन्दु होती है।
  • Self-Contradiction -- आत्म-व्याघात
एक तार्किक गुण जो उस कथन में विद्यमान होता है जिसके उद्देश्य और विधेय परस्पर निषेधक हों, ऐसी प्रतिज्ञप्ति प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में सदैव असत्य होती है।
  • Self-Determinism -- आत्मनियतत्त्ववाद, आत्मनिर्धारणवाद
एक मत जिसके अनुसार कर्म स्वयं कर्ता के चरित्र या आंतरिक स्वभाव द्वारा निर्धारित होते हैं। यह मत नियतत्ववाद और अनियतत्ववाद का समन्वय करता है : नियतत्ववाद मनुष्य के संकल्प को बाह्य कारणों के द्वारा निर्धारित मानता है जबकि अनियतत्ववाद उसे किसी भी कारण द्वारा निर्धारित नहीं मानता, और ये दोनों ही कोटियाँ नैतिक दायित्व की समस्या को नहीं सुलझा पातीं।
  • Self-Evidence -- स्वतः प्रमाण
ऐसी प्रतिज्ञप्ति की विशेषता जिसकी सत्यता स्वतः प्रकट होती है और इसलिए जिसे किसी बाहरी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती।
  • Self-Evident -- स्वतःसिद्ध, स्वयं सिद्ध
एक विशेषण जो उन कथनों या प्रतिज्ञप्तियों पर लागू होता है जिन्हें प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती और जो अन्य प्रमाणों के आधार बनते हैं।
  • Self-Existence -- आत्म-अस्तित्व
ऐसा अस्तित्व जो स्वयं के लिए किसी अन्य अस्तित्व की अपेक्षा नहीं रखता।
  • Self-Identity -- आत्म-तादात्म्य
स्वयं अपने निज रूप के साथ अभिन्नता अथवा तद्रूपता का बोधक या अभिव्यंजक।
  • Self-Love -- आत्म प्रेम
आत्म कल्याण की सहज प्रवृति, मनुष्य के प्रत्येक कार्य की प्रेरणा (हॉब्स, स्पिनोजा)।
  • Self-Perfection -- आत्म पूर्णता
1. वह नैतिक सिद्धांत जिसके अनुसार नैतिकता का मानदंड पूर्णता है।
2. उक्त पूर्णता विभिन्न स्तरीय मूल्यों एवं आदर्शों की समन्वयात्मक परिणति है।
  • Self-Preservation -- आत्मसंरक्षण
अपने को सुरक्षित रखने की प्राणि मात्र में विद्यमान मूल प्रवृत्ति (डार्विन); विकासवादी नीतिशास्त्र में नैतिकता का एक मानदंड।
  • Self-Realization -- आत्मोपलब्धि, आत्मसिद्धि
आत्मा की शक्तियों का अथवा व्यक्तित्व का ऐसा सर्वांगीण विकास जिसमें जैव, आध्यात्मिक, व्यक्तिगत, सामाजिक और बौद्धिक इत्यादि सभी मूल्यों का समन्वय हो; इसे “आधुनिक प्रत्ययवादियों” (ग्रीन, ब्रेडले इत्यादि) ने नैतिकता का सर्वोच्च लक्ष्य माना है।
  • Self-Transcendence -- आत्मातिक्रम, आत्मानुभवातीत
आत्मा विचार, चेतना या मनस् का अपनी वस्तुस्थिति से ऊपर उठना।
  • Self-Transcendent -- आत्मातिक्रामी, आत्म-इंद्रियातीत
देखिये “self-transcendence”।
  • Semantical Naturalism -- शब्दार्थक प्रकृतिवाद
वह मत जिसके अनुसार शब्द और अर्थ का संबंध प्राकृतिक होता है न कि मानव रचित। यह मत पूर्वमीमांसा में प्रचलित है। साथ ही यूनानी दर्शन में पाइथागोरस का भी ऐसा ही अभिमत है।
  • Semantical Rules -- अर्थविज्ञान नियम
एक अतिभाषायिक नियम जो प्रतीकों (शब्द, अभिव्यक्ति) के अर्थ के विषय पर लागू होता है।
  • Semantics -- शब्दार्थ विज्ञान
वह अध्ययन जिसमें (1) प्रतीकों के अर्थ और वे (अर्थ) कैसे बदलते हैं (2) प्रतीकों के प्रकार (चिह्न, हावभाव, शब्द) और वाणी के आकार, जिनका प्रयोग अर्थ सम्प्रेषण में होना है।
(3) इन प्रतीकों के परस्पर संबंध और (4) मानव व्यवहार पर उनका प्रभाव।
  • Semantics-Formal -- आकारिक अर्थविज्ञान
किसी सिद्धांत और उसको बनाने वाले, तार्किक कलन के बीच के संबंध और तर्कशास्त्र के वाक्य-विन्यासीय तथा अर्थविज्ञानिय स्तरों के परस्पर संबंध का अध्ययन।
  • Semantics-Pure -- शुद्ध अर्थविज्ञान
आकारिक या कृत्रिम भाषाओं का विश्लेषण।
  • Semasiology -- शब्दार्थ-संदर्भ-विज्ञान
शब्दों के अर्थ, अर्थों के विकास तथा शब्दार्थ संदर्भों का विज्ञान।
  • Seminal Reasons -- मूलतर्क, बीजतर्क
बौद्धिक वीर्य, बीज, समस्त ब्रह्माण्ड में विकीर्ण धातु, उत्पत्ति, विकास और सभी वस्तुओं के परिवर्तन का कारण। (स्टोइक)
  • Semiosis -- प्रतीकशास्त्र (संकेत-प्रक्रिया)
प्रतीकों के प्रयोग, उनके अर्थ-विधान, निर्देश्य तथा प्रयोगकर्ता पर उनके प्रभाव आदि का अध्ययन।
  • Semiotics -- संकेत विज्ञान, प्रतीक विज्ञान
विज्ञान की वह शाखा जिसमें (1) प्रतीकों के स्वरूप और प्रकार (2) उनके अर्थ, (3) उनके प्रयोग (4) उनके अभीष्ट प्रभाव और अर्थ सम्प्रेषण की विधि का अध्ययन होता है।
  • Semi-Pelagianism -- अर्ध-पेलागियावाद
ईसाई मत में एक आंदोलन जो पूर्णनियतिवाद और पूर्ण स्वच्छन्दतावाद के मध्य मार्ग की खोज में लगा। उसके अनुसार मुक्ति दैवीय प्रसाद और मानवीय संकल्प से ही प्राप्त होती है।
  • Semisentence -- ईषद्वाक्य
ऐसा वाक्य जिसमें प्रयुक्त कोई शब्द किसी विशेष परिस्थिति में उपयुक्त लगे किन्तु सामान्यतः जो कोटि-दोष के कारण अटपटा हो, जैसे “केतली खौल रही है।”
  • Sempiternal -- शाश्वत
अनादि और अनंत।
  • Sensation -- संवेदन
अव्यवहित और साक्षात् बाह्य या आन्तरिक उद्दीपकों के द्वारा ज्ञानेन्द्रिय के उद्दीपन से उत्पन्न अव्यवहित मानसिक अनुभूति।
  • Sensationalism -- संवेदनवाद
इंद्रियानुभववाद का एक रूप जो इस बात पर बल देता है कि अन्ततोगत्वा ज्ञान संवेदनों से प्राप्त होता है। सामान्यतः इस मत का संबंध साहचर्यवाद से माना जाता है।
  • Sense Datum -- इन्द्रिय प्रदत्त
इन्द्रियानुभव में गृहीत सामग्री अथवा वह जिसके प्रति हम इन्द्रियानुभव में तत्काल सचेत होते हैं। (रसल)
  • Sense, Internal -- आंतरिक ज्ञान
मनस् की अन्तर्निरीक्षण करने की संघात् क्षमता जिससे वह अपनी आंतरिक अवस्थाओं एवमं क्रियाओं के प्रति सचेत होता है। इस पद का सर्वप्रथम प्रयोग जॉन लॉक ने किया था।
  • Sense, Internal And External (Kant) -- अन्तर्ज्ञान एवं बहिर्ज्ञान (कांट)
काल तथा कालावधि का प्रागनुभविक, अन्तर्बोध। दिक् के गुणों और दिक् के आकार का प्रागनुभविक बोध।
  • Sense-Manifold -- संवित्त-विविधक
अनुभव में समाविष्ट रंग, ध्वनि, स्वाद इत्यादि विविध संवेदनों के अंश।
  • Sense Moral -- देखिये “moral sense”।
  • Sense Perception -- इन्द्रिय प्रत्यक्ष
एक अविश्लेष्य मानसिक अवस्था या क्रिया जो ज्ञानेन्द्रियों के कार्यों से संबंधित और उन पर आश्रित होती है।
  • Sense-Qualia -- संवेद्य-गुण
1. संवेदनाओं के गुणों का अमूर्तरूप में ग्रहण जैसे : स्वेतता, खट्टापन।
2. विशिष्ट वस्तुओं के साहचर्य में निहित गुण जैसे श्वेत कमल, खट्टा अंगूर।
  • Senses, The Five -- पंच ज्ञानेन्द्रियाँ
कर्ण, नासिका, जिह्वा, त्वक् एवं चक्षु इन्द्रियाँ।
  • Sensibles, Proper (Aristotle) -- विशिष्ट संवेद्य
एकेन्द्रिय मात्र से गृहीत विषयों के गुण यदि उक्त ज्ञानेन्द्रिय सक्षम है तो वह उस गुण के प्रत्यक्ष में विफल नहीं होती। यथा दृष्टि हमारे चक्षु के लिये, ध्वनि श्रवण के लिये, स्पर्श, त्वक् के लिये स्वाद, रसना के लिये तथा गन्ध, घ्राण के लिये विलक्षण है।
  • Sensibilia (Sing., Sensibile) -- संवेद्यार्थ
रसल के अनुसार, वे वस्तुएँ जिनकी तत्त्वमीमांसीय तथा भौतिक स्थिति इंद्रियप्रदत्त के तुल्य ही होती हैं किंतु जिनके बारे में यह जरूरी नहीं है कि वे सामने प्रस्तुत हों। जैसे मनुष्य विवाह-संबंध के होने पर पति बन जाता है वैसे ही संवेद्यार्थ किसी मन से संबंध (प्रत्यक्ष) होने पर इंद्रियप्रदत्त कहलाता है।
  • Sensibility -- संवेदन-शक्ति
कांट के अनुसार, मन की वह शक्ति जिसके द्वारा वह ऐंद्रिय संस्कारों को ग्रहण करता है।
  • Sensualism -- विषयभोगवाद, इंद्रियसुखवाद
नीतिशास्त्र में, वह मत कि इंद्रियों की तृप्ति अर्थात् विषयों का भोग ही परम शुभ है।
  • Sensum -- संवित्त
वह सामग्री जो किसी बाह्य ज्ञानेंद्रिय के माध्यम से मन के समक्ष प्रस्तुत होती है, संवेदन की अंतर्वस्तु।
  • Sentence -- वाक्य, दंडादेश, दंड
1. शब्दों (प्रतीकों) पदों का सार्थक समूह।
2. विधिशास्त्र के संदर्भ में दंड एवम् दंडादेश।
3. तर्कशास्त्र व गणित में अभिकथन के रूप में प्रयुक्त।
  • Sentence Categorical -- निरूपाधिक वाक्य
वह वाक्य जिसमें उद्देश्य-विधेय-क्रिया क्रमशः हों और जो किसी व्यक्ति या वर्ग के विषय में किसी गुण या सदस्यता का निरपेक्षरूपेण विधि या निषेध करे।
  • Sentence Connectives -- वाक्य-संयोजक
1. वे शब्द जिनका प्रयोग दो या दो से अधिक वाक्यों या कथनों को संयुक्त करने के लिये होता है जैसे “और”, “अथवा”, इत्यादि।
2. तर्कशास्त्र में प्रयुक्त प्रतीक जो दो या अधिक वाक्यों या कथनों का संयोजन करते हैं, जैसे v या כ।
  • Sentential Calculus -- वाक्यी कलन
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र का वह भाग जहाँ वाक्यों का परस्पर निगमन किया जाता है। इसे तर्कवाक्यीकलन भी कहते हैं।
  • Sentient -- संचेतन
वह जो चेतना से युक्त हो।
  • Sentiment -- भावना
मनोविज्ञान में प्रयुक्त स्थायीभाव।
  • Separable Accident -- वियोज्य आगंतुक गुण
वह आकस्मिक गुण जो वर्ग के कुछ व्यक्तियों में हो और कुछ में न हो, जैसे कुत्तों में सफेद रंग, अथवा एक व्यक्ति में कभी हो और कभी न हो, जैसे, राम का व्यवसाय इत्यादि।
  • Serfdom -- दासता, कृषिदासता
सामाजिक विकास के ऐतिहासिक संदर्भ में उस युग विशेष में दासों के लिये प्रयुक्त प्रत्यय, जब भू-स्वामियों द्वारा लोगों को दास के रूप में रखा जाता था। (मार्क्सवाद्)
  • Sermon -- धर्मोपदेश, प्रवचन
धार्मिक एवम् आध्यात्मिक प्रयोजन से दी जाने वाली शिक्षा।
  • Service -- सेवा
1. सामान्यतः स्वामिभक्ति तथा आजीविका हेतु किसी पद या कार्य विशेष का दायित्व।
2. भक्ति के क्षेत्र में सेवक भाव से किया जाने वाला कार्य।
  • Servility -- दास्य-प्रवृत्ति
समाज-दर्शन में प्रयुक्त अवधारणा, जिसके अनुसार व्यक्ति किसी का दास बने रहना चाहता है।
  • Servitor -- सेवक, दास
1. भक्ति-दर्शनों में गुरू भक्ति अथवा भगवद् भक्ति के विशेष अर्थ में प्रयुक्त
2. वैष्णव सिद्धांत में अनन्यता एवम् समर्पण के अर्थ में प्रायः प्रयुक्त।
  • Servitude -- सेवा-भाव,दास्य-भाव
विशेष रूप से वैष्णव भक्ति सम्प्रदायों में ईश्वर के प्रति सेवा भाव हेतु प्रयुक्त।
  • Set -- समुच्चय, सेट
वस्तुओं (सदस्यों) का साकल्प (अवयवी)।
  • Sign -- संकेत, चिह्न
1. कोई भी वस्तु जो किसी अन्य वस्तु की पहचान हो।
2. कोई भी वस्तु जो किसी अन्य वस्तु, संबंध या क्रिया का उस व्यक्ति के लिए द्योतक हो, जो उसे समझता है। जैसे > चिह्न ‘अपेक्षाकृत अधिक’ का द्योतक है।
  • Sign Conventional -- पारम्परिक संकेत
वह संकेत जो विशिष्ट वस्तु के लिये बनाया जाता है या अभीष्ट होता है जैसे ‘चले जाओ’ के लिये आंगिक चेष्टा, रूक जाने के लिये विशिष्ट रंग या काम समाप्त करने के लिये घण्टी बजना। प्रत्येक शब्द एक संकेत होता है या किसी वस्तु का अर्थ होता है। इन्हें पारम्परिक इसलिये कहा जाता है कि इनका अर्थ परम्पराश्रित है। इन्हें अन्य अर्थों में लेने की परम्परा बनाई जा सकती थी।
  • Sign Natural -- प्राकृतिक संकेत
1. जब हम रटते हैं कि ‘क’ ख का प्राकृतिक संकेत है तो ‘क’ और ‘ख’ के बीच अनेक दृष्टांतों में (कारणता का) संबंध होता है। ऐसा होने पर ‘क’ से ‘ख’ का अनुमान या भविष्यवाणी हो सकती है जैसे : बादल वर्षा के संकेत हैं, ध्रूम्र अग्नि का संकेत है।
  • Signification -- अर्थाभिधान, अर्थसन्निवेशन
1. किसी वस्तु का अर्थ, 2. किसी वस्तु को अर्थ प्रदान करने की क्रिया। 3. किसी अर्थ का प्रतीकों, चिह्नों, हावभाव इत्यादि से ज्ञान कराना, वस्त्वर्थ की अपेक्षा गुणार्थ का संकेतन।
  • Similia Similibus Percipiuntur -- सदृशं सदृशेण गृह्यते (समान से समान का ग्रहण)
एक प्राचीन ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत जिसके अनुसार “सदृश, सदृश के द्वारा जाना जाता है।” इसी से प्रेरित होकर यूनानी दर्शन में वस्तुओं से निकलने वाले सूक्ष्म कणों की कल्पना की गई तथा भारतीय दर्शन में चक्षु को तैजस, कर्ण को आकाशमय तथा अन्य ज्ञानेंद्रियों को तत्तद्भूतमय माना गया।
  • Simple Conversion -- सरल परिवर्तन
एक प्रकार का अव्यवहित अनुमान जिसमें आधारवाक्य के उद्देश्य और विधेय निष्कर्ष में क्रमशः विधेय और उद्देश्य बन जाते हैं, गुण वही बना रहता है और परिमाण भी वही रहता है (अर्थात् यदि आधारवाक्य सर्वव्यापी या अंशव्यापी है तो निष्कर्ष भी वही होता है)। (केवल ए (E) और ई (I) वाक्यों का परिवर्तन सरल होता है।
  • Simple Dilemma -- सरल उभयतोपाश
वह उभयतोपाश जिसका निष्कर्ष एक निरूपाधिक वाक्य होता है।
उदाहरण : यदि अ ब है तो स द है,
और यदि र ल है तो स द है।
या तो अ ब है या र ल है।
∴ स द है।
  • Simple-Enumeration -- सरल गणनामूलक सामान्यानुमान
आगमन पद्धति में एक प्रक्रिया जिसमें निष्कर्ष का अनुमान व्यक्तियों की गणना मात्र के आधार पर किया जाता है। जैसे सभी कौए काले होते हैं।
  • Simple Location, (Fallacy Of) -- सरल अबरस्थिति (तर्कदोष)
ह्वाइटहेड द्वारा प्रयुक्त अवधारणा जिसके अनुसार यह विश्वास सदोष है कि सत्ता की संरचना दिक्काल में पदार्थों के विश्रृंखलित परस्पर असंबद्ध टुकड़ो से हुई है।
  • Simple Term -- एकशब्दीय पद
वह पद जिसमें केवल एक शब्द होता है, जैसे मनुष्य, राम इत्यादि।
  • Simplicity, Principle Of -- लाघव सिद्धांत, सरलता (का सिद्धांत)
वह सिद्धांत जिसके अनुसार किसी घटना की व्याख्या या स्पष्टीकरण के लिये इकाइयों की संख्या न्यूनतम होनी चाहिए।
  • Sin -- पाप
धर्म, नीति, परम्परा और समाज के विपरीत किया गया कर्म।
  • Sine-Qua Non -- अपरिहार्य
वह आवश्यक और अपरिहार्य गुण जिसके बिना कोई वस्तु, वह वस्तु नहीं है।
  • Single General Proposition -- एक परिमाणक सामान्य प्रतिज्ञप्ति
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में, वह सामान्य प्रतिज्ञप्ति जिसमें केवल एक परिमाणक हो, जैसे “सभी कुत्ते पशु हैं”। (‘एकपरिमाणक’ प्रतिज्ञप्ति वही है जो पारंपरिक तर्कशास्त्र में ‘सरल प्रतिज्ञप्ति’ है।)
  • Singular Proposition -- एकव्यापी प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति जिसका उद्देश्य-पद एकवाचक हो अर्थात् जो एक व्यष्टि के बारे में हो, जैसे “शंकर एक महान् दार्शनिक है”।
  • Slothful Induction -- मिद्ध आगमन
आगमनिक तर्क का एक दोष जो तब होता है जब प्रमाणों पर आधारित निष्कर्ष की प्रसंभाव्यता की मात्रा को कम आँका जाता है, जैसे एक विशेष प्रतियोगिता-परीक्षा में दस बार फेल होने के बाद ग्यारहवीं बार पास होने की आशा से बैठने के लिए यह कहने वाले प्रत्याशी के कथन में कि वह तो संयोग से फेल हुआ था।
  • Social Contract Theory -- सामाजिक अनुबन्ध सिद्धांत
लॉक, हाब्स, रूसो का वह सिद्धांत जिसके अनुसार सभी सामाजिक संस्थायें नैसर्गिक न होकर सामाजिक समझौते पर आश्रित होती हैं।
  • Social Sanction -- सामाजिक अनुशास्ति
व्यक्ति को नैतिक नियमों का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करने वाली इस प्रकार की बातें, जैसे समाज के द्वारा निंदित होने का, जाति-बहिष्कृत इत्यादि होने का भय, प्रशंसा पाने की आशा इत्यादि।
  • Socratic Method -- सुकरातीय विधि
सुकरात द्वारा ज्ञान की प्राप्ति हेतु प्रतिपादित प्रश्नोत्तर की विधि। उक्त विधि में यह पूर्वमान्य है कि ज्ञान मूलतः मनुष्य में अन्तर्निहित है, उसे केवल उद्धाटित करना है।
  • Soliphsism -- अहंमात्रवाद
केवल “मैं” (ज्ञाता) का अस्तित्व माननेवाला तथा अन्य व्यक्तियों या ज्ञाताओं और बाह्य वस्तुओं का स्वतंत्र अस्तित्व न मानकर उन्हें “मैं” के प्रत्यय मात्र माननेवाला मत।
  • Sophism -- कूटतर्क, छलतर्क
वह आभासी तर्क जिसका प्रयोग धोखा देने, बाद में विजय प्राप्त करने या अपनी बौद्धिक उत्कृष्टता को दिखाने के लिए किया जाता है।
  • Sophistic -- अर्थवितंडा
आर्थिक लाभ के लिए आभासी तर्क का प्रयोग करने की कला।
  • Sophistry -- वितंडा, कुतर्क
छल करने या विपक्षी को भ्रम में डालने के उद्देश्य से आभासी तर्कों का प्रयोग।
  • Sorites -- संक्षिप्त प्रगामी तर्कमाला
न्यायवाक्यों की वह श्रृंखला जिसमें पहले न्यायवाक्य का निष्कर्ष अगले में एक आधारवाक्य बनता है तथा अंतिम को छोड़कर सभी निष्कर्ष और संबंधित आधारवाक्य अव्यक्त होते हैं।
उदाहरण : सभी अ ब हैं।
सभी ब स हैं।
सभी स द हैं।
सभी द य हैं।
∴ सभी अ य हैं।
  • Special Pleading -- विशेष पैरवी
एक दोष जो किसी तर्क का एक संदर्भ में प्रयोग करने और अन्य संदर्भों में उसे अस्वीकार करने में होता है, जैसे आलस्य की समर्थ लोगों में प्रशंसा लेकिन निर्धनों में निंदा करना।
  • Species -- उपजाति
तर्कशास्त्र में, किसी बड़े वर्ग की तुलना में वह छोटा वर्ग जिसका वस्त्वर्थ उसके वस्त्वर्थ में समाविष्ट होता है, जैसे वृक्ष की तुलना में आम्रवृक्ष या मनुष्य की तुलना में नीग्रो।
देखिए “genus”।
  • Specific Accident -- उपजातिगत आगन्तुक गुण
वह आगन्तुक गुण जो केवल प्रश्नाधीन उपजाति में ही विद्यमान हो, उसकी समकक्ष उपजातियों अर्थात् पूरी जाति में नहीं।
  • Specific Attribute -- उपजातिगत गुण
वह गुण जो केवल प्रश्नाधीन उपजाति में ही विद्यमान हो, उसकी समकक्ष उपजातियों में नहीं।
  • Specific Excludent -- उपजातिगत व्यावर्त्य
डिमॉर्गन के अनुसार, वह विधेय जो प्रश्नाधीन उपजाति पर लागू न हो, पर अन्य समकक्ष उपजातियों पर लागू हो।
  • Specific Non-Accident -- उपजातिगत अनागन्तुक
वह गुण जो आकस्मिक न हो और केवल संबंधित उपजाति में ही पाया जाता हो, अर्थात् व्यावर्तक (differentia) का अंश या परिणाम हो।
  • Specific Property -- उपजातिगत गुणधर्म
वह गुणधर्म जो उपजाति के गुणार्थ का परिणाम होता है, जैसे समद्विबाहु त्रिभुज के दो कोणों के बराबर होने की विशेषता जो कि त्रिभुज के गुणार्थ का नहीं बल्कि उसकी दो भुजाओं के समान होने का परिणाम है।
  • Speculative Philosophy -- परिकल्पनात्मक दर्शन
समीक्षात्मक दर्शन के विपरीत, दर्शन का वह प्रकार जिसमें संप्रत्ययों का परीक्षण और विश्लेषण करने वाली आलोचनात्मक बुद्धि की अपेक्षा कल्पना-शक्ति से अधिक काम लिया जाता है।
  • Spirit -- आत्मा, चित्
1. चेतन तत्त्व 2. मृत्यु के उपरांत अवशिष्ट चित् तत्व 3. विश्व को अनुप्राणित करने वाले अग्नि सदृश तत्व (स्टोइक)।
  • Spiritualism -- 1. आध्यात्मवाद : भौतिकवाद के विपरित, वह सिद्धांत कि अंतिम सत्ता आत्मा है जो समस्त विश्व में व्याप्त है, अथवा वह कि विश्व में ब्रह्म और आत्माओं के अलावा कुछ भी नहीं है।
2. प्रेतवाद : वह विश्वास कि प्रेतात्माएँ होती हैं और वे ‘माध्यमों’ के द्वारा अथवा अन्यथा जीवित लोगों के साथ संपर्क कर सकती हैं।
  • Square Of Opposition -- विरोध वर्ग
पारंपरिक तर्कशास्त्र में, प्रतिज्ञप्तियों के पारस्परिक विरोध संबंधों को दर्शाने वाली वर्गाकृति।
चित्र –
देखिए “contrariety”, “contradiction”, “sub-contrariety”, “subalternation”।
  • Stacking The Deck -- एकांगी बलन (दोष)
पदाघात-दोष का एक प्रकार जो तथ्यों का एकपक्षीय चयन करके इष्ट प्रभाव उत्पन्न करने में प्रकट होता है, जैसे महत्त्वहीन बातों पर जोर देकर किसी नाटक या कृति की आलोचना करने में अथवा केवल प्रतिकूल बातों को प्रस्तुत करके किसी के चरित्र को नष्ट करने में।
देखिए “fallacy of accent”।
  • Statement -- कथन
वह वाक्य जो विध्यात्मक या निषेधात्मक हो, और जो सत्य या असत्य हो।
  • Stipulative Definition -- स्वनिर्मित परिभाषा
वह परिभाषा जिसमें नये शब्दों का प्रयोग किया गया हो अथवा पुराने शब्दों को स्वेच्छा से नया अर्थ प्रदान किया गया हो।
  • Strengthened Syllogism -- अतिबल न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसमें एक आधारवाक्य आवश्यकता से अधिक बल वाला होता है, अर्थात् अंशव्यापी निष्कर्ष को प्राप्त करने के लिए, आधारवाक्य का अंशव्यापी होना पर्याप्त है। जबकि वह सर्वव्यापी है। जैसे : चतुर्थ आकृति में ब्रामान्टीप (Bramantip)।
  • Strict Implication -- कठोर आपादन
वह आपादन जिसमें आपाद्य आपादक से अनिवार्यतः निगमित होता है। जैसे ‘यदि क तो ख’, में यदि ‘क’ से ‘ख’ का निगमन।
  • Strong Disjunction (=Exclusive Disjunction) -- प्रदत्त वियोजन
वह कथन जिसमें ‘या’ के प्रयोग द्वारा ऐसे दो परस्पर व्यावर्तक विकल्प बताये गए हों, जो न तो एक साथ सत्य हों, और न असत्य। जैसे : राम या तो मृत है या जीवित।
  • Subalternant -- उपाश्रयक
उपाश्रयण नामक विरोध-संबंध रखनेवाली प्रतिज्ञप्तियों में से वह जो सर्वव्यापी होती है। इसे subaltern भी कहते हैं। देखिए “subalternation”।
  • Subalternate -- उपाश्रित
उपाश्रयण नामक विरोध-संबंध रखनेवाली प्रतिज्ञप्तियों में से वह जो अंशव्यापी होती है। इसे subaltern भी कहते हैं। देखिए “subalternation”।
  • Subalternation -- उपाश्रयण
दो ऐसी प्रतिज्ञप्तियों का विरोध-संबंध जिनके उद्देश्य, विधेय और गुण समान होते हैं परन्तु परिमाण भिन्न होते हैं, अर्थात् जिनमें से एक सर्वव्यापी होती है और दूसरी अंशव्यापी, जैसे : आ (A) और ई (I) का अथवा ए (E) और (O) का, जैसे : सभी अ ब हैं (आ) से कुछ अ ब हैं (ई)। कोई अ ब नहीं (ए) से कुछ अ ब नहीं हैं (ओ)।
  • Subcontrariety -- अनुविपरीत
विरोध-संबंध का एक प्रकार जो समान उद्देश्य और समान विधेयवाली परन्तु गुण में भिन्नता रखनेवाली दो अंशव्यापी प्रतिज्ञप्तियों अर्थात् ई (I) और ओ (O) के मध्य होता है, जैसे : कुछ अ ब हैं (ई)। कुछ अ ब नहीं हैं (ओ)।
  • Subject -- विषय
ज्ञानमीमांसा में, वस्तु या विषय को जाननेवाला अथवा ज्ञान का कर्ता, अर्थात् ज्ञाता, जिसे कि आत्मा, मन, बुद्धि इत्यादि विभिन्न रूर्पो में कल्पित किया गया है।
  • Subjective Idealism -- विषयिनिष्ठ प्रत्ययवाद
वह ज्ञानमीमांसीय सिद्धांत जिसके अनुसार ज्ञाता को केवल अपने प्रत्ययों का ही साक्षात् ज्ञान हो सकता है, और इसलिए
वाह्य जगत् जिसे हम वास्तविक मान बैठते हैं, कल्पना मात्र है, जिसके अस्तित्व का कोई पक्का प्रमाण नहीं है। आधुनिक दर्शन में बर्कले और भारतीय दर्शन में योगाचार बौद्ध इस मत के प्रतिपादक हैं।
  • Subjectivism -- विषयिनिष्ठवाद, विषयिनिष्ठतावाद
मूल्यमीमांसा में, वह मत कि नैतिक तथा अन्य मूल्य व्यक्ति की अनुभूतियाँ और मानसिक प्रतिक्रियाएँ मात्र हैं और बाह्य जगत् में उनके अनुरूप किसी वस्तु का अस्तित्व नहीं है। देखिए “subjective idealism”।
  • Substance Theory Of Mind -- मनोद्रव्य-सिद्धांत
सी. डब्ल्यू. मॉरिस के अनुसार, वह सिद्धांत कि मन एक स्थायी तथा अपनी एकता को बनाए रखनेवाला द्रव्य है।
  • Substantive Theory Of Mind -- द्रव्यकल्प-मन-सिद्धांत
सी. डब्ल्यू. मॉरिस के अनुसार, वह सिद्धांत कि यद्यपि मन स्वयं एक द्रव्य नहीं है तथापि इसमें द्रव्य की विशेषताएँ विद्यमान हैं।
  • Substratum -- अधिष्ठान
वह जिसमें गुण समवेत रहते हैं; गुणों का आधार; द्रव्य। अरस्तू के दर्शन में पुद्गल, जो कि आकार के मूल में रहता है; अथवा ठोस वस्तु जो गुणों को धारण करती है।
  • Sufism -- सूफीमत, सूफीवाद
इस्लाम की कट्टरता के विरोध-स्वरूप बाह्य (ईसाई और हिंदू) प्रभाव से उसके अन्दर विकसित एक रहस्यवादी आंदोलन। इसमें इन्द्रिय-निग्रह, त्याग, दारिद्र्य, धैर्य तथा आस्था मुख्य गुण हैं जो ईश्वर-प्राप्ति के लिए आवश्यक माने गए हैं।
  • Summum Bonum -- निःश्रेयस्, परमार्थ, परम शुभ, परम हित
मनुष्य का वह नैतिक लक्ष्य जो सर्वोच्च है, जिससे अधिक श्रेयस्कर कुछ हो नहीं सकता, जो मानवीय प्रयत्न का सबसे बड़ा साध्य है। विभिन्न विचारकों ने सुख, आत्म-सिद्धि, शक्ति इत्यादि विभिन्न मूल्यों को सर्वोच्च साध्य माना है।
  • Summum Genus -- पराजाति, सर्वोच्चवर्ग
तर्कशास्त्र में, वह वर्ग जिससे बड़ा कोई वर्ग नहीं हो सकता या जो किसी भी वर्ग का उपवर्ग नहीं बन सकता, जैसे पॉरफिरी (Porphyry) के विभाजन में, सत्ता।
  • Superman -- अतिमानव
नीत्शे एवं श्री अरविन्द आदि के दर्शन में, उस जाति के लिए प्रयुक्त शब्द जो वर्तमान मनुष्य-जाति से श्रेष्ठ होगी और जो विकास क्रम का लक्ष्य भी है।
  • Supernaturalism -- अतिप्रकृतिवाद
ऐसी शक्तियों के अस्तित्व में विश्वास जो प्रकृति और उसके नियमों के बंधन से ऊपर हैं तथा विश्व की उत्पत्ति इत्यादि के कारण हैं।
  • Syllogism -- न्यायवाक्य
व्यवहित अनुमान का एक प्रकार जिसमें निष्कर्ष दो आधारवाक्यों से संयुक्त रूप से निकलता है।
उदाहरण : सभी मनुष्य मरणशील हैं; }
सुकरात एक मनुष्य है; } (आधारवाक्य)
∴ सुकरात मरणशील है। (निष्कर्ष)
  • Syllogistic(S) -- न्यायवाक्यीय
तर्कशास्त्र की वह शाखा जो न्यायवाक्य का वर्णन-विवेचन करती है।
  • Symbolic Logic -- प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र
पारंपरिक आकारपरक तर्कशास्त्र को आधुनिक तर्कशास्त्रियों के द्वारा दिया गया रूप, जिसमें साधारण प्रयोग की भाषा की अस्पष्टता, अनेकार्थकता और अपर्याप्तता से बचने के लिए गणित की प्रतीकात्मक भाषा का प्रयोग किया जाता है।
  • Symmetrical Relation -- सममित संबंध
दो पदों का ऐसा संबंध जो यदि ‘क’ और ‘ख’ के बीच में है तो ‘ख’ और ‘क’ के बीच में भी रहता है। जैसे, ‘विवाह’, ‘भिन्नता’ इत्यादि। (यदि कमल का शीला से विवाह हुआ है तो शीला का कमल से विवाह हुआ है, यदि क ख से भिन्न है तो ख ख से भिन्न है।)
  • Syncategorematic Word -- स्वतःपदायोग्य शब्द
वह शब्द जो स्वतः किसी तार्किक वाक्य का उद्देश्य या विधेय नहीं बन सकता, परंतु अन्य शब्दों के साथ संयुक्त होकर बन सकता है, जैसे ‘का’, ‘और’ इत्यादि।
  • Synergism -- अनेककर्तृत्ववाद
ईसाई धर्ममीमांसा में, वह सिद्धांत कि मनुष्य की मुक्ति के लिए अनेक कारक क्रियाशील हैं। इस शब्द का प्रचलन सोलहवीं शताब्दी से आरंभ हुआ जब मेलेंक्थॉन ने इस बात पर बल दिया कि ‘पवित्र आत्मा’, ‘ईश्वर का वचन’ तथा ‘मनुष्य का संकल्प’ मिलकर मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
  • Synonymous Definition -- पर्याय-परिभाषा
वह दोषयुक्त परिभाषा जिसमें परिभाष्य पद का कोई पर्याय दे दिया जाता है, जैसे : “पौधा एक वनस्पति” है।
  • Syntax -- वाक्य-विन्यास, वाक्यविचार
वाक्यों की व्याकरणीय एवं तार्किक व्यवस्था, क्रमबद्धता तथा संरचना
1. काव्यों का व्याकरणीय ढाँचा।
2. वाक्यों की व्याकरणीय संरचना।
3. शब्दों का व्याकरणीय नियम और प्रयोग के अनुसार, वाक्यों में रखकर, उचित स्वरूप देना।
4. प्रतीकों के बीच व्याकरणीय संबंध या ढाँचे का अध्ययन। उस विधि का अध्ययन जिससे ये प्रतीक अर्थ सम्प्रेषण हेतु व्यवस्थित किये जाते हैं।
  • Synthesis -- 1. सश्लेषण : विचार के अलग-अलग तत्वों को संयुक्त करके एक समन्वित रूप देने की क्रिया या उसका परिणाम।
2. समन्वय : हेगेल के दर्शन में, द्वंद्वात्मक प्रक्रिया का तीसरा चरण जिसमें ‘पक्ष’ और ‘प्रतिपक्ष’ का समाहार होता है।
  • Synthetic Philosophy -- संश्लेषणात्मक दर्शनशास्त्र
विभिन्न दार्शनिक मत-मतान्तरों के मध्य सांमजस्य निरूपित करने वाली दर्शनशास्त्र की शाखा।
  • Synthetic Proposition -- संश्लेषणात्मक प्रतिज्ञप्ति
वह प्रतिज्ञप्ति, जिसमें विधेय, उद्देश्य में निहित न होकर, उसके विषय में अधिक जानकारी देता है। आधुनिक शब्दावली में वह प्रतिज्ञप्ति जो पुनरूक्त, विश्लेषणात्मक और आत्तमव्याघात्क न हो। यथाः ‘कमल लाल है’।
  • Synthetic Of Reasoning -- संश्लेषणात्मक तर्कमाला
देखिए “progressive train of reasoning”।
  • Tabula Rasa -- कोरी पट्टिका
इंद्रियामुभव को ज्ञान का एकमात्र स्रोत माननेवाले जॉन लॉक के द्वारा मन के लिए प्रयुक्त और अनुभवों से पहले की उसकी अवस्था का सूचक पद : मन एक ऐसी ‘कोरी पटिया’ है जिस पर अनुभव से ही संस्कार अंकित होते हैं। लॉक जन्मजात प्रत्ययों को अस्वीकार करता है।
  • Tautology -- पुनरूक्ति
1. वह तर्कदोष जिसमें निष्कर्ष किसी नवीन तथ्य का ज्ञान अथवा सूचना नहीं देता बल्कि आधारवाक्य में कही गई बात को ही शाब्दिक हेर-फेर के साथ दोहराता है।
2. प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में, वह सूत्र जिसके चरों (प्रतिज्ञप्ति-चरों) को चाहे जो सत्यता-मूल्य (सत्य या असत्य) प्रदान किया जाए, संपूर्ण का सत्यता-मूल्य सदैव सत्य होता है। साधारण भाषा में, वह प्रतिज्ञप्ति जो प्रत्येक वस्तुस्थिति में सत्य होती है, जैसे “अ या तो ब है या ब नहीं”।
  • Teleological Argument -- उद्देश्यपरक युक्ति, प्रयोजनपरक युक्ति
वह युक्ति जिसमें विश्व की सप्रयोजनता के आधार पर ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध किया जाता है। इस युक्ति के अनुसार, विश्व में हमें सर्वत्र प्रयोजन के प्रमाण प्राप्त होते हैं; प्रयोजन एक चेतन शक्ति के अस्तित्व की ओर संकेत करता है; अतः कोई चेतन शक्ति है जो किसी प्रयोजन की पूर्ति के लिए विश्व की रचना करती है; वही ईश्वर है।
  • Teleological Ethics -- प्रयोजनवादी नीतिशास्त्र
वह नैतिक सिद्धांत जो कर्मों के शुभाशुभ, उचित-अनुचित का मूल्यांकनकर्ता के प्रयोजन, उद्देश्य के आधार पर करना चाहता है।
  • Teleological Idealism -- प्रयोजनपरक प्रत्ययवाद
वह सिद्धांत जिसके अनुसार अनिवार्य सत्यों, तथ्यों तथा मूल्यों के तीन पृथक् जगत् मान्य हैं, जिनमें मूल्य और तर्कबुद्धि को सर्वोपरि स्वीकार्य किया गया है और वही विश्व को एक विशिष्ट योजना के अनुसार संचालित करते हैं। लोत्से (Lotze 1817-1881, जर्मन दार्शनिक)
  • Teleology -- 1. प्रयोजनवाद, उद्देश्यवाद : यंत्रवाद के विपरीत, उद्देश्यों, लक्ष्यों तथा अंतिम कारणों का अस्तित्व मानने वाला सिद्धांत। यंत्रवाद भविष्य तथा वर्तमान को भूत के परिप्रेक्ष्य में देखता है, परंतु प्रयोजनवाद भूत तथा वर्तमान को भविष्य के परिप्रेक्ष्य में देखता है।
2. प्रयोजनात्मकता : सप्रयोजन या उद्देश्वान् होने की मान्यता।
  • Telepathy -- मनःपर्याय, परचित ज्ञान
किसी भी दूरी पर स्थित व्यक्ति के मनोभावों को जान लेने की शक्ति या क्षमता, जिसमें इन्द्रिय प्रत्यक्ष माध्यम नहीं होता।
  • Term -- पद
तर्कशास्त्र में, वह शब्द अथवा शब्द-समूह जिसका प्रतिज्ञप्ति में उद्देश्य या विधेय के रूप में प्रयोग किया जा सके। जैसे, ‘राम’, ‘मनुष्य’, ‘इंग्लेंड का राजा’ इत्यादि।
  • Theism -- ईश्वरवाद
ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखने वाला सिद्धांत।
  • Terminism -- 1. नाममात्रवाद : देखिए “nominalism”।
2. अवधिवाद : ईसाई धर्म में, वह मत कि ईश्वर की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक अवधि नियत है जिसके व्यतीत होने पर मुक्ति असंभव हो जाती है।
  • Theistic Personalism -- ईश्वरवरवादी व्यक्तिवाद
आस्था का वह स्वरूप जिसमें ईश्वर को व्यक्ति स्वरूप या व्यक्तित्व सम्पन्न माना जाता है।
  • Theocracy -- ईश्वर तंत्र
वह राजतन्त्र जिसमें ईश्वर को एकमात्र शासक माना जाता है, कानून को दैवी इच्छा माना जाता है और धर्म तथा राज्य का तादात्म्य कर दिया जाता है।
  • Theocrasy -- 1. मिश्रदेवपूजा, मिश्रदेवोपासना : विभिन्न देवताओं की एकसाथ पूजा।
2. ईश्वर-सायुज्य : ध्यान या समाधि में आत्मा का ईश्वर से तादात्म्य।
  • Theodicy -- ईश्वरीय-न्याय-मंडन
धर्मशास्त्र या दर्शन का वह भाग जिसमें जगत् के स्रष्टा ईश्वर के मंगलमय, सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान् होने के बावजूद सृष्टि में पाप, अन्याय और दुःख के रूप में अशुभ का जो अस्तित्व है उसका औचित्य समर्थन किया जाता है।
  • Theology -- 1. ईश्वरमीमांसा : सामान्यतः दर्शनशास्त्र की वह शाखा जिसमें ईश्वर का तथा जगत् और ईश्वर के संबंध का विवेचन किया जाता है।
2. धर्मशास्त्र : परंतु अब इस शब्द का प्रयोग धर्म-विशेष के सैद्धांतिक पक्ष के लिए अधिक होने लगा है। तदनुसार ईसाई, हिन्दू, मुस्लिम, यहूदी इत्यादि शब्दों के साथ प्रयुक्त होने पर इसमें अधिक सार्थकता आती है।
  • Theorem -- प्रमेय
प्रतीकात्मक तर्कशास्त्र में, वह प्रतिज्ञप्ति जिसे अन्य आधारभूत प्रतिज्ञप्तियों के द्वारा प्रमाणित किया जाता है, अर्थात् जो उनसे व्युत्पाद्य हो।
  • Theory Of Internal Relations -- अंतः संबंध सिद्धांत
प्रत्ययवादियों के अनुसार :
1. संबंध का वह प्रकार जिसमें संबद्ध वस्तुओं के स्वरूप को बिना क्षति पहुँचाये, परिवर्तित या निरस्त नहीं किया जा सकता।
2. वस्तुओं के आंतरिक गुणों पर आधारित, उनके परस्पर संबंध।
  • Theory Of Knowledge -- ज्ञान का सिद्धांत
देखिए “epistemology”।
  • Theory Of Relativity -- सापेक्षता सिद्धांत
भौतिकी तथा ज्ञानमीमांसा की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण, दिक्काल-विषयक एक गणितीय सिद्धांत, जिसे अलबर्ट आइन्सटाइन ने 1905 में एक विशेष सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया था। इसमें परंपरा के अनुसार निरपेक्ष मानी गई कुछ बातों को, जैसे असमान दूरियों पर घटनेवाली कुछ घटनाओं की एककालिकता, दो घटनाओं के मध्य के समय, किसी ठोस पदार्थ की लंबाई इत्यादि को, एक दिक्काल-निर्देश-तंत्र के चुनाव और प्रेक्षक-विशेष के सापेक्ष माना गया है तथा कुछ सापेक्ष मानी गई बातों को, जैसे रिक्त दिक् में प्रकाश के वेग को, निरपेक्ष माना गया है।
  • Theory Of Representative Ideas -- प्रतिनिधि-प्रत्यय-सिद्धांत
वह सिद्धांत कि प्रत्यक्ष, स्मृति इत्यादि में मन वस्तुओं को अपरोक्ष रूप से नहीं बल्कि उन प्रत्ययों के माध्यम से जानता है, जो मन में उन वस्तुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं या उनके प्रतिनिधि होते हैं।
  • Theosis -- ईश्वरापत्ति
जीवात्मा का परमात्मा में लय हो जाने की अवस्था।
  • Theosophy -- ब्रह्मविद्या, देवविद्या
सामान्यतः कोई भी ऐसा दर्शन जो योग इत्यादि गुह्यतंत्रों या अंतःप्रज्ञा के द्वारा ईश्वर के साक्षात्कार में विश्वास करता है। विशेषतः मैडम ब्लावेट्स्की, एनी बीसेन्ट तथा कर्नल ऑलकॉट के नेतृत्व में चलाए गए एक समसामयिक आंदोलन का नाम, जो मुख्य रूप से हिंदूधर्म की लोकप्रिय धारणाओं का और योगियों, महात्माओं और संतों की साधन-पद्धति का समर्थन करता है।
  • Thesis -- पक्ष
1. अरस्तू के अनुसार, वह प्रतिज्ञप्ति जो पहले से सिद्ध न की गई हो और किसी न्यायवाक्य में एक आधारवाक्य के रूप में प्रयुक्त हो।
2. कांट के अनुसार दो विप्रतिषेधात्मक प्रतिज्ञप्तियों (antinomy) में से वह जो विधानात्मक हो (जेसे, “विश्व अनादि है “और” विश्व अनादि नहीं है” में से प्रथम)।
3. हेगेल के अनुसार, द्वंद्वात्मक प्रक्रम का पहला चरण; विचार के विकास की सबसे अपूर्ण अवस्था। देखिए “antithesis”।
4. मत अथवा विचारधारा।
  • Thing-In-Itself (Germ, Ding-An-Sich) -- वस्तु-निजरूप
कांट के दर्शन में वस्तु का वह वास्तविक या यथार्थ स्वरूप जो हमारे ज्ञान से परे रहता है। कांट की मान्यता है कि वस्तु का ज्ञात स्वरूप हमारी बुद्धि के प्रागनुभविक प्रत्ययों का आरोपण है।
  • Thnetopsychite -- देहात्मपुनरुज्जीवनवादी
इस सिद्धांत को माननेवाला व्यक्ति कि शरीर के विनाश के साथ ही आत्मा का भी अंत हो आता है तथा शरीर के पुनरुज्जीवित होने पर (ईसाई, यहूदी और मुस्लिम धर्म के अनुसार) आत्मा भी पुनरुज्जीवित हो जाती है।
  • Thought-Transference -- मनःपर्याय
देखिए “telepathy”।
  • Too Narrow Definition -- अव्याप्त परिभाषा
वह दोषयुक्त परिभाषा जिसमें परिभाष्य पद के गुणार्थ के साथ कोई वियोज्य आकस्मिक गुण भी शामिल कर दिया जाता है और फलतः उसका वस्त्वर्थ घट जाता है। उदाहरण : “मनुष्य एक सभ्य विवेकशील प्राणी है” (यह परिभाषा सभी मनुष्यों पर लागू नहीं होती)।
  • Too Wide Definition -- अतिव्याप्त परिभाषा
वह दोषयुक्त परिभाषा जिसमें पूरा गुणार्थ नहीं बताया जाता और फलतः जो परिभाष्य पद के वस्त्वर्थ को अनुचित रूप से बढ़ा देती है, जैसे ‘मनुष्य एक प्राणी है’ (इसमें विवेकशीलता को छोड़ दिया गया है, जिससे कुत्ते-बिल्ली भी ‘मनुष्य’ हो जाते हैं।
  • Traditionalism -- परंपरावाद
सामान्यतः परंपरागत विचारों, आचारों आदर्शों और मूल्यों के अनुसरण में विश्वास। विशेषतः उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में फ्रांस में प्रचलित वह विचारधारा की सत्य की खोज व्यक्ति की सामर्थ्य से परे है, वह केवल परंपरा में ही सुलभ है।
  • Traducianism -- देहात्मसहजननवाद
वह मत कि आत्मा तथा शरीर की उत्पत्ति एक साथ माता-पिता की आत्माओं से होती है; प्रजनन की प्राकृतिक प्रक्रिया ही आत्मा को भी उत्पन्न करती है।
  • Transcendent -- अनुभवातीत, इंद्रियातीत
इंद्रियों की पहुँच से परे, अनुभव से परे, प्रकृति से परे, इहलोक से परे। विशेषतः कांट ने इस शब्द का प्रयोग उन वस्तुओं के विशेषण के रूप में किया है जो अनुभव या ज्ञान की सीमा से बाहर हैं।
  • Transcendental -- इंद्रियातीत, लोकातीत
सामान्यतः इसका trascendent से कोई भेद नहीं किया जाता।
  • Transcendental Aesthetic -- संवेदनालंब-समीक्षा
कांट के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘शुद्ध बुद्धिमीमांसा’ का प्रथम खंड, जिसमें संवेदन के आकारों का विवेचन किया गया है : ये आकार हैं दिक् और काल, जो साँचों का काम करते हैं, जिनमें से ढलकर ऐंद्रीय सामग्री मन के सामने व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत होती है।
  • Transcendental Analytic -- बोधालंब-समीक्षा
कांट के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘शुद्ध बुद्धिमीमांसा’ के दूसरे खंड का प्रथम भाग, जिसमें वस्तुओं के ज्ञान के लिए आवश्यक उन तत्त्वों अर्थात् उन आधारभूत (‘शुद्ध’) संप्रत्ययों अथवा ‘पदार्थों’ (categories) का विश्लेषण किया गया है जो संवेदनों का एकीकरण करते हैं।
  • Transcendental Apperception -- प्रागनुभविक अहंप्रत्यय
कांट के अनुसार, संवेदनों की विविधता और अवस्था-परिवर्तन के बावजूद ज्ञाता के रूप में आत्मा के सदैव अभिन्न और एक बने रहने की चेतना जो किसी भी अनुभव के होने की एक अनिवार्य शर्त है।
  • Transcendental Dialectic -- प्रागनुभविक द्वंद्व समीक्षा
कांट की “शुद्ध बुद्धिमीमांसा” का तीसरा खंड जिसमें प्रागनुभविक “आकारों” और “पदार्थों” के अनुभव के क्षेत्र के बाहर लागू किए जाने को अवैध बताया गया है तथा तर्कबुद्धि के “प्रत्ययों” को नियामक मात्र मानते हुए तर्कबुद्धिपरक मनोविज्ञान, ब्रह्मांडमीमांसा और ईश्वरमीमांसा का खंडन किया गया है।
  • Transcendental Illusion -- प्रागनुभविक भ्रम
कांट के अनुसार, प्रागनुभविक आकारों और संप्रत्ययों को अनुभवातीत जगत् में लागू करने की मानसिक प्रवृत्ति के कारण उत्पन्न भ्रम।
  • Transcendentalism -- 1. प्रागनुभविकवाद : ज्ञान के प्रागनुभविक तत्त्वों पर बल देने वाला अथवा वास्तविकता के अज्ञेय या ज्ञानातीत स्वरूप में विश्वास करने वाला कांटीय सिद्धांत।
2. अनुभवातीतवाद, इंद्रियातीतवाद : विश्व में अनुभवातीत तत्वों को आधारभूत माननेवाला कांटोत्तर प्रत्ययवाद।
  • Transcendental Logic -- प्रागनुभविक तर्कशास्त्र
इमानुएल कांट के प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘शुद्ध बुद्धिमीमांसा’ का द्वितीय खंड, जिसमें पदार्थों (Categories) का अर्थात्, उन प्रागनुभविक आकारों का जिनके द्वारा बोधशक्ति संवेदनों का संश्लेषण करती है, विवेचन किया गया है।
  • Transcendental Method -- ज्ञानालंब-विश्लेषण-प्रणाली
कांट के अनुसार, उन हेतुओं (संवेदन के आकारों, पदार्थों तथा तर्कबुद्धि के आदर्शों) का विश्लेषण करने की प्रणाली जो अनुभव और ज्ञान को संभव बनाते हैं और स्वयं इनकी पहुँच के बाहर रहते हैं।
  • Transcendental Philosophy -- प्रागनुभविक दर्शन
मुख्य रूप से, कांट का दार्शनिक सिद्धांत जिसमें अनुभव और ज्ञान में दत्त सामग्री की व्यवस्था या उसके संश्लेषण के लिए प्रागनुभविक मानसिक तत्त्वों (आकारों, पदार्थों इत्यादि) को आवश्यक माना गया है।
  • Transcendental Proof -- प्रागनुभविक प्रमाण
कांट के अनुसार, वह प्रमाण जो प्रमेय को मानवीय अनुभव का एक प्रागनुभविक आलंब सिद्ध करता है, जिसके बिना अनुभव संभव नहीं होता।
  • Transcendentals -- विशेषातीत प्रत्यय
स्कॉलेस्टिक दर्शन में, वे प्रत्यय जो समस्त वस्तुओं पर लागू होते हैं, जैसे, सत्ता, वस्तु, कुछ, एक, सत्य तथा शुभ।
  • Transitive Relation -- संक्रामी संबंध
वह संबंध जो यदि अ का ब से हो और ब का स से हो तो अ का स से अवश्य होता हो, जैसे : “- से बड़ा होना”।
  • Transitive States -- संक्रामी अवस्थाएँ
विलियम जेम्स के अनुसार, चेतना-प्रवाह की वे अवस्थाएँ जो एक स्थिर अवस्था से दूसरी स्थिर अवस्था तक पहुँचने में सहायता देती हैं। ये संबंधात्मक होती हैं और भाषा में भी ‘ऊपर’ इत्यादि शब्दों में प्रकट होती हैं।
  • Transmigration -- पुनर्जन्म, जन्मान्तरण
आत्मा का एक शरीर की मृत्यु के पश्चात् दूसरा (मानवीय या मानवेतर) शरीर ग्रहण करना।
  • Transvaluation Of Values -- मूल्यों का मूल्यांतरण
मुख्यतः नीत्शे (Nietzsche) के द्वारा प्रयुक्त पद जो युग की प्रधान और परंपरागत प्रवृत्तियों, मूल्यों और आदर्शों में क्रांति लाने के प्रयोजन से प्रेरित हैं।
  • Trinity -- त्रिरूपेश्वर, त्रिमूर्ति, त्रयी
ईसाई धर्मावलंबियों की एक मान्यता के अनुसार, ईश्वर, जो पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रूपों में तीन पक्षों या व्यक्तियों का समवाय है, यद्यपि एक द्रव्य के रूप में वह अखंड है।
  • Truth -- 1. सत्यता : कथनों, प्रतिज्ञप्तियों तथा प्रत्ययों की वह विशेषता जो उनकी वस्तु-अनुरूपता, पारस्परिक संगति अथवा अर्थक्रियाकारित्व के फलस्वरूप उत्पन्न होती है।
2. सत्य : सत्य प्रतिज्ञप्ति या वाक्य।
  • Tychism -- अनियत घटनावाद, संयोगवाद
वह मत कि विश्व में कोई घटना कारणों के द्वारा नियत नहीं है : सभी कुछ यादृच्छिक है विशेषतः पर्स (Peirce) के अनुसार, यह सिद्धांत कि संयोग विश्व में क्रियाशील एक वस्तुगत सत्ता है।
  • Ultimate Reality -- परमसत्, परमतत्त्व
वह निरपेक्ष तत्त्व, जो समस्त अस्तित्व का आधार एवम् अधिष्ठान है तथा जिससे सम्पूर्ण आस्तित्त्व उत्पन्न अथवा उद्भूत माना जाता है।
  • Ultramontanism -- पोप-सर्वाधिपत्यवाद
रोमन कैथोलिक चर्च में, विशेषतः फ्रांस में, मान्य वह सिद्धांत कि धार्मिक मामलों में ही नहीं अपितु राजनीतिक बातों में भी पोप सर्वोच्च प्रमाण है।
  • Uncertainty Principle -- अनिश्चितता-सिद्धांत
परमाणु-भौतिकी का एक सिद्धांत जिसे हाइज़ेनबर्ग-सिद्धांत भी कहते हैं। इसके अनुसार परमाणु के अवयवों (इलेक्ट्रॉन इत्यादि) की स्थिति और वेग दोनों की एक ही क्षण में यथार्थ माप असंभव है। दर्शन में कारण-सिद्धांत के खंडन और अनियतत्त्ववाद के समर्थन का प्रायः इस सिद्धांत के आधार पर दावा किया जाता है। परन्तु यह द्रष्टव्य है कि प्रश्नाधीन अनिश्चितता स्थिति और वेग के बारे में नहीं है बल्कि उनकी यथार्थ माप के बारे में है।
  • Understanding -- बोध, समझ
कांट के अनुसार, मन की तीन शक्तियों में से एक : वह जो प्रागनुभविक संप्रत्ययों या ‘पदार्थों’ की सहायता से संवेदनों “को निर्णयों के रूप में व्यवस्थाबद्ध करती है।” अन्य दो शक्तियाँ हैं : संवेदन-शक्ति तथा तर्कबुद्धि।
  • Unitarianism -- ईश्वरैक्यवाद
ईसाई धर्म के प्रोटेस्टेट संप्रदाय में प्रचलित वह सिद्धांत जो त्रिरूपेश्वर (Trinity) का विरोध करता है और ईश्वर के एकत्व पर बल देता है।
  • Universal -- सामान्य
प्रत्यय जो अनेक विशेषों में समान रूप में विद्यमान होता है, जैसे नीलत्व या मनुष्यत्व; अथवा वह पद जिसका प्रयोग अनेक वस्तुओं के लिए समान रूप से होता है। प्लेटो ने इन्हें इंद्रियातीत लोक की सत्ताएँ माना और विशेषों को इनकी छायाएँ। अरस्तू के अनुसार ये वस्तुओं के समान गुण मात्र हैं। नामवादियों ने इन्हें केवल नाम माना है। विज्ञानवादियों के अनुसार ये मानासिक प्रत्यय मात्र हैं।
  • Universalism -- सर्वार्थवाद, सर्वहितवाद
वह नीतिशास्त्रीय सिद्धांत कि व्यक्ति का उद्देश्य सभी के हित के लिए काम करना होना चाहिए : सर्वहित व्यक्तिगत हित से श्रेष्ठ है।
  • Universalistic Hedonism -- सर्वसुखवाद
वह नीतिशास्त्रीय सिद्धांत कि सभी का सुख अथवा (व्यावहारिक रूप में) “अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख” कर्म का लक्ष्य होना चाहिए।
  • Unscientific Induction -- अवैज्ञानिक आगमन
तर्कशास्त्र में, वह आगमन जो कार्य-कारण-संबंध की वैज्ञानिक खोज पर आधारित नहीं होता बल्कि दृष्टांतों की गणना मात्र पर आश्रित होता है, जैसे “सभी कौवे काले होते हैं।”
  • Utilitarianism -- उपयोगितावाद
विख्यात नैतिक सिद्धांत, सुखवाद का ही, वह प्रारूप जिसके अनुसार उपयोगिता नैतिक मानदंड है। मिल इसके प्रवर्तक हैं।
  • Validity -- वैधता, प्रामाण्य
आधारवाक्य और निष्कर्ष के संबंध पर आधृत अनुमान का गुण, जिसके अनुसार यदि आधारवाक्य सत्य हो तो निष्कर्ष असत्य नहीं हो सकता।
  • Valid Moods -- वैध विन्यास
अनुमान के प्रामाणिक आकार, जिनका निर्धारण आ, ए, ई और ओ प्रतिज्ञप्तियों को अनुमान की चारों आकृतियों में आधारवाक्य और निष्कर्ष के रूप में प्रयुक्त करने से प्राप्त होते हैं ऐसे वैध विन्यास उन्नीस हैं।
  • Value -- मूल्य
1. आरंभिक एवम् संकुचित अर्थ में (प्लेटो) उस आदर्श अथवा उपयोगिता का द्योतक जिसका संबंध जीवन के आदर्शों से है।
2. व्यापक तथा पुर्नविवेचित अर्थ में (1900AD) मूल्यों को जीवन से संबंधित स्तरों तथा क्षेत्रों के उन समस्त संदर्भो, आदर्शों एवम् आकांक्षाओं में प्रयोग किया जाने लगा, जिनका विस्तार दैहिक, ऐन्द्रिय और जैविक धरातल से लेकर, धार्मिक, सौंदर्यात्मक तथा आध्यात्मिक धरातल तक होता है। मानव की आवश्यकता, अभीप्सा, आकांक्षा की पूर्ति करने वाले तथ्य/आदर्श। मानव इच्छा व आवश्यकताओं के अनुसार मूल्य का वर्गीकरण है।
  • Variable -- चर
तर्कशास्त्र में, ऐसा प्रतीक जैसे : ‘X’ या (‘क’) जो किसी वस्तु-विशेष का नाम नहीं होता, बल्कि वस्तुओं के एक वर्ग के किसी भी व्यष्टि के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।
  • Venn Diagram -- वेन-आरेख
अंग्रेज तर्कशास्त्री जॉन वेन द्वारा अपनाई गई चित्रण-पद्धति जिसमें वृत्तों द्वारा वर्गों और प्रतिज्ञप्तियों के पदों के संबंधों को दिखलाया जाता है। रिक्त स्थलों को छायांकित कर दिया जाता है और अरिक्त स्थलों को क्रॉस चिह्नांकित कर दिया जाता है।
  • Veridicity -- यथातथ्य, यथार्थता
प्रत्यक्ष, स्मृति, कल्पना इत्यादि की वह विशेषता जिसके होने से वे सत्य प्रतिज्ञप्ति के आधार बनते हैं और जिसका भ्रम इत्यादि में अभाव होता है। यह विशेषता व्यवहारतः सत्यता (truth) से केवल इस बात में भिन्न होती है कि सत्यता केवल प्रतिज्ञप्तियों की विशेषता मानी जाती है।
  • Verification -- सत्यापन
प्रतिज्ञप्तियों के सत्य या असत्य होने का निश्चय करने की क्रिया, जिस पर तार्किक प्रत्यक्षवादियों ने वाक्यों की सार्थकता के परीक्षण के लिए बल दिया है।
  • Vitalism -- प्राणवाद
जैव क्रियाओं को भौतिकीय-रासायनिक तत्त्वों से बिल्कुल भिन्न, एक विलक्षण प्राणतत्व या जीवन-शक्ति का कार्य माननेवाला सिद्धांत जैसे हेनरी बर्गसाँ का सिद्धांत।
  • Volition -- संकल्प
किसी कार्य को करने अथवा न करने का निर्णय लेने तथा उस निर्णय को क्रियान्वित करने की शक्ति।
  • Voluntarism -- संकल्पवाद
1. नीतिशास्त्र में, वह मत जो संकल्प की स्वतंत्रता पर बल देता है तथा नियतत्ववाद का विरोध करता है।
2. तत्त्वमीमांसा में, शोपेनहावर इत्यादि का सिद्धांत जो संकल्प को सत्ता का एक महत्त्वपूर्ण अंग मानता है।
  • Voluntary Action -- ऐच्छिक कर्म
विभिन्न विकल्पों में चुनाव करके किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाने वाला कर्म, जो कि नैतिक निर्णय का विषय होता है।
  • Watch-Maker Theory -- घड़ीसाज़-सिद्धांत
ईश्वर और विश्व के संबंध के बारे में एक सिद्धांत जिसके अनुसार विश्व एक घड़ी के जैसा उपकरण है जिसकी रचना ईश्वर ने अपने किसी प्रयोजन की पूर्ति के लिए की है। यह Carpenter Theory (कारू-सिद्धांत) के नाम से भी प्रसिद्ध है।
  • Weltanschauung -- विश्व-दृष्टि
जीवन, समाज और जगत् की समस्याओं के प्रति किसी दार्शनिक या संप्रदाय-विशेष का जो व्यापक दृष्टिकोण होता है उसके लिए प्रयुक्त जर्मन शब्द।
  • Whole -- साकल्य, अवयवी, अंगी
परस्पर आश्रित अवयवों, खंडों या अंशों वाली वह वस्तु जो उनके योग मात्र से अधिक होती है और जिसकी विशेषताएँ उनकी विशेषताओं के योग मात्र नहीं होतीं।
  • Will -- संकल्प
मनसतत्व का तृतीय घटक जो प्रयोजन पूर्ण क्रियाशीलता से संबद्ध होता है। इस प्रकार अन्य दो घटकों अर्थात् ज्ञान और संवेग से इसका पृथकत्व दर्शाया जाता है।
  • Will-To-Believe -- विश्वासेच्छा
विलियम जेम्स के इस नाम से प्रकाशित एक निबंध के पश्चात् प्रचलित एक पद जो इस बात को प्रकट करता है कि प्रमाण में अपूर्ण होने के बावजूद मनुष्य मात्र की स्वाभिविक प्रवृत्ति विश्वास करने की होती है।
  • Will-To-Live -- जिजीविषा
शोपेनहावर (Schopenhauer) के अनुसार, जीवित रहने की स्वाभाविक प्रवृत्ति जो प्रत्येक प्राणी को आत्मरक्षा के लिए प्रेरित करती है तथा नैतिक बोध, विवेक और बुद्धि इत्यादि के रूप में अभिव्यक्त होती है।
  • Wisdom -- प्रज्ञान, बुद्धिमत्ता
प्राचीन यूनानियों द्वारा प्रथम मुख्य सद्गुण के रूप में स्वीकृत चरित्र की वह सर्वोत्कृष्ट विशेषता जिसमें बुद्धिमत्ता, विद्वता, दूरदर्शिता, विवेक तथा जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए साध्यों और साधनों का सम्यक् रूप से चुनाव करने की क्षमता का समावेश होता है।
  • Wish -- अभिलाषा
सामान्यतः इच्छा के पर्याय के रूप में प्रयुक्त। परन्तु मैकेंजी के अनुसार, वह इच्छा जो प्रभावशाली हो, जो अन्य इच्छाओं से प्रबल हो।
  • World Ground -- विश्वाधार
जगत् को धारण करने वाली शक्ति अथवा उसका मूल कारण।
  • World Soul -- विश्वात्मा
जिस प्रकार मानव-शरीर के अंदर आत्मा का निवास माना जाता है उसी प्रकार विश्व के अंदर निवास करनेवाली, उसे अनुप्राणित करने वाली तथा उसे व्यवस्थित प्रकार से चलाने वाली सूक्ष्म सत्ता जिसकी कल्पना आदिम समुदायों में तथा प्लेटो इत्यादि अनेक दार्शनिकों में भी पाई जाती है।
  • World View -- विश्व-दृष्टि
देखिए “weltanschauung”।
  • Worship -- पूजा
ईश्वर या किसी दैवी शक्ति के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए किया जाने वाला अनुष्ठान, जिसमें प्रायः प्रार्थना सम्मिलित होती है।
  • Wrong -- असत्, अनुचित
नैतिक नियम के विपरीत (कर्म या आचरण)।

स्रोत[सम्पादन]

इन्हें भी देखें[सम्पादन]