संज्ञा
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संज्ञा
अनुवाद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
संज्ञा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ सज्ञा]
१. चेतना । होश ।
२. बुद्धि । अक्ल ।
३. ज्ञान ।
४. किसी पदार्थ आदि का बोधक शब्द । नाम । आख्या ।
५. व्याकरण में वह बिकारी शब्द जिससे किसी यथार्थ या कल्पित वस्तु का बोध होता है । जैसे,—मकान, नदी, घोड़ा, राम, कृष्ण, खेल, नाटक आदि ।
६. हाथ, आँख या सिर आदि हिलाकर कोई भाव प्रकट करना । संकेत । इशारा ।
७. गायत्री ।
८. सूर्य की पत्नी का नाम जो विश्वकर्मा की कन्या थी । मार्कडेय पुराण के अनुसार यम और यमुना का जन्म इसी के गर्भ से हुआ था । विशेष दे॰ 'छाया'—७ ।
९. पदचिह्न (को॰) । १० आज्ञा । आदेश (को॰) । यौ॰—संज्ञाकरण = (१) नामकरण । नाम धरना । (२) चेतना लाना । होश में लाना । संज्ञापुत्र = यम । संज्ञापुत्री । संज्ञा- विपर्यय = होश गायब होना । संज्ञासुत । संज्ञाहीन ।