"कचेर": अवतरणों में अंतर
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कचेर की उत्पत्ति कैसे हुई? |
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कचेर या कचेरा शब्द की उत्पत्ति हिंदी के शब्द "कांच" से हुई है. ऐतिहासिक रूप से कांच की चूड़ियों के निर्माण करने के पारंपरिक व्यवसाय के कारण इस समुदाय का नाम "कचेर या कचेरा" पड़ा. इस समुदाय के उत्पत्ति के बारे में बहुत कम जानकारी है. लेकिन प्राप्त स्रोतों से यह पता चलता है कि 18 वीं शताब्दी में सबसे पहली बार इनका उल्लेख किया गया था. फिर भी इनके उत्पत्ति के बारे में दो प्रचलित मान्यताएं हैं. |
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पहली मान्यता के अनुसार, हिंदू का कचेरा समुदाय के लोगों का कहना है कि पूर्व समय में कांच की चूड़ियों का निर्माण केवल तुर्क या मुहम्मदान कचेरा द्वारा किया जाता था. संभवतः तुर्करी का वर्तमान नाम तुर्क से लिया गया है. लेकिन जब महादेव और माता पार्वती का विवाह हो रहा था तो माता पार्वती ने तुर्करी द्वारा बनाई गई चूड़ियों को पहनने से इनकार कर दिया. फिर महादेव ने एक वेदी या भट्टी का निर्माण किया, और इससे पहला हिंदू कचेरा निकला, जिसे पार्वती के लिए चूड़ियाँ बनाने के लिए नियुक्त किया गया था. दूसरी मान्यता यह है कि महादेवने किसी आदमी को बनाया नहीं था, बल्कि वहां मौजूद एक क्षत्रिय को पकड़ लिया था और उसे चूड़ियां बनाने का आदेश दिया था. उनके वंशजों ने इस नए पेशे का पालन किया और इस तरह से वह कचेरा के नाम से जाने जाने लगे. इस किवदंती से एक संभावित निष्कर्ष यह निकलता है कि कांच की चूड़ियां बनाने की कला की शुरुआत मुसलमानों द्वारा की गई थी. |
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==हिंदी== |
==हिंदी== |
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=== संज्ञा === |
=== संज्ञा === |
१६:५२, ८ जुलाई २०२४ का अवतरण
कचेर की उत्पत्ति कैसे हुई?
कचेर या कचेरा शब्द की उत्पत्ति हिंदी के शब्द "कांच" से हुई है. ऐतिहासिक रूप से कांच की चूड़ियों के निर्माण करने के पारंपरिक व्यवसाय के कारण इस समुदाय का नाम "कचेर या कचेरा" पड़ा. इस समुदाय के उत्पत्ति के बारे में बहुत कम जानकारी है. लेकिन प्राप्त स्रोतों से यह पता चलता है कि 18 वीं शताब्दी में सबसे पहली बार इनका उल्लेख किया गया था. फिर भी इनके उत्पत्ति के बारे में दो प्रचलित मान्यताएं हैं.
पहली मान्यता के अनुसार, हिंदू का कचेरा समुदाय के लोगों का कहना है कि पूर्व समय में कांच की चूड़ियों का निर्माण केवल तुर्क या मुहम्मदान कचेरा द्वारा किया जाता था. संभवतः तुर्करी का वर्तमान नाम तुर्क से लिया गया है. लेकिन जब महादेव और माता पार्वती का विवाह हो रहा था तो माता पार्वती ने तुर्करी द्वारा बनाई गई चूड़ियों को पहनने से इनकार कर दिया. फिर महादेव ने एक वेदी या भट्टी का निर्माण किया, और इससे पहला हिंदू कचेरा निकला, जिसे पार्वती के लिए चूड़ियाँ बनाने के लिए नियुक्त किया गया था. दूसरी मान्यता यह है कि महादेवने किसी आदमी को बनाया नहीं था, बल्कि वहां मौजूद एक क्षत्रिय को पकड़ लिया था और उसे चूड़ियां बनाने का आदेश दिया था. उनके वंशजों ने इस नए पेशे का पालन किया और इस तरह से वह कचेरा के नाम से जाने जाने लगे. इस किवदंती से एक संभावित निष्कर्ष यह निकलता है कि कांच की चूड़ियां बनाने की कला की शुरुआत मुसलमानों द्वारा की गई थी.